Lybrate Logo
Get the App
For Doctors
Login/Sign-up
Book Appointment
Treatment
Ask a Question
Plan my Surgery
Health Feed
tab_logos
About
tab_logos
Health Feed
tab_logos
Find Doctors

किडनी खराब (फेलियर): उपचार, प्रक्रिया, लागत और दुष्प्रभाव | Kidney Failure in Hindi

आखिरी अपडेट: Jun 27, 2023

किडनी फेलियर (किडनी खराब होना) क्या है?

किडनी फेलियर (गुर्दे की विफलता) वह स्थिति है जहां किडनी, रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को प्रभावी ढंग से निकालने में असमर्थ होती है। किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कारको में पर्यावरण या दवाओं में मौजूद जहरीले तत्वों के संपर्क में आना, तीव्र या पुरानी बीमारी, किडनी को चोट पहुंचना और गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन की समस्या होना शामिल है।

किडनी फेलियर (किडनी खराब) के 5 चरण क्या हैं? | Stages of Kidney Failure in Hindi

ये हैं क्रोनिक किडनी फेल्योर के 5 चरण:

  • पहला चरण:इस चरण में किडनी को हल्का नुकसान होता है और कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन फिर भी अगर आपको कुछ बदलाव महसूस हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। पहले चरण में यदि ईजीआरएफ 90 से ऊपर है तो किडनी स्वस्थ है और ठीक से काम कर रही है। डॉक्टर मूत्र में मौजूद प्रोटीन के स्तर का परीक्षण करके प्रथम चरण की किडनी की बीमारी की जांच करते हैं।
  • चरण 1 किडनी की बीमारी को धीमा करने के लिए आपको ये चीजें करनी चाहिए:

    • डायबिटिक पेशेंट को ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए
    • ब्लड प्रेशर को बनाए रखें
    • स्वस्थ आहार का सेवन करें
    • धूम्रपान या तंबाकू का सेवन न करें
    • नियमित व्यायाम करें
    • स्वस्थ जीवन शैली और उचित वजन रखें।
  • दूसरा चरण:किडनी की बीमारी के इस चरण में कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता है। इससे बेहद हल्के रूप में किडनी को नुकसान पहुंचता है। हालांकि किडनी को आगे चलकर कोई गंभीर नुकसान न पहुंचे इससे बचने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए। स्टेज 2 में ईजीआरएफ 60-89 के बीच होता है जिसका मतलब है कि किडनी अच्छी तरह से काम कर रही है और स्वस्थ है। इसके बावजूद भी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। हालांकि ईजीआरएफ सामान्य होने पर भी मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन जैसी कुछ असामान्यताएं हो सकती हैं या किडनी को कोई नुकसान हो सकता है।
  • चरण 2 किडनी की बीमारी को धीमा करने के लिए आपको ये चीजें करनी चाहिए:

    • यदि आप डायबिटिक रोगी हैं तो अपने ब्लड-शुगर लेवल पर नियंत्रण रखें
    • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
    • स्वस्थ आहार लें
    • धूम्रपान या तंबाकू सा सेवन न करें
    • नियमित व्यायाम करें
    • स्वस्थ जीवन शैली और वजन मेंटेन रखें
  • तीसरा चरण 3:तीसरे चरण के किडनी की बीमारी के दौरान किडनी मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है और ठीक से काम करना बंद कर देती है। स्टेज 3 किडनी डिजीज की दो स्टेज होती हैं जो स्टेज 3ए और स्टेज 3बी के नाम से जानी जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति स्टेज 3ए से पीड़ित है तो ईजीएफआर 45-59 के बीच होता है और अगर स्थिति स्टेज 3बी है तो ईजीआरएफ 30-40 के बीच होता है। स्टेज 3 किडनी की बीमारी व्यक्ति के शरीर में हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया और हड्डी की बीमारी जैसी बड़ी संख्या में जटिलताएं पैदा कर सकती है।
  • ये हैं स्टेज 3 किडनी की बीमारी के लक्षण:

    • पीठ दर्द
    • पेशाब की समस्या
    • हाथ पैरों में सूजन
  • चौथा चरण 4:किडनी की बीमारी के चौथे चरण के दौरान, किडनी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है और ठीक से काम करना बंद कर देती है। स्टेज 4 किडनी की बीमारी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि यह पूरी किडनी फेल होने से पहले अंतिम चरण बन जाता है।
  • चौथे चरण में किडनी डैमेज होने से बचने के उपाय:

    • सर्वोत्तम उपचार प्राप्त करने के लिए किसी नेफ्रोलॉजिस्ट को नियमित रूप से दिखाएं।
    • आहार विशेषज्ञ से मिलें ताकि आप खुद को स्वस्थ रखने के लिए उचित आहार का पालन कर सकें।
    • ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की नियमित जांच करते रहें।
  • पांचवां चरण:इसका मतलब है कि किडनी की बीमारी अपने अंतिम चरण में है या फेल होने के बहुत करीब हैं। एक बार जब किडनी फेल हो रही होती है तो आप डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार होते हैं।
    • खुजली
    • मांसपेशी में ऐंठन
    • भूख न लगना
    • मतली और उल्टी
    • पीठ दर्द
    • पेशाब की समस्या
    • सांस लेने में परेशानी
    • सोने में परेशानी

    किडनी फेलियर के संकेत और लक्षण क्या हैं? | Kidney Failure Symptoms in Hindi

    रीनल या किडनी फेलियर के लक्षण निम्न हैं:

    किडनी फेलियर के अन्य कारण:

    इन कारणों के अलावा भी कुछ कारक जो पेशाब की कठिनाइयों में योगदान कर सकते हैं, किडनी फेलियर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। मूत्र पथ क्षेत्र में रक्त के थक्के,किडनी में पथरी मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नसों में चोट और बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण भी किडनी फेल सकती है।

    जब आपकी किडनी खराब हो रही हो तो पेशाब का रंग कैसा होता है?

    स्वास्थ्य मेज़रमेंट के सबसे उपेक्षित घटकों में से एक आपके मूत्र का रंग है। यह आपके किडनी के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ बताता है। यहां कुछ रंग के संकेत दिए गए हैं जो आपको किडनी के स्वास्थ्य के बारे में बता सकते हैं:

    • साफ या हल्का पीला रंग बताता है कि आपकी किडनी पूरी तरह से काम कर रही है और आपका शरीर पूरी तरह से हाइड्रेटेड है। यह गंधहीन से लेकर हल्की गंध देने वाला हो सकता है, जो पिछले 24 घंटों में आपके सेवन पर भी निर्भर करता है।
    • गहरा पीला या एम्बर रंग पिछले 24 घंटों में डिहाइड्रेशन या अतिरिक्त चीनी या कैफीन के सेवन को इंगित करता है। यह एक चेतावनी संकेत है कि आपको अपने शरीर का ध्यान रखना चाहिए लेकिन इससे कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं होती है।
    • संतरा रंग किडनी में पित्त रस के संचार का संकेत हो सकता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह असुविधाजनक हो सकता है। आपका मूत्र नारंगी होने का एक और कारण गंभीर डिहाइड्रेशन है जो एक अच्छा संकेत नहीं है।
    • गुलाबी या लाल रंग या तो बहुत अधिक लाल या गुलाबी रंग के खाद्य पदार्थ जैसे चुकंदर या स्ट्रॉबेरी खाने का एक साइड इफेक्ट हो सकता है या तो आपके मूत्र में रक्त का संकेत हो सकता है। यदि आपके आहार में 24 घंटे के भीतर लाल रंग का कोई भी भोजन शामिल नहीं है, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
    • झागदार मूत्र किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है। यह अतिरिक्त प्रोटीन का भी संकेत हो सकता है जो बड़े पैमाने पर लिवर की क्षति का कारण बन सकता है।

    किडनी फेलियर का क्या कारण है? | Kidney Failure Causes in Hindi

    किडनी फेलियर तब होती है जब अंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है और किडनी फेलियर के कई कारण या स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • किडनी में रक्त प्रवाह कम होना: अगर किडनी में अचानक से खून की कमी हो जाती है या किडनी में खून का बहाव रुक जाता है तो किडनी फेल होने को संभावना बढ़ाव जाती है। किडनी फेलियर के साथ कुछ और स्थितियां भी हो सकती हैं, जिनमें दिल का दौरा, हृदय रोग, डिहाइड्रेशन, जलन, एलर्जी, गंभीर संक्रमण, और लिवर फेल होना शामिल है।
    • मूत्र मार्ग के रोग: किडनी फेल के लिए मूत्र मार्ग में बाधा उत्पन्न करने वाले कुछ रोगों में प्रोस्टेट, कोलन, ग्रीवा और मूत्राशय की समस्याएं शामिल हैं।
    • पेशाब करने में परेशानी: पेशाब में बाधा उत्पन्न करने वाली परिस्थितियां जैसे किडनी में पथरी, बढ़े हुए प्रोस्टेट, मूत्र पथ में रक्त का थक्का या मूत्र पथ में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
    • अन्य समस्याएं: किडनी संक्रमण, ड्रग्स या अल्कोहल का अधिक सेवन, किडनी में विषाक्त पदार्थों का ओवरलोड, एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक इस्तेमाल, अप्रबंधित डायबिटीज और कीमोथेरेपी दवाएं भी किडनी फेल का बड़ा कारण हो सकती हैं।

    आप किडनी फेल होने के कितने समय तक जीवित रह सकते हैं?

    किडनी फेलियर के चरण और रोगी की शारीरिक व मानसिक स्थिति के साथ रिकवरी दर के आधार पर जीवन प्रत्याशा का निर्धारण किया जा सकता है। ऐसे मरीज डायलिसिस के बिना हफ्तों तक जीवित रह सकते हैं या डायलिसिस के साथ कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत चिकित्सा स्थिति पर निर्भर करता है।

    किडनी फेलियर के अंतिम चरण में आप कितने समय तक जीवित रह सकते हैं?

    यदि कोई व्यक्ति किडनी फेलियर से पीड़ित है और डायलिसिस के लिए नहीं जाता है तो वह लगभग एक वर्ष तक जीवित रह सकता है। लेकिन अगर कोई मरीज डायलिसिस बंद कर देता है तो उसकी एक या दो हफ्ते में मौत हो सकती है।

    pms_banner

    किडनी फेलियर का इलाज कैसे किया जाता है? | Kidney Failure Treatment in Hindi

    उपचार के चार विकल्प हैं जिनमें से रोगी चुन सकता है:

    • हेमोडायलिसिस: इस प्रक्रिया में मशीन युक्त फिल्टर का इस्तेमाल करके रक्त में मौजूद अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को शरीर से बाहर निकाला जाता है। यह विधि ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित रखने व रक्त में आवश्यक मिनरल्स जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम और बाइकार्बोनेट की मात्रा को संतुलित करने में मदद करती है।
    • इस मेथड में चिकित्सक प्रत्येक उपचार सत्र में रक्त की एक बड़ी मात्रा को छानने के लिए वाहिकाओं में एक एक्सेस पॉइंट बनाता है। इसके बाद एक अलग फिल्टर की मदद से रक्त को शरीर में वापस ले जाया जाता है। हालांकि हेमोडायलिसिस किडनी फेलियर की समस्या को ठीक नहीं कर सकता, लेकिन यह निश्चित रूप से अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है।

    • पेरिटोनियल डायलिसिस: यह मेथड शरीर में रक्त को फिल्टर करने और अपशिष्ट पदार्थों को खत्म करने के लिए बेली लाइनिंग का उपयोग करती है। हेमोडायलिसिस की तरह इस मेथड का उद्देश्य पेट के पेरिटोनियम अस्तर की मदद से शरीर से विषाक्त अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानना है। इस मेथड में सर्जन उपचार शुरू करने से कुछ सप्ताह पहले ही पेट में एक ट्यूब डालता है। इसे कैथेटर ट्यूब कहते हैं। यह ट्यूब स्थायी रूप से मरीज के पेट में ही रहती है।
    • उपचार के दौरान एक डायलिसिस सॉल्यूशन बैग को ट्यूब के माध्यम से पेट में स्थानांतरित किया जाता है। यह घोल मरीज के शरीर में रहता है और जहरीले रसायनों व अतिरिक्त तरल पदार्थ को सोख लेता है। कुछ समय बाद डायलिसिस का घोल ट्यूब या कैथेटर के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है।

    • किडनी प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट): यह एक ऐसी सर्जरी है जिसमें क्षतिग्रस्त किडनी के स्थान पर स्वस्थ किडनी को लगाया जाता है। यह नई किडनी या तो किसी मृत व्यक्ति से या फिर किसी जीवित व्यक्ति से प्राप्त की जाती है। पहले मामले में, किडनी को मृत डोनर किडनी और दूसरे मामले को जीवित डोनर किडनी कहा जाता है। प्रत्यारोपित किडनी को सर्जन द्वारा उदर क्षेत्र के निचले हिस्से में लगाया जाता है और धमनी से जोड़ा जाता है।
    • कन्सर्वटिव प्रबंधन विधि: चौथी और आखिरी विधि जो किडनी खराब होने के कारणों जैसे एनीमिया की स्थिति का इलाज करने के लिए डायलिसिस या प्रत्यारोपण के बजाय दवाओं का उपयोग कर पूरी की जाती है।

    किडनी फेलियर ( किडनी खराब ) के उपचार के लिए कौन पात्र है?

    ऐसे मरीज जो किडनी फेलियर के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं और किडनी की कार्य क्षमता लगभग 80 प्रतिशत कम हो गई है, किडनी का इलाज कराने के लिए पात्र हैं। इसके अलावा ऐसे मरीज जिनके ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन दर 15 या उससे अधिक है, वे डायलिसिस उपचार (हेमोडायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस) कराने के योग्य हैं। जो लोग क्रोनिक किडनी फेलियर से पीड़ित हैं और पहले से ही डायलिसिस उपचार पर हैं, वे किडनी ट्रांसप्लांट करा सकते हैं।

    किडनी फेलियर ( किडनी खराब ) के उपचार के लिए कौन पात्र नहीं है?

    जिन रोगियों की आयु 70 वर्ष से अधिक है और जांच में पता चला है कि वे किडनी फेलियर के उन्नत चरण में हैं, वे कन्सर्वटिव प्रबंधन उपचार विकल्प के लिए पात्र नहीं हैं। उनके लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट उपचार ही आवश्यक है।

    क्या किडनी फेलियर को ठीक किया जा सकता है?

    किडनी फेलियर का कोई स्थायी इलाज नहीं है। हालांकि कुछ दवाओं व उपचार पद्धति के जरिए इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। उपचार का तरीका पूरी तरह से किडनी रोग के स्तर और रिकवरी दर पर निर्भर करता है।

    क्या किडनी खुद को ठीक कर सकती है?

    हां, अगर किडनी स्वस्थ स्थिति में है, तो उसे ठीक किया जा सकता है। किडनी फेलियर के शुरुआती चरणों में, क्षति हल्की से मध्यम होती है जिसे दवा, चिकित्सा, स्वस्थ आहार और घरेलू उपचार की मदद से ठीक किया जा सकता है।

    क्या कोई भी दुष्प्रभाव हैं?

    • हेमोडायलिसिस उपचार के सामान्य दुष्प्रभाव में सेप्सिस, लो ब्लड प्रेशर, खुजली, हर्निया, वजन बढ़ना, मांसपेशियों में ऐंठन और पेरिटोनिटिस जैसे संक्रमण शामिल हैं। जबकि डायनियल पीडी-1 या पेरिटोनियल डायलिसिस सॉल्यूशन लेने के बाद ज्यादातर मरीज जिन दुष्प्रभावों से पीड़ित होते हैं, उनमें रक्तस्राव, पेरिटोनिटिस, कैथेटर ब्लॉकेज, पेट में ऐंठन, कैथेटर वाली जगह के आसपास संक्रमण और शरीर में उच्च या निम्न रक्त की मात्रा होती है।
    • किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी से संक्रमण, रक्त के थक्के, रक्तस्राव, रिसाव या किडनी को मूत्राशय से जोड़ने वाली ट्यूब में रुकावट, दिल के दौरे या संभावित स्ट्रोक जैसी विभिन्न जटिलताएं हो सकती हैं। इसके अलावा इससे मौत भी हो सकती है। डोनेट की गई किडनी भी फेल हो सकती है या मरीज द्वारा अस्वीकार की जा सकती है। डोनेट की गई किडनी को अस्वीकार करने से बचाने लिए मरीज को कई दवाएं दी जाती हैं।
    • एंटी-रिजेक्शन ड्रग्स के कारण होने वाले साइड इफेक्ट्स में हाई ब्लड प्रेशर, वजन बढ़ना, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मुंहासे, ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोनेक्रोसिस, बालों के विकास में या बालों के झड़ने में वृद्धि और एडिमा (पफनेस) शामिल है। इन साइड इफेक्ट से बचने के लिए किडनी फेलियर के आयुर्वेदिक उपचार का विकल्प भी चुन सकते हैं।

    किडनी फेलियर के जोखिम और जटिलताएं क्या हैं?

    क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम उत्पन्न करने वाले कारक

    • पारिवारिक इतिहास जिसमे किसी सदस्य को किडनी की बीमारी हो
    • 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में क्रोनिक किडनी रोग होना सामान्य है।
    • अथेरोस्क्लेरोसिस
    • मूत्राशय में रुकावट
    • क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस
    • जन्म के समय से मौजूद किडनी रोग
    • डायबिटीज
    • उच्च रक्तचाप
    • ल्यूपस एरीथेमेटोसिस
    • कुछ विषाक्त पदार्थों का अत्यधिक प्रभाव
    • सिकल सेल रोग यानी शरीर में रक्त की कमी
    • कुछ दवाएं
    • क्रोनिक किडनी रोग की जटिलताएं

    • एनीमिया
    • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का नष्ट होना
    • शुष्क त्वचा या त्वचा का रंग परिवर्तित होना
    • फ्लूइड रिटेंशन
    • हाइपरकेलीमिया यानी रक्त में पोटेशियम का स्तर बढ़ना
    • अनिद्रा
    • कामेच्छा की कमी
    • पुरुषों में स्तंभन दोष
    • हड्डियां कमजोर होना
    • पेरिकार्डिटिस यानी दिल की अंदरूनी परत की सूजन
    • पेट में अल्सर होना
    • कमजोर रोग प्रतिरोधक प्रणाली

    किडनी फेलियर ( किडनी खराब )के उपचार के बाद दिशानिर्देश क्या हैं?

    किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के दौरान आपको कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। सर्जरी के बाद आपको एक ट्रांसप्लांट यूनिट पर लगभग पांच से सात दिन बिताने होते है। शरीर द्वारा डोनर किडनी के किसी भी संक्रमण और अस्वीकृति के मामले में भी आपको निगरानी में रखा जाता है। इस समय आपको इन संभावनाओं के खिलाफ एहतियात के तौर पर कई एंटी-रिजेक्शन ड्रग्स लेने की आवश्यकता होती है।

    किडनी फेलियर ( किडनी खराब )ठीक होने में कितना समय लगता है?

    किडनी डायलिसिस उपचार से ठीक होने का समय प्रत्येक रोगी के लिए अलग-अलग होता है। आमतौर पर यह 2 घंटे से 12 घंटे के बीच होता है। अन्य मामलों में इसमें और भी अधिक समय लग सकता है।

    किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद ठीक होने में लगभग तीन से आठ सप्ताह का समय लग सकता है। इसके बाद रोगी सामान्य गतिविधियों को दोबारा शुरू कर सकता है। ऐसे रोगी जिनका किडनी ट्रांसप्लांट केवल छह सप्ताह के बाद हुआ हो, उन्हें व्यायाम के साथ-साथ भारी वस्तुओं को उठाने की सिफारिश की जाती है।

    भारत में किडनी फेलियर के इलाज की लागत क्या है?

    हेमोडायलिसिस उपचार की लागत लगभग 12,000-15,000 भारतीय रुपये प्रति माह है जहां उन्हें हर महीने 12 हेमोडायलिसिस सत्र के लिए जाना पड़ता है। पेरिटोनियल डायलिसिस के मामले में हर महीने लगभग 18,000- 20,000 रुपये लगते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए हर साल लगभग 2-3 लाख रुपये लगते है और एंटी-रिजेक्शन दवाओं की कीमत लगभग 1000-2000 रुपये है।

    क्या किडनी खराब के उपचार के परिणाम स्थायी हैं?

    डायलिसिस के लिए इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इसके परिणाम स्थायी होते हैं या नहीं, 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए या जो पहले से ही क्रोनिक किडनी विकार के उन्नत चरण में हैं, उन्हें डायलिसिस उपचार या कन्सर्वटिव प्रबंधन उपचार विफल होने की स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जाना पड़ सकता है। इसी तरह, जिन लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, उनके शरीर द्वारा डोनर किडनी अस्वीकृति का सामना करने की संभावना रहती है।

    किडनी फेलियर को कैसे रोकें?

    किडनी की रोकथाम के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं:

    • यदि आप कोई दवा ले रहे हैं तो आपको निर्देशों का पालन करना चाहिए और दवा को बहुत अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। इससे शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर बढ़ सकता है। इस प्रकार यह किडनी को ओवरलोड कर देता है और किडनी फेलियर का कारण बन सकता है।
    • किडनी को सही तरीके से मैनेज करना चाहिए। किडनी फेल होने के ज्यादातर मामले तब होते हैं जब मैनेजमेंट ठीक से नहीं किया जाता है।
    • किडनी को मैनेज करने के लिए आप स्वस्थ जीवनशैली, डॉक्टर की सलाह का गंभीरता से पालन कर, दवा का अधिक मात्रा में न लेकर निर्धारित मात्रा में लें और ब्लड प्रेशर व डायबिटीज को नियंत्रण में रखकर किडनी को स्वस्थ्य रख सकते हैं।

    किडनी फेलियर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छा आहार क्या है?

    किडनी फेलियर से पीड़ित लोगों के लिए यह सर्वोत्तम आहार है:

    • टेबल सॉल्ट या सोडियम के सेवन से बचना चाहिए।
    • नमक के स्थान पर अन्य मसालों और जड़ी बूटियों को आजमाना चाहिए।
    • पैक्ड फूड नहीं खाने से बचना चाहिए। इनमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है।
    • डिब्बाबंद सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह धो लें।

    क्या ढेर सारा पानी पीना किडनी के लिए अच्छा है?

    पानी के सेवन के बारे में सबसे आम गलतफहमियों में से एक इसकी मात्रा है। आठ गिलास पानी सबके काम नहीं आता, हर किसी की पानी की जरूरतें अलग-अलग होती हैं।

    किडनी खराब होने की स्थिति में कम पानी पीना बेहतर है। प्रत्येक चरण के साथ आपकी फ़िल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है जिससे तरल को संसाधित करना कठिन हो जाता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार पानी पीने की सलाह दी जाती है, खासकर डायलिसिस के दौरान पानी निश्चित मात्रा में ही पीना चाहिए।

    क्या बेकिंग सोडा किडनी फेलियर को उलट सकता है?

    बेकिंग सोडा, जिसे सोडियम बाइकार्बोनेट के रूप में भी जाना जाता है। यह किडनी खराब होने की स्थिति में रिकवरी प्रक्रिया को तेज करने में मददगार साबित हुआ है। बेकिंग सोडा क्षति की गति को कम करता है और डायलिसिस होने की संभावना को भी कम करता है। बेकिंग सोडा किसी अन्य अंग को कोई और नुकसान नहीं पहंचाता है, यहां तक ​​कि हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों को भी यह कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।

    किडनी खराब के उपचार के विकल्प क्या हैं?

    यदि आपको क्रोनिक किडनी डिसऑर्डर का निदान किया जाता है, तो आप चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में कुछ घरेलू उपचारों का पालन कर सकते हैं। डॉक्टर आपको एक विशेष आहार अपनाने की सलाह देंगे, जहां आपको नमक वाले खाद्य पदार्थों से बचने के लिए कहा जाता है। साथ ही, आपको प्रति दिन प्रोटीन का सेवन सीमित करने के लिए कहा जाता है और कम पोटैशियम की मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है।

    मैं स्वाभाविक रूप से अपने किडनी की रिपेयर कैसे करा सकता हूं?

    ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं:

    • हाइड्रेटेड रहें: अपनी किडनी को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त पानी पिएं। कुछ अध्ययनों के अनुसार, औसत स्वस्थ वयस्क के लिए उपयुक्त पानी की सामान्य मात्रा 8 गिलास है। हालांकि, प्रत्येक व्यक्ति की अपनी ज़रूरतों और व्यक्तिगत कार्यों के आधार पर यह बदल सकती है।
    • सही भोजन करें: अधिक चीनी, कैफीन, मसाले और तेल वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करने से किडनी को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। बहुत सारे ताजे खाद्य पदार्थ और सब्जियां खाने से भी फायदा होता है।
    • टैबलेट लेने से बचें: अधिक मौखिक गोलियों से बचें। मल्टीविटामिन को पारित करने से मुश्किल हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप किडनी में पथरी या डिहाइड्रेशन हो सकता है।
    • व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है। अधिक वजन आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है जिससे आपकी किडनी पर दबाव पड़ता है। यह आपके इम्यून सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में भी मदद करता है जो बाहरी बैक्टीरिया को दूर रखता है।
    सारांश: किडनी फेलियर को अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों के कारण घातक स्थिति के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो कि किडनी को नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण तरल पदार्थ को संसाधित करना मुश्किल हो जाता है। भले ही इसका कोई इलाज नहीं है, फिर भी कोई भी चिकित्सा सहायता और घरेलू उपचार के माध्यम से लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।

    रेफरेंस

    लोकप्रिय प्रश्न और उत्तर

    View All

    Dear sir which is better cystone tablets or cys...

    dr-shahrukh-memon-urologist

    Dr. Shahrukh Memon

    Urologist

    You can tab vit d if you are having its deficiency and you have kidney stone. It will also decrea...

    It's about my uncle. He is 50 years old .he is ...

    related_content_doctor

    Dr. Anjanjyoti Sarma

    General Surgeon

    Hell lybrate-user, I will not suggest you to combine the two separate medicine system on a single...

    Hi doctor! my mother is 48 years old and she ha...

    dr-vivek-kumar-general-physician-11

    Dr. Vivek Kumar

    General Physician

    Hi, in her case uncontrolled diabetes, liver issues, metabolic syndrome, thyroid, diet & weight m...

    Can neeri kft be used for ckd patient? My fathe...

    related_content_doctor

    Dr. Mohit Naredi

    Nephrologist

    Neeri is very harmful in this sense that people think it might reverse their kidney disease. Kidn...

    Hello doctor! my son is 12 years old. She has v...

    related_content_doctor

    Dr. Gaurav Shalya

    Cosmetic/Plastic Surgeon

    The main cause of gynecomastia is the imbalance between estrogen and androgen hormones. Estrogen ...

    कंटेंट टेबल

    कंटेट विवरण
    Profile Image
    लेखकDr. Atindra Nath Bagchi Diploma in CardiologyGeneral Physician
    Need more help 

    15+ Years of Surgical Experience

    All Insurances Accepted

    EMI Facility Available at 0% Rate

    अपने आसपास Nephrologist तलाशें

    pms_banner
    chat_icon

    फ्री में सवाल पूछें

    डॉक्टरों से फ्री में अनेक सुझाव पाएं

    गुमनाम तरीके से पोस्ट करें
    lybrate_youtube
    lybrate_youtube
    lybrate_youtube
    lybrate_youtube
    lybrate_youtube

    Having issues? Consult a doctor for medical advice