हाई शुगर: उपचार, प्रक्रिया, लागत और दुष्प्रभाव | High Sugar: Treatment, Procedure, Cost and Side Effect
आखिरी अपडेट: Jul 08, 2023
हाई ब्लड शुगर क्या है? | High blood sugar kya hai
हाई ब्लड शुगर, शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने की स्थिति है। इसे हाइपोग्लेसेमिया कहते हैं। शरीर में हाई ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने के कारण यह टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को प्रभावित करता है। एक स्वस्थ्य इंसान में ब्लड शुगर का सामान्य स्तर 100 mg/dL से कम होता है जबकि खाली पेट या 8 घंटे तक कुछ न खाने के दौरान ब्लड शुगर का सामान्य स्तर 140 mg/dL से कम होता है। ब्लड शुगर का लेवल बहुत अधिक बढ़ जाने पर इंसान कोमा में जा सकता है। यह गलत खान-पान, खराब दिनचर्या और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण होता है।
हाई शुगर लेवर के क्या लक्षण हैं? | high sugar ke lakshan
- अधिक प्यास लगना
- धुंधला दिखना
- पेट दर्द
- अधिक भूख लगना
- मतली
- उनींदापन
- सुस्ती
- थकावट
- पसीना आना
- उल्टी
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- पेट और आंतों की समस्या
- पैरों में ठंडक या सेंसिटिविटी
- बालों का झड़ना
हाई ब्लड शुगर होने के कारण क्या हैं? | high blood sugar ke karan
- टाइप 1 डायबिटीज: इस स्थिति में इंसुलिन बनाने वाली अग्न्याशय की कोशिकाओं पर इम्यून सिस्टम द्वारा हमला किया जाता है। जिसके कारण शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
- टाइप 2 डायबिटीज: इस स्थिति में इंसुलिन का निर्माण शरीर में होता है, लेकिन रेजिस्टेंस के कारण शरीर द्वारा इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं किया जाता। इंसुलिन अग्न्याशय में बनता है लेकिन यह शरीर के लिए पर्याप्त नहीं है। इस वजह से ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
- गेस्टेशनल डायबिटीज: यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान बनती है। इस दौरान शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इससे मां और शिशु दोनों को खतरा हो सकता है। गेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के बाद खत्म हो जाती है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस: यह एक जेनेटिक बीमारी है। इस बीमारी के कारण मरीजों में हाई ब्लड शुगर की समस्या होती है।
- दवाएं: स्टेरॉयड और अन्य दवाएं लेने वाले मरीजों को हाई ब्लड शुगर की समस्या होती है।
इंसुलिन क्या है? | Insulin kya hai
इंसुलिन, अग्न्याशय में बना एक हार्मोन है जो ग्लुकोज का उपयोग कर शरीर को ऊर्जा देता है और ब्लड शुगर (ग्लूकोज) लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हाई शुगर के लिए टेस्ट | High sugar ke test
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
- HB1C टेस्ट, (ब्लड में शुगर लेवल की जांच)
- फ्रुक्टोसामाइन टेस्ट (फ्रुक्टोसामाइसन हमारे शरीर में शुगर और प्रोटीन के मिश्रण से बनता है)
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
- ब्लड टेस्ट
हाई शुगर का इलाज क्या है? | high sugar ka ilaj
- शुगर का सामान्य से थोड़ा अधिक लेवल: ब्लड टेस्ट में यदि शुगर का लेवल सामान्य से थोड़ा अधिक है तो इसे नियमित व्यायाम करके, अधिक पानी पीकर और चीनी युक्त पेय पदार्थों से बचकर ठीक किया जा सकता है।
- शुगर का मध्यम से अधिक लेवल: इस स्थिति में मरीज को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है। शरीर में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ने पर मरीज को इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
- शुगर का खतरनाक लेवल: इस स्थिति में मरीज को डॉक्टर के पास तुरंत ले जाना चाहिए।
- हाइपरग्लेसेमिया की स्थिति: गंभीर रूप से हाइपरग्लेसेमिया से पीड़ित व्यक्ति को फ्लूएड रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है। इसमें मरीज को डीहाइड्रेट रखने के लिए तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
- हाइपरग्लेसेमिया और इंसुलिन का निम्न स्तर: हाइपरग्लेसेमिया से पीड़ित लोगों में इंसुलिन का निम्न स्तर इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को कम करता है। इलेक्ट्रोलाइट रिप्लेसमेंट थेरेपी के जरिए मरीज को इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाते हैं। इससे हृदय, मांसपेशियों और नर्व सेल को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। इंसुलिन थेरेपी, नसों के माध्यम से इंसुलिन का प्रबंधन करती है। यह उन प्रक्रियाओं को उलट देती है जिसके कारण शरीर में कीटोन्स का निर्माण होता है।
हाई ब्लड शुगर को कम करने के तरीके क्या हैं? | high blood sugar level ko kam karne ke tarike
- ब्लड शुगर लेवल की बारीकी से जांच: यदि किसी व्यक्ति का शुगर लेवल हाई है तो उन्हें हर घंटे अपने ग्लूकोज लेवल की जांच करनी चाहिए। दिन में कम से कम 5-6 बार इसकी जांच करें। ऐसा करने से ब्लड में ब्लड-शुगर लेवल को बनाए रखने में मदद मिलती है।
- कार्बोहाइड्रेट का कम सेवन: आहार में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करना चाहिए। इससे शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा हाई प्रोटीन डाइट के जरिए भी ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखा जा सकता है।
- कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स युक्त फूड: ग्लूकोज लेवल को नॉर्मल रखने के लिए कम ग्लाइसेमिक फूड जैसे शकरकंद, क्विनोआ, फलियां, कम वसा वाला दूध, नट और बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली और मांस का सेवन करना चाहिए।
- फाइबर युक्त आहार: फाइबर, ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फाइबर शरीर में कार्बोहाइड्रेट की दर को कम करता है। इससे शरीर में शुगर का लेवल कम हो जाता है।
- वेट मेंटेन रखें: वजन कम करने से शरीर में डायबिटीज का स्तर कम हो जाता है। इसके साथ ही यह शरीर में इंसुलिन के स्तर को भी बनाए रखता है।
ब्लड शुगर का स्टैंडर्ड लेवल कितना होता है? | blood sugar ka standard level kitna hota hai
- ब्लड में मौजूद ग्लूकोज के लेवल को ब्लड शुगर लेवल कहते हैं। इसे दो तरह से मापा जाता है। एक तो तब, जब पेशेंट ने टेस्ट से 8 घंटे पहले खाना न खाया हो इसे फास्टिंग शुगर कहते हैं। दूसरा तरीका है व्यक्ति के खाने के बाद शुगर की जांच करना।
- एक स्वस्थ्य व्यक्ति में फास्टिंग शुगर (खाना खाने से पहले) का लेवल 100 mg/dL से कम होना चाहिए। जबकि खाना खाने के 2-3 घंटे बाद शुगर लेवल 90-110 mg/dL होना चाहिए।
- डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का सामान्य ब्लड शुगर लेवल व्यक्ति की उम्र और दिन के समय के अनुसार बदलता रहता है। 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का सामान्य ब्लड शुगर लेवल 80-200 मिलीग्राम/डीएल प्रतिदिन होना चाहिए।
- डायबिटीज से पीड़ित 6-12 वर्ष की आयु के बच्चों का ब्लड शुगर लेवल 80-180 mg/dL होना चाहिए। जबकि वयस्कों का शुगर लेवल 70-150 mg/dL होना चाहिए। 20 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों में शुगर लेवल 100-180 मिलीग्राम/डीएल होना चाहिए।
हाई शुगर का इलाज कराने से कौन से साइड इफेक्ट होते हैं? | high sugar ilaj ke side effect
- सिरदर्द
- भूख लगना
- पसीना आना
- कंपकंपी
- कमजोरी
- तेज धड़कन और सांस लेने में परेशानी
- चक्कर आना
- हाई ब्लड प्रेशर
- चिड़चिड़ापन और बेचैनी
- मांसपेशियों में मरोड़ उठना
हाई शुगर के इलाज के बाद ध्यान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | Sugar ke ilaj me in bato ka rakhe dhyan
- इंसुलिन या डायबिटीज की दवा लेने वाले व्यक्ति को भोजन की मात्रा और समय को व्यवस्थित करना चाहिए।
- भोजन आपके शरीर में काम कर रहे इंसुलिन के अनुकूल होना चाहिए।
- हाई ग्लूकोज लेवल से पीड़ित मरीज को इलाज के दौरान हल्का और मध्यम स्तर का व्यायाम करना चाहिए।
- मरीज को नियमित रूप से रोग संबंधी दवाओं का उपयोग करना चाहिए।
हाई शुगर होने पर क्या खाना चाहिए? | high sugar hone par kya khana chahiye
- सब्जियां: हाई शुगर के मरीजों को अपनी डाइट में सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप प्याज, बैंगन, मशरूम, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और तोरी जैसी कम कार्ब वाली सब्जियां ले सकते हैं।
- साग: आप नियमित सलाद जैसे केल, पालक और चार्ड के अलावा विभिन्न प्रकार के सलाद आजमा सकते हैं। ये कम कार्ब से युक्त और स्वादिष्ट होते हैं। इसके अलावा अन्य प्रोटीन युक्त आहार को डाइट में शामिल कर शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं।
- कम कैलोरी वाले पेय: हाइड्रेटेड रहना हमेशा अच्छा होता है। सब्जियों और फलों का जूस हमेशा सेहत के लिए अच्छा होता है। सब्जियों और फलों के जूस को पीने से निर्जलीकरण की समस्या दूर होती है जिससे शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
- खरबूजा या जामुन: जामुन और खरबूजा कार्बोहाइड्रेट, स्वस्थ पोषक तत्वों और फाइबर से भरे होते हैं। आप शुगर को मेंटेन रखने के लिए इनका सेवन कर सकते हैं।
- साबुत अनाज: शुगर के पेशेंट को अपने आहार में साबुत अनाज को शामिल करना चाहिए। अधिक भोजन लेने से बचना चाहिए। इससे शुगर बढ़ने के चांस रहते हैं। शुगर को कंट्रोल करने के लिए सूखे मेवे, मटर और दाल को अपने आहार में शामिल करें।
- प्रोटीन: प्रोटीन युक्त भोजन जैसे पनीर, अंडे, लीन मांस, मूंगफली का मक्खन, और सैलरी स्टिक्स को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
हाई शुगर होने पर इन चीजों से रहें दूर | High sugar me in cheejo se rahe door
- मीठा पेय: यदि आप डायबिटिक रोगी हैं तो ऐसे पेय पदार्थों को पीने से बचें जिनमें मिठास होती है। ये शरीर में शुगर लेवल को बढ़ाते हैं।
- ट्रांस फैट: हाई शुगर के मरीजों को ट्रांस फैट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह वनस्पति तेल से उत्पन्न होता है और सूजन का कारण बनता है। यह पेट की चर्बी को बढ़ा सकता है। साथ ही यह इंसुलिन के लिए बाधा बन सकता है। ट्रांस फैट के सेवन से कोलेस्ट्रॉल प्रभावित होता है। हालांकि ट्रांस फैट सीधे रक्त में शुगर लेवल को नहीं बढ़ाता है।
- सफेद ब्रेड, पास्ता और चावल: इन सभी खाद्य पदार्थों में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है। हाई शुगर के मरीजों को इन्हें खाने से बचना चाहिए।
- फल युक्त दही: डायबिटीज से पीड़ित लोगों को फलों के स्वाद वाला दही नहीं खाना चाहिए। यह शरीर में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। सादा दही खाने से शुगर लेवल पर कोई असर नहीं पड़ता है।
हाई शुगर होने पर डॉक्टर को कब दिखाए ? | High sugar hone par doctor ko kab dikhaye
- हाइपोग्लाइसीमिया: हाइोपोग्लाइसीमिया से पीड़ित मरीज को थकान, चक्कर आना, शेकीनेस और भूख लगने जैसे गंभीर लक्षण दिख सकते हैं। इस स्थिति में पेशेंट को इमरजेंसी देखभाल की आवश्यकता होती है। इलाज न मिलने पर पेशेंट बेहोश हो सकता है। इससे डायबिटिक कोमा भी हो सकता है।
- हाइपरग्लाइसीमिया: इस स्थिति में पेशेंट की एकाग्र क्षमता कम होने लगती है। हाइपरग्लाइसीमिया के मरीज में बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना और नाड़ी का बढ़ने जैसी शिकायतें देखी जाती हैं। इस स्थिति में डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।
शुगर मेंटेन रखने के लिए व्यायाम | Sugar maintain rakhne ke liye yoga
- एरोबिक व्यायाम
- हड्डियों के स्वास्थ्य को लिए प्रतिरोध व्यायाम
- वॉकिंग
- ताई ची (एक प्रकार का प्राचीन चीनी व्यायाम)
- योगा
- स्विमिंग
- साइकिलिंग
- तेज जॉगिंग
भारत में हाई शुगर इलाज की कीमत क्या है? | Bharat me ilaj ki kimat
भारत में एक साल के लिए इंसुलिन थेरेपी का खर्च 14,500 से लेकर 47,000 रुपए के बीच हो सकता है। भारत में ब्लड शुगर चेक करने वाली मशीनें 750 रुपए से 2200 रुपए के बीच उपलब्ध है। हाई ब्लड शुगर के इलाज की लागत स्थान और डॉक्टर के आधार पर निर्भर करेगी। हालांकि सरकारी अस्पताल गरीब वर्ग के शुगर पेशेंट की मुफ्त जांच करते हैं।
रेफरेंस
- Hyperglycemia (High Blood Glucose)- American Diabetes Association [Internet]. diabetes.org 2018 [Cited 01 August 2019]. Available from:
- Hyperglycemia- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 01 August 2019]. Available from:
- Diabetes Mellitus (DM) and Disorders of Blood Sugar Metabolism: Diabetes Mellitus (DM)- Merck Manual Consumer Version [Internet]. merckmanuals.com 2019 [Cited 01 August 2019]. Available from:
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