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एक्टोपिकप्रेग्नेंसी क्या होती है? लक्षण, कारण,परहेज और इलाज

आखिरी अपडेट: Feb 29, 2024

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या होती है?

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सामान्य गर्भधारण में शिशु गर्भाशय के अंदर विकसित होता है। जब एक निषेचित अंडा आपकी फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से होते हुए आपके गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है। पर जब एक निषेचित(फर्टिलाइज़्ड) अंडा गर्भाशय के बाहर खुद को प्रत्यारोपित करता है तो उसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं।

इसे कभी-कभी "ट्यूबल गर्भावस्था" भी कहा जाता है। आमतौर पर यह फर्टिलाइज़्ड अंडा फैलोपियन ट्यूब में से किस एक में प्रत्यारोपित हो जाता है। फैलोपियन ट्यूब अंडाशय को गर्भ से जोड़ने वाली ट्यूब होती हैं। यदि उनमें गर्भ धारण हो जाए तो वह विकसित नहीं होगा ।

बढ़ती गर्भावस्था के कारण बहुत अधिक खिंचने पर फैलोपियन ट्यूब फट सकती है। इससे आंतरिक रक्तस्राव और संक्रमण हो सकता है और कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। ऐसी गर्भावस्था को बचाना संभव नहीं है। इसे आमतौर पर दवा या ऑपरेशन के माध्यम से निकालना पड़ता है।ये समस्या काफी कम लोगों में ही देखने को मिलती है पर काफी गंभीर होती है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के प्रकार (Ectopic pregnancy Ke Prakaar)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी 9 प्रकार की हो सकती है.-

  • फैलोपियन ट्यूब में गर्भधारण हो जाना- इसमें अगर फेलोपियन ट्यूब के मध्य भाग में गर्भ धारण होता है तो उसे एम्पुलरी कहते हैं और अगर ट्यूब के ऊपरी भाग में गर्भ धारण होता है तो उसे इस्थमिक प्रेग्नेंसी कहते हैं।वहीं ट्यूब के अंत में गर्भ धारण होने को फ़िम्ब्रियल प्रेग्नेंसी कहते हैं।
  • इंटरस्टिशियल प्रेग्नेंसी- इसमें फैलोपियन ट्यूब के उस हिस्से के अंदर गर्भ धारण होता है जो गर्भाशय के अंदर जाता है।
  • सीज़ेरियन सेक्शन स्कार- इसमें गर्भाशय पर मौजूद सिजेरियन सेक्शन के निशान के भीतर गर्भ धारण होता है
  • सर्वाइकल- इसमें गर्भाशय के सर्विक्स पर रग्भ धारण हो जाता है।
  • कॉर्नुअल– इसमें असामान्य आकार वाले गर्भाशय के भीतर गर्भ धारण होता है।
  • ओवेरियन- इस में ओवरी में या उसके ऊपर गर्भ धारण हो सकता है।
  • इंट्राम्यूरल- इस स्थिति में गर्भाशय की मांसपेशियों में गर्भ धारण होता है।
  • एब्डॉमिनल- इस प्रकार की गर्भावस्था में पेट में कहीं भी गर्भ धारण हो जाता है।
  • हीटरोट्रॉपिक- इसमें गर्भाशय के अंदर एक गर्भ धारण होने के साथ ही फेलोपियन ट्यूब में भी गर्भ ठहर जाता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने के लक्षण (Ectopic pregnancy Ke Lakshan)

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण आमतौर पर गर्भावस्था के चौथे से बारहवें सप्ताह के बीच विकसित होते हैं। कुछ महिलाओं में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते हैं। अगर गर्भावस्था का पता चलते ही

अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भ की स्थिति का पता ना लगाया जाए तो हो सकता है कि ये पता ही न चले कि किसी को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी है।

  • मुख्य लक्षण- शुरुआत में सामान्य गर्भावस्था की तरह ही लक्षण हो सकते हैं जैसे जी मिचलाना,स्तनों का संवेदनशील होना इत्यादि।
  • योनि से रक्तस्राव- कई बार एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में योनि से खून बहने की शिकायत हो सकती है। ये रक्तस्राव आपके पीरियड्स के रक्तस्राव से अलग होता है। यह अक्सर शुरू होता है और फिर रुक जाता है। इसका रंग भी पानी जैसा या गहरे भूरे रंग का हो सकता है। कई बार महिलाएं इसे मासिक धर्म समझ लेती हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे गर्भवती हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान योनि से खून बहना अपेक्षाकृत सामान्य है और जरूरी नहीं कि यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो। लेकिन अगर आपको इसका अनुभव हो तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
  • पेट दर्द- एक्टोपिक प्रेगनेंसी में आप पेट दर्द का अनुभव कर सकते हैं। आमतौर पर यह एक ही तरफ और नीचे की ओर होता है। यह अचानक या धीरे-धीरे उठ सकता है। कई लोगों में ये लगातार बना रहता है और कुछ लोगों में आता जाता रहता है।
  • कंधे में दर्द- कंधे का दर्द एक असामान्य दर्द है।ये उस जगह होता है जहां आपका कंधा समाप्त होता है और आपकी बांह शुरू होती है। यह एक एक्टोपिक गर्भावस्था का संकेत हो सकता है।
  • शौच के समय असहजता- पेशाब या मल के लिए जाते समय आपको दर्द का अनुभव हो सकता है।
  • फेलोपियन ट्यूब फटने के लक्षण- अगर आपके पेट में अचानक और तीव्र दर्द हो रहा हो, बहुत चक्कर आ रहे हों, या बेहोशी महसूस हो, आप खुद को बीमार महसूस कर रही हों तो ये ट्यूब फटने के लक्षण हो सकते हैं। ये बहुत ही खतरनाक स्थिति है और आपको तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने के कारण (Ectopic pregnancy Hone Ke Kaaran)

कई मामलों में य़ह बता पाना मुश्किल होता है कि एक्टोपिक गर्भावस्था का कारण क्या है । पर जानकार मानते हैं कि ऐसा तब होता है जब फैलोपियन ट्यूब संकीर्ण या अवरुद्ध होती हैं।इसके अलावा कुछ और कारणों में शामिल हैं:

  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (पीआईडी) – इसमें महिला की प्रजनन प्रणाली में सूजन होती जो आमतौर पर यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के कारण होती है।
  • पिछली एक्टोपिक गर्भावस्था – अगर किसी को पहले भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो चुकी है तो उसका आगे भी ऐसी गर्भावस्था होने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • फैलोपियन ट्यूब की सर्जरी – अगर किसी महिला की फेलोपियन ट्यूब की सर्जरी हो चुकी है जैसे असफल नसबंदी प्रक्रिया तो वह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के जोखिम में है।
  • प्रजनन उपचार, जैसे कि आईवीएफ - ओव्यूलेशन को प्रोत्साहित करने के लिए दवा लेने से एक्टोपिक गर्भावस्था का जोखिम बढ़ सकता है
  • गर्भनिरोधक के लिए आईयूडी या आईयूएस का उपयोग करने के बाद भी गर्भवती होना – हालांकि इन गर्भनिरोधक का उपयोग करने पर गर्भवती होना दुर्लभ है, लेकिन ऐसे में एक्टोपिक गर्भावस्था से इंकार भी नहीं किया जा सकता ।
  • धूम्रपान करने वाली महिलाओं में ।
  • बढ़ती उम्र यानी 35 वर्ष से अधिक की उम्र में गर्भधारण वाली महिलाओं के लिए जोखिम सबसे अधिक है

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एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के दौरान आपका खान-पान (Aapki Diet Ectopic pregnancy ke Dooran)

वैसे तो एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लिए कोई विशेष आहार नहीं बताया जाता ,पर पौष्टिक आहार लेने की सलाह ज़रूर दी जाती है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के उपचार के बाद आपको ज़रूर विशेष आहार की आवश्यकता हो सकती है।

  • फाइबर- फाइबर को अपने आहार में शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थों की तुलना में न केवल उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ स्वस्थ होते हैं, बल्कि फाइबर कब्ज को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।इसके लिए आप साबुत अनाज ले सकते हैं। सब्जियां भी फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत हैं।
  • प्रोटीन का सेवन – अधिक प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन करें जैसे डेयरी उत्पाद ,मछली ,चिकन ,दूध
  • विटामिन युक्त पदार्थों का सेवन- खाने में पोषण से भरपूर चीज़ें जैसे फल ,बीन्स,ड्राई फ्रूट्स उत्यादि का सेवन करें।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर इन चीजों से करें परहेज (Ectopic pregnancy hone par en cheezo se kare parhez)

एक्टोपिक गर्भावस्था में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए।

  • अधिक तेल और मसाले वला भोजन- इनके कारण पाचन गड़बड़ा सकता है और पेट संबंधी परेशानी बढ़ सकती है
  • मैदे से बने व्यंजन- ये पचाने में कठिन होते हैं और विपरीत स्वास्थ्य परिस्थितियों में आपको अपने पाचन तंत्र को ठीक रखने पर ध्यान देने की आवश्कता है।
  • जंक फूड- इनमें इस्तेमाल होने वाले तेल और मसालों की गुणवत्ता पर विश्वास करना मुश्किल है ।ऐसे में खराब क्वालिटी की चीज़ों का सेवन करने से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
  • अदरक- अदरक में ऐसे तत्व होते हैं जो गर्भाशय के संकुचन का कारण बनते हैं। अदरक खाने से आसानी से ब्लीडिंग हो सकती है, इसलिए एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को सावधान रहने की जरूरत है कि वे व्यंजनों में अदरक को शामिल न करें। उत्तेजक और गर्म खाद्य पदार्थ- शराब, बीयर और कॉफी ऐसे उत्तेजक हैं जो लीवर और फेफड़ों के लिए हानिकारक हैं। विशेष रूप से, सर्जरी के बाद महिलाओं के लिए।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर क्या करे (Ectopic pregnancyHone par kya kare)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर सबसे पहले आपको चिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार की आवश्यकता होती है।हालांकि एक्टोपिक गर्भावस्था के खतरे को कम करने के लिए आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं जैसे

  • गर्भधारण से बचने के लिए के लिए आईयूडी का उपयोग करने से बचें।
  • योनि या पैल्विक संक्रमण का तुरंत इलाज करें।
  • याद रखें कि एक बार एक्टोपिक गर्भावस्था होने से आपको भविष्य में भी इसका खतरा हो सकता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर क्या ना करे (Ectopic pregnancy hone par kya Na Kare)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बारे में पता चलने पर समय व्यर्थ ना करें और तुरंत उसका उपचार शुरु कर दें। ये उपचार दवाओं के माध्यम से या सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है।पर देर करने से आपकी स्थिति गम्भीर हो सकती है।

इसके अलावा एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की संभावना को कम करने के लिए कई यौन साथी बनाने से बचें। कंडोम के बिना यौन संबंध न बनाएं और एसटीडी जैसे रोगों से बचाव करें।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Ectopic Pregnancy- Treatment in Hindi)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को कोई घरेलू इलाज संभव नहीं है।ये एक गम्भीर स्थिति है और इसके लिए आपको चिकित्सक की देखरेख में उपचार की आवश्यकता होती है। हालांकि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी ना हो इसके लिए दिए गए निर्देशों का पालन कर आप एक्टोपिक गर्भावस्था के खतरे को कम कर सकते हैं।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के इलाज (Ectopic pregnancy Ke Ilaaj)

चूंकि एक फर्टिलाइज़्ड अंडा गर्भाशय के बाहर जीवित नहीं रह सकता है, इसलिए इसे बाहर निकालना ज़रूरी है ताकि आपको गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं न हों।एक्टोपिक गर्भावस्था के लिए 3 मुख्य उपचार हैं:

  • अपेक्षित प्रबंधन – एक बार एक्टोपिक गर्भावस्था का पता चलने पर आपकी सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है और फर्टिलाइज़्ड अंडा अपने आप भंग नहीं होता तो नीचे दिए गए उपचारों में से किसी एक का उपयोग किया जाता है
  • दवाओं के माध्यम से - यदि आपकी फैलोपियन ट्यूब नहीं फटी है और आपकी गर्भावस्था को कम ही समय हुआ है तो आपको एक विशेष इंजेक्शन की एक खुराक की आवश्यकता है। यह फर्टिलाइज़्ड अंडे को बढ़ने से रोकता है।इससे आपका शरीर लगभग 4-6 सप्ताह में अंडे को अवशोषित कर लेगा। इस उपचार में फैलोपियन ट्यूब को हटाने की कोई आवश्यकता नहीं है। एक बार जब आपको इंजेक्शन लगा दिया जाता है उसके बाद आपके एचसीजी स्तर की जाँच की जाती है। यदि पहली खुराक के बाद आपका स्तर कम नहीं होता है, तो आपको उसी दवा की दूसरी खुराक की आवश्यकता हो सकती है।

सर्जरी

  1. कीहोल सर्जरी (लैप्रोस्कोपी)- इसे जनरल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है। इसमें आपका डॉक्टर आपके पेट के निचले हिस्से में बहुत छोटे चीरे लगाएगा और एक्टोपिक गर्भावस्था को दूर करने के लिए लैप्रोस्कोप यानी एक पतली, लचीली ट्यूब अंदर डालेगा। यदि आपकी फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त है, तो उन्हें भी निकालना पड़ सकता है।
  2. लैपरोटॉमी- यदि आपको बहुत अधिक रक्तस्राव हो रहा है या आपके डॉक्टर को संदेह है कि आपकी फैलोपियन ट्यूब फट गई है, तो आपके पेट में बड़ा चीरा लगाकर आपातकालीन सर्जरी की जा

    चाहे आप दवा लें या सर्जरी करवाएं, आप कुछ हफ्तों तक थकान महसूस कर सकते हैं और आपके पेट में कुछ परेशानी हो सकती है। आपको गर्भावस्था जैसे लक्षण कुछ समय तक बने रह सकते हैं। आपको चिकित्सा के प्रत्येक विकल्प के लाभों और जोखिमों के बारे में बताया जाएगा।

    कई मामलों में, आपके लक्षणों और आपके परीक्षणों के परिणामों के आधार पर एक विशेष उपचार की सिफारिश की जाएगी। कुछ उपचार भविष्य में स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने में सक्षम होने की संभावनाओं को कम कर सकते हैं, हालांकि अधिकांश महिलाएं बाद में भी गर्भवती होने में सक्षम होती हैं।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के इलाज की लागत (Ectopic pregnancy ke Ilaaj ka Kharcha)

भारत में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के इलाज में 70,000 रुपए से लेकर 250000रुपए तक की लागत आ सकती है। आपके इलाज में कितना खर्च आएगा ये आपकी स्थिति ,लक्षणों औऱ आफ कहां और किस डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं इस पर भी निर्भर करता है।

निष्कर्ष

जब गर्भ आपके गर्भाशय के अलावा किसी और हिस्से में धारण हो जाए तो उसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। ये अधितक फेलोपियन ट्यूब में होती पर कई बार पेट में भी हो सकती है। से स्थिति काफी गम्भीर होती है और इसके तुरंत उलाज की ज़रूरत होती है। अगर दवाओं के माध्यम से इसका उपचार नहीं हो सकता तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

क्या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी(अस्थानिक गर्भावस्था) का दर्द आ और जा सकता है?

हां, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी(अस्थानिक गर्भावस्था) के लक्षण हैं: पेट के निचले हिस्से में या पैल्विक रीजन में दर्द होना। दर्द अक्सर अचानक और तेज और बिना किसी स्पष्ट कारण के होता है। यह अपने आप आ सकता है और जा भी सकता है, अक्सर केवल एक तरफ होता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में तुरंत आराम के लिए क्या करें?

इस समस्या में कोई घरेलू विकल्प नहीं है ।इसके लिए आपको डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी रोग का सबसे अच्छा इलाज क्या है?

एक्टोपिक गर्भावस्था को पूरी तरह खत्म करने के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कितने दिन में ठीक हो जाता है?

इस समस्या के उपचार के बाद ठीक होने में 4 से 6 हफ्ते लग सकते हैं।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्यों होते हैं?

ये कई कारणों से हो सकती है- पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (पीआईडी), पिछली एक्टोपिक गर्भावस्था, फैलोपियन ट्यूब की सर्जरी , आईवीएफ , आईयूडी या आईयूएस का उपयोग,इत्यादि ।

क्या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी खतरनाक है?

जी हां एक्टोपिक गर्भावस्था बहुत खतरनाक हो सकती है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को प्राकृतिक रूप से कैसे रोकें?

एसटीडी से बचाव और एक ही साथी से यौन संबंध से इसे रोका जा सकता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से पीड़ित होने पर डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

एक्टोपिक गर्भावस्था के लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाएं।

क्या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी अपने आप ठीक हो जाती है?

जी नहीं, इसे चिकित्सक की देखरेख में उपचार की आवश्यकता होती है।

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लेखकDr. Anand Bhatt MS - Obstetrics and Gynaecolog,PG Diploma in IVF & Reproductive Medicine,Advanced Infertility & ART trainin,MBBS,Diploma in Minimal Access SurgeryGynaecology
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