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बवासीर (पाइल्स) क्या होता है? लक्षण, कारण, परहेज और इलाज

आखिरी अपडेट: Jul 07, 2023

पाइल्स (बवासीर)

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बवासीर या पाइल्स को हेमोरॉइड भी कहते हैं। बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसमें गुदा और मलाशय के अंदर की नसों में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण रोगी को दर्द और असहजता हो सकती है। इसमें मल त्याग करते समय मलाशय से रक्तस्राव होना आम है।इसके अलावा गुदा के बाहर की तरफ छोटी गांठें भी पड़ जाती हैं जिनके कारण रोगी को दर्द का अनुभव होता है।

प्रकार

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बवासीर चार प्रकार का होता है:

  1. आंतरिक

  2. बाहरी

  3. प्रोलैप्स्ड या आगे बढ़ा हुआ

  4. थ्रोम्बोस्ड

आंतरिक पाइल्स

आंतरिक बवासीर मलाशय के भीतर होते हैं और आमतौर पर बाहर से परीक्षण करने पर दिखाई नहीं देते हैं।  इसमें सूजन से होने वाली वृद्धि लक्षण पैदा नहीं करती है और गुदा से बाहर नहीं निकलती है।

प्रोलैप्स्ड पाइल्स

कुछ मामलों में आंतरिक पाइल्स के कारण कुछ मांसपेशियां गुदा के बाहर फैल सकती हैं। इसे प्रोलैप्सड हेमोराइड कहा जाता है।

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बाहरी पाइल्स

बाहरी बवासीर गुदा के बाहरी किनारे पर छोटी-छोटी गांठें बना लेती हैं। इन गांठों में बहुत खुजली होती है और दर्द होता है।

थ्रौम्बोस्ड 

इस बवासीर में रक्त का थक्का विकसित हो जाता है जिससे रक्त का प्रवाह रुकता है।इसके कारण दर्द महसूस होता है। थ्रोम्बोस्ड बाहरी बवासीर को तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

लक्षण

  1. बवासीर के लक्षणों की बात करें तो इनमें:

  2. रोगी को पेशाब करने के बाद चमकीला लाल खून आता है

  3. रोगी को लगातार गुदा में खुजली महसूस होती है

  4. रोगी को शौचालय जाने के बाद भी मल त्याग करने का एहसास होता रहता है

  5. गुदा को पोंछने पर बलगम जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है

  6. रोगी की गुदा के आसपास गांठें हो जाती हैं

  7. रोगी की गुदा के आसपास दर्द होता है

क्यों होता है?

बवासीर में गुदा के अंदर और बाहर की नसों में सूजन आ जाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं , जैसे:

  1. जिन लोगों को लम्बे समय से कब्ज या दस्त की समस्या है उनमें पाइल्स की समस्या हो सकती है।

  2. बढ़ती उम्र भी पाइल्स का कारण हो सकता है क्योंकि उम्र के साथ आपकी गुदा के आसपास की मांसपेशियां कमजोर होती जाती है, जिसके कारण बवासीर हो सकता है।

  3. लगातार खांसी से ग्रस्त रहने वाले लोगों में पाइल्स होने की आशँका अधिक होती है।

  4. जो लगातार भारी वस्तुओं को उठाने का काम करते हैं उनमें पाइल्स हो सकता है।

  5. अकसर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बवासीर की समस्या हो जाती है।हालांकि शिशु को जन्म देने के बाद आमतौर पर ये समस्या दूर हो जाती है।

  6. यदि आप लगातार तनाव में रहते हैं तो पाइल्स का शिकार बन सकते हैं।

  7. ज्यादा देर तक कमोड पर बैठे रहने की आदत भी पाइल्स की आशंका को बढ़ा देती है क्योंकि ऐसा करने से आपकी गुदा के सपास की मांसपेशियों पर ज़ोर पड़ता है और वो कमज़ोर हो जाती हैं।

बीमारी के दौरान आपका खान-पान  (Bimari ke Dauran Aapki Diet )

बवासीर होने पर खान पान पर ध्यान देना बेहद आवश्यक होता है। चिकित्सक आपको ज़्यादा फाइबर वाला खाना काने की सलाह देते हैं जिससे आपको कब्ज़ की समस्या से दो चार न होना पड़े। हरी सब्ज़िया,फल और ऐसे खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है जो आपके मल को कठोर होने से रोकें।उदाहरण के लिए-

  1. फलियां

  2. साबुत अनाज

  3. ब्रौकोली

  4. खीरा ,पत्तागोभी जैसी फाइबर वाली चीज़ों का सलाद

  5. तरबूज़,पपीता,नाशपाती ,अमरूद जैसे अधिक फाइबर वाले फल

  6. भरपूर पानी और तरल पदार्थ

  7. हरी सब्ज़ियां

इन चीजों से करें परहेज (In cheezo se kare parhez)

पाइल्स में कई खाद्य पदार्थ आपकी समस्या को बढ़ा सकते हैं।इसलिए विशेषज्ञ इनसे बचने की सलाह देते हैं इनमें शामिल हैं-

1-मैदे से बनी वस्तुएं

2-डेयरी उत्पाद

3-रेड ट

4-प्रसंस्कृत भोजन

5-अधिक तेल और मसाले वाला भोजन

6-जंक फूड

बवासीर होने पर क्या करे (Piles Ya Bawaseer Hone par kya kare)

  1. पाइल्स होने पर मल त्याग बहुत कठिन और दर्दनाक हो जाता है।ऐसे में अगर आप कब्ज़ से बचेंगे तो आपको काफी राहत मिलेगी। कब्ज़ को दूर रखने के लिए ज्यादा फाइबर वाले आहार लीजिए औऱ पानी भरपूर मात्रा में पीते रहिए।

  2. गुदा पर किसी तरह का ज़ोर न पड़ने दें।

  3. ज्यादा दर्द होने पर चिकित्सक की सलाह से दवा लें।

    1. अधिक दर्द और खुजली की समस्या पर काबू पाने के लिए गुनगुने पानी से सिंकाई करें।

    2. चिकित्सक की सलाह पर बर्फ से सिंकाई भी की जा सकती है।

    3. खुद को सक्रिय रखें और अपनी सुविधानुसार व्यायाम करते रहें 

बवासीर होने पर क्या ना करें (Piles Ya Bawaseer hone par kya Na Kare)

  1. शौच करने की ज़रूरत लगे तो तुरंत उसे करें।

  2. शौच करते वक्त आसानी से मल त्याग होने दें,ताकत लगाकर मल को बाहर धकेलने की चेष्टा न करें।

  3. शौच के बाद हल्के हाथों से खुद को साफ करें।य़

  4. ऐसे खाद्य पदार्थ ना खाएं जो कब्ज़ का कारण बन सकते हों।

  5. गुदा से रक्तस्राव होने पर खून को पतला करने वाली दर्द निवारक दवाएं न लें।

  6. शौचालय में ज्यादा देर न बैठें।

घर पर ठीक कैसे करे (Home Remedy for Piles (Bawaseer) Treatment in Hindi)

  • सिट्ज़ बाथ: विशेषज्ञ मानते हैं कि गर्म पानी से सिंकाई करने पर बवासीर में आराम मिल सकता है। सिट्ज़ बाथ का उपयोग करने से दर्द और जलन में फायदा होता है। सिट्ज़ बाथ में एक छोटे से प्लास्टिक के टब का उपयोग किया जाता है जो टॉयलेट सीट पर फिट हो जाता है ताकि आप प्रभावित क्षेत्र की सिंकाई कर सकें। इस पानी में बीटाडीन घोल या अन्य एंटीसेप्टिक घोल का उपयोग किया जा सकता है।

  • कोल्ड कंप्रेस: सूजन से राहत के लिए दिन में दो से तीन बार 15 मिनट तक गुदा और आसपास आइस पैक से सिंकाई करें।

  • नारियल तेल: नारियल के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं। नारियल एक जाना माना दर्द निवारक हैं और इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं जो बवासीर के लक्षणों को कम करने में मददगार होते हैं।

  • व्यायाम: बवासीर के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए नियमित व्यायाम एक प्रभावी तरीका है। अपनी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने से आपकी आंत को ज्यादा तनाव डाले बिना मल त्याग करने में मदद मिल सकती है।

  • तनाव से बचें और अच्छी नींद लें: तनाव आपके बवासीर के लिए नुक्सानदेह हो सकता है।वहीं रात में पर्याप्त नींद लेने से भी पाचन स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने में मदद मिलती है।

  • हाइड्रेशन: दिन भर में कम से कम चार से पांच लीटर पानी या तरल पदार्थ पिएं। इससे आपका शरीर अच्छी तरह से हाइड्रेटेड होता है औऱ आपका पाचन सुधरता है।ऐसे में आपको मल त्याग के दौरान कम दबाव डालना पड़ता है।

  • फाइबर युक्त आहार: पर्याप्त अघुलनशील और साथ ही घुलनशील फाइबर के साथ संतुलित आहार लेने से आपको आसानी से मल त्याग करने में मदद मिलेगी।

पाइल्स (बवासीर) के इलाज (Piles Ya Bawaseer Ke Ilaaj)

अगर आपको बवासीर की गंभीर समस्या नहीं है तो दवाओं के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है। पर अगर आपका बवासीर अधिर गंभीर स्थिति में  है तो कई तरीकों के माध्यम से इसका उपचार किया जाता है।

दवाओं के माध्यम से इलाज-

  1. विच हेज़ल- ये एक प्रभावशाली एस्ट्रिंजेंट है।

  2. हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम या  मलहम- इसे एक सप्ताह से अधिक समय तक उपयोग न करें या फिर डॉक्टर की सलाह लें।

  3. लाइडोकेन- यह एक लोकल एनेस्थेटिक की तरह काम करता है।

  4. जुलाब –यह कब्ज़ को दूर करता है

  5. यदि संक्रमण की चिंता है तो आपका डॉक्टर एक एंटीबायोटिक भी लिख सकता है।

  6. ज़िंक आक्साइड-यह क्रीम दर्द और जलन से राहत देती है।

सर्जरी

यदि बवासीर बहुत बड़ा है, तो इसे हटाने के चिकित्सक एक मामूली सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। अगर आपको बवासीक के कारण अधिक समस्या हो रही है तो सराजरी का विकल्प चुनना ही सर्वोत्तम होता है। 

ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार सर्जरी के बाद आपको बार बार होने वाली दिक्कत से दो चार नहीं होना पड़ेगा। ये कम समय में आपको अधिक स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकती है।इसलिए बवासीर के इलाज के लिए सर्जरी का विकल्प चुनने से घबराएं नहीं। पाइल्स के इलाज के लिए कई तरह के सर्जिकल प्रोसेस मौजूद हैं-

 

  • स्क्लेरोथेरेपी: बाहरी और आंतरिक बवासीर के इलाज के लिए स्क्लेरोथेरेपी इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है। इसमें एक इंजेक्शन देकर बवासीर को सिकोड़ने की कोशिश की जाती है। इसमें कुछ दिन लग सकते हैं।

  • क्रायोथेरेपी (फ्रीजिंग थेरेपी): इसमें  बवासीर को सिकोड़ने के लिए ठंडी हवा या गैस का केंद्रित इस्तेमाल किया जाता है।

लेजर उपचार

इसे आंतरिक बवासीर के इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है। ये बवासीर के अंदर खून को सख्त करते हैं जिससे वह मुरझा जाता है। इस तरह बवासीर के इलाज के लिए हीट और लाइट थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

थ्रोम्बोएक्टोमी

थ्रोम्बोएक्टोमी एक बाहरी बवासीर में रक्त के थक्के को हटाने की एक प्रक्रिया है। आपका डॉक्टर उस क्षेत्र को सुन्न कर देगा और फिर एक छोटा सा कट बनाकर उसे सूखा देगा।

बैंड लाइगेशन

आंतरिक बवासीर रबर बैंड से बांधने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आंतरिक बवासीर के आधार के चारों ओर एक या एक से अधिक छोटे रबर बैंड लगाए जाते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है औऱ एक सप्ताह में बवासीर दूर हो जाती है।

हेमोराहाइडेक्टोमी

इसमें बवासीर का कारण बनने वाले सभी अतिरिक्त ऊतक को हटाया जाता है। इसका उपयोग आंतरिक और बाहरी बवासीर दोनों के इलाज के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्जन रोगी को स्पाइनल ब्लॉक या लोकल एनेस्थीसिया देते हैं। इसके बाद सर्जन गुदा को खोलकर बवासीर को धीरे से काट कर निकाल देते हैं।इसके लिए वे सर्जिकल कैंची या लेजर जैसे विभिन्न सर्जिकल उपकरणों का उपयोग करते हैं।बवासीर को हटाने के बाद, कई मामलों में सर्जन घावों को बंद कर देते हैं वहीं कुछ में खुला छोड़ने को बेहतर माना जाता है। तीसरे विकल्प के तौर पर सर्जन दोनों तरीकों के बीच का रास्ता अपना सकते हैं।

घाव को खुला छोड़ने की ज़रूरत तब पड़ सकती है जब घाव ऐसी जगह स्थित हो जहां उसे बंद कर पाना कठिन हो।

हेमोराइड स्टेपलिंग

  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बवासीर में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करने के लिए एक सर्जिकल स्टेपल का इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रक्रिया आंतरिक बवासीर के इलाज में मदद करती है जो बड़े हो गए हैं, या आगे बढ़ गए हैं। बाहरी बवासीर के उपचार में इसका प्रयोग नहीं होता।

  • इसमें प्रक्रिया में रोगी को एनेस्थीसिया दिया जाता है। इसके बाद सर्जन एक विशेष उपकरण के ज़रिए बवासीर को गुदा के भीतर सामान्य स्थिति में ले जाएंगे। इसके माध्यम से बवासीर को रक्त की आपूर्ति रोकी जाती है और उनका आकार सिकुड़कर कम ह जाता है।

  • जानकार मानते हैं कि हेमोराहाइड स्टेपलिंग , हेमोराहाइडेक्टोमी की तुलना में कम दर्दनाक हो सकता है।इतना ही नहीं इसका रिकवरी टाइम भी कम हो सकता है। हालांकि इस प्रक्रिया के बाद परेशानी दोबारा आने की आशंका बनी रहती है।अधिकतर आंतरिक बवासीर के इलाज के लिए स्टेपलिंग का उपयोग किया जाता है।

  • आपकी सर्जरी कितनी बड़ी है इस पर निर्भर करता है आप को कितने समय तक असपताल में रहना पड़ सकता है।

  • इन प्रक्रियाओं के बाद आपके ठीक होने का समय अलग अलग हो सकता है।

  • बवासीर में रक्त की आपूर्ति को रोकने को लिए जो सर्जरी की जाती हें उनमें कई दिनों का समय लग सकता है। सर्जरी के बाद घाव को पूरी तरह से ठीक होने में 1 से 2 सप्ताह का समय लग सकता है।

  • बवासीर को पूरी तरह से हटाने के लिए हेमोराइड बैंडिंग में दो से चार सर्जिकल प्रक्रियाएं की जा सकती हैं। इन प्रक्रियाएं में आमतौर पर 6 से 8 सप्ताह का समय लगता है।

  • हालांकि बवासीर को दूर करने वाली सर्जिकल प्रक्रियाओं के ठीक होने का समय अलग-अलग होता है।पर मरीज़ को पूरी तरह से ठीक होने में 1 से 3 सप्ताह का समय लग सकता है।

इलाज की लागत (Ilaaj ka Kharcha)

भारत में बवासीर के उपचार की कीमत उसकी गंभीरता पर निर्भर करती है। बवासीर की सामान्य स्थितियों को दवाओं के जरिए बेहद कम खर्चे पर ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसके स्थायी इलाज के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। भारत में पाइल्स सर्जरी की लागत 48,500 से 85,000 रुपए तक हो सकती है।

निष्कर्ष

पाइल्स या बवासीर को हेमोरायड भी कहा जाता है। ये गुदा के अंदर और बाहर नसों में सूजन के कारण होते हैं। पाइल्स होने पर रोगी को मल त्याग करते समय तेज़ दर्द ,ब्लीडिंग होती है। इसके अलावा गुदा के आसपास जलन और खुजली भी होती है। मामूली स्तर का पाइल्स कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है पर अगर ये अधिक दिनों तक बना रहे तो चिकित्सक को दिखाना आवश्यक हो जाता है।

मामूली पाइल्स में घरेलू इलाज भी संभव है जिसमें अधिक फाइबर युक्त खाना खाना और अधिक पानी पीना शामिल है। इसके अलावा दवाओं के माध्यम से भी इसका इलाज किया जाता है। अधिक समस्या होने पर सर्जरी द्वारा ही पाइल्स का उपचार किया जाना बेहतर होता है क्योंकि ऐसा करने से ये दोबारा नहीं होता। बवासीर की सर्जरी में 20 हज़ार रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक का खर्च आ सकता है। पाइल्स से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव करें ,पोषक आहार लें, व्यायाम करें और भरपूर पानी पीते रहें।

Frequently Asked Questions (FAQs)

पाइल्स(बवासीर) क्यों होते हैं?

पाइल्स(बवासीर) के विकास के पीछे प्राथमिक कारण गुदा(एनस) के आसपास की नसों पर अत्यधिक दबाव होता है, जिससे उभार या सूजन हो जाती है।

क्या पाइल्स(बवासीर) खतरनाक है?

पाइल्स(बवासीर) एक घातक बीमारी नहीं है लेकिन कभी-कभी यह बाहरी बवासीर(एनल कैनाल के आसपास, एनस के पास सूजन) में सूजन और इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकती है। कभी-कभी, बवासीर पर अल्सर बन सकते हैं। जब बवासीर के अंदर का हिस्सा सिकुड़ जाता है लेकिन त्वचा बनी रहती है तो रोगी स्किन टैग भी विकसित कर सकता है।

पाइल्स(बवासीर) में क्या होता है?

चिकित्सकीय भाषा में पाइल्स या बवासीर एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति के निचले मलाशय(रेक्टम) और गुदा में नसें सूज जाती हैं। इस सूजन के कारण, अन्य टिश्यूज़ में भी स्थानीय सूजन हो जाती है।

पाइल्स(बवासीर) को प्राकृतिक रूप से कैसे रोकें?

जीवनशैली में कुछ बदलाव करके लोग पाइल्स(बवासीर) को प्रभावी ढंग से रोक सकते हैं। फलों और सब्जियों जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करने और कुछ शारीरिक गतिविधियों को करने से पाइल्स(बवासीर) से पीड़ित होने की संभावना को काफी कम किया जा सकता है। लोगों को शौच करते समय दबाव डालेने से बचना चाहिए, भारी वजन उठाने से बचना चाहिए, स्वस्थ शरीर के वजन को बनाए रखना चाहिए और बवासीर को रोकने के लिए सक्रिय जीवन शैली का पालन करना चाहिए।

पाइल्स(बवासीर) से पीड़ित होने पर डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आप घरेलू उपचार लेने के बावजूद एक सप्ताह से अधिक समय से पाइल्स(बवासीर) से पीड़ित हैं, तो आपको तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। जिन रोगियों को अपने मलाशय(रेक्टम) से लगातार रक्तस्राव का अनुभव होता है, उन्हें भी तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

मुझे डॉक्टर से क्या प्रश्न पूछने चाहिए?

आपको डॉक्टर को अपने मेडिकल इतिहास के बारे में बताना चाहिए और उनसे आपकी स्थिति के लिए सबसे अच्छा इलाज बताने के लिए कहना चाहिए। आपको डॉक्टर से उपचार की पूरी प्रक्रिया, इसके संभावित परिणाम और जटिलताओं और ठीक होने में लगने वाले समय के बारे में भी पूछना चाहिए। सुरक्षित हाथों में होने के बारे में सुनिश्चित होने के लिए आपको उपचार पद्धति से संबंधित अपनी शंकाओं को भी स्पष्ट करना चाहिए।

क्या पाइल्स(बवासीर) अपने आप ठीक हो जाती है?

पाइल्स(बवासीर) आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ मामलों में, मरीजों को समस्या से निपटने के लिए चिकित्सकीय सहायता लेनी पड़ सकती है। कई उपचार विधियां उपलब्ध हैं जिनका उपयोग एक दिन में पाइल्स(बवासीर) के इलाज के लिए किया जाता है। आप उसी दिन घर भी जा सकते हैं।

आपको कैसे पता चलेगा कि आपको पाइल्स(बवासीर) है?

बवासीर के सबसे आम संकेत और लक्षण हैं शौच करते समय खून बहना, गुदा की जगह के अंदर या आसपास गांठ, गुदा से बदबूदार बलगम निकलना, गुदा में लगातार भरापन और बेचैनी महसूस होना, शौच के बाद मल त्याग के अधूरे खाली होने का अहसास होना, एनस के आसपास गंभीर खुजली या त्वचा में सूजन, शौचालय जाने के बाद दर्द या परेशानी, संक्रमण और मल असंयम है।

किस भोजन से पाइल्स(बवासीर) होता है?

तले हुए और प्रसंस्कृत(प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थ, मसालेदार भोजन, शराब, डेयरी उत्पाद, कच्चे फल, रिफाइंड अनाज, अत्यधिक नमकीन खाद्य पदार्थ, आयरन सप्लीमेंट और अत्यधिक फाइबर सबसे आम खाद्य प्रकार हैं जो पाइल्स(बवासीर) या हेमोर्रोइड्स का कारण बनते हैं।

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