पेट के कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज - Pet Ke Cancer Ka Ayurvedic Ilaj!
पेट का कैंसर एक बेहद गंभीर बीमारी है. इस बीमारी के शुरुवात में आपको बदहजमी, खाना खाने के बाद अप्राकृतिक रूप से पेट भरे जैसा महसूस होना और कभी-कभी उल्टी होने की शिकायत आदि जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इसलिए यदि आपको भी इस तरह के लक्षण दिखाई दें और दवा से ज्यादा फर्क न पड़े तो किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें. ताकि वहाँ पर आपका विधिवत जांच करके देखा जा सके कि क्या समस्या है. आइए इस लेख के माध्यम से हम पेट के कैंसर से जुड़े आयुर्वेदिक इलाजों की चर्चा करें.
पेट के कैंसर में परहेज़-
पेट के कैंसर के दौरान कुछ हानिकारक पदार्थों से परहेज करना चाहिए, जो निम्नलिखित बताए गए हैं:
1. प्रोसेस्ड मीट – डॉक्टर द्वारा पेट के कैंसर होने पर तैयार या प्रोसेस्ड मीट को परहेज करने की सलाह दी जाती है. यह इतना नुकसानदायक हो सकता है की कई डॉक्टर अब इसे पूरी तरह से परहेज करने के लिए कहते है.
2. नमक युक्त भोजन – कुछ लोग नामक युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन सामान्य से ज्यादा करते है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक सिद्ध होते है. ऐसे में पेट के कैंसर से पीड़ित मरीज को सख्ती के साथ नमक के सेवन को परहेज करना चाहिए. अत्यधिक नमक युक्त खाद्य पदार्थ को पेट कैंसर से जोड़ा जाता है. आलू के चिप्स और डिब्बाबंद नमकीन पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में ना करें, खाने के दौरान नमकदानी प्रयोग करने से भी बचें.
3. हैलिकोबैक्टर पाइलोरी – पेट कैंसर से खुद को सुरक्षित रखने के लिए केवल खाद्य पदार्थ से ही परहेज नहीं करना है, इसके अलावा आपको हैलिकोबेक्टर पाइलोरी के इन्फेक्शन से भी खुद को सुरक्षित रखना है. ये सामान्य बैक्टिरिया होते हैं जो पेट में अल्सर (छाले या फोड़े) कर देते हैं जिससे पेट कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है.
4. अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ- पेट के कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए खाद्य पदार्थ को बहुत जरुरी माना गया है. खाद्य पदार्थ से मिलने वाले पोषण के लिए सही मात्रा में कैलोरी, विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स के सेवन करने की आवश्यकता पड़ती है. यह हमारे शरीर में ताकत को बनाए रखता है और बीमारी ठीक करने में मदद करता है. प्रोटीन का सेवन करने के लिए दूध पीना, अंडे और पनीर खाएं.
5. फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थ, मगर सिमित मात्रा में- साबुत अनाज का सेवन करते समय, साबुत गेंहू से बनी ब्रेड, साबुत अनाज का पास्ता और साबुत चावल का ही चुनाव करें. इन खाद्य पदार्थों में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है. लेकिन इन्हे सिमित मात्रा में खाना चाहिए, क्योंकि इनको खाने के बाद आप असहज भी महसूस कर सकते हैं.
6. बिना नमक का आहार- पेट के कैंसर से ग्रसित रोगियों को अक्सर मतली का अनुभव होती है. कैंसर से पीड़ित मरीजों को बिना नमकयुक्त खाना खाने से राहत मिल सकती है. साफ तरल पदार्थ जैसे सेब का जूस, शोरबा (सूप), चाय आदि को धीरे-धीरे पीना लाभदायक हो सकता है.
लक्षणों को गंभीरता से लें-
यदि आप कैंसर के लक्षणों को शुरुआत में ही गंभीरता से लेते है तो इसका इलाज संभव हैं. कई रोगी इन लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं जिसकी वजह से ट्रीटमेंट में देरी हो जाती है. यदि इलाज में ज्यादा देरी होती है तो विकल्प काफी सीमित हो जाते हैं और रोगी को बचाना मुश्किल हो जाता है.’
ऐसे होता है इलाज-
यदि मरीज को कैंसर के शुरुआती दौर में ही पता चल जाए तो कैंसर वाले भाग को निकाल दिया जाता है और मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है. पेट के कैंसर को सर्जरी या एडवांस नॉन सर्जिकल प्रक्रिया से ठीक किया जा सकता है.
जागरूकता है जरूरी-
पेट से जुड़े कैंसर और दूसरे कैंसर की बीमारी का शुरुआती दौर में ही पता लगाने के लिए ये बहुत जरूरी है कि ई यू एस सर्विस का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो. इससे लोगों में बीमारियों के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी.