फालिज का इलाज - Phaliz Ka Ilaz!
फ़ालिज यानि कि लकवे की बीमारी आजकल काफी सुनने को मिलती है. किसी की पूरी बॉडी फ़ालिज का शिकार हो जाती है तो किसी की आधी बॉडी इस बीमारी के चपेट में आ जाती है. कुछ लोगों के शरीर के किसी विशेष अंग को भी फ़ालिज हो जाता है. लकवे के रोग का कारण तो साफ है, लेकिन इसके कई प्रकार भी होते हैं. इस रोग में रोग में रोगी के शरीर के नीचे का भाग अर्थात कमर से नीचे का भाग काम करना बंद कर देता है. इस रोग के कारण रोगी के पैर तथा पैरों की अंगुलियां अपना कार्य करना बंद कर देती हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम फ़ालिज के विभिन्न इलाजों के बारे में जानें.
प्राकृतिक तरीका-
लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि प्राकृतिक रूप से फ़ालिज जैसी बीमारी का इलाज संभव है. प्राकृतिक चिकित्सा से हर प्रकार के फ़ालिज रोग का उपचार पाया जा सकता है. केवल जरूरत है तो एक-एक करके इस रोग के कारण और उपचार को समझने की.
नींबू पानी-
फ़ालिज रोग को दूर करने का एक और इलाज मौजूद है, जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है. इसके अनुसार पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले. क्योंकि पसीना इस रोग को काटने में सहायक होता है.
भापस्नान-
एक अन्य उपाय के अनुसार फ़ालिज रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए. स्नान के बाद उसे गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को, यानि कि जिस भाग को फ़ालिज हुआ है केवल उसी भाग को ढकना चाहिए. यह करने के बाद अंत में कुछ देर के बाद उसे धूप में बैठना चाहिए. उसके रोगग्रस्त भाग पर धूप पड़ना बेहद जरूरी है.
गर्म चीजों का सेवन-
फ़ालिज रोग से पीड़ित रोगी यदि बहुत अधिक कमजोर हो तो रोगी को गर्म चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए. इससे उसे रोग से लड़ने की शक्ति मिलेगी. लेकिन फ़ालिज के जिन रोगियों को उच्च रक्तचाप की समस्या है, वे गर्म चीजों से पूरी तरह से परहेज करें.
रीढ़ की हड्डी को सही रखें-
फ़ालिज रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपनी रीढ़ की हड्डी को दुरुस्त बनाए रखने की भी कोशिश करनी चाहिए. क्योंकि मस्तिष्क की इंद्रियां यहीं से हो गुजरती हैं. यहां रोजाना गर्म या ठंडे पानी से सिकाई करनी चाहिए. जरूरी नहीं है कि गर्म पानी से ही सिकाई हो, यदि रोगी को ठंड़ा पानी सही लगे तो वह उससे भी सिकाई कर सकता है.
गीली मिट्टी का लेप-
फ़ालिज रोग को काटने के लिए फ़ालिज रोग से पीड़ित रोगी के पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए. यदि रोजाना ना हो सके, तो एक दिन छोड़ कर यह उपाय जरूर करना चाहिए. इसके उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए. यदि यह इलाज प्रतिदिन किया जाए, तो कुछ ही दिनों में फ़ालिज रोग ठीक हो जाता है.
पिएं पर्याप्त पानी-
इसके बाद अगला उपाय थोड़ा अनूठा है, लेकिन अगर सही तरीके से किया जाए तो सफल जरूर होगा. फ़ालिज रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त पीले रंग की बोतल का ठंडा पानी दिन में कम से कम आधा कप 4-5 बार पीना चाहिए तथा लकवे से प्रभावित अंग पर कुछ देर के लिए लाल रंग का प्रकाश डालना चाहिए और उस पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए. इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का फ़ालिज रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है.
खानापान का ध्यान रखें-
इन उपायों के बाद अगले कुछ उपाय रोगी के खानपान से जुड़े हैं. यदि आगे बताए जा रहे खाद्य पदार्थों को रोगी की रोजाना डायट में जोड़ा जाए, तो उपरोक्त सभी उपाय अपना असर शीघ्र दिखाएंगे.
फलों के जूस-
सबसे पहले रोगी को जितना हो सके फलों का रस पिलाएं. कम से कम 10 दिनों तक फलों का रस, नींबू का रस, नारियल पानी, सब्जियों के रस या आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए. इसका अलावा एक और खास प्रकार का रस है जिसमें अंगूर, नाशपाती तथा सेब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर रोगी को पिलाना है.
पका हुआ ना खाएं-
इसके अलावा रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए यह भी जानना जरूरी है. रोगी को बाहर का तला-भुना खाना नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा जब तक उसका उपचार चल रहा है और इलाज में कोई उन्नति ना दिखी हो, तब तक उसे पका हुआ भोजन बिलकुल ना दें.
तनाव बिलकुल ना लें-
लकवे रोग के कारण मस्तिष्क का चाहे कोई भी भाग नष्ट हुआ हो, भले ही पूर्ण मस्तिष्क नष्ट ना हुआ हो, लेकिन रोग के बढ़ने की संभावना बनी रहती है. इसलिए उपचार के दौरान रोगी के दिमाग को किसी प्रकार की कोई चोट ना पहुंचे, इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए.
नहीं तो उपाय काम नहीं करेंगे-
रोगी को किसी प्रकार का कोई मानसिक तनाव ना होने पाए, यह भी ध्यान रखें. यदि वह मानसिक रूप से स्वस्थ होगा, तो जल्द ही उसके ठीक होने की संभावना बनेगी. नहीं तो उपरोक्त बताए सही उपाय एक के बाद एक असफल होते चले जाएंगे.