भारत में वैरिकोज वेन्स ट्रीटमेंट की लागत
भारत में वैरिकोज वेन्स ट्रीटमेंट के बेस्ट डॉक्टर
भारत में वैरिकाज़ नसों के उपचार की लागत कितनी है?
वैरिकाज़ नसें मुड़ी हुई, बढ़ी हुई नसें होती हैं। ऐसी कोई भी नस जो त्वचा की सतह के करीब होती है, वह वैरिकाज़ हो सकती है। वैरिकाज़ नसें सबसे अधिक पैरों की नसों को प्रभावित करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खड़े होने और चलने से शरीर के निचले हिस्से की नसों में दबाव बढ़ जाता है।
कई लोगों को वैरिकाज़ नसों का दिखना पसंद नहीं होता और वे उन्हें कॉस्मेटिक कारणों से ठीक करवाना चाहते हैं। वहीं कुछ अन्य लोगों के लिए, वैरिकाज़ नसें दर्द और परेशानी का कारण बन सकती हैं। कभी-कभी वैरिकाज़ नसें अधिक-गंभीर समस्याओं को जन्म देती हैं।
ये नसें देखने में नीली या बैंगनी रंग की होती हैं। कई लोगों को इनके कारण पैरों में तेज़ दर्द, खुजली और सूजन हो सकती है।
उपचार में ऐसी नसों को बंद करने या हटाने के लिए डॉक्टर द्वारा की गई प्रक्रियाओं को शामिल किया जा सकता है। इसके उपचार के लिए सर्जरी की न्यूनतम लागत ₹63000 हो सकती है वहीं अधिकतम लागत ₹84000 तक होती है। वैरिकाज़ नसों के उपचार की औसत लागत ₹72000 तक होती है।
भारत के प्रमुख शहरों में वैरिकाज़ नसों के इलाज की लागत
ट्रीटमेंट की जगह | औसत कीमत | न्यूनतम कीमत | अधिकतम कीमत |
---|---|---|---|
बैंगलोर | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
चेन्नई | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
कोयंबटूर | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
दिल्ली | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
हैदराबाद | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
कोच्चि | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
कोलकाता | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
लखनऊ | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
मुंबई | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
पुणे | ₹72,000 | ₹63,000 | ₹84,000 |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत में वैरिकाज़ नसों के ऑपरेशन से पहले होने वाली जांच की लागत
वैरिकाज़ नसों का निदान करने के लिए, एक चिकित्सक पैर के वेनस डॉपलर अल्ट्रासाउंड नामक परीक्षण की सिफारिश कर सकता है। डॉपलर अल्ट्रासाउंड एक गैर-आक्रामक परीक्षण है जो नसों में वाल्व के माध्यम से रक्त के प्रवाह को देखने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। एक पैर का अल्ट्रासाउंड रक्त के थक्के का पता लगाने में मदद कर सकता है।
इस परीक्षण में, एक चिकित्सक एक छोटे से हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरण (ट्रांसड्यूसर) को चलाता है, जो शरीर के उस क्षेत्र की त्वचा पर किया जाता है, जिसकी जांच की जा रही है। ट्रांसड्यूसर पैरों में नसों की छवियों को एक मॉनिटर तक पहुंचाता है, जो परिणाम प्रदर्शित करता है।
इस परीक्षण की लागत 1500 रुपए तक हो सकती है।
मरीज के हिसाब से वैरिकाज़ नसों की सर्जरी की लागत में अंतर क्यों होता है?
हर मरीज़ के लिए वैरिकाज़ नसों के उपचार की लागत अलग हो सकती है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं-
- रोगी की स्थिति: यदि रोगी को वैरिकाज़ नसों के कारण अधिक असुविधा नहीं है या फिर उसे लक्षण हाल ही में हुए हैं तो इलाज का खर्च कम हो सकता है। वहीं यदि रोगी लम्बे समय से इलाज को टाल रहा है और नसों की समस्या अधिक जटिल हो चुकी है तो उसकी सर्जरी कठिन हो सकती है और लागत बढ़ सकती है।
- रोगी की अन्य चिकित्सीय स्थितियां: यदि रोगी को वैरिकाज़ नसों के अलावा अन्य बीमारियां भी हैं तो पहले उन्हें नियंत्रित करने की सलाह दी जा सकती है। ऐसे में इन सारे रोगों के इलाज का खर्च अधिक हो सकता है।
- डायग्नोस्टिक टेस्ट: यदि रोगी को अतिरिक्त जांचों की आवश्यकता है जो उसे सर्जरी से पहले करानी होती हैं तो उनका खर्च इलाज की लागत को बढ़ा सकता है।
- सर्जन का शुल्क: यदि रोगी सर्जरी के लिए अधिक अनुभव वाले सर्जन का चुनाव करता है तो उनकी परामर्श फीस और सर्जरी का शुल्क अधिक हो सकता है। इसका असर रोगी के इलाज की लागत पड़ सकता है।
हमारे यहां सर्जरी का विकल्प चुनने पर हर तरह की जांचें और सर्जन के सारे परामर्श शुल्क पैकेज का हिस्सा होंगे। इसके लिए रोगी को अतिरिक्त खर्च की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी।
भारत में वैरिकाज़ नसों की सर्जरी की लागत पर कौन सी चीजें प्रभाव डालती हैं?
कई और सामान्य कारक भी हैं जो रोगी की सर्जरी की लागत को बढ़ा या घटा सकते हैं। इनमें शामिल हैं-
- अस्पताल का चयन: यदि रोगी सर्जरी के लिए किसी बड़े या सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को चुनता है तो वहां की भर्ती, सर्जरी, स्टाफ और कमरे का शुल्क अधिक होता है।
- सर्जरी का प्रकार: सर्जन रोगी के लिए किस प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली और सटीक मानते है इसका असर भी इलाज की लागत पर पड़ता है क्योंकि अगर एडवांस तकनीक का इस्तेमाल का जाता है तो उसकी लागत अधिक हो सकती है।
भारत में वैरिकाज़ नसों के ऑपरेशन के विभिन्न घटकों की लागत कितनी है?
वैरिकाज़ नसों के उपचार की कई तरह की प्रक्रियाएं होती हैं। जैसे कि-
- स्क्लेरोथेरेपी : इसमें चिकित्सक वैरिकाज़ नसों को एक सॉल्यूशन या फोम के साथ इंजेक्ट करता है जो उन नसों को बंद कर देता है। कुछ हफ्तों में, वैरिकाज़ नसों का दिखना बंद हो जाता है।
- रोगी की स्थिति के हिसाब से एक ही नस को एक से अधिक बार इंजेक्ट करने की आवश्यकता हो सकती है। स्क्लेरोथेरेपी में एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है और इसे आसानी से किया जा सकता है। इसकी लागत ₹4000 से ₹10,000 प्रति सेशन है।
- लेजर उपचार : लेज़र उपचार से नसों पर प्रकाश की तेज किरणें भेजी जाती हैं, जिससे नसों की सूजन और असामान्य रंगत धीरे-धीरे फीकी पड़ जाती है और गायब हो जाती है। इसमें किसी कट या सुई का उपयोग नहीं किया जाता है। इसकी लागत ₹50,000 तक हो सकती है।
- कैथेटर आधारित प्रक्रियाएं : यह प्रक्रिया बड़ी वैरिकाज़ नसों के लिए पसंदीदा उपचार है। एक चिकित्सक एक बढ़ी हुई नस में एक पतली ट्यूब (कैथेटर) डालता है और रेडियोफ्रीक्वेंसी या लेजर ऊर्जा का उपयोग करके कैथेटर की नोक को गर्म करता है। जैसे ही कैथेटर को हटा दिया जाता है, गर्मी नस को नष्ट कर देती है जिससे यह गिर जाती है और बंद हो जाती है। इसकी लागत ₹80,000 तक हो सकती है।
- हाई लिगेशन वेन स्ट्रिपिंग : इस प्रक्रिया में वैरिकाज़ नसों को डीप वेन में शामिल होने से पहले बांधना और छोटे कट के माध्यम से नस को निकालना शामिल है। यह ज्यादातर लोगों के लिए एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है। नस को हटाने से पैर में रक्त बहने से नहीं रुकेगा क्योंकि पैर में गहरी नसें रक्त की आपूर्ति का ख्याल रखती हैं। इसकी लागत ₹45000 से ₹70,000 तक हो सकती है।
- एंबुलेटरी फ़्लेबेक्टोमी : इसमें एक चिकित्सक छोटी वैरिकाज़ नसों को त्वचा के छोटे छेदों की एक श्रृंखला के माध्यम से निकालता है। इस आउट पेशेंट प्रक्रिया में केवल पैर के जिन हिस्सों पर प्रक्रिया की जा रही है, उन्हें सुन्न कर दिया जाता है। स्कारिंग आमतौर पर न्यूनतम होती है। इसकी लागत 80,000 तक हो सकती है।
क्या भारत में वैरिकाज़ नसों की सर्जरी के लिए बीमा कवर मिलता है?
वैरिकाज़ नसें उन बीमारियों की श्रेणी में आती हैं जिनका उपचार चिकित्सकीय रूप से आवश्यक है। इसलिए, एक मरीज स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ वैरिकाज़ नस उपचार की लागत को कवर कर सकता है। भारत में प्रत्येक बीमा प्रदाता उपचार के लिए पर्याप्त कवरेज प्रदान करता है।
सारांश
वैरिकाज़ नसें मुड़ी हुई, बढ़ी हुई नसें होती हैं। ऐसी कोई भी नस जो त्वचा की सतह के करीब होती है, वह वैरिकाज़ हो सकती है। वैरिकाज़ नसें सबसे अधिक पैरों की नसों को प्रभावित करती हैं। इनके लक्षणों में पैरों के मांसपेशियों में दर्द, सूजन, खुजली शामिल हैं। इनका उपचार कई सर्जिकल प्रक्रियाओं से किया जाता है। इसकी लागत बीमा कम्पनियां वहन करती हैं।
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