पित्त की पथरी- इलाज़ संबन्धित भ्रांतियाँ और निराकरण
पित्त की पथरी- इलाज़ संबन्धित भ्रांतियाँ और निराकरण
प्रश्न: पित्त की थैली की उपयोगिता एवं इसमे पथरी क्यों बनती है ?
जवाब: पित्त की थैली लिवर से जुड़ी हुई पेट में छाती के नीचे दायीं तरफ होती है। इसका कार्य लिवर मे बनने वाले पित्त की अतिरिक्त मात्रा का संग्रहण करना मात्र होता है। पित्त वह तरल पदार्थ है जो वसा का पाचन करने मे काम आता है। लिवर मे पित्त का उत्पादन आवश्यकता अनुसार होता रहता है अतः यदि पित्त की थैली ना हो तो पाचन प्रक्रिया पर कोई दुशप्रभाव नहीं पड़ता । पित्त की थैली में संग्रहित पित्त के कॉलेस्टेरोल अधिक होने या थैली मे संकुचन क्रिया नहीं होने एवं कई रसायनिक क्रियायों के कारण क्रिस्टल बन जाते हैं जो सम्मिलित होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। अन्य कई कारण जैसे थाइरोइड, शुगर एवं रक्तजनित रोगों, गर्भ निरोधक गोली, चिंता, एंटएसिड दवाइयाँ, डिब्बा बंद खाना खाने, उत्तरी भारत के लोगों में खान-पान के कारण से भी पथरी बनती है। पथरी जब रुकावट करती है या संक्रमण हो जाए तो दर्द शुरू हो जाता है।
प्रश्न: पित्त की पथरी मे मरीज को क्या क्या तकलीफ़ें होती है ?
जवाब: यदि पथरी केवल पित्त की थैली में हो तो पेट के ऊपरी हिस्से या दाहिनी तरफ छाती के नीचे दर्द शुरू होता है कई बार पीठ की तरफ जाता है इसके अलावा अपच, जी मिचलाना, हरी पीली उल्टी और गैस्ट्रिक दिक्कते हो सकती है। आमतौर पर तकलीफ गरिष्ठ भोजन लेने के बाद ही होती है। ज़्यादातर मरीजों में हल्का दर्द लंबे समय तक रहता है कभी कभार तेज दर्द भी उठ सकता है। यदि पथरी पित्त की थैली से निकल कर पित्त ले जाने वाली नलिका (सी.बी.डी) मे आकर फस जाती है तो पीलिया हो जाता है और यदि पाचन ग्रंथि पैनक्रियाज़ की नली तक पहुँच जाए तो पैनक्रियेटाइटिस हो जाता है जोकि घातक दर्दनाक और जानलेवा होता है। यदि पथरी छोटी आंत मे पहुँच जाए तो रुकावट पैदा कर सकती है। पित्त की पथरी लंबे समय तक रहने पर कैंसर मे बदल सकती है और जिससे उपचार मे दिक्कत आती है।
प्रश्न: पित्त की पथरी का इलाज क्या है?
जवाब: किसी भी प्रकार का पेट दर्द होने पर नजदीकी सर्जन डॉक्टर को दिखावे एवं उनकी सलाह पर ही पेट की सोनोग्राफी एवं अन्य रूटीन जाँचें जैसे सीबीसी, शुगर, आर एफ टी, एल एफ टी, पीटी, आई एन आर, ए पी टी टी और जरूरत पड़ने पर पेट का सी टी स्कैन और एम आर सी पी भी करवाते हैं। यदि पथरी केवल पित्त की थैली मे हो और तकलीफ कर रही हो तो, पित्त की थैली को पथरी समेत ही ऑपरेशन द्वारा निकाल दिया जाता है। यदि पथरी पित्त की नली (सीबीडी) मे हो तो ई.आर.सी.पी. (एंडोस्कोपी) द्वारा निकाली जाती है असफल रहने पर ऑपरेशन द्वारा ही निकालनी पड़ती है। पीलिया होने पर ई.आर.सी.पी. (एंडोस्कोपी) द्वारा स्टेंट (प्लास्टिक की नलिका) लगाकर ठीक करते हैं।
कौनसा ऑपरेशन और कब करना है का निर्णय विशेषज्ञ सर्जन द्वारा मरीज का पूरा चेकअप करने के बाद ही लिया जाता है। पित्त की पथरी के दो प्रकार के ऑपरेशन होते हैं ओपन (हाथ द्वारा) एवं लैपरोस्कोपिक (दूरबीन द्वारा)। ओपन विधि मे पेट के ऊपरी हिस्से में दायीं तरफ छाती के नीचे करीब 5 से 8 इंच का चिरा लगा कर पित्त की थैली निकाली जाती है और दूरबीन विधि में पेट पर 10 मिलिमीटर और 5 मिलीमीटर के चार या तीन छेद या सम्पूर्ण ऑपरेशन एक ही छेद (सर्जन की विशेषज्ञता अनुसार) करके मॉनिटर मे देखते हुये लंबे पेंसिल आकार के औजारों से पित्त की थैली को पथरी समेत बाहर निकाला जाता है। अतः दोनों ही प्रकार के ऑपरेशन में पित्त की थैली पथरी समेत ही बाहर निकाली जाती है। समान्यतया लोगों में भ्रम होता है कि दूरबीन वाले ऑपरेशन में पथरी पीछे रह जाती है ऐसा कुछ नही है, इसमे कम चीर फाड़ द्वारा पित्त कि थैली निकाली जाती है। मोटे भारी शरीर वाले लोगों के लिए दूरबीन का ऑपरेशन ठीक रहता है। दूरबीन वाले ऑपरेशन इस विधी में पारंगत/विशेषज्ञ शल्य चिकित्सक से ही करवाएँ।
प्रश्न: ऑपरेशन के बाद सामान्य होने में कितना समय लगता है?
जवाब: दूरबीन द्वारा ऑपरेशन में जल्दी स्वास्थ्य लाभ होता है और 8 घंटे आराम के बाद खाना पीना घूमना फिरना चालू करवा देते हैं और 24 घंटे बाद अस्पताल से छुट्टी भी दे देते हैं, एक हफ्ता आराम करके किसी भी प्रकार का काम कर सकते हैं। हाथ वाले ऑपरेशन मे 24 घंटे बाद खाना पीना चालू करते हैं और 48 घंटे बाद छुट्टी करते हैं लंबे समय तक आराम के बाद काम पर जा सकते है और 3 महीने तक भारी वजन नहीं उठा सकते वरना अंदर के टांके टूटने से हर्निया बनने कि संभावना रहती है।
प्रश्न: पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद खान पान में ध्यान रखने कि बातें?
जवाब: सामान्य मरीजों मे ऑपरेशन के एक हफ्ते तक ज्यादा से ज्यादा तरल/नरम पदार्थ लेने चाहिए जैसे पानी, शूप, शोरबा, गाय का दूध (फेट फ्री/ मलाई उतार कर), दही, छाछ एवं हल्का भोजन, ताजे फल (डॉक्टर की सलाह से) दलीया, खिचड़ी इत्यादि। उल्टी, दस्त एवं अधिक गैस ना बने इसलिए खट्टी चीजें, डेयरी उत्पाद जैसे चीज, क्रीम, बटर दूध, घी, ब्रैड, अंडे का पीला भाग एवं आइस क्रीम, प्याज, लहसुन, तेल, तली हुई चीजें, ड्राइ फ्रूट्स, चना दाल, गोभी, साबुत अनाज नहीं खाएं। एक हफ्ते बाद टांके सही होने पर सर्जन की सलाह पर खुलवाएं। जब तक इन बातों का ध्यान रखें जैसे तेज पेट दर्द, तेज़ या लगातार बुखार, उल्टी, जी मिचलाना, पीलिया, तीन दिन के बाद भी पेट में आंतों की हलचल न होना, गैस पास न होना या तीन दिन से अधिक दस्त लगना, हो तो तुरंत सर्जन से संपर्क करें।
ऑपरेशन के एक हफ्ते बाद (सर्जन की सलाह पर) समान्य फाइबर युक्त भोजन, बिना घी, कम तेल, फैट के हरी सब्जियाँ, सलाद (मूली, हरी गोभी/ब्रोकोली, बंदगोभी के ताजे पत्ते, चुकंदर, केल गोभी), ताजे फल, साबुत अनाज (साबुत गेहूँ की ब्रैड, भूरे रंग का चावल, ओट्स/जई, चोकर युक्त अनाज) रोटी इत्यादि से धीरे धीरे पूर्ण रूप से चबा कर खाना शुरू करें। इनका परहेज करें :- तले हुये खाद्य पदार्थ, ज्यादा तला हुआ मीट, मीट ग्रेवी, चीज, आइसक्रीम, क्रीम, मलाई वाला दूध, पिज्जा, चॉकलेट, नट्स (बादाम, काजू, अखरोट, मूँगफली दाने) खाद्य तेल जैसे पाम एवं नारियल।
ऑपरेशन के एक महीने बाद यदि किसी भी प्रकार की समस्या ना हो तो सामान्य व्यक्ति की तरह भोजन ले सकते हैं । मीट की स्थान पर मछ्ली खा सकते हैं और खाद्य तेल में जैतून (ऑलिव) का तेल काम में ले सकते हैं। फिर भी तीन महीने तक ज्यादा फैट, घी, तेल, शादी समारोह का खाना इत्यादि का परहेज करें।
शुगर, बीपी या किसी बीमारी विशेष से पीड़ित को ऑपरेशन के बाद सर्जन एवं फिजीशियन डॉक्टर की सलाहनुसार ही दवाइयाँ और खान पान करना चाहिए।
शराब, नशीले पदार्थ, धूम्रपान, गुटखा, तंबाकू एवं तेज चाय/कॉफी का परहेज 6 महीने तक सख्ती से करें।
ऑपरेशन के दो दिन के बाद पट्टी उतारकर साफ पानी और साबुन से सन्नान कर सकते फिर भी सर्जन की सलाह माने।