पित्ताशय की पथरी क्या होती है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज
आखिरी अपडेट: Nov 17, 2022
पित्ताशय की पथरी क्या होती है?
पित्ताशय शरीर के दाहिनी ओर लीवर के नीचे की ओर स्थित एक छोटी थैली होती है। आपकी पित्ताशय की थैली पाचन में मदद करने के लिए लीवर में बने पित्त को स्टोर और रिलीज करती है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन जैसे त्तव भी होते हैं जिन्हें आपका शरीर लाल रक्त कोशिकाओं को तोड़ने पर बनाता है।
गॉलस्टोन या पित्ताशय की पथरी में पित्ताशय के अंदर यही तत्व जमा होकर कठोर कंकड़ जैसा स्वरूप ले लेते हैं।ये रेत के दाने जितने छोटे या गोल्फ बॉल जितने बड़े हो सकते हैं। ये कठोर पदार्थ जिन्हें पथरी के नाम से जाना जाता है, पित्ताशय की थैली या पित्त नली में विकसित हो जाते है। पथरी अकसर कॉलेस्ट्रॉल या बाइलुरुबिन के कठोर होने से बनती है।
पथरी के प्रकार (Pathri Ke Prakaar)
पित्ताशय की पथरी होने के कारण भिन्न हो सकते हैं। पित्ताशय की पथरी के दो मुख्य प्रकार हैं:
- कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी- यह सबसे आम प्रकार है। कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर से संबंधित नहीं है।ये पीले और हरे रंग का मिला जुला स्वरूप होती है। ज्यादातर मामलों में इनकी जांच करने पर ये सीटी स्कैन पर दिखाई भी नहीं देते हैं, लेकिन पेट का सोनोग्राम करने पर दिखाई देते हैं।
- बिलीरुबिन से बने स्टोन- इन्हें पिगमेंट स्टोन कहा जाता है। ये तब होते हैं जब शरीर से लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और पित्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन होता है।इनका रंग गाढ़ा होता है और ये आकार में छोटे होते हैं।
पथरी होने के लक्षण (Pathri Ke Lakshan)
गॉल्स्टोन से पीड़ित अधिकांश लोगों में कोई खास लक्षण नहीं होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पथरी पित्ताशय की थैली में रहती है और कोई समस्या नहीं होती है। पर कभी-कभी पथरी पित्ताशय में कोलेसिस्टाइटिस या सूजन का कारण बन सकती है। ऐसे में सबसे पहले रोगी को पेट में दर्द शुरु होता है।
ये तेज़ी से बढ़ता है और असहनीय हो जाता है। यह दर्द शरीर के दाहिनी ओर, पसलियों के ठीक नीचे, कंधे के ब्लेड के बीच या दाहिने कंधे में हो सकता है।इसके अलावा कुछ और संकेत भी हैं जो पथरी होने की तरफ इशारा करते हैं जैसे:
- जी मिचलाना
- उल्टी
- पसीना आना
- अपच,एसिडिटी,गैस
- बेचैनी
- स्थिति अधिक गम्भीर होने पर कुछ और लक्षण भी हो सकते हैं जैसे-
- पेट दर्द जो कई घंटों तक रहता है
- बुखार और ठंड लगना
- पीली त्वचा या आंखें
- गहरे रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल
पथरी होने के कारण (Pathri Hone Ke Kaaran)
पथरी होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे-
- मोटापे के कारण
- पित्ताशय की पथरी के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों में
- जिनका बोन मैरो या अंग प्रत्यारोपण हुआ हो
- मधुमेह से पीड़ित
- पित्ताशय की थैली का पित्त ठीक से खाली न कर पाना (गर्भावस्था के दौरान ऐसा होने की संभावना अधिक होती है)
- लीवर सिरोसिस और बाइलरी ट्रैक इंफेक्शन के कारण
- ऐसे रोग से पीड़ित लोगों में जिनमें लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं
- बहुत कम कैलोरी वाला आहार खाने से या वजन घटाने की सर्जरी के बाद तेजी से वजन कम होने के कारण
- नली के माध्यम से लंबे समय तक पोषण प्राप्त करने वाले लोगों में
- गर्भनिरोधक गोलियां लेने के कारण
- बाइल में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल या बिलिरुबिन होने के कारण
पथरी की बीमारी के दौरान आपका खान-पान (Aapki Diet pathri ke Dooran)
पथरी की बीमारी में ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिसे पचाने में शरीर को अधिक ममेहनत ना करनी पड़े। अगर आप पित्ताशय की पथरी से पीड़ित हैं तो निम्नलिखित चीज़ों का सेवन करने की कोशिश करें-
- ताज़े फल, सब्जियां, बीन्स और मटर।
- साबुत अनाज, जिसमें ब्राउन राइस, ओट्स और होल व्हीट ब्रेड शामिल हैं।
- कम रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और कम चीनी खाएं।
- अपने पित्ताशय की थैली को नियमित रूप से खाली करने में मदद करने के लिए मछली के तेल और जैतून के तेल जैसे स्वस्थ वसा खाएं।
- ट्रांसवसा से बचें, जो कि अक्सर डेसर्ट और तले हुए खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं
- विटामिन सी, मैग्नीशियम और फोलेट पित्ताशय की थैली रोग को रोकने में मदद कर सकते हैं। विटामिन सी से भरपूर चीज़ों की बात करें तो लाल और हरी मिर्च, संतरे और अन्य खट्टे फल, कीवी ,ब्रोकोली, स्ट्रॉबेरीज और टमाटर का सेवन करने से लाभ होता है।
मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ हैं:
- बादाम और काजू
- मूंगफली और मूंगफली का मक्खन
- पालक
- सेम, काले सेम
- सॉय दूध
- आलू
- एवोकाडो
- चावल
- दही
- केला
- फोलेट के अच्छे स्रोत में शामिल हैं:
- पालक
- ब्लैक आइड पीज़
- साबूत या मोटा अनाज
- एस्पैरेगस
पथरी होने पर इन चीजों से करें परहेज (pathri hone par en cheezo se kare parhez)
- पथरी से पीड़ित लोग इन चीज़ों के सेवन से बचें
- अधिक चीनी
- मैदे से बनी चीज़ें
- अस्वास्थ्यकर वसा
- वसायुक्त मांस
- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ
- फैट वाले डेयरी उत्पाद
- तले हुए खाद्य पदार्थ
- फास्ट फूड
- सलाद ड्रेसिंग और सॉस
- चॉकलेट और अन्य कैंडीज,आइसक्रीम
पथरी होने पर क्या करे (pathri Hone par kya kare)
- पथरी होने पर कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है जैसे
- उम्र और उंचाई के हिसाब से शरीर का उचित वजन बनाए रखें। मोटापे से बचना आपके लिए ज़रूरी है क्योंकि मोटापे के कारण उच्च कोलेस्ट्रॉल हो सकता है जो बदले में पित्त पथरी की संभावना को बढ़ाता है।
- रोजाना 30 मिनट के लिए वॉक करें जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहे।
- पित्ताशय की पथरी के गठन को कम करने के लिए कम फैट वाला आहार लें। डेयरी उत्पाद जैसे पनीर आदि से बचना चाहिए।
- यदि आपको त्वचा का कोई पीलापन दिखाई देता है तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें ।
- पानी और तरल पदार्थ खूब पिएं जिससे अधिक से अधिक पेशाब हो।
पथरी होने पर क्या ना करे (pathri hone par kya Na Kare)
- भोजन स्किप ना करें। जब आप भोजन छोड़ते हैं, तो आपका शरीर अधिक वसा जमा करता है औऱ आपका मेटाबालिज़्म धीमा होता है जो कि वजन बढ़ाता है।
- कार्बोनेटेड पेय से बचें क्योंकि ऐसे पेय पित्ताशय की थैली में पित्त के उत्पादन में बाधा डालने और रोगी की स्थिति को खराब करने के लिए जाने जाते हैं।
- वसा युक्त और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें। फैट को पचाना ही पित्ताशय का प्रमुख कार्य है, और तैलीय खाद्य पदार्थ पित्ताशय की थैली पर दबाव बढ़ाते हैं।
- एक बार में अधिक खाने की मात्रा ना लें। विशेष रूप से सोने से पहले कम औऱ हल्का भोजन खाने की सलाह दी जाती है।
- बहुत अधिक कॉफी/चाय और मादक पेय पीने से बचें।
- यदि आप पित्त पथरी की समस्या से पीड़ित हैं तो अत्यधिक नमकीन या चीनी वाले खाद्य पदार्थों से बचें। अधिक नमक के सेवन से पेशाब में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है और इसलिए पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है।
पथरी को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for pathri) Treatment in Hindi)
- पित्ताशय की थैली की सफाई
पित्ताशय की पथरी के घरेलू उपचारों में से एक पित्ताशय की थैली की सफाई है। जानकार मानते हैं कि यह पित्ताशय की पथरी को तोड़ता है और उन्हें शरीर से निकाल देता है। पित्ताशय की थैली को फ्लश करने के लिए 2 से 5 दिनों तक सेब का रस, जड़ी-बूटियों और जैतून के तेल के मिश्रण का सेवन करना शामिल है। - सेब के रस के साथ सेब का सिरका
माना जाता है कि सेब का रस पित्त पथरी को नरम करता है, जिससे वे आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इसके लिए सेब के सिरके में सेब का रस मिलाया जाता है। - डैंडेलायन या सिंहपर्णी
डैंडेलायन सप्लिमेंट्स का उपयोग पित्ताशय की थैली, लीवर और पित्त नली की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। जानकार मानते हैं कि इसकी कड़वी जड़ें पित्ताशय की थैली में पित्त उत्पादन को उत्तेजित कर सकती हैं।आमतौर पर लोग अपने पित्त पथरी को दूर करने के लिए सिंहपर्णी की चाय या कॉफी पीते हैं। - मिल्क थिसल
लीवर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए मिल्क थीसल को औषधीय रूप से कारगर माना जाता है। यह लीवर और पित्ताशय की थैली की सफाई के लिए लाभदायक माना जाता है। मिल्क थीसल को टॉनिक के रूप में या कैप्सूल या टैबलेट के रूप में लिया जा सकता है। - साइलियम भूसी
साइलियम भूसी एक घुलनशील फाइबर है जो शरीर के कई अंगों को लाभ पहुंचा सकती है। भूसी का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी को बनने से रोका जा सकता है । - अरंडी का तेल
कैस्टर ऑयल या अरंडी का तेल प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा विभिन्न रोगों में इस्तेमांल किया जाता है ।अरंडी के तेल का पैक लगाने के लिए गर्म अरंडी के तेल में एक कपड़ा भिगोकर पेट पर रखें।इसे एक तौलिये से ढक दें।पैक को पेट पर एक घंटे तक के लिए छोड़ दें। - एक्यूपंक्चर
जानकार मानते हैं कि एक्यूपंक्चर पथरी के लक्षणों को दूर कर सकता है । पित्ताशय की थैली की सूजन वाले लोगों में एक्यूपंक्चर पीठ दर्द, पेट दर्द और मतली को कम करने के लिए कारगर पाया गया।साथ ही यह पित्ताशय की थैली में पित्त की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। - योग
माना जाता है कि कुछ योग मुद्राएं भी पित्त की पथरी को ठीक करने में कारगर हो सकती हैं । कई योगासन पित्त पथरी वाले लोगों के लिए फायदेमंद होते हैं जैसे भुजंगासन,धनुरासन, पचीमोटासन ,सर्वांगासन और शलभासन ।
पथरी के इलाज (pathri Ke Ilaaj)
जब कोई पित्ताशय की पथरी से पीड़ित होता है तो डॉक्टर सबसे पहले संक्रमण,किसी तरह की रुकावट,पैंक्रिएटाइटिस, या पीलिया के लक्षण देखने के लिए रक्त परीक्षण कराते हैं । इसके अलावा कुछ अन्य टेस्ट भी कराए जा सकते हैं जैसे:
- कोलिंजियोग्राफी-
इसमें चिकित्सक एक डाई को रक्तप्रवाह में इंजेक्ट करते हैं जिससे वह पित्त नलिकाओं या पित्ताशय की थैली में विकार के देख सकें। डाई एक्स-रे पर दिखाई देता है औऱ डॉक्टर को संकेत देता है कि डाई लीवर, पित्त नलिकाओं, आंतों और पित्ताशय तक पहुंच रहा है या नहीं।यदि डाई इन क्षेत्रों में से किसी एक में नहीं जाता है, तो आमतौर पर इसका मतलब है कि एक पथरी रुकावट पैदा कर रही है।इससे पता लगाया जा सकता है कि पथरी कहाँ स्थित है। - सीटी स्कैन
इसमें रोगी के शरीर के अंदर की क्रॉस-सेक्शन तस्वीरें तैयार की जाती हैं औऱ पथरी का पता लगा जा सकता है। - कोलेस्किंटिग्राफी (एचआईडीए स्कैन)
इसमें चिकित्सक रोगी में हानिरहित रेडियोएक्टिव सामग्री इंजेक्ट करता है। यह पित्ताशय की थैली द्वारा अवशोषित किया जाता है।यह परीक्षण पित्ताशय की थैली के असामान्य संकुचन या पित्त नली में रुकावट का निदान कर सकता है। रोगी का एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड करा के भी पथरी की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। - सर्जरी
अगर समस्या अधिक गंभीर है तो पित्ताशय की सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है। इसे करने के लिए कई अलग अलग प्रक्रियाएं मौजूद हैं। - उर्सोडॉक्सिकोलिक एसिड
यह एसिड पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है, जिससे पथरी बनने की संभावना कम हो जाती है। कई बार चिकित्सक इसके द्वारा पथरी का आकार छोटा करने की कोशिश करते हैं ।यदि पित्त पथरी कोलेस्ट्रॉल से बनी है, तो इसे उर्सोडॉक्सिकोलिक एसिड की मदद से धीरे-धीरे भंग किया जा सकता है। इस प्रकार के उपचार को प्रभावी होने में 24 महीने तक का समय लग सकता है।हालांकि यह सर्जरी की तरह प्रभावी नहीं है, लेकिन कभी-कभी उन लोगों के लिए एकमात्र विकल्प होता है जो जनरल एनेस्थीसिया नहीं ले सकते। - कोलेसिस्टेक्टोमी
कोलेसिस्टेक्टोमी का अर्थ है पित्ताशय की थैली को सर्जरी द्वारा हटाना। यह आमतौर पर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के साथ किया जाता है। पर कई लोगों के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी संभव नहीं है।ऐसे रोगियों के ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी की आवश्यकता होती है। - ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी
इसमें पेट में एक बड़ा कट बनाया जाता है। फिर सर्जरी के ज़रिए पित्ताशय निकाल दिया जाता है।जो लोग ओपन सर्जरी से गुजरते हैं उन्हें अस्पताल में लंबे समय तक रहने और ठीक होने में समय लगता है। यदि किसी व्यक्ति की पित्ताशय की थैली गंभीर रूप से सूजन हो जाती है, तो उन्हें आम तौर पर ओपेन सर्जरी की आवश्यकता होती है। - एन्डोस्कोपिक रेट्रोग्रैड कोलैंजियोपैंक्रिएटोग्रॉफी
जब पित्त पथरी वाले व्यक्ति का इलाज ओपेन सर्जरी या उर्सोडिऑक्सिकॉलिक एसिड से नहीं हो सकता है, तो वे एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांजियोपैंक्रिएटोग्राफी यानी (ईआरसीपी) का सहारा ले हैं। इस प्रक्रिया के लिए लकल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर व्यक्ति के मुंह में एक लचीला फाइबर-ऑप्टिक कैमरा, या एंडोस्कोप डालते है, फिर इसे पाचन तंत्र के माध्यम से पित्ताशय की थैली में भेजा जाता है। विद्युत से गर्म किया गया तार पित्त नली को चौड़ा करता है। इसकी मदद से डॉक्टर पथरी को हटा सकते हैं या उन्हें आंत में जाने के लिए छोड़ सकते हैं।जिससे वो शौच के माध्यम से बाहर निकल जाए। - लिथिसोट्रिपसी
इसमें डॉक्टर पित्ताशय की पथरी को तोड़ने के लिए अल्ट्रासोनिक शॉक वेव्स का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा करने से पथरी काफी छोटी हो जाती है और रोगी के मल के रास्ते निकल सकती हैं। हालांकि इसका उपयोग केवल तभी किया जाता है जब बहुत कम पथरी मौजूद हों।
पथरी के इलाज की लागत (pathri ke Ilaaj ka Kharcha)
भारत में पथरी के इलाज का खर्च 40,000 रूपए से लेकर 2,00000 रुपए तक हो सकता है। हालांकि किसी के इलाज पर कितना खर्च आएगा ये रोगी की स्थिति और वो किस अस्पताल में और किस डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं इस पर भी निर्भर करता है।
निष्कर्ष
पित्ताशय की पथरी आमतौर पर पित्ताशय में कोलेस्ट्राल या बिलिरुबिन के कठोर हो जाने के कारण होती है।इसमें व्यक्ति को पसलियों के नीचे कंधों के पास तेज़ दर्द,उल्टी,एसिडिटी तेज़ी से पसीना आने की शिकायत होती है।छोटी पथरियों को दवाओं के माध्यम से मैनेज किया जा सकता है ।पर पथरी का आकार बड़ा होने पर सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
पथरी को जड़ से खत्म कैसे करें?
पथरी में तुरंत आराम के लिए क्या करें?
पथरी रोग का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
पथरी कितने दिन में ठीक हो जाता है?
पित्ताशय की पथरी क्यों होती हैं?
क्या पथरी खतरनाक है?
पथरी को प्राकृतिक रूप से कैसे रोकें?
पथरी से पीड़ित होने पर डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
क्या पथरी अपने आप ठीक हो जाती है?
रेफरेंस
- Gallstones- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 30 July 2019]. Available from:
- Gallstones- Medline Plus, Medical Encyclopedia, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 30 July 2019]. Available from:
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