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Last Updated: Apr 01, 2019
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डेंगू बुखार - Dengu Bukhar!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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डेंगू बुखार के कहर से अक्सर कई लोगों की जान तक चली जाती है. डेंगू बुखार, मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. इन मच्छरों की खासियत इनके शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं. इसके अलावा ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह में काटते हैं. डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं. एडीज इजिप्टी मच्छर ज्यादा ऊंचाई तक उड़ पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. डेंगू बुखार से ग्रसित रोगी के ब्लड में डेंगू वायरस अधिक मात्रा में पायी जाती है. यदि कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी पीड़ित रोगी को काटता है तो वह इस तरह रोगी का ब्लड अवशोषित करता है. इस प्रकार ब्लड के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है. अब वही मच्छर किसी और व्यक्ति को काटता है तो उससे वह वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है, जिसके कारण वह व्यक्ति डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है. डेंगू मछर के काटने के करीब 3-5 दिनों के बाद पीड़ित मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण अनुभव होने लगते हैं. शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है. इस लेख के माध्यम से हम आपको डेंगू बुखार के लक्षण, कारण और उपचार पर पूरी जानकारी दे रहे हैं ताकि इस विषय में लोगों को जागरूक किया जा सके..

डेंगू बुखार के लक्षण क्या-क्या हैं?
1. डेंगू बुखार होने के बाद पीड़ित रोगी को ठंड लगने का अनुभव होता है साथ ही तेज बुखार भी चढ़ता है.
2. इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को सिर, मांसपेशियों और जॉइंट में दर्द होता है.
3. पीड़ित व्यक्ति के आंखों के पिछले हिस्से में दर्द शुरू होता है, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है.
4. डेंगू से ग्रसित व्यक्ति को बहुत ज्यादा कमजोरी का अनुभव होता है, इसके अलावा भूख में कमी आती है, जी मचलता है और मुंह का स्वाद खराब होता है.
4. गले में मामूली दर्द का अनुभव हो सकता है.
5. शरीर विशेष रूप से चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के चकत्ते भी हो सकते है.
6. नाक और मसूढ़ों से ब्लीडिंग हो सकता है.
7. शौच करते हुए या उलटी से खून निकल सकता है.
8. त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े रैशेज़ हो जाता है.
9. बेचैनी का अनुभव होता है और तेज बुखार के बावजूद त्वचा ठंडी महसूस होती है.
10. मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है.
11. मरीज की पल्स रेट कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है. उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है.


प्लेटलेट्स और डेंगू का संबंध-
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं. प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं. अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं. प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए. अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती. डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं. ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें. प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं.

डेंगू बुखार का इलाज-

  • अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है.
  • डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं.
  • एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें. इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं.
  • अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें.
  • सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें. बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है.
  • मरीज को आराम करने दें.

एलोपैथी दवाइयों से दूर करें डेंगू बुखार-
इसकी दवाई लक्षण देखकर और प्लेटलेट्स का ब्लड टेस्ट कराने के बाद ही दी जाती है. लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए. उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं. साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए. आराम भी डेंगू की दवा ही है.

आयुर्वेद भी है डेंगू का उपचार-
आयुवेर्द में इसकी कोई पेटेंट दवा नहीं है. लेकिन डेंगू न हो, इसके लिए यह नुस्खा अपना सकते हैं. एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस (अगर इसकी डंडी मिलती है तो चार इंच की डंडी लें. उस बेल से लें, जो नीम के पेड़ पर चढ़ी हो), दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और 5 दिन तक लें. अगर चाहे तो इसमें थोड़ा-सा नमक और चीनी भी मिला सकते हैं. दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले लें.

डेंगू में बरतें ये सावधानियाँ-

  • ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं.
  • खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें.
  • इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं.
  • हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके.
  • पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं.
  • मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं.
  • खूब पानी पीएं. छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं.


कैसे करें डेंगू से बचाव-

  • बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें.
  • अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले.
  • नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें. इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है.
  • खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें. सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें. लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें. तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं.
  • आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं.
  • विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं. यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है.
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