Alzheimer's disease in hindi - जाने क्या होता है अलजाइमर रोग?
आप अपना चश्मा रखकर भूल सकते हैं, किसी का नाम भूल सकते हैं लेकिन अगर कहीं जाकर आप ये भूल जाएं कि आप यहां क्यों आए हैं, तो सचेत हो जाएं। खासकर अगर आपकी उम्र 50 से कम है तो ये खतरे की घंटी है। अल्जाइमर ज्यादातर 65 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली दिमाग से जुड़ी बीमारी है। ये एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें दिमाग की कोशिकाएं नष्ट होने से यादाश्त जाने लगती है। ये बीमारी शुरुआत में हल्के-फुल्के भूलने की आदत से शुरू होती है लेकिन धीरे-धीरे खतरनाक होती जाती है। अलजाइमर के मरीज के लिए शुरुआती दौर में तुरंत घटी घटनाओं को भी याद करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही पुरानी यादें भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती हैं। अलजाइमर की आखिरी स्टेज डिमेंशिया काफी खतरनाक होती है।
ये हैं शुरुआती लक्षण
अलजाइमर में यादाश्त कमजोर होने के साथ-साथ कुछ और भी लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे- पहले लोगों के नाम भूल जाना, अपने विचारों को व्यक्त करने में कठिनाई, निर्देशों का पालन करने में दिक्कत, किसी बात को समझने में भी परेशानी होती है। बार-बार एक ही बात पूंछना, अपना सामान बार-बार खो देना, बहुत परिचित रास्ते में भी खो जाना वगैरह जैसे कुछ लक्षण शुरुआत में दिखाई दे सकते हैं। दो तिहाई लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी देखी जा सकती हैं। जैसे बात-बात पर चिड़चिड़ाना, गुस्सा करना और तनाव वगैरह।
जैसे-जैसे रोगी अलजाइमर की मिडिल स्टेज पर पहुंचता है और आगे की स्टेज पर जाता है तो उसे कई तरह के भ्रम होने लगते हैं। रोगी कुछ ऐसी चीज दिखाई देने की बात कह सकता है जो उसके आसपास है ही नहीं, या उसे ऐसा लग सकता है कि उसे किसी ने छुआ है, कुछ सुनाई देना और किसी चीज की खुशबू आना वगैरह।
आखिर क्यों होता है अलजाइमर
अभी तक अल्जाइमर रोग की सही वजह पता नहीं हैं लेकि न कुछ रिसर्चेस के मुताबिक, अल्जाइमर रोग शायद आनुवंशिक असर, लाइफ स्टाइल और दिमाग को प्रभावित करने वाले आसपास के फैक्टर की वजह से होता है।
रिस्क फैक्टर
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उम्र के साथ हमारे मस्तिष्क की कुछ कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं या संदेश पहुंचने में गड़बड़ी होने लगती है। अगर आपके परिवार में किसी को ये बीमारी है तो आपको ये रोग होने की संभावन बढ़ जाती है। इसके अलावा डायबिटीज, हृदय रोग, मोटापा और सिर में चोट के इतिहास वाले लोगों में ये बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकिी इस बीमारी में उम्र सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है। ये बीमारी ज्यादातर 60 की उम्र पार कर चुके लोगों को होती है। कम उम्र में भी आप अलजाइमर के शिकार हो सकते हैं। 80 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते छह में से एक व्यक्तिा में ये बीमारी देखी जा सकती है।
जांच
अलजाइमर का पता शुरुआती दिनों में चल जाए तो बेहतर रहता है। अगर अलजाइमर का शक हो तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मिलें। वह मरीज से बातचीत करके अंदाजा लगा सकता है। इसके बाद मरीज को सीटी स्कैन, एमआरआई और पीईटी जैसे टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं।
बचाव
अलजाइमर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है। अगर आप रिस्क फैक्टर में आते हैं तो बचाव के लिए यहां दिए उपाय किए जा सकते हैं।
1. अपने वज़न का नियंत्रण, पौष्टिक भोजन लें, अच्छी मात्रा में ताज़े फल और सब्जी खाएं।
2. नियमित व्यायाम करें।
3. मानसिक रूप से सक्रिय रहें, कुछ नया सीखें और नए शौक विकसित करें।
4. उचित कदम लेकर हृदय रोग की संभावना कम करें।
5. मेल-जोल बढ़ाएं, दोस्त बनाएं और खुश रहें।
6. मैडीटेरेनियन आहार (मछली, जैतून का तेल, प्रचुर मात्र में सब्जियां) लेने से अलजाइमर के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है।
7. हल्दी में मिलने वाले करक्यूमिन को नैनोतकनीक से नैनो-पार्टिकल में एनकैप्सूलेट कर अल्जाइमर का प्रभावी इलाज में मददगार हो सकते हैं।
8. 40 की आयु पार कर जाने के बाद अपने भोजन में बादाम, टमाटर, मछली आदि को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए।
करें योग
योग एक ऐसा माध्यम है जिसे निरंतर करने से इस बीमारी का हल निकाला जा सकता है। एक्सपर्टों का कहना है कि इस बीमारी को शुरुआत में पता लगते ही व्यायाम करना शुरू कर देना चाहिए। इतना ही नहीं निरंतर योग करने से याद्दाश्त भी बढ़ती है। इसलिए अलजाइमर के पीड़ितों को रोजाना 20 से 25 मिनट योगा करना चाहिए।