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Last Updated: Jan 09, 2020
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पित्त की पथरी - Gallbladder Stone

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Dr. Amarjit Singh JassiAyurvedic Doctor • 9 Years Exp.Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
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पित्त की पथरी
डॉक्टर्स कहते हैं के अगर को पित्त की पथरी निकाल दे तो वह एक करोड़ रुपैये देंगे। ये दावा सिर्फ लोगो का आयुर्वेद से लोगो को भटकाने के लिए हैं। आज उनके लिए हैं ये पोस्ट, आशा करते हैं आपको फायदा होगा। और हम फिर से यही कहेंगे के जब भी आप ये प्रयोग करे तो किसी आयुर्वेद, होम्योपैथिक, या एलोपैथिक डॉक्टर के संरक्षण में करे।आयुर्वेद किसी का विरोध नहीं करता।
पित्त पथरी, पित्ताशय के अन्दर पित्त अवयवों के संघनन से बना हुआ रवाकृत जमाव होता है। इन पथरियों का निर्माण पित्ताशय के अन्दर होता है लेकिन ये केंद्र से दूर रहते हुए पित्त मार्ग के अन्य भागों में भी पहुंच सकती है जैसे पुटीय नलिका, सामान्य पित्त नलिका, अग्न्याशयीय नलिका या एम्प्युला ऑफ वेटर.
पित्ताशय में पथरी की उपस्थिति तीव्र कोलेसिसटाइटिस का कारण बन सकती है जो कि पित्ताशय में पित्त के अवरोधन के कारण होने वाली सूजन की अवस्था है और यह प्रायः आंत संबंधी सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले द्वीतियक संक्रमण का कारण भी बनता है, मुख्यतः एस्चीरिचिया कोली और बैक्टिरॉयड्स वर्गों में. पित्त मार्ग के अन्य हिस्सों में पथरी की उपस्थिति के कारण पित्त नलिकाओं में अवरोध पैदा हो सकता है जोकि एसेन्डिंग कोलैनजाइटिस या पैन्क्रियेटाइटिस जैसी गंभीर अवस्थाओं तक पहुंच सकता है। इन दोनों में से कोई भी अवस्था प्राणों के लिए घातक हो सकती है और इसलिए इन्हें चिकित्सीय आपातस्थिति के रूप में देखा जाता है।

1. Gallbladder (पित्त की थेली) की पत्थरी निकालने का प्राकृतिक उपचार:- आज बहुत से लोग इस से परेशान हैं, और डॉक्टर भी इस के आगे फेल हैं।कृपया शेयर करते रहिये।पहले 5 दिन रोजाना 4 ग्लास एप्पल जूस (डिब्बे वाला नहीं) और 4 या 5 सेव खायें.छटे दिन डिनर नां लें.इस छटे दिन शाम 6 बजे एक चम्मच'सेधा नमक' (मैग्नेश्यिम सल्फेट) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें.शाम 8 बजे फिर एक बार एक चम्मच' सेंधा नमक' (मैग्नेश्यिम सल्फेट) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें.रात 10 बजे आधा कप जैतून (olive) या तिल (sesame) का तेल - आधा कप ताजा नीम्बू रस में अच्छे से मिला कर पीयें.सुबह स्टूल में आपको हरे रंग के पत्थर मिलेंगे.नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें।
2. सेब का जूस और सेब का सिरका (apple and apple cider vinegar)- सेब में पित्त की पथरी को गलाने का गुण होता है, लेकिन इसे जूस के रूप में सेब के सिरके के साथ लेने पर यह ज्यादा असरकारी होता है। सेब में मौजूद मैलिक एसिड (mallic acid) पथरी को गलाने में मदद करता है तथा सेब का सिरका लिवर में कोलेस्ट्रॉल नहीं बनने देता, जो पथरी बनने के लिए जिम्मेदार होता है। यह घोल न केवल पथरी को गलाता है बल्कि दोबारा बनने से भी रोकता है और दर्द से भी राहत देता है।उपचार के लिए- एक गिलास सेब के जूस में, एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं। इस जूस को रोजाना दिन भर में दो बार पीएं।

3. नाशपाती का जूस (pear juice)- नाशपाती के आकार की पित्त की थैली को नाशपाती द्वारा ही साफ किया जाना संभव है। नाशपाती में मौजूद पैक्टिन (pectene) कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को बनने और जमने से रोकता है। यूं भी नाशपाती गुणों की खान है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं।उपचार- एक गिलास गरम पानी में, एक गिलास नाशपाती का जूस और दो चम्मच शहद (honey) मिलाकर पीएं। इस जूस को एक दिन में तीन बार पीना चाहिए।

4. चुकंदर, खीरा और गाजर का जूस (beetroot, cucumber and carrot juice)- जूस थेरेपी को पित्त की थैली के इलाज के लिए घरेलू उपचारों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। चुकंदर न केवल शरीर का मजबूती देता है बल्कि गॉल ब्लेडर को साफ भी करता है साथ ही लिवर के कोलोन (colon) को भी साफ करता है। खीरा में मौजूद ज्यादा पानी की मात्रा लिवर और गॉल ब्लेडर दोनों को डिटॉक्सीफाई (detoxify) करती है। गाजर में भी विटामिन सी और उच्च पोषक तत्व (high nutrient) होने के कारण यही गुण होते हैं।उपचार- एक चुकंदर, एक खीरा और चार गाजर को लेकर जूस तैयार करें। इस जूस को प्रतिदिन दो बार पीना है। जूस में प्रत्येक सामग्री की मात्रा बराबर होनी चाहिए, इसलिए सब्जी या फल के साइज के हिसाब से मात्रा घटाई या बढ़ाई जा सकती है।

5. पुदीना (mint)- पुदीना को पाचन के लिए सबसे अच्छी घरेलू औषधि (home remedy) माना जाता है जो पित्त वाहिका तथा पाचन से संबंधित अन्य रसों को बढ़ाता है। पुदीना में तारपीन (terpenes) भी होता है जो कि पथरी को गलाने में सहायक माना जाता है। पुदीने की पत्तियों से बनी चाय गॉल ब्लेडर स्टोन से राहत दे सकती है।उपचार- पानी को गरम करें, इसमें ताजी या सूखी पुदीने के पत्तियों को उबालें। हल्का गुनगुना रहने पर पानी को छानकर इसमें शहद मिलाएं और पी लें। इस चाय को दिन में दो बार पीया जा सकता है।

6. खान-पान और दिनचर्या में बदलाव (changes in diet and daily activity)- रोजाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं। चाहे प्यास न भी लगी हो।वसायुक्त या तेज मसाले वाले खाने से बचें।प्रतिदिन कॉफी जरूर पीएं। बहुत ज्यादा भी नहीं लेकिन दिन में एक से दो कप काफी हैं। कॉफी भी पित्त वाहिका को बढ़ाती है जिससे पित्त की थैली में पथरी नहीं होती।अपने खाने में विटामिन सी की मात्रा बढाएं। दिनभर में जितना ज्यादा संभव हो विटामिन सी से भरपूर चीजें खाएं।हल्दी, सौंठ, काली मिर्च और हींग को खाने में जरूर शामिल करें।

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