
Doctors for IVF
आईवीएफ उपचार के लिए सबसे अच्छे डॉक्टर्स - डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट बुक करें, डॉक्टर की फीस देखें, समीक्षाएं पढ़ें, आईवीएफ उपचार के लिए डॉक्टर्स के एड्रेस और फ़ोन नंबर देखें...read more
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आईवीएफ उपचार क्या है?
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक प्रकार की प्रजनन की सहायक तकनीक है जहां शुक्राणु और अंडे को मानव शरीर के बाहर फर्टिलाइज किया जाता है। आईवीएफ उपचार एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें अंडाशय से अंडे प्राप्त करना और उन्हें फर्टिलाइजेशन के लिए प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ मैन्युअल रूप से जुड़ने के लिए रखा जाता है। फर्टिलाइजेशन के कई दिनों बाद, फर्टिलाइज अंडे (जिसे अब भ्रूण कहा जाता है) को गर्भाशय के अंदर रखा जाता है। गर्भधारण तब होता है जब यह भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया कितने चरणों में होती है?
आईवीएफ उपचार एक लंबी प्रक्रिया है, जिसे पूरा होने में लगभग 6-8 सप्ताह का समय लगता है। यहाँ आपको नीचे आईवीएफ की प्रक्रिया (During IVF) के बारे में शुरू से लेकर अंत तक बताया गया हैं:-
- पहला चरण – डॉक्टर से परामर्श (Consultation With Doctor For IVF Treatment)
- प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोशिश असफल होने के बाद जब आप प्रजनन विशेषज्ञ यानी फर्टिलिटी डॉक्टर से मिलते हैं तो डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे मेंपूछतेहैं, आपके लक्षणों से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं और फिर विशिष्ट परीक्षण करने का सुझाव देते हैं।
- परीक्षण के बाद, आवश्यकता अनुसार डॉक्टर आईवीएफ उपचार की सलाह देते हैं। यहाँ से आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया (fertilization process) शुरू होती है।
- दूसरा चरण –ओवेरियन स्टिमुलेशन (Ovarian Stimulation For IVF Treatment)
- आमतौर पर हर महीने एक महिला के अंडाशय से एक अंडा उत्पन्न होता है। सामान्यता, आईवीएफ उपचार के लिए एक से अधिक अंडे की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे आईवीएफ सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
- अंडाशय में अंडे की संख्या बढ़ाने के लिए डॉक्टर महिला को कुछ हार्मोनल दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं। ये दवाइयां और इंजेक्शन महिला के गर्भाशय की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है करती हैं जिससे गर्भाशय में अंडों की संख्या बढ़ती है।
- अंडों की संख्या बढ़ाने के लिए डॉक्टर महिला को 4-6 या 6-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन देते हैं। यह समय महिला की उम्र औरसम्पूर्णस्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
- तीसरा चरण – ट्रिगर इंजेक्शन (Trigger Injection For IVF Treatment)
- यह इंजेक्शन अंडों को मैच्योर बनाता है। इस प्रक्रिया के 33-36 घंटों के बाद डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडे निकालने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
- चौथा चरण – अंडे निकालना (Egg Retrieval For IVF Treatment)
- इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर महिला के अंडाशय सेपरिपक्व अंडोंको निकालते हैं। इसे पूरा होने में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है। इस प्रक्रिया के दौरान लगभग 8-16 अंडो को निकाला जाता है।
- पांचवा चरण –पुरुष का स्पर्म लेना (Sperm Selection For IVF Treatment)
- अंडे निकालने के बाद, उसी दिन डॉक्टर पुरुष साथी सेशुक्राणु लेतेहैं। हर आईवीएफ सेंटर में एक समर्पित कमरा होता है जहां पुरुष हस्तमैथुन करके अपने स्पर्म को एक छोटे से डब्बे में डालकर क्लिनिक में जमा करते हैं।
- डोनर स्पर्म या फ्रोजेन स्पर्म की स्थिति में डॉक्टर पहले से ही लैब में स्पर्म को तैयार कर लेते हैं। स्पर्म लेने के बाद, डॉक्टर उसे वाश करके उसका शुद्धिकरण करते हैं।
- छठा चरण – फर्टिलाइजेशन (Fertilization For IVF Treatment)
- अंडा लेने और स्पर्म का शुद्धिकरण करने के बाद, डॉक्टर एक इनक्यूबेटर (अंडे सेने वाली मशीन) मेंअंडेऔर स्पर्म को फर्टिलाइजेशन के लिए रखते हैं।
- सातवां चरण – भ्रूण का विकास (Embryo Development For IVF Treatment)
- फर्टिलाइजेशन के बाद अंडा एक भ्रूण में विकसित होता है। उसके बाद, डॉक्टर उस भ्रूण को एक अलग इन्क्यूबेटर में रखकर 5-6 दिनों तक उसके विकास को मॉनिटर करते हैं।
- आठवां चरण – भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Implantation During IVF Treatment)
- इस प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर विकसित भ्रूण को इन्क्यूबेटर से बाहर निकालकर यूटेराइन वॉल पर इम्प्लांट करते हैं। यह एक छोटी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में अधिक से अधिक 15-20 मिनट का समय लगता है। एम्ब्र्यो ट्रांसफर करने के कुछ घंटों के बाद महिला अपने घर जा सकती है।
- नौंवा चरण – गर्भावस्था की जांच (Pregnancy Test After IVF Treatment)
- आईवीएफ उपचार के 2 सप्ताह बाद, डॉक्टर महिला को क्लिनिक बुलाकर खून की जांच करते हैं। इस जांच के दौरान खून में एचसीजी (hCG) की मौजूदगी की पुष्टि की जाती है।
आईवीएफ गर्भधारण (IVF pregnancy) सफल होने पर जांच का रिजल्ट पॉजिटिव आता है और खून में एचसीजी की मौजूदगी पाई जाती है। आईवीएफ उपचार के बाद गर्भधारण करने के लिए डॉक्टर मरीज को प्रेगनेंसी सलाह देते हैं।
आईवीएफ उपचार के प्रकार
आईवीएफ एक प्रजनन उपचार है जिसमें शरीर के बाहर शुक्राणु के साथ एक अंडे को निषेचित (फर्टिलाइजेशन) करना और फिर प्राप्त भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करना शामिल है। व्यक्ति या जोड़े की विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों के आधार पर आईवीएफ उपचार के कई रूप हैं। यहां आईवीएफ उपचार के कुछ सामान्य प्रकार दिए गए हैं:
- पारंपरिक आईवीएफ: यह पारंपरिक आईवीएफ प्रक्रिया है जहां एक महिला के अंडाशय से परिपक्व अंडे प्राप्त किए जाते हैं, और फिर उन्हें प्रयोगशाला डिश में शुक्राणु के साथ निषेचित (फर्टिलाइजेशन) किया जाता है। फर्टिलिटी के बाद,एक याएक सेअधिकभ्रूणों को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरण के लिए चुना जाता है।
- इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई): आईसीएसआई का उपयोग तब किया जाता है जब शुक्राणु की गुणवत्ता या संख्या में कम होती है। इस प्रक्रिया में, फर्टिलिटी की सुविधा के लिए एक शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। आईसीएसआई का उपयोग अक्सर पारंपरिक आईवीएफ के साथ संयोजन में किया जाता है।
- आईयूआई विफलता के बाद आईवीएफ: कुछ जोड़े आईयूआई ट्रीटमेंट से शुरुआत कर सकते हैं, और यदि यह सफल नहीं होता है, तो वे आईवीएफ की ओर बढ़ सकते हैं। आईयूआई के बाद आईवीएफ के दौरान, महिला के अंडाशय को कई अंडे पैदा करने के लिए प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है किया जाता है, जिन्हें पारंपरिक आईवीएफ की तरह प्रयोगशाला में पुनः प्राप्त किया जाता है और फिर निषेचित (फर्टिलाइजेशन) किया जाता है।
- फ्रोजन भ्रूण स्थानांतरण (एफईटी): कुछ मामलों में, प्रारंभिक आईवीएफ चक्र के बाद, अतिरिक्त भ्रूण को भविष्य में उपयोग के लिए फ्रीज कर दिया जाता है। एफईटी में इन जमे हुए भ्रूणों को पिघलाना और अगले चक्र में महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करना शामिल है। पूर्ण आईवीएफ चक्र की तुलना में एफईटी कम महंगा और आक्रामक हो सकता है।
- डोनर आईवीएफ: जब अंडे की गुणवत्ता या मात्रा के साथ कोई समस्या हो डोनर अंडे का उपयोग किया जा सकता है। डोनर आईवीएफ में डोनर के अंडों को शुक्राणु के साथ निषेचित (फर्टिलाइजेशन) किया जाता है, और परिणामी भ्रूण कोमहिलाके गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
- प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी): आईवीएफ में पीजीटी एक वैकल्पिक कदम है जो भ्रूण स्थानांतरण से पहले आनुवंशिक असामान्यताओं के लिए भ्रूण की जांच की अनुमति देता है। पीजीटी दो प्रकार के होते हैं:
- पीजीटी-ए (एनीप्लोइडी के लिए प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग): यह संख्यात्मक क्रोमोसोमल असामान्यताओं की जांच करता है, जो डाउन सिंड्रोम जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है।
- पीजीटी-एम (मोनोजेनिक विकारों के लिए प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक परीक्षण): इसका उपयोग विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन की पहचान करने के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप वंशानुगत विकार हो सकते हैं।
- प्राकृतिक आईवीएफ: प्राकृतिक आईवीएफ का कम औषधीय और कम गहन रूप है। इसमें अंडे के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रजनन दवाइयों के उपयोग के बिना प्राकृतिक रूप से परिपक्व अंडे को पुनः प्राप्त करना शामिल है।
- मिनी-आईवीएफ (मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ): मिनी-आईवीएफ में अंडाशय को प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है करने के लिए प्रजनन दवाओं की कम खुराक शामिल होती है, जिसके परिणामस्वरूप कम अंडे प्राप्त होते हैं। कुछ रोगियों के लिए यह अधिक सौम्य और लागत प्रभावी विकल्प है।
दम्पतियों को किस प्रकार के आईवीएफ उपचार को अपनाना है यह व्यक्तिगत कारकों पर निर्भर करता है, जैसे बांझपन का कारण, उम्र और चिकित्सा इतिहास। एक प्रजनन विशेषज्ञ या प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट इन कारकों का आकलन करेगा और प्रत्येक रोगी की स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर सबसे सही आईवीएफ उपचार योजना की सिफारिश करेगा।
आईवीएफ प्रक्रिया में क्या होता है?
आईवीएफ उपचार, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं। आईवीएफ प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 3 सप्ताह का समय लगता है और इसमें कई चरण शामिल होते हैं। लेकिन, रोगी को एक बात का खास ध्यान देने होगा कि यह चरण आमतौर पर सभी के लिए एक समान ही होते हैं, लेकिन स्वास्थ्य परिस्थितियों के आधार पर इनमें थोड़ा बहुत बदलाव किया जा सकता है। चलिए आईवीएफ प्रक्रिया के चरण के बारे में जानते हैं-
- पहला चरण: दवा लेना
- इस चरण में डॉक्टर बर्थ कंट्रोल करने या फिर एस्ट्रोजन की दवा लेने को कहते हैं। इन दवाओं के कारण पीरियड्स में समस्या नहीं आती है, जिसके कारण ओवेरियन सिस्ट होने का खतरा भी टल जाता है। इस तरीके से डॉक्टर इलाज पर अधिक नियंत्रण रख सकते हैं और इसके कारण परिपक्व अंडों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
- चरण 2: अंडों का बनना
- सामान्यतः पीरियड्स के दौरान केवल एक अंडा ही परिपक्व होता है और उसी दौरान रिलीज भी होते हैं। लेकिन आईवीएफ प्रक्रिया में, विशेषज्ञ मरीजों को हार्मोन का इंजेक्शन देते हैं, जिससे कई अंडे एक साथ परिपक्व हो जाते हैं। इसके कारण गर्भधारण करने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। कितनी दवाओं की आवश्यकता होगी इसका निर्णय रोगी के स्वास्थ्य स्थिति समेत कई कारकों पर निर्भर करता है।
- इस प्रक्रिया के दौरान, मरीज के अंडाशय की स्थिति को अल्ट्रासाउंड और हार्मोन स्तर को कुछ नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से जांचा जाता है। जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तो मरीज को एक इंजेक्शन देते हैं, जिससे अंडों का निर्माण तेजी से होने लगता है।
- चरण 3: अंडे प्राप्त करना
- इसे अंग्रेजी भाषा में एग रिट्रीवल कहते हैं। इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ अल्ट्रासाउंड के साथ एक पतली सुई का प्रयोग करते हैं, जिसके द्वारा वह अंडाशयों से अंडे निकालते हैं। प्रक्रिया में रोगी को दर्द कम हो और असहजता का सामना न करना पड़े, इसलिए सर्जन एनेस्थीसिया का प्रयोग करते हैं। इस प्रक्रिया को इंजेक्शन देने के 36 घंटों के बाद ही किया जाता है।
- चरण 5: शुक्राणु (स्पर्म) का संग्रह – Sperm collection
- यदि मरीज अपने साथी के शुक्राणु का उपयोग कर रही हैं, तो यह अंडे प्राप्ति के समय ही संग्रहीत किया जा सकते हैं। शुक्राणु का संग्रह अस्पताल या क्लीनिक में कहीं भी हो सकता है। कभी कभी घर से भी सैंपल कलेक्शन की सुविधा भी प्रदान की जाती है। यदि डोनर स्पर्म या भी फिर फ्रोजन स्पर्म का प्रयोग होता है, तो इसके आगे की प्रक्रिया को लैब में किया जा सकता है।
- इसमें डोनर स्पर्म की अशुद्धियों को साफ किया जाता है, जिससे वह प्रक्रिया के लिए तैयार हो जाते हैं।
- चरण 6: अंडों का फर्टिलाइजेशन
- अंडे और शुक्राणु को बच्चेदानी में फर्टिलाइजर किया जाता है, जिसके बाद उन्हें एक इनक्यूबेटर में विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात प्राकृतिक गर्भाधान की तरह भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। कुछ मामलों में, इंट्रा साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) तकनीक का प्रयोग होता है, जिसमें स्पर्म को प्रत्येक परिपक्व अंडों में सीधे इंजेक्शन के द्वारा डाल दिया जाता है। सिर्फ परिपक्व अंडों का ही फर्टिलाइजेशन हो पाता है।
- चरण 7: भ्रूण के विकास की जांच
- अगले पांच से छह दिनों तक, डॉक्टर भ्रूण के विकास की सतर्कता से जांच करते हैं। सबसे सुरक्षित और परिपक्व भ्रूण को गर्भधारण के लिए चुना जाता है| अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण को भविष्य के उपयोग के लिए फ्रीज कर दिया जाता है।
- चरण 8: भ्रूण का ट्रांसफर – Embryo Transfer
- भ्रूण स्थानांतरण या ट्रांसफर आईवीएफ का अंतिम चरण है जहां विकसित भ्रूण को गर्भाशय में डाला जाता है। डॉक्टर एक कैथेटर नाम के उपकरण और अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके भ्रूण को सुरक्षित रूप से गर्भ में डाल देते हैं। स्थानांतरण के बाद, महिला को कुछ समय तक वहीं उसी स्थान पर लेटने की सलाह दी जाती है, जिससे भ्रूण के सफल ट्रांसफर की संभावनाएं बढ़ जाती है।
- चरण 9: गर्भावस्था टेस्ट
- भ्रूण स्थानांतरण के बाद लगभग 9 से 14 दिनों बाद, गर्भावस्था की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण का सकारात्मक परिणाम गर्भावस्था की पुष्टि करता है। इसके बाद, डॉक्टर मरीज के संपूर्ण स्वास्थ्य का मूल्यांकन करते हैं और प्रसवपूर्व देखभाल के लिए कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश देते हैं। यदि परीक्षण का परिणाम नकारात्मक आता है, तो एक और आईवीएफ सत्र का सुझाव डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है।
आईवीएफ उपचार की तैयारी कैसे करें?
जो महिलाएं आईवीएफ उपचार करवाना चाहती है, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। जिससे आईवीएफ उपचार की सफलता दर अधिक हो जाती है। यदि रोगी आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया से पहले कुछ विशेष तैयारी कर लेते हैं, तो इससे बहुत लाभ मिलेगा। आईवीएफ प्रक्रिया से पहले दंपति(पति-पत्नी) को विशेष प्रकार की तैयारी की आवश्यकता होती है जो इस प्रकार है:-
- स्वास्थ की जांच कराएं – आईवीएफ से पहले कुछ आवश्यक जांच अनिवार्य है। डॉक्टर आईवीएफ प्रक्रिया से पहले रोगी को कुछ टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं, जैसे – हार्मोनल परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, रक्त परीक्षण इत्यादि। इन सभी जांच के परिणाम को प्रक्रिया के दौरान अपने साथ रखें। डॉक्टर इन परिणामों के आधार पर उन असामान्यताओं की पहचान कर पाते हैं, जो प्रक्रिया के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।
- डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाईयाँ : फर्टिलिटी विशेषज्ञ मासिक धर्म के दौरान अंडों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कुछ दवाओं का सुझाव देते हैं। इसके साथ-साथ कुछ अन्य दवाईयां लेने का सुझाव भी डॉक्टर दे सकते हैं।
- जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव करें: आईवीएफ उपचार कीप्रक्रिया से पहले डॉक्टर रोगी को स्वस्थ रहने की सलाह दे सकते हैं। इसके लिए रोगी को अपने जीवनशैली में व्यायाम और स्वस्थ आहार को शामिल करना होगा। शराब, धूम्रपान से दूर रहें।
- इलाज के खर्च की व्यवस्था करें: आईवीएफ एक किफायती उपचार की प्रक्रिया है, इसलिए इस संबंध में वित्तीय तौर पर तैयार रहना रोगी को चिंता मुक्त कर सकता है।
- सहयोगी को साथ रखें: आईवीएफ उपचार के दौरान घर के किसी भी सदस्य को सहायता के लिए साथ अपने साथ रखें। आईवीएफ उपचार भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, जिसके लिए रोगी को पहले से ही तैयारी करनी होगी। इस स्थिति में मरीज को अपने साथी, मित्र या परिवार जनों का साथ मांगना चाहिए।
आईवीएफ उपचार की सफलता दर कितनी है?
आईवीएफ उपचार की सफलता दर 70% से 80% रहती है, जो कि एक अच्छी दर है। लेकिन, महत्वपूर्ण बात यह है कि आईवीएफ की सफलता दर विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।
सबसे मुख्य कारक महिला की उम्र है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता थोड़ी कमजोर हो जाती है। आमतौर पर, युवा महिलाओं में आईवीएफ उपचार की सफलता दर बहुत अधिक होती है। प्रजनन संबंधी समस्या आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करने वाला एक और प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारक हैं, जैसे फैलोपियन ट्यूब का बंद होना या एंडोमेट्रियोसिस, जो आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित कर सकते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता भी आईवीएफ उपचार को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गर्भाधारण करने के लिए दम्पति का स्वाथ्य इतिहास भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि महिला ने पहले गर्भधारण करने का प्रयास किया है और वह सफल नहीं रही है, तो इससे प्रक्रिया की सफलता दर भी प्रभावित हो सकती है। समग्र रूप से, आईवीएफ की सफलता कई कारकों से प्रभावित हो सकती है, इसलिए आईवीएफ उपचार से पहले एक प्रजनन विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से इस संबंध में पूर्ण जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
आईवीएफ उपचार कौन करवा सकता है?
जो दम्पति (पति-पत्नी) प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं करपातेहैं, वे आईवीएफ उपचार का चयन करते हैं। गर्भाशय में भ्रूण न बनने कई कारण हो सकते हैं, लेकिन ऐसे कुछ परिस्थितियां में संतान की प्राप्ति के आईवीएफ प्रभावी उपचार हो सकता हैं:
- फैलोपियन ट्यूब में समस्या: अगर फैलोपियन ट्यूब खराब हो जाए या बंद हो जाए, तो यह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं। आईवीएफ के द्वारा गर्भधारण में फैलोपियन ट्यूब की आवश्यकता नहीं होती है।
- गर्भधारण के लिए अंडों की संख्या में कमी: कुछ लोगों के शरीर में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण के लिए पर्याप्त मात्रा में अंडे उत्पन्न नहीं हो पाते हैं। ऐसे मामलों में, आईवीएफ उपचार के दौरान विशेषज्ञ एक से अधिक अंडों के उत्पादन के लिए कुछ विशेष दवाओं का प्रयोग करते हैं।
- एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भाशय की परत में वृद्धि हो जाती है, जिससे अंडाशय, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब के कार्य पर प्रभाव पड़ता है। एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं के लिए आईवीएफ एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है, क्योंकि इसके द्वारा अंडों को सीधा बच्चेदानी में प्रवेश कराया जाता है।
- बच्चेदानी में रसौली: कभी कभी गर्भाशय में गैर-कैंसर युक्त संरचनाएं बन जाती हैं, जिसके कारण गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न होती है। बच्चेदानी में रसौली वाले महिलाओं के लिए आईवीएफ उपचार उपयोगी साबित हो सकता है, क्योंकि इसके द्वारा बच्चेदानी में एम्ब्रियो को सतर्कतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- पुरुष में नपुंसकता की समस्या: पुरुषों में किसी भी प्रकार की नपुंसकता के कारण भी दम्पति आईवीएफ उपचार के बारे में विचार कर सकते है। नपुंसकता कई प्रकार की होती है जैसे – स्पर्म की धीमी गति, लो स्पर्म काउंट, या स्पर्म के आकार में असामान्यताएं। इस तरह के मामलों में, विशेषज्ञ डोनर स्पर्म का प्रयोग करते हैं।
आईवीएफ प्रक्रिया के बाद क्या उम्मीद करें?
आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया से गुजरने के बाद, आईवीएफ के बाद की अवधि के दौरान आप कई चीजों की उम्मीद कर सकते हैं। यहां बताया गया है कि आप क्या अनुभव कर सकते हैं और क्या आशा करनी चाहिए:
- पुनर्प्राप्ति अवधि: अंडे की पुनर्प्राप्ति के बाद, घर जाने से पहले आपके पास क्लिनिक में एक छोटी पुनर्प्राप्ति अवधि होगी। अंडा पुनर्प्राप्ति के लिए उपयोग की जाने वाली एनेस्थीसिया से आपको घबराहट महसूस हो सकती है, इसलिए सलाह दी जाती है कि किसी को अपने साथ रखें।
- दवाईयाँ : आप संभवतः गर्भाशय की परत को सहारा देने और भ्रूण स्थानांतरण के लिए शरीर को तैयार करने के लिए दवाएं लेना जारी रखेंगी। आपके व्यक्तिगत प्रोटोकॉल के आधार पर विशिष्ट दवाएं भिन्न हो सकती हैं।
- भ्रूण संवर्धन: निषेचित (फर्टिलाइजेशन) भ्रूण को गर्भाशय में भ्रूण स्थानांतरण से पहले, आमतौर पर ब्लास्टोसिस्ट चरण तक, कुछ दिनों के लिए प्रयोगशाला में सुसंस्कृत किया जाता है।
- भ्रूण स्थानांतरण: अंडे की पुनर्प्राप्ति के कुछ दिनों बाद, चयनित भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह पैप स्मीयर के समान अपेक्षाकृत त्वरित और दर्द रहित प्रक्रिया है।
- आराम: कुछ डॉक्टर भ्रूण स्थानांतरण के बाद थोड़े समय के लिए बिस्तर पर आराम करने या गतिविधि कम करने की सलाह देते हैं। हालाँकि, इस पर कोई सार्वभौमिक सहमति नहीं है और दिशानिर्देश अलग-अलग हैं।
- निगरानी और गर्भावस्था परीक्षण: भ्रूण स्थानांतरण के बाद, आपकी देखभाल की जाती रहेगी। आईवीएफ प्रक्रिया सफलता निर्धारित करने के लिए स्थानांतरण के लगभग 10-14 दिनों के बाद गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है।
- प्रोजेस्टेरोन समर्थन: कई मामलों में, आपको गर्भाशय की परत और प्रारंभिक गर्भावस्था का समर्थन करने के लिए प्रोजेस्टेरोन की खुराक दी जाएगी|
- भावनात्मक रोलर कोस्टर: आईवीएफ के बाद की अवधि भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि आप गर्भावस्था परीक्षण के परिणामों का इंतजार करते हैं। इस दौरान भावनाओं के मिश्रण के लिए तैयार रहें।
- एकाधिक गर्भधारण की संभावना: आईवीएफ के साथ एकाधिक गर्भधारण (जुड़वां या अधिक) का खतरा होता है, जो स्थानांतरित किए गए भ्रूणों की संख्या और उनके बाद के विकास पर निर्भर करता है।
- फॉलो-अप अपॉइंटमेंट: यदि गर्भावस्था परीक्षण सकारात्मक है, तो आपको गर्भावस्था की प्रगति की जानने के लिए फॉलो-अप अपॉइंटमेंट लें।
- सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करना: यदि आईवीएफ चक्र असफल होता है, तो आप उम्मीद कर सकती हैं कि आपका मासिक धर्म शुरू हो जाएगा। सफल गर्भावस्था की स्थिति में, सामान्य प्रसव पूर्व देखभाल और गर्भावस्था अनुवर्ती कार्रवाई की आवश्यकता होगी।
आईवीएफ उपचार के बाद का अनुभव व्यक्ति, स्थानांतरित भ्रूणों की संख्या और उपयोग किए गए विशिष्ट प्रोटोकॉल के आधार पर भिन्न हो सकता है। किसी भी प्रश्न या चिंता के समाधान के लिए पूरी प्रक्रिया के दौरान हेल्थकेयर कॉर्डिनेटर या प्रजनन विशेषज्ञ के साथ परामर्श जरूर करें|
आईवीएफ उपचार सही समय में न हो तो क्या होगा?
आईवीएफ उपचार की सफलता महिला की उम्र और समय से काफी प्रभावित हो सकती है, और देरी के विभिन्न प्रभाव हो सकते हैं:
- प्रजनन क्षमता में कमी: महिला प्रजनन क्षमता में उम्र एक महत्वपूर्ण कारक है। आईवीएफ में देरी करने से डिम्बग्रंथि रिजर्व कम हो सकता है, अंडे की गुणवत्ता कम हो सकती है और सफल आईवीएफ उपचार की संभावना कम हो सकती है।
- कम सफलता दर: बढ़ती उम्र के साथ आईवीएफ की सफलता दर में गिरावट आती है, जिसका मुख्य कारण अंडों की गुणवत्ता और मात्रा में कमी है। उपचार में देरी करने से सफलता दर कम हो सकती है, कई चक्रों की आवश्यकता हो सकती है या संभावित उपचार सीमाएं हो सकती हैं।
- स्वास्थ्य जोखिम: गर्भावस्था में देरी करने से महिला और बच्चे दोनों के लिए गर्भावस्था संबंधी स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकते हैं। वृद्ध महिलाओं को गर्भकालीन मधुमेह, उच्च रक्तचाप, प्री-एक्लेमप्सिया और भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यताएं जैसी जटिलताओं का अधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
- सीमित उपचार विकल्प: कुछ मामलों में, उम्र से संबंधित प्रजनन क्षमता में गिरावट उपलब्ध उपचार विकल्पों को सीमित कर सकती है। इसके लिए अधिक आक्रामक या उन्नत प्रजनन उपचार की आवश्यकता हो सकती है, जैसे दाता अंडे या भ्रूण का उपयोग करना।
- भावनात्मक और मानसिक प्रभाव: बांझपन का भावनात्मक तनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और आईवीएफ में देरी इन भावनाओं को बढ़ा सकती है। यह सफल प्रजनन उपचार के लिए उपलब्ध सीमित समय से संबंधित अतिरिक्त तनाव और चिंता को भी जन्म दे सकता है।
- वित्तीय विचार: आईवीएफ उपचार महंगा हो सकता है, और उपचार में देरी के परिणामस्वरूप अधिक चक्रों या उन्नत उपचारों की संभावित आवश्यकता के कारण वित्तीय लागत बढ़ सकती है।
जबकि आईवीएफ अभी भी अधिक उम्र में एक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है, प्रजनन विशेषज्ञ के साथ खुली और ईमानदार चर्चा करना महत्वपूर्ण है। वे आपकी विशिष्ट स्थिति का आकलन कर सकते हैं, मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं और संभावित चुनौतियों और उपलब्ध विकल्पों पर चर्चा कर सकते हैं। किसी प्रजनन विशेषज्ञ के साथ प्रारंभिक परामर्श से व्यक्तियों या जोड़ों को आईवीएफ उपचार के समय और दृष्टिकोण के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
आईवीएफ में कितना खर्च आता है?
भारत में, आईवीएफ का खर्च विभिन्न क्लिनिकों और शहरों के आधार पर अलग- अलग हो सकता है। सामान्यता आईवीएफ का खर्च................ रुपये से .................. रुपये के बीच आ सकता है। आईवीएफ उपचार का कुल खर्च दवाईयां के शुल्क, उपचार की अवधि और अन्य चिकित्सा खर्चों पर निर्भर करता है।
क्या स्वास्थ्य बीमा में आईवीएफ उपचार के खर्च को कवर किया जाता है?
आईवीएफ उपचार का खर्च आपकी स्वास्थ्य बीमा की पॉलिसी पर निर्भर करता है। कुछ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में आईवीएफ उपचार के खर्च की कुछ राशि को कवर किया जाता है तो वहीं कुछ स्वास्थ्य बीमा में आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया में आने वाले सम्पूर्ण खर्च को कवर किया हैं, जबकि अन्य स्वास्थ्य बीमा में आईवीएफ के लिए किसी भी प्रकार का कवरेज नहीं दिया जाता हैं। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपनी बीमा पॉलिसी की सावधानीपूर्वक समीक्षा करें और कवरेज संबंधित जानकारी के लिए अपने स्वास्थ्य बीमा सलाहकार से परामर्श करें।
IVF और IUI में क्या अंतर हैं?
आईवीएफ उपचार (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और आईयूआई ट्रीटमेंट (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान) दो अलग-अलग सहायक प्रजनन तकनीक हैं जिनका उपयोग जोड़े के गर्भधारण करने के लिए किया जाता है|जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में,IVF और IUI प्रजनन तकनीक से गर्भधारण करने की सलाह दी जाती है|आईयूआई ट्रीटमेंट और आईवीएफ उपचार के बीच मुख्य अंतर यहां दिए गए हैं:
- प्रक्रिया:
- आईयूआई: आईयूआई में, शुक्राणु को प्रयोगशाला में संसाधित और केंद्रित किया जाता है, और फिर केंद्रित शुक्राणु को भ्रूण बनने की अवधि के दौरान सीधे महिला के गर्भाशय में रखा जाता है। यह प्रक्रिया आईवीएफ की तुलना में कम आक्रामक और सरल है।
- आईवीएफ: आईवीएफ में, महिला के अंडाशय से अंडे निकाले जाते हैं और प्रयोगशाला डिश में शुक्राणु के साथ फर्टिलाइजेशन करने के लिए रखा जाता है, जिससे भ्रूण बनता है। फिर उनमें से एक या एक से अधिक को महिला के गर्भाशय में वापस स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- फर्टिलिटी स्थान:
- आईयूआई: महिला के शरीर में फर्टिलिटी स्वाभाविक रूप से होता है, क्योंकि शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में अंडे से मिलने के लिए गर्भाशय में जमा हो जाता है।
- आईवीएफ: फर्टिलिटी शरीर के बाहर प्रयोगशाला सेटिंग में होता है, जहां अंडे और शुक्राणु को मिलाकर भ्रूण बनाया जाता है।
- संकेत:
- आईयूआई: आईयूआई की सिफारिश अक्सर पुरुष बांझपन, अस्पष्टीकृत बांझपन वाले दंपति के लिए की जाती है, या जब किसी महिला का गर्भाशय ग्रीवा बलगम शुक्राणु बनाने के लिए अनुकूल नहीं होता है। इसका उपयोग उन मामलों में भी किया जाता है जहां डोनर शुक्राणु की आवश्यकता होती है।
- आईवीएफ: आईवीएफ की सिफारिश आम तौर पर अधिक जटिल प्रजनन समस्याओं वाले जोड़ों के लिए की जाती है, जैसे गंभीर पुरुष बांझपन, ट्यूबल ब्लॉकेज, एंडोमेट्रियोसिस, या ऐसे मामले जहां आईयूआई समेत पिछले प्रजनन उपचार सफल नहीं रहे हैं।
- सफलता दर:
- आईयूआई: आईयूआई की सफलता दर आम तौर पर आईवीएफ की तुलना में कम होती है। आईयूआई ट्रीटमेंट की सफलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें बांझपन का कारण और महिला की उम्र भी शामिल है। औसतन, IUI की सफलता दर कम है क्योंकि यह अभी भी प्राकृतिक फर्टिलिटी प्रक्रिया पर निर्भर है।
- आईवीएफ: आईवीएफ की सफलता दर अधिक होती है, खासकर अधिक चुनौतीपूर्ण प्रजनन समस्याओं वाले जोड़ों के लिए। स्थानांतरण के लिए सर्वोत्तम भ्रूण का चयन करने की क्षमता सफलता की संभावनाओं में सुधार कर सकती है।
- खर्च:
- आईयूआई ट्रीटमेंट आम तौर पर आईवीएफ उपचार की तुलना में कम महंगा है। आईयूआई प्रक्रिया की जटिलता और अधिक दवाईयों का शुल्क और देखभाल की आवश्यकता के कारण आईवीएफ उपचार का खर्च काफी अधिक हो सकता है।
- जोखिम:
- आईयूआई ट्रीटमेंट में जोखिम की संभावना कम रहती है और ट्रीटमेंट के दौरान किसी भी प्रकार की अहजता नहीं होती है, इसमें संज्ञाहरण की न्यूनतम या कोई आवश्यकता नहीं होती है।
- आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया में जोखिम की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि इसमें अंडाशय से अंडे को पुनः प्राप्त करना शामिल है, जो एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है। यह शारीरिक और भावनात्मक रूप से कठिन हो सकता है।
एकाधिक गर्भधारण का जोखिम:
एक से अधिक भ्रूण स्थानांतरित करने की संभावना के कारण आईवीएफ मेंएकाधिकगर्भधारण का खतरा अधिक होता है।
आईयूआई में, एकाधिक गर्भधारण कम आम हैं, क्योंकि आमतौर पर कम भ्रूण स्थानांतरित किए जाते हैं।
आईयूआई और आईवीएफ के बीच चयन व्यक्तिगत परिस्थितियों, बांझपन के कारण और प्रजनन विशेषज्ञ या प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की सिफारिशों पर निर्भर करता है। कुछ व्यक्ति या जोड़े IUI से शुरुआत कर सकते हैं, और यदि यह सफल नहीं होता है या यदि अधिक उन्नत उपचार की आवश्यकता है, तो वे अगले चरण के रूप में IVF पर विचार कर सकते हैं।
आईवीएफ उपचार के बाद आहार और जीवनशैली में बदलाव
आईवीएफ उपचार की सफलता मुख्य रूप से संतुलित आहार और जीवनशैली में बदलाव पर निर्भर करती हैं। आईवीएफ के बाद आहार और जीवनशैली में बदलाव करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं,जैसे-
- संतुलित आहार: आईवीएफ उपचार के बाद फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर संतुलित आहार पर ध्यान दें। पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ आपको स्वस्थ रखते हैं और संभावित रूप से प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
- पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन: आईवीएफ उपचार के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी आवश्यक होता है जिसका आपका शरीरअच्छी तरह हाइड्रेटेड रहता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से गर्भाशय ग्रीवा बलगम और गर्भाशय की परत को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है।
- कैफीन और अल्कोहल का सेवन न करें: आईवीएफ उपचार के बे बादकैफीन और अल्कोहल के सेवन को सीमित करने और इन्हें पूरी तरह छोड़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इनके अत्यधिक सेवन से प्रजनन क्षमता और प्रारंभिक गर्भावस्था पर असर पड़ सकता है।
- चीनी और प्रोस्टेट फूड्स कम करें: आईवीएफ के बाद विशेष रूप सेचीनी और प्रोस्टेट फूड्स का सेवन कम से कम करें, क्योंकि ये हार्मोनल असंतुलन और गर्भाशय में सूजन का कारण बन सकते हैं।
- वजन संतुलित रखें: आईवीएफ के बादशरीर का वजन संतुलित बनाए रखना आवश्यक होता है। मोटापा और कम वजन दोनों ही प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए व्यक्तिगत वजन के लिए किसी प्रजनन विशेषज्ञ या आहार विशेषज्ञ से परामर्श लें।
- नियमित व्यायाम: नियमित, मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि में संलग्न रहें, जो हार्मोन को विनियमित करने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती है। अत्यधिक, उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट से बचें जो शरीर पर दबाव डाल सकते हैं।
- तनाव न लें: भावनात्मक और शारीरिक तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान, गहरी सांस लेना या माइंडफुलनेस जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
- पर्याप्त नींद: पर्याप्त नींद लेने और नियमित नींद कार्यक्रम बनाए रखने को प्राथमिकता दें। हार्मोन विनियमन और समग्र स्वास्थ्य के लिए गुणवत्तापूर्ण नींद महत्वपूर्ण है।
- पूरक : प्रसव पूर्व विटामिन, फोलिक एसिड और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे अनुशंसित पूरकों के बारे में अपने प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श लें।
- धूम्रपान बंद करें: यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ना आवश्यक है, क्योंकि धूम्रपान प्रजनन क्षमता और आईवीएफ की सफलता की संभावनाओं को काफी कम कर सकता है।
- दवा और उपचार दिशानिर्देशों का पालन करें: आईवीएफ की प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए अपने प्रजनन विशेषज्ञ द्वारा प्रदान की गई निर्धारित दवाओं और उपचार प्रोटोकॉल का पालन करें।
- फॉलो-अप अपोइंटमेंट: आईवीएफ उपचार के बाद प्रजनन विशेषज्ञ द्वारा बताई गई सभी निर्धारित अनुवर्ती नियुक्तियों और निगरानी सत्रों में भाग लेना जारी रखें।
ध्यान रखें कि प्रत्येक दंपति की स्वास्थ की स्थिति अलग-अलग होती है, इसलिए अपने हेल्थ केयर कोऑर्डिनेटर या प्रजनन विशेषज्ञ के साथ संतुलित आहार और जीवनशैली में बदलाव के लिए परामर्श करें।
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Frequently Asked Questions
क्या आईवीएफ उपचार दर्दनाक है?
आईवीएफ उपचार दर्दनाक नहीं होता है, लेकिन आईवीएफ उपचार की कुछ प्रक्रियाएं, जैसे अंडा पुनर्प्राप्ति के समय थोड़ी बहुत असुविधा महसूस हो सकती हैं। लेकिन आईवीएफ प्रक्रिया में दौरान उठने वाले दर्द को एनेस्थीसिया या दर्द निवारक दवा से नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या आईवीएफ गर्भावस्था सुरक्षित है?
आईवीएफ उपचार से गर्भधारण आम तौर पर सुरक्षित होता हैं, लेकिन आईवीईफ प्रक्रिया के कुछ जोखिम एवं जटिलताएं हो सकती हैं। आईवीएफ से गर्भावस्था करने के लिए प्रजनन विशेषज्ञ से नियमित रूप से परामर्श करने उपचार की सफलता दर अधिक रहती है।
आईवीएफ में कितना समय लगता है?
आईवीएफ प्रक्रिया आम तौर पर प्रारंभिक डिम्बग्रंथि उत्तेजना से लेकर भ्रूण स्थानांतरण तक 4-6 सप्ताह तक चलती है। लेकिन, आईवीएफ प्रक्रिया की समय-सीमा व्यक्तिगत कारकों, उपचार प्रोटोकॉल और क्लिनिकल प्रक्रियाओं के आधार पर अलग हो सकती है।
आईवीएफ के लिए डॉक्टर से परामर्श करने का सही समय क्या है?
यदि आप एक वर्ष से गर्भधारण करने में असफल होरहीहैं और महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक चुकी हैंऔरप्रजनन संबंधी समस्याएं हैं, तो ऐसी स्थिति में प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श लेना फायदमेंद साबित हो सकता है।
आईवीएफ के बाद गर्भवती होने में कितना समय लगता है?
आईवीएफ के माध्यम से गर्भवती होने में लगने वाला समयप्रत्येक जोड़े के लिएअलग-अलग होता है।कुछ लोगों के लिए,पहले चक्र में सफलता मिल सकती है, लेकिनदूसरों में, सफल गर्भधारण के लिएकई चक्रों की आवश्यकता हो सकती है। यह उम्र और प्रजनन समस्याओं सहित व्यक्तिगत कारकों पर निर्भर करता है।