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अर्थराइटिस यानी गठिया जोड़ों की बीमारी है. अर्थराइटिस की शिकायत होने पर चलने में तकलीफ, जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है. लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे है जिनसे अर्थराइटिस का दर्द कम और कुछ से दर्द बढ़ सकता है. आइए ऐसे ही कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में जानें.
अर्थराइटिस में क्या खायें
अर्थराइटिस यानी गठिया जोड़ों की बीमारी है. अर्थराइटिस की शिकायत होने पर चलने में तकलीफ, जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है. हालांकि यह बीमारी उम्रदराज लोगों को होती है, लेकिन बदली हुई लाइफस्टाइल के कारण इसकी चपेट में वर्तमान में युवा भी आ रहे हैं. अर्थराइटिस का दर्द इतना तीव्र होता है कि व्यक्ति को चलने–फिरने और यहां तक कि घुटनों को मोड़ने में भी बहुत परेशानी होती है. लेकिन आहार में कुछ खाद्य पदार्थों को शामिल कर आप इस समस्या से बच सकते हैं.
लहसुन का सेवन
लहसुन रक्त शुद्ध करने में सहायक है. अर्थराइटिस के कारण रक्त में यूरिक एसिड बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाता है. लहसुन के रस के प्रभाव से यूरिक एसिड गलकर तरल रूप में मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाता है.
अजमोद
अजमोद गठिया से ग्रस्त मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है. गठिया मरीज अजमोद के रस का इस्तेमाल करके अपनी परेशानी कम कर सकते हैं. क्योंकि अजमोद एक मूत्रवर्धक के रूप में किडनी की सफाई के लिए जाना जाता है. किडनी में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निष्कासित करके यह आपको स्वस्थ रखता है.
अदरक
अदरक रक्त प्रवाह और परिसंचरण में सुधार करता है. ठंड के मौसम के दौरान खराब जोड़ों के दर्द का अनुभव करने वाले अधिक संवेदनशील लोगों के लिए विशेष रूप से अच्छा होता है. जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को हर रोज दो सौ ग्राम अदरक दो बार लेने से दर्द में बहुत राहत मिलती है.
कैमोमाइल टी
अर्थराइटिस के लिए कैमोमाइल टी सबसे ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है. इसमें मौजूद एंटी इंफेल्मेटेरी तत्व अर्थराइटिस के इलाज में फायदेमंद है. इसे आप चाय की तरह या खाने के तौर पर ले सकते हैं. यह जोड़ो में यूरिक एसिड बनने से रोकता है.
सेब साइडर सिरका
सेब साइडर सिरका आपके पाचन में सुधार करता है, विशेष रूप से प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को बेहतर तरीके से पचाता है. उम्र बढ़ने पर हमारे पेट की क्षमता कम और जोड़ों का दर्द बढ़ जाती है. ऐसे में सेब साइडर सिरका बहुत मददगार होता है. सेब साइडर सिरका आपके शरीर को अधिक क्षारीय बनाने में मददकर जोड़ों के दर्द को कम करता है.
अर्थराइटिस में इन आहार से बचें
अर्थराइटिस होने पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है, इसके कारण ही जोड़ों में सूजन होती है. इसकी पीड़ा असहनीय होती है, खासकर ठंड के मौसम में इसका दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाता है. कुछ आहार तो ऐसे है जिनको खाने से अर्थराइटिस का दर्द और भी बढ़ सकता है. आइए जानें, किन आहार से बढ़ सकता है अर्थराइटिस का दर्द.
डेयरी प्रोडक्ट
अर्थराइटिस में दुग्ध उत्पादों को खाने से बचना चाहिए. दुग्ध उत्पादों से बने खाद्य-पदार्थ भी अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ा सकते हैं. क्योंकि दुग्ध उत्पाद जैसे, पनीर, बटर आदि में कुछ ऐसे प्रोटीन होते हैं जो जोड़ों के आसपास मौजूद ऊतकों को प्रभावित करते हैं, इसकी वजह से जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है.
टमाटर न खायें
टमाटर हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, लेकिन यह अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ाता भी है. टमाटर में कुछ ऐसे रासायनिक घटक पाये जाते हैं जो गठिया के दर्द को बढ़ाकर जोड़ों में सूजन पैदा कर सकते हैं. इसलिए टमाटर खाने से परहेज करें.
खट्टे फल
वैसे तो खट्टे फल अत्यंत स्वस्थ होते है, और विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों को प्राप्त करने का एक शानदार तरीका है. लेकिन कुछ लोगों में या जोड़ों के दर्द में वृद्धि कर सकते हैं. अगर आप स्वस्थ आहार का अनुसरण करके भी जोड़ों में दर्द से पीड़ित है तो एक महीने के लिए अपने आहार से खट्टे फलों को हटा कर देखें कि क्या होता है.
मछली न खायें
अर्थराइटिस होने पर ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए. मछली का सेवन करने से अर्थराइटिस का दर्द बढ़ सकता है. मछली में अधिक मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है. प्यूरिन हमारे शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड पैदा करता है. इसलिए सालमन, टूना और एन्कोवी जैसी मछलियों को खाने से बचना चाहिए.
शुगरयुक्त आहार
चीनी शरीर के हर हिस्से में सूजन का कारण बनती है, इससे आपकी धमनियों में सूजन बढ़ जाती है. यह अथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों की दीवारों के अंदर जमा फैट) के अधिक खतरे का कारण बनता है, और प्रतिरक्षा कोशिकाओं के इंफ्लेमेटरी केमिकल के स्राव को उत्तेजित करता है. इसलिए अर्थराइटिस के मरीज को चीनी और मीठा खाने से परहेज करना चाहिए.
एल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक
एल्कोहल खासकर बीयर शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाता है, और शरीर से गैर जरूरी तत्व निकालने में शरीर को रोकता भी है. इसी तरह सॉफ्ट ड्रिंक खासकर मीठे पेय या सोडा में फ्रक्टोज नामक तत्व पाया जाता है, जो यूरिक एसिड के बढ़ने में मदद करता है. 2010 में किए गए एक शोध के अनुसार, जो लोग ज्यादा मात्रा में फ्रक्टोस वाली चीजों का सेवन करते हैं, उनमें अर्थराइटिस होने का खतरा दोगुना अधिक होता है.
श्वसन संबंधी कई बीमारियों में एक अस्थमा भी है. अस्थमा के दौरान श्वसन नाली में सूजन आ जाने के कारण सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. अस्थमा के होने के कई कारण होते हैं. लेकिन बीमारी के प्रभाव को आप सही खान-पान अपना कर दूर कर सकते हैं. दरअसल जीवनशैली में आए बदलाव के कारण हमारा खान-पान इतना गड़बड़ हो गया है. इसलिए ये आवश्यक है कि अस्थमा सेबचने या इसकी संभावना को कम करने के लिए हमें अपने आहार शैली में बदलाव करना होगा. यदि आपइन बदलावों को सही तरीके से अपने जीवन में लागू करेंगे तो इसके बहुत सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं. आपको बता दें कि कि अस्थमा के मरीजों के पास एलर्जिक खाने की एक लम्बी लिस्ट होती है और इतना ही नहीं खाने में ऐसी भी बहुत सी चीजें हो सकती है जो उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायी होती हैं.अस्थमा से बचने के बहुत से उपाय समय समय पर खोजे गये हैं, इनमें से हाल मे खोजा गया एक उपाय है आस्थमा के मरीज़ के डायट पर ध्यान देना. आइए हम आपको बताते हैं कि अस्थमा के मरीजों के लिए क्या डाइट प्लान होना चाहिए.
अस्थमा में क्या खाएं?
अगर आप अस्थमा की समस्या से पीडित हैं, तो आपको खान-पान में सावधानी बरतनी चाहिए. आपको अपने आहार में अधिक से अधिक एंटी ऑक्सीडेंट को शामिल करना चाहिए. आहार में जितनी अधिक विटामिन सी की मात्रा होगी, आपके लिए उतना ही बेहतर होगा.खट्टे फल, जूस, ब्रोकली, स्कवॉश और अंकुरित खाद्य पदार्थो को अपने भोजन में जरूर शामिल करें, क्योंकि इनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. विटामिन सी जलन व सूजन को कम करता है और श्वसन संबंधी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है.पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, लाल व पीली मिर्च, गाजर व खुबानी आदि को अपने भोजन में जरूर शामिल करें. यह अस्थमा रोग में राहत प्रदान करती हैं. हरी पत्तेदार सब्जियों में बीटा-कैरोटीन नामक तत्व होता है, जो कि अस्थमा मरीजों के लिए बहुत मददगार होता है.
अस्थमा में क्या न खाएं?
आमतौर पर एलर्जी के शिकार जल्दी बनते हैं. इसलिए इन्हें उन चीजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है, जिनसे एलर्जी हो सकती हैं, जैसे कि अंडा, मछली या तीखी महक वाली चीजें. हालांकि हर किसी की एलर्जी हो, यह जरूरी नहीं है. इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि अस्थमा के मरीजों के स्वास्थ्य के ऐसे कौन से आहार उपयोगी है जिससे उनका स्वास्थ्य सकारात्मक रूप से प्रभावित हो सके. अस्थमा के मरीज को खट्टा और सामान्य ठंडा नहीं खाना चाहिए, यह मिथ है. जिन्हें इनमें एलर्जी होती है, उन्हें ही इससे नुकसान होता है. लेकिन वो लोग जो थियोफाइलिन ले रहे है उन्हें कैफीन युक्त चाय, काफी या कोल्ड ड्रिंक नहीं लेना चाहिए क्योंकि थियोफाइलिन और कैफीन मिलकर टाक्सिक हो सकते हैं. अगर आपके अटैक का कारण चिन्ता है तो आप ज़्यादा मात्रा में कैफीन ले सकते हैं. इस तरह के खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल कर आप न केवल आस्थमा से बच सकते हैं बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह आहार बहुत ही पोषक हैं.