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Last Updated: Feb 07, 2022
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लिवर के लिए योग - Liver Ke Liye Yog!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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आपको जानकार हैरानी होगी कि लीवर हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है. इसके साथ ही लीवर, हमारे शरीर में एक ऐसे रासायनिक प्रयोगशाला की तरह है, जिसका कार्य पित्त तैयार करना है. यह वसा को पचाने के साथ ही आंतों में उपस्थित हानिकारक कीटाणुओं को भी नष्ट करता है. लेकिन कई आज बदली हुई जीवनशैली के कुछ बुरी आदतों के कारण हमारा लिवर खराब भी हो सकता है. लीवर खराब होने के कारणों में शराब ज्यादा पीना, धूम्रपान करना इत्यादि शामिल हैं. इसके अतिरिक्त आवश्यकता से अधिक नमक और खट्टा खाने से भी आपको लिवर की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं. जाहीर है लीवर की समस्याओं से निजात पाने के कई तरीके हैं. यदि किसी कारण से लीवर में दोष उत्पन्न हो जाता है तो शरीर की पूरी प्रणाली अस्त-व्यस्त हो जाती है. योग के नियमित अभ्यास से लीवर को सशक्त रखा जा सकता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम लीवर को ठीक करने के लिए योग के महत्व पर एक नजर डालें.
आसन-
लीवर के दोषों को दूर करने के लिए सूक्ष्म व्यायाम का नियमित अभ्यास बहुत लाभकारी होता है. इसके अतिरिक्त पवनमुक्तासन, वज्रासन, मर्करासन आदि का अभ्यास करना चाहिए. रोग की प्रारम्भिक स्थिति में कठिन आसनों को छोड़कर बाकी सभी आसन किये जा सकते हैं.

1. पवनमुक्त आसनछ:- पीठ के बल जमीन पर लेट जाइए. दांयें पैर को घुटने से मोड़कर इसके घुटने को हाथों से पकड़कर घुटने को सीने के पास लाइए. इसके बाद सिर को जमीन से ऊपर उठाइए. उस स्थिति में आरामदायक समय तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आइए. इसके बाद यही क्रिया बांयें पैर और फिर दोनों पैरों से एक साथ कीजिए. यह पवनमुक्तासन का एक चक्र है. प्रारम्भ एक या दो चक्रों से करें, धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ाकर दस से पन्द्रह तक कीजिए.

2. धनुरासन:- जिन्हें फैटी लिवर की समस्या है उनके लिए ये आसन बहुत उपयोगी है. इस आसन में आपको उल्टा लेटकर अपने पैरों को पकड़ना होता है. आप जितनी देर तक आराम से इस आसन को कर सकते हैं तब तक करते रहिए. जितना हो सके इस आसन को दोहराएं.

3. गोमुख आसन:- ये आसन आपके लिवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है. ये आसन लिवर सिरोसिस के लिए बेहतर माना जाता है. लिवर सिरोसिस में संक्रमित व्यक्ति का लिवर अपने आप सिकुड़ता रहता है और कठोर हो जाता है. इसे करने के लिए पालथी मारकर बैठें. फिर बाएं पैर को मोड़कर बाएं तलवे को दाएं हिप्स के पीछे लाएं और दाएं पैर को मोड़कर दाएं तलवे को बाएं हिप्स के पीछे लाएं. फिर हथेलियों को पैरों पर रखें. इसके बाद हिप्स पर हल्का दवाब डालें और शरीर के ऊपरी भाग को सीधा रखें. अब बायीं कोहनी को मोड़कर हाथों को पीछे की ओर ले जाएं, सांस को खीचते हुए दाएं हाथ को ऊपर उठाएं. दायीं कोहनी को मोड़कर दाएं हाथ को पीछे ले जाएं फिर दोनों उंगलियों को आपस में जोड़ें. दोनों हाथों को हल्के-हल्के अपनी ओर खींचें.
4. नौकासन:- ये सबसे आसान आसन होता है. इसे करने का तरीका भी काफी आसान है. इसे करने के लिए शवासन की मुद्रा में लेटना होता है. फिर एड़ी और पंजे को मिलाएं और दोनों हाथों को कमर से सटा लें. अपनी हथेली और गर्दन को जमीन पर सीधा रखें. इसके बाद दोनों पैरों, गर्दन और हाथों को धीरे-धीरे उठाएं. आखिर में अपना वजन हिप्स डाल दें. करीब 30 सेकेंड तक ऐसे ही रहें. और धीरे-धीरे शवासन अवस्था में लेट जाएं.

5. अर्ध मत्सयेंद्रासन:- अगर आपका लिवर खराब हो गया है तो ये आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है. दोनों पैरों को फैलाकर बैठें. फिर बाएं पैर को मोड़कर बायीं एड़ी को दाहिनें हिप के नीचे रखें. अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाएं पैर का तलवा लाएं और घुटने की बायीं ओर जमीन पर रखें. इसके बाद बाएं हाथ को दाएं घुटने की दायीं ओर ले जाएं और कमर को घुमाते हुए दाएं पैर के तलवे को पकड़ लें और दाएं हाथ को कमर पर रखें. सिर से कमर तक के हिस्से को दायीं और मोड़ें. अब ऐसा दूसरी ओर से भी करें.

प्राणायाम
1. शीतली प्राणायाम:- लीवर बढ़ने की समस्या से ग्रस्त लोगों को शीतकारी या शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए. शीतली प्राणायाम के अभ्यास की विधि इस प्रकार है-
पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाइए. दोनों हाथों को घुटनों पर सहजता से रखें. आंखों को ढीली बन्द कर चेहरे को शान्त कर लें. अब जीभ को बाहर निकालकर दोनों किनारों से मोड़ लें. इसके बाद मुंह से गहरी तथा धीमी सांस बाहर निकालें. इसकी प्रारम्भ में 12 आवृतियों का अभ्यास करें. धीरे-धीरे संख्या बढ़ाकर 24 से 30 कर लीजिए.

2. कपालभाति प्राणायाम:- इसमें आपको सिद्धासन, पदमासन या वज्रासन में बैठना होता है. इसके बाद गहरी सांस लें और इसे नाक से निकालें. एक बार सांस लेने की क्रिया पांच से दस सेकेंड के बीच होनी चाहिए. इसमें सबसे ज्यादा ध्यान आपको सांस निकालने पर देना है. इस योग को रोजाना पंद्रह मिनट के लिए करें. इसे करने से लिवर की कार्यक्षमता सुधरती है.

नोट: कफ की समस्या से ग्रस्त लोग इसका अभ्यास न कर नाड़ी शोधन का अभ्यास करें. लीवर की समस्या से ग्रस्त लोगों को ध्यान का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए.

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