भारत में एसीएल पुनर्निर्माण की लागत
भारत में एसीएल पुनर्निर्माण के बेस्ट डॉक्टर
भारत में ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत कितनी है?
आर्थ्रोस्कोपिक एसीएल सर्जरी मुख्य रूप से घुटने की सर्जरी है, भारत में जिसकी औसत लागत लगभग 1,20,000 रुपये से 2,50,000 रुपये तक है। इस सर्जरी को घुटने के लिगामेंट सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है। इस सर्जरी की जरूरत तब होती है जब किसी व्यक्ति के लिंगामेंट में चोट लग जाती है।
ऐसी चोटें ज्यादातर खिलाड़ियों को लगती हैं। इसीलिए इस सर्जरी का प्रयोग भी खिलाड़ियों द्वारा ज्यादा किया जाता है। यही वजह है कि इस सर्जरी को खिलाड़ियों के लिए वरदान के रूप में जाना जाता है।
भारत में ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत विभिन्न कारकों की वजह से कम और ज्यादा भी हो सकती है। दअसल, सर्जरी की यह लागत डॉक्टर और हॉस्पिटल की फीस, सर्जरी के प्रकार, फिजिकल थेरेपी का खर्च और दवाइयों के खर्च जैसे कारकों पर निर्भर होती है। इसी लिए अगर आप इस सर्जरी को कराना चाहते हैं तो अस्पताल का चयन के मेडिकल कॉर्निनेटर से सर्जरी की कुल लागत की जानकारी प्राप्त कर लें।
आप हमारे माध्यम से भी सर्जरी करा सकते हैं। ऐसा करने से आपको हम आपको निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे-
- हम आपको अनुभवी और विशेषज्ञ सर्जन तक पहुंचने में मदद करेंगे।
- तकनीकी सुविधाओं से लेस एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध है, वह भी बिलकुल मुफ्त।
- सर्जरी की कुल लागत को इएमआई पर अदा करने की सुविधा उपलब्ध है।
- सर्जरी के बाद निशुल्क परामर्श सुविधा उपलब्ध है।
भारत के प्रमुख शहरों में एसीएल रिकंस्ट्रक्शन की लागत
ट्रीटमेंट की जगह | औसत कीमत | न्यूनतम कीमत | अधिकतम कीमत |
---|---|---|---|
बैंगलोर | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
चेन्नई | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
कोयंबटूर | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
दिल्ली | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
हैदराबाद | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
कोच्चि | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
कोलकाता | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
लखनऊ | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
मुंबई | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
पुणे | ₹150,000 | ₹140,000 | ₹160,000 |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत में ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी से पहले होने वाली जांच की लागत
भारत में ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी करने से पहले आपका डॉक्टर आपकी चोट के स्तर का आकलन करने के लिए विभिन्न कराने की सलाह दे सकता है।
इन परीक्षणों में घुटने की हड्डियों और संरचनाओं का सटीक माप लेने के लिए एक्स-रे और एमआरआई स्कैन शामिल हो सकते हैं। इन परीक्षणों के माध्यम से सर्जन या डॉक्टर आपके चोट की वर्तमान स्थिति को समझ सकता है और उसी के अनुसार उपचार के प्रकार का चयन कर सकता है। इसके अलावा सर्जन अल्ट्रासोनोग्राफी, अर्थोग्राम, आर्थ्रोसेन्टेसिस जैसे टेस्ट की सलाह भी दे सकता है।
चोट के कारण घुटने में सूजन आने पर सर्जन या डॉक्टर पहले सूजन काम करने के लिए विभिन्न दवाओं की सलाह दे सकता है, क्योंकि सूजन की स्थिति में आपके चोट की सही स्थिति का आकलन करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा डॉक्टर डायग्नोस्टिक टेस्ट के साथ के साथ-साथ लिगामेंट की गंभीरता से जांच करने के लिए पैसिव मोशन टेस्ट की भी सलाह दे सकते हैं। इन सभी टेस्ट की लागत अलग-अलग हो सकती है।
मरीज के हिसाब से ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत में अंतर क्यों होता है?
मरीज के हिसाब से ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत अलग-अलग हो सकती है, इसके लिए कई तरह के कारक जिम्मेदार हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- उम्र: मरीज की उम्र के हिसाब से ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत में अंतर हो सकता है। चूंकि उम्र ज्यादा होने पर चोट के रिकवर होने की गति कम हो जाती है। इस वजह से उपचार में ज्यादा लागत आती है।
- चोट की स्थिति: आपके घुटने में लगी चोट की स्थिति भी आपकी ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत में अंतर पैदा कर सकता है। क्योंकि चोट की जैसी स्थिति होगी, उसके उपचार के लिए भी उसी प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता होगी।
- चोट की वजह से सूजन: घुटने में लगी चोट की वजह से अगर घुटने में सूजन है तो जांच के दौरान डॉक्टर को चोट की सही स्थिति का अंदाजा नहीं मिल पाता है, इसलिए सर्जरी के पहले सर्जन या डॉक्टर इस सूजन को कम करने के लिए उपचार करता है। इसलिए यह वजह भी लागत में अंतर पैदा कर सकता है।
- फिजिकल थेरेपी: कई बार चोट की स्थिति जानने के बाद डॉक्टर फिजियोथेरेपी कराने की सलाह देते हैं, जिसके लिए आपको फिजियोथेरेपी कराने की जरूरत होती है। अतः आपकी लागत में इजाफा होता है।
भारत में ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत पर कौन सी चीजें प्रभाव डालती हैं?
यदि आप भारत में ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी कराने पर विचार कर रहे हैं, तो आपको निम्नलिखित कारक आपकी सर्जरी की लागत को प्रभावित कर सकते हैं-
- शहर: ऑर्थ्रोस्कोपीक एसीएल सर्जरी की लागत बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस शहर में सर्जरी करवा रहे हैं। दरअसल, शहर के अनुसार इस सर्जरी की लागत में अंतर आ सकता है। इसकी वजह इलाज, अस्पताल का शुल्क, शल्य चिकित्सा परामर्श आदि की लागत है, दरअसल गैर-मेट्रो टियर 2 और टीयर 3 की तुलना में मेट्रो शहरों में सर्जरी की लागत अधिक हो सकती है।
- अस्पताल: आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी के बाद रोगी को कम से कम 1 या 2 दिनों के लिए और घुटने की खुली सर्जरी के बाद 3-6 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। इसलिए, सर्जरी कराने से पहले अस्पताल का चुनाव एक महत्वपूर्ण कारक है। अस्पताल में भर्ती होने की लागत में अस्पताल के कमरे का किराया और अस्पताल में भर्ती के दौरान अस्पताल द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
- सर्जरी के पहले की जाने वाली जांच: सर्जरी के पहले की जाने वाली जांच की लागत भी आपके सर्जरी की कुल लागत को प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह यह है कि कुछ परिस्थितियों में सर्जन सामान्य जांचों किए साथ-साथ कुछ अतिरिक्त जांचे करवाने का आदेश भी दे सकता है।
- चोट की स्थिति: सर्जन चोट का आकलन करने के बाद सर्जरी के प्रकार का चयन करेगा। साथ ही यह यह तय करेगा कि रोगी को मेनिस्कस सर्जरी जैसी अतिरिक्त प्रक्रिया की आवश्यकता है या नहीं। इस वजह से यह कारण भी लागत पर प्रभाव डाल सकती है।
- सर्जन की फीस: एक अच्छे सर्जन का चयन करना महत्वपूर्ण है जिसके पास काफी अनुभव हो क्योंकि यह सर्जरी के दौरान जटिलताओं की संभावना को कम करता है और उपचार की सफलता की संभावना में सुधार करता है। लेकिन अधिकतर देखा गया है कि सर्जन का अनुभव जितना ज्यादा होता हैं, उसकी फीस भी उतनी ही ज्यादा होती है।
भारत में आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी के विभिन्न घटकों की लागत कितनी है?
भारत में आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी के लिए कई तरीके का चयन किया जाता है और हर एक तरीके की लागत अलग-अलग है। दरअसल, सर्जरी के दौरान जब टेंडन को आपके घुटने में डाला जाता है, तो इसे ग्राफ्ट के रूप में जाना जाता है। एसीएल सर्जरी के साथ तीन प्रकार के ग्राफ्ट का उपयोग किया जा सकता है-
- ऑटोग्राफ़्ट: आपका डॉक्टर आपके शरीर में कहीं और जैसे आपके दूसरे घुटने, हैमस्ट्रिंग, या जांघ से एक कण्डरा का उपयोग करता है। इसकी लागत अन्य ड्राफ्ट के मुकाबले कम है। इसमें करीब 1,20,000 रुपये से 1,50,000 रुपये तक का खर्च आता है।
- एलोग्राफ्ट: इस प्रकार का ग्राफ्ट किसी और एक मृत दाता के ऊतक का उपयोग करता है। इसमें करीब 1,80,000 रुपये तक का खर्च आता है।
- सिंथेटिक ग्राफ्ट: यह तब होता है जब कृत्रिम सामग्री कण्डरा को बदल देती है। सबसे पहले चांदी के रेशे और रेशम इस्तेमाल किए गए थे। अधिक उन्नत विकल्प अब उपलब्ध हैं, जैसे कार्बन फाइबर और टेफ्लॉन, लेकिन शोधकर्ता अभी भी एसीएल प्रतिस्थापन के लिए सर्वोत्तम सामग्री खोजने के लिए काम कर रहे हैं। इसमें करीब 2,50,000 रुपये आता है।
क्या भारत में आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी के लिए बीमा कवर मिलता है?
अधिकांश बीमा पॉलिसियां आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी को कवर करती हैं, विशेष रूप से तब जब यह पूरी तरह से संचलन वसूली के लिए चिकित्सकीय रूप से आवश्यक हो। हालाँकि, कवरेज की सीमा व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक नीति पर निर्भर करती है।
सारांश
भारत में आर्थोस्कोपिक एसीएल सर्जरी के लिए कई अस्पताल है। विभिन्न शहरों में स्थित इन अस्पतालों का शुल्क भी अलग-अलग है। इसलिए सर्जरी से पहले डॉक्टर की फीस और अस्पताल का शुल्क जरूर पता कर लें, इससे आप अपने बजट के अनुसार अस्पताल में इलाज करा सकते हैं। यदि आप बीमा का फ़ायदा लेना चाहते हैं तो अपने बीमा एजेंट से मिलकर सभी नीतियों पर विस्तार से चर्चा कर लें।