Home Remedies For Knot, Symptoms - गाँठ का घरेलू उपचार, लक्षण
कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है.
सामान्य तौर पर ऐसा देखा जाता है कि हमारे शरीर में कई बार गांठें पड़ जाती हैं. शरीर में पड़ने वाली इन गांठों को रसौली भी कहा जाता है. इन गाठों की शुरुआत बेहद सामान्य दिखने वाले छोटे-छोटे दानों जैसी संरचना से होती है लेकिन कालांतर में ये गांठे बड़ी होने लगती हैं. फिर हमारे शरीर में कई तरह की समस्याओं को जन्म देने लगती हैं. आप कह सकते हैं कि ये गांठें गंभीर बीमारियों के रूप में दिखाई पड़ने लगती हैं. इसलिए इन्हें अनदेखा करना गंभीर परिणाम कहा सकता है कई बार तो ये गांठें टीबी या कैंसर जैसी बीमारियों के संकेत के रूप में पहचानी जाती हैं. इसलिए यदि आपके शरीर में भी गांठें पड़ी हैं. तो इन बातों का तुरंत चिकित्सकीय जांच कराना अत्यंत आवश्यक है. यदि इन गांठों में आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव भी हो रहा है तो भी जांच के पश्चात इसके बारे में पता चल जाएगा. लेकिन इन गाठों का चिकित्सकीय जांच कराना ही उचित कदम माना जाएगा क्योंकि इससे सच्चाई का पता चल जाएगा. यदि यह कैंसर या किसी गंभीर बीमारी की शुरुआती संकेत होंगे तो आपका काम आसान हो सकता है. हलांकि कुछ गांठें बेहद सामान्य भी हो सकते हैं लेकिन फिर भी इन्हें अनदेखा करना महंगा पर साबित हो सकता है. आइए इस लेख के माध्यम से गांठों के घरेलू उपचार और इनके लक्षणों के बारे में विस्तार से जानें.
कंठमाला की गाँठें
गले में दूषित वात, कफ और मेद जब इसके पीछे की नसों में मौजूद रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों के साथ विशेष प्रकार की गाँठें उत्पन्न करता है तो उन्हें कंठमाला या गण्डमाला कहा जाता है. मेद और कफ से गर्दन, बगल, कन्धे, जाँघों एवं गले के जड़ में बनने वाली गाँठों की हारमाला, गंडमाला के नाम से जानी जाती है लेकिन जब यही गाँठ कंठ पर हो तो वो कंठमाला के नाम से जानी जाती है. कौंच के बीज को घिस कर प्रत्येक दिन दो-तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस नियमित रूप से पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है. इस बात का का अवश्य ध्यान रखें कि दौरान कफवर्धक पदार्थ न खायें.
अरंडी
गांठों के उपचार के लिए अरंडी के बीज और हरड़ को समान मात्रा में लेकर पीस लें. इसे नयी गाँठ पर बाँधने से वह बैठ जायेगी और अगर लम्बे समय की पुरानी गाँठ होगी तो पक जायेगी. इसलिए ये काफी लाभकारी है.
निर्गुण्डी
नुर्गुन्दी का इस्तेमाल किसी भी प्रकार की गाँठ को दूर भगाने के लिए किया जा सकता है. इसके लिए आपको 20 से 25 मिली काढ़ा लेकर उसमें 1 से 5 मिली लीटर तक अरंडी का तेल मिला लें. इन दोनों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद इस मिश्रण का सेवन करें. तो आपकी गांठ ठीक हो जायेगी.
कचनार की छाल और गोरखमुंडी
किसी भी तरह की गाँठ को ठीक करने के लिए 25 से 30 ग्राम तक कचनार की ताज़ी और सुखी छाल लें और इसे मोटा–मोटा कूट लें. अब एक गिलास पानी लें और इस पानी में कचनार की कुटी हुई छाल डालकर 2 मिनट तक उबाल लें. जब यह अच्छी तरह से उबल जाएँ. तो इसमें एक चम्मच पीसी हुई गोरखमुंडी डाल दें. अब इस पानी को एक मिनट तक उबालें.
इसके बाद आप इस पानी को छानने के बाद इसका दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं. इस पानी का सेवन करने के बाद आपको गलें, जांघ, हाथ, प्रोटेस्ट, काँख, गर्भाशय, टॉन्सिल, स्तन तथा थायराइड के कारण निकली हुई गाँठ से लगातार 20 – 25 दिनों तक सेवन करने से छुटकारा मिल जाएगा.
गेहूं का आटा
गांठों के उपचार के लिए आप गेहूं के आटे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए गेहूं का आटा लें और उसमें पानी डाल लें. अब इस आटे में पापड़खार मिला लें और इसका सेवन करें. आपको लाभ होगा. गेहूं के आटे के इस्तेमाल से भी आप गाँठ को दूर कर सकते हैं.
आकडे का दूध
आकडे के दूध के इस्तेमाल से भी आप गांठों का उपचार कर सकते हैं. इसके लिए आपको आकडे के दूध में मिटटी मिला लें. अब इस दूध का लेप जिस स्थान पर गाँठ हुई हैं. वहाँ पर लगायें आपको आराम मिलेगा.