आँख के रोग - Aankh Ke Rog!
आँखों से ही हम इस दुनिया के दृश्य रूप का अनुभव कर पाते हैं या फिर इसके अद्भुत सौंदर्य को निहार पाते हैं. इसीलिए आँखों को इवान ज्योति भी कहा जाता है. आँख के रोग होना आम तौर पर होने वाली परेशानियों में से एक है. इस समस्या के लिए कोई ख़ास उम्र नहीं होती है. ये किसी को भी कभी भी हो सकती है. ये रोग आपको जीवाणु, विषाणु, कवक या अन्य किसी प्रकार से भी हो सकता है. ये रोग आँखों के विभिन्न भागों में हो सकता है. हो सकता है कि ये एक साथ दोनों आँखों को प्रभावित कर दे. एक रोग होने के कारण ये एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति को हो सकता है. इस दौरान आपको लालिमा, खुजली, सूजन, दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम आँखों के विभिन्न रोगों के बारे में जानें ताकि इस विषय में लोगों को जागरूक किया जा सके.
आँख के रोग के प्रकार
हमारे आँखों में होने वला ये रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है. एक है कंजंक्टिवाइटिस जिसे हम आम तौर पर पिंक आई के रूप में भी जाना जाता है. इस रोग का असर बच्चों पर बहुत ज्यादा पड़ता है. दुसरे का नाम है स्टाई, इसके होने का कारण है जीवाणुओं का हमारी त्वचा से पलकों के हेयर फॉलिकल पर आ जाना. इसकी वजह से ये प्रभावित होता है.
आँखों को के रोग के लक्षण
इसके लक्षणों में लालिमा, खुजली, सूजन, दर्द जैसी समस्याएं शामिल हैं. उपचार रोग के कारणों पर निर्भर करता है और इसमें आई ड्रॉप्स, क्रीम, या एंटीबायोटिक्स शामिल हो सकते हैं. नेत्र रोग आम तौर पर आत्म-सीमित होते हैं, और यह न्यूनतम इलाज या बिना इलाज के ठीक हो जाता है. कभी-कभी समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि यह अपने आप ठीक नहीं होता और दवाइयों और इलाज की आवश्यकता पड़ती है.
आँखों में होने वाले रोग का उपचार
अक्सर डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर और आपकी आँख की जाँच करके कंजंक्टिवाइटिस का निदान कर लेते हैं. हालांकि, कभी-कभी संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस और अन्य प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस के निदान में भ्रम हो सकता है. संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस में डॉक्टर इसके लक्षणों और उपस्थिति से इसका निदान करते हैं. इसमें आंख को आमतौर पर एक स्लिट लैंप से देखा जाता है. संक्रमित रिसाव के नमूने को एकत्रित करके जाँच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है ताकि रोग करने वाले जीव का पता लगाया जा सके.
लक्षण गंभीर पाए जाने पर
जब लक्षण गंभीर या बारम्बार होते हैं. जब रोग की वजह क्लैमाइडिया ट्रैस्कोमैटिस या नेइसेरिया गानोरिआ को माना जाता है. जब व्यक्ति को प्रतिरक्षा प्रणाली का एक नुकसान होता है. जब व्यक्ति को कोई आंख की समस्या होती है जैसे कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट या ग्रेव्स रोग के कारण आंख में फुलाव. स्वैब टेस्ट इस टेस्ट में स्वैब (जो कि रुई के फोहे जैसा दिखता है) के द्वारा आपकी संक्रमित आँख से चिपचिपे पदार्थ जिसे म्यूकस कहते हैं के एक छोटे से नमूने को इकट्ठा करके परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है ताकि कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार की पुष्टि हो सके.
कंजंक्टिवाइटिस
इसका उपचार इसके होने की वजह पर निर्भर करता है. यदि आपको यह एक रासायनिक पदार्थ की वजह से हुआ है तो शायद कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाएं लेकिन यदि यह एक जीवाणु, वायरस, या एलर्जी से हुआ है, तो कुछ उपचार विकल्प हैं - बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस बैक्टीरियल रोग के लिए, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है. एंटीबायोटिक दवा से लक्षण कुछ ही दिनों में चले जाते हैं. वायरल कंजंक्टिवाइटिस वायरल रोग के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. यह रोग सात से दस दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है. तब तक, सिकाई करने से आपके लक्षणों में कमी आ सकती है.
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
एलर्जी के कारण हुए कंजंक्टिवाइटिस के इलाज के लिए आपके डॉक्टर शायद सूजन को रोकने के लिए आपको एंटीहिस्टामाइन देंगे. लोराटाडिन और डिफेनहाइडरामाइन एंटीहिस्टामाइन होते हैं जो केमिस्ट के पास आसानी से उपलब्ध हैं. वे एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस सहित एलर्जी के लक्षणों को ठीक करने में मदद करते हैं. डॉक्टर आपको एंटीहिस्टामाइन आईड्रॉप्स या एंटी-इंफ्लेमटरी आईड्रॉप्स भी दे सकते हैं.