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Last Updated: Apr 01, 2019
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गुर्दे की बीमारी के लक्षण - Gurde Ki Bimari Ke Lakshan!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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जब किडनी के कार्य करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लग जाती है और कई वर्षो के बाद जब किडनी के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है, तो उसे क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है. इस बीमारी के लास्ट स्टेज को किडनी फेलियर के रूप में जाना जाता है. जब किडनी की कार्य क्षमता मंद पड़ जाती है और स्थिति नाजुक होने लगती है, तब हमारे शरीर में बनने वाले आवांछित पदार्थों और फ्लुइड लेवल जोखिम निशान से ऊपर बढ़ जाती है. इसके उपचार क्रोनिक किडनी डिजीज को रोकना या धीमा करना होता है. किडनी शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक होता हैं, क्योंकि उनसे ही पूरे शरीर का सिस्टम सुचारू रूप से चलता है. किडनी जो शरीर के अन्य अंगों की तरह बेहद अहम और नाज़ुक होते हैं, इनके असंतुलित हो जाने से पूरे शरीर की स्थिति बिगड़ जाती है, इसलिए इनका खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. आज के दौर में जैसे जैसे उन्नति होती जा रही है वैसे-वैसे किडनी रोग से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. जबकि बहुत सी छोटी-छोटी बातों को अपनाकर किडनी की बीमारी से बचाव किया जा सकता है. आइये

किडनी फेलियर क्या है-
शरीर मे किडनी का मुख्य कार्य फ़िल्टर करने का होता है. लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने मे अक्षम हो जाते हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेलियर कहते हैं.
कैसे जानें-

  • खून मे क्रिएट्नीन और यूरिया की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता का पता किया जा सकता है . वैसे तो किडनी की क्षमता शरीर की आवश्यकता से ज्यादा होती है इसलिए किडनी को थोड़ा नुकसान हो भी जाये तो भी खून की जाच मे कोई खराबी देखने को नहीं मिलती है. जब रोग के कारण किडनी 50 प्रतिशत से ज्यादा खराब हो जाती तभी खून की जांच मे यूरिया और क्रिएट्नीन की बढ़ी हुई मात्रा का प्रदर्शन होता है.
  • किडनी का विशेष सम्बन्ध हृदय, फेफड़ों, यकृत एवं प्लीहा के साथ होता है. ज्यादातर हृदय एवं किडनी परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं. इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके किडनी भी बिगड़ती है और जब किडनी बिगड़ती है तब उस व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और वह व्यक्ति धीरे-धीरे दुर्बल भी हो जाता है.किडनी के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. इसका मुख्य कारण हमारे द्वारा हृदय रोग, दमा, श्वास, क्षयरोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों में किया जा रहा अंग्रेजी दवाओं का लम्बे समय तक अथवा आजीवन इस्तेमाल है.


किडनी की बीमारी के विभिन्न कारण-

डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्मोकिंग और मोटापा जैसे आदतों के कारण क्रोनिक किडनी डिजीज हो सकती है. किडनी रोग और किडनी विफलता पूरी दुनिया में एक बड़ी समस्या का कारण बन गयी है. हमारे देश में प्रत्येक 10 में से 1 व्यक्ति किसी न किसी तरह में क्रोनिक किडनी डिजीज होने के खतरे में रहता है. यह महिलाओं के मुक़ाबले पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती है. यदि यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है तो इसका इलाज पूरी तरह से संभव नहीं होता है. इस बीमारी का लास्ट स्टेज में उपचार केवल डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट से ही संभव हो पाता है. डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट बहुत ही महंगा उपचार है, इसके लिए भारत में कानूनी जटिलताएं भी बहुत हैं. इसलिए, इस बिमारी का उपचार केवल 5 से 10 फीसदी मरीज ही करा पाते हैं. इस बीमारी का समय से पहले पता लगाने पर इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है. पुरुषों व महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज में ज्यादा फर्क नहीं होता है.

किडनी फेलियर के लक्षण-

  • यदि आपको लगातार उल्टी हो रही हो तो आपकी किडनी खराब हो सकती है.
  • भूख न लगाना किडनी के खराब होने का संकेत है.
  • थकावट और कमजोरी महसूस होना भी किडनी के कमजोर होने का संकेत देती है.
  • यदि आपको नींद न आने की परेशानी लगातार हो रही हो तो यह एक लक्षण है किडनी खराब होने का.
  • पेशाब की मात्रा कम हो जाना भी किडनी खराब होने का संकेत देती है.
  • दिमाग ठीक से काम नहीं करना या कुछ समझने में मुश्किल का सामना करना भी किडनी की कमज़ोरी का संकेत है.
  • मांसपेशयों मे खिंचाव और आक्षेप आना किडनी खराब होने का एक संकेत है.
  • पैरों और टखने मे सूजन आना भी किडनी कमज़ोर होने का लक्षण है.
  • लगातार खुजली होने की समस्या को आप किडनी के कमजोर होने का लक्षण समझिए.
  • हार्ट मे पानी जमा होने पर छाती मे दर्द होना आपकी किडनी खराब होने का एक बड़ा सिम्पटम्स है.
  • हाई ब्ल प्रेशर जिसे कट्रोल करना कठिन हो तो समझ लीजिये आपकी किडनी कमज़ोर हो सकती है.
  • डायबिटीज व हाई ब्लडप्रेशर क्रोनिक किडनी रोग को सबसे प्रमुख कारण माना गया है. क्रोनिक हाईपरटेंशन से ग्रसित लोगों को किडनी रोग होने का खतरा तीन से चार गुना बढ़ जाता है. स्मोकिंग, मोटापा और 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोग और पेन रिलीवर पर अत्यधिक निर्भरता भी क्रोनिक किडनी रोग के कारण हो सकता है. यदि आप उपरोक्‍त किसी भी लक्षण का अनुभव करते है तो नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से सलाह लें और सुनिश्चित करें कि ये समस्याएं किडनी की बीमारियों के कारण तो नहीं हो रही हैं. जिन व्‍यक्तियों को किडनी डिजीज का जोखिम अधिक होता है, उन्हें समय-समय पर पर जांच करानी चाहिए.
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