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सिरोसिस इन हिंदी - Cirrhosis In Hindi!

Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
Ayurveda, Lakhimpur Kheri
सिरोसिस इन हिंदी - Cirrhosis In Hindi!
सिरोरिस एक ऐसी बीमारी है जिसका संबंध लीवर से है. हालांकि आमतौर पर लिवर से संबंधित तीन समस्याएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं - फैटी लिवर, हेपेटाइटिस और सिरोसिस. फैटी लिवर की समस्या में वसा की बूंदें लिवर में जमा होकर उसकी कार्यप्रणाली में बाधा पहुंचाती हैं. यह समस्या घी-तेल, एल्कोहॉल और रेड मीट के अधिक सेवन से हो सकती है. हेपेटाइटिस होने पर लिवर में सूजन आ जाती है. यह समस्या खानपान में संक्रमण, असुरक्षित यौन संबंध या ब्लड ट्रांस्फ्यूजन की वजह से होती है. सिरोसिस में लिवर से संबंधित कई समस्याओं के लक्षण एक साथ देखने को मिलते हैं. इसमें लिवर के टिशूज क्षतिग्रस्त होने लगते हैं. आमतौर पर ज्यादा एल्कोहॉल के सेवन, खानपान में वसा युक्त चीजों, नॉनवेज का अत्यधिक मात्रा में सेवन और दवाओं के साइड इफेक्ट की वजह से भी यह समस्या हो जाती है. इसके अलावा लिवर सिरोसिस का एक और प्रकार होता है, जिसे नैश सिरोसिस यानी नॉन एल्कोहोलिक सिएटो हेपेटाइटिस कहा जाता है, जो एल्कोहॉल का सेवन नहीं करने वालों को भी हो जाता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम सिरोसिस के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालें.

सिरोसिस की तीन अवस्थाएं
फर्स्ट स्टेज: - सिरोसिस की पहली स्टेज में अनावश्यक थकान, वजन घटना और पाचन संबंधी समस्या आमतौर पर देखने को मिलती हैं.

सेकंड स्टेज: - इस बीमारी की दूसरी स्टेज में चक्कर और उल्टियां आना, भोजन में अरुचि और बुखार जैसे लक्षण आमतौर पर देखने को मिलते हैं.

थर्ड स्टेज: - लास्ट और अंतिम स्टेज में उल्टियों के साथ ब्लड आना, बेहोशी और मामूली सी इंजरी होने पर ब्लीडिंग का न रुकना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. इसमें दवाओं का कोई असर नहीं होता और ट्रांस्प्लांट ही इसका एकमात्र उपचार है.

जब सिरोसिस के लक्षणों का पता लग जाए तो क्या करें?
किसी भी रोग का पता उसके लक्षणों के आधार पर लग ही जाता है. तो जैसे ही आपको इसके लक्षणों का पता चले आपको लिवर सिरोसिस है तो आपको तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. इसके बाद डॉक्टर आपका जांच करने के बाद आपके उपचार की प्रक्रिया शुरू कर देगा. जिससे आपको किसी भी बुरी स्थित से निपटने में मदद मिलेगा.

लीवर सिरोसिस के लिए शराब पीना जरूरी नहीं-
लीवर सिरोसिस के लक्षणों या इसकी गंभीरता से ऐसा लगता है कि ये ज्यादा शराब पीने वाले लोगों को ही हो सकता है. लेकिन यहाँ आपको बता दें कि ये बीमारी बिना शराब पीने वाले को भी हो सकती है. कुछ विशेष परिस्थितियों में शराब नहीं पीने वाले लोगों को भी लिवर सिरोसिस की समस्या हो जाती है. लिवर सिरोसिस ऐसी अवस्था में है कि उनके इलाज में जरा भी देर नहीं होनी चाहिए.

आवश्यक है खाने पर नियंत्रण-
यदि आप सिरोसिस के जोखिम को कम करना चाहते हैं तो आपको खाने पर नियंत्रण रखना होगा. इसके लिए आपको अधिक से अधिक प्रोटीन युक्त डाइट से बचना होगा. इसके साथ ही आपको चिकेन सूप, अंडा, पनीर, सोया मिल्क और टोफू जैसी चीजों का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए. इससे बचाने के लिए आपको ताउम्र इन्फेक्शन से बचकर और सादा-संतुलित खानपान अपनाना चाहिए.

लीवर प्रत्यर्पण से संभव है इसका समाधान-
परिवार वाले उनकी अंतिम इच्छा का खयाल रखते हुए उनका देह दान करना चाह रहे हैं. इसलिए संभावना है कि उनका लिवर आपके पति के शरीर में ट्रांस्प्लांट कर दिया जाए. तब मैंने डॉक्टर से पूछा कि इस बात की क्या गारंटी है कि उस लिवर में किसी तरह का इन्फेक्शन न हो? तब डॉक्टरों ने मुझे आश्वस्त किया कि ऐसी कोई बात नहीं है. अंतत: मेरे पति का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो गया.

कैसे होता है लिवर ट्रांस्प्लांट-
इसकी सामान्य प्रक्रिया यह है कि जिस व्यक्ति को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है उसके परिवार के किसी सदस्य (माता/पिता, पति/पत्नी के अलावा सगे भाई/बहन) द्वारा लिवर डोनेट किया जा सकता है. इसके लिए मरीज के परिजनों को स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाली ट्रांस्प्लांट ऑथराइजेशन कमेटी से अनुमति लेनी पडती है. यह संस्था डोनर के स्वास्थ्य, उसकी पारिवारिक और सामाजिक स्थितियों की पूरी छानबीन और उससे जुडे करीबी लोगों से सहमति लेने के बाद ही उसे ऑर्गन डोनर की अनुमति देती है. लिवर के संबंध में सबसे अच्छी बात यह है कि अगर इसे किसी जीवित व्यक्ति के शरीर से काटकर निकाल भी दिया जाए तो समय के साथ यह विकसित होकर अपने सामान्य साइज़ में वापस लौट आता है. इससे डोनर के स्वास्थ्य पर भी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. इसके अलावा अगर किसी मृत व्यक्ति के परिवार वाले उसके बॉडी डोनेट की इजाजत दें तो उसके मरने के छह घंटे के भीतर उसके बॉडी से लिवर निकाल कर उसका सफल ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. इसमें मरीज के लिवर के खराब हो चुके हिस्से को सर्जरी द्वारा हटाकर वहां डोनर के बॉडी से स्वस्थ लिवर निकालकर स्टिचिंग के जरिये ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके लिए बेहद बारीक किस्म के धागे का इस्तेमाल होता है, जिसे प्रोलिन कहा जाता है. लंबे समय के बाद ये धागे बॉडी के अन्दर डिजाॅल्व कर नष्ट हो जाते हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है. ट्रांस्प्लांट के बाद मरीज का शरीर नए लिवर को स्वीकार नहीं पाता है, इसलिए उसे टैक्रोलिनस ग्रुप की मेडिसिन दी जाती हैं, ताकि मरीज के शरीर के साथ प्रत्यारोपित लिवर अच्छी तरह एडजस्ट कर जाए. सर्जरी के बाद मरीज को साल में एक बार लिवर फंक्शन टेस्ट जरूर करवाना चाहिए.
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May I know the cost of ascites treatment. Sir please help me because I have to arrange money. Doctor have suggested me for immediate operation.

MBBS
General Physician, Mumbai
You can get your treatment done in a government hospital because we can remove excess water from the abdomen but again after a week there is a high chance for recurrence.
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What Is the best treatment for ascites. When a person is having stomach cancer too along with it?

Bachelor of Unani Medicine and Surgery (B.U.M.S)
Ayurveda, Kanpur
What Is the best treatment for ascites. When a person is having stomach cancer too along with it?
heerak bhasm 5 mg twice a day mukta shukti bhasm 250 mg twice a day jalodaradi avleh 2-3 gm twice a day sootshekhar ras 125 mg twice a day
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