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मेंस्ट्रुएशन या पीरियड्स क्या होते हैं ? जानिए पीरियड्स के बारे में सब कुछ | Menstruation ya Periods kya hote hain?Janiye periods ke bare sab kuch in Hindi

आखिरी अपडेट: Feb 02, 2023

पीरियड्स क्या होते हैं? | Periods kya hote hain?

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मासिक धर्म या पीरियड्स लड़कियों के गर्भाशय से होने वाला रक्त स्राव है जो उनकी योनि के माध्यम से बाहर आता है। यह एक संकेत है कि लड़की युवावस्था में प्रवेश कर चुकी है। ये शरीर में हार्मोनल परिवर्तन के कारण होता है। दरअसल हार्मोन रासायनिक संदेशवाहक हैं। अंडाशय या ओवरीज़ फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जारी करते हैं। ये हार्मोन गर्भाशय की परत के निर्माण का कारण बनते हैं। गर्भाशय की ये परत एक फर्टिलाइज़्ड अंडे से जुड़ने और विकसित होने के लिए तैयार होती है। यदि कोई फर्टिलाइज़्ड अंडा नहीं मिलता है, तो यह परत टूट जाती है और खून बहता है। यही प्रक्रिया हर महीने दोहराई जाती है ।

इस परत को बनने और फिर टूटने में आमतौर पर लगभग एक महीने का समय लगता है। इसलिए ज्यादातर लड़कियों और महिलाओं को महीने में लगभग एक बार पीरियड्स आते हैं।

एक सामान्य मेंस्ट्रुअल या पीरियड सायकिल क्या होती है? Ek samanya menstrual ya period cycle kya hoti hai?

  • मासिक धर्म चक्र गर्भावस्था की संभावना की तैयारी में एक महिला के शरीर में होने वाले परिवर्तनों की मासिक श्रृंखला है। ओव्यूलेशन की बात करे तो ये अंडाशय से हर महीने अंडे को रिलीज़ करने की प्रक्रिया है। वही हार्मोन जो गर्भाशय की परत को बनाने का कारण बनते हैं, वो ही अंडाशय में से अंडा रिलीज़ करने का कारण बनते हैं। ये अंडा फैलोपियन ट्यूब नामक एक पतली ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय तक जाता है।
  • यदि अंडे को एक शुक्राणु कोशिका द्वारा फर्टिलाइज़ किया जाता है, तो यह गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है, जहां समय के साथ यह एक बच्चे के रूप में विकसित होता है। यदि अंडा फर्टिलाइज़ नहीं होता है, तो गर्भाशय की परत टूट जाती है और रक्तस्राव होता है, जिससे मासिक धर्म होता है।
  • मासिक धर्म चक्र, जिसे मासिक धर्म के पहले दिन से अगले दिन के पहले दिन तक गिना जाता है, हर महिला के लिए समान नहीं होता है। माहवारी हर 21 से 35 दिनों में हो सकती है और दो से सात दिनों तक रह सकती है। मासिक धर्म शुरू होने के बाद पहले कुछ वर्षों तक, लंबे चक्र सामान्य होते हैं। हालाँकि बढ़ती उम्र के साथ मासिक धर्म चक्र छोटा हो जाता है और अधिक नियमित हो जाता है।
  • ध्यान रखें कि कुछ प्रकार के गर्भनिरोधक, जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स और इंट्रायूटरीन डिवाइस (आईयूडी) का उपयोग आपके मासिक धर्म चक्र को बदल देगा। जब आप मेनोपॉज़ के करीब पहुंचती हैं, तो आपका चक्र फिर से अनियमित हो सकता है।

सामान्य मेंस्ट्रुएशन में क्या लक्षण होते हैं? Samanya menstruation mein kya lakshan hote hain?

पीरियड्स के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • दर्द और ऐंठन
  • दर्द को मासिक धर्म के सबसे आम लक्षणों में से एक माना जाता है और यह अधिकतर लड़कियों को प्रभावित करता है।मासिक धर्म के समय होने वाला तेज़ दर्द या ऐंठन गर्भाशय के सिकुड़ने के कारण होता है। आप किसी रक्तस्राव के होने से पहले ही इसे महसूस कर सकती हैं और यह पीरियड्स के दौरान जारी रह सकता है।
  • वेजाइनल स्पॉटिंग या ब्लीडिंग: आपके पीरियड्स तब शुरू होते हैं जब आपको ब्लीडिंग शुरू होती हैं। यह रक्तस्राव दो से सात दिनों तक हो सकता है।
  • भारी रक्तस्राव या थक्के जमना
  • यदि आपको दो घंटे से कम समय में ही अपने टैम्पोन या पैड को बदलने की आवश्यकता होती है या फिर आप बड़े आकार के थक्के पास करती हैं तो आपको भारी रक्तस्राव होता है।

इसके अलावा कुछ सामान्य लक्षणों की बात करें तो उनमें शामिल हैं-

  • मूड स्विंग्स या बहुत चिड़चिड़ापन होना
  • नींद न आना
  • भोजन की इच्छा ना होना
  • पेट के निचले हिस्से और पीठ में ऐंठन
  • चेहरे पैरों या शरीर में सूजन
  • स्तनों में दर्द
  • मुंहासों का बढ़ना

अधिकतर लड़कियों के पीरियड्स कब शुरु होते हैं? Adhiktar ladkiyo ko Periods kab shuru hote hain?

लड़कियों को मासिक धर्म आमतौर पर 12 वर्ष की आयु के आसपास शुरु होते हैं। हालाँकि कभी-कभी इनका 10 और 15 या 16 वर्ष की आयु में शुरु होना भी सामान्य माना जाता है। माता-पिता आमतौर पर स्तन विकास के लगभग दो या तीन साल बाद अपनी बच्ची के पहले पीरियड्स की उम्मीद कर सकते हैं।

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पीरियड्स किन कारणों से होते हैं? Periods kin kaarno se hote hain?

लड़कियों के पीरियड्स जिसे मासिक धर्म भी कहा जाता है एक सामान्य प्रक्रिया है जो एक स्वस्थ रिप्रोडक्टिव सिस्टम का संकेत है। पीरियड्स में लड़कियों के गर्भाशय की परत टूटकर कर बहती है जो रक्तस्राव के रूप में योनि से बाहर आती है। यदि आप गर्भवती नहीं हैं तो यह आमतौर पर हर महीने होता है। हर महीने आपकी ओवरीज़ अंडा रिलीज़ करती हैं । अगर ये अंडा एक स्परम से मिलकर फर्टिलाइज़ होता है तो यह गर्भाशय की परत से चिपककर शिशु में विकसित होता है। पर यदि ये अंडा स्पर्म से फर्टिलाइज़ नहीं होता तो गर्भाशय की परत टूटकर गिर जाती है। ये प्रक्रिय़ा हर महीने दोहराई जाती है जो आपके हार्मोन में परिवर्तन के कारण आपके चक्र के दौरान आपके द्वारा विकसित गर्भाशय की परत को छोड़ने का संकेत देती है।

क्या एक बार मासिक धर्म शुरु होने पर पीरियड्स नियमित रूप से आते हैं? Kya ek baar Masik dharm shuru hone par Periods niymit roop se aate hain?

किसी भी लड़की के मासिक धर्म शुरू होने के बाद पहले कुछ वर्षों तक, यह नियमित रूप से नहीं आते हैं। यह बहुत सामान्य बात है। शुरुआत में हल्की स्पॉटिंग हो सकती है। धीरे धीरे पीरियड्स सामान्य रक्तस्राव में बदलते हैं। इस दौरान पहले कुछ वर्षों तक ये दो से तीन महीने के अंतराल पर भी आ सकते हैं। अपनी पहली माहवारी के लगभग 2-3 साल बाद, एक लड़की के मासिक धर्म सामान्य हो जाते हैं और हर 4-5 सप्ताह में एक बार आने लगते हैं।

क्या एक लड़की पीरियड्स शुरु होते ही गर्भवती हो सकती है? Kya ek ladki periods shuru hote hi garbhvati ho sakti hai?

जी हां, माहवारी शुरू होते ही एक लड़की गर्भवती हो सकती है। बल्कि वैज्ञानिक रूप से एक लड़की अपनी पहली माहवारी से ठीक पहले गर्भवती भी हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लड़कियों में पीरियड्स के हार्मोन कुछ समय पहले से ही सक्रिय हो सकते हैं। इन हार्मोन्स के कारण ओव्यूलेशन और गर्भाशय की परत का निर्माण हो सकता है। यदि कोई लड़की यौन संबंध बनाती है, तो वह गर्भवती हो सकती है, भले ही उसे कभी माहवारी न हुई हो।

पीरियड्स कितने दिनों तक रहते हैं? Periods kitne dino tak rahte hain?

मासिक धर्म आमतौर पर लगभग 5 दिनों तक रहता है। लेकिन कुछ लड़कियों में ये दो दिनों में ही खत्म हो जाते हैं वहीं कुछ लड़कियों को ये सात दिनों तक भी रह सकते हैं।

पीरिड्स कितने दिनों के अंतराल पर होते हैं? Periods kitne antral par hote hain?

मासिक धर्म आमतौर पर पिछले चक्र खत्म होने के 28वें दिन शुरु होते हैं। या फिर ये हर 4-5 सप्ताह में एक बार हो सकते हैं। हालांकि कुछ लड़कियों के पीरियड्स किसी बीमारी या हार्मोनल गड़बड़ी के कारण समय से पहले या बाद में आ सकते हैं।

मासिक धर्म में कितना खून बहता है? Masik dharm mein kitna khoon bahta hai?

मासिक धर्म में कई दिनों तक होने वाला रक्त स्राव बहुत अधिक लग सकता है। हालांकि आमतौर पर पूरी अवधि के दौरान केवल 4 - 5 बड़े चम्मच रक्त ही बहता है । अधिकांश लड़कियों को अपने पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप को दिन में लगभग 3‒6 बार बदलने की आवश्यकता होती है।

मासिक धर्म में होने वाली ऐंठन कैसे ठीक करें? Masikdharm mein hone wali aithan kaise thik karein?

हर्बल चाय पियें
पीरियड्स के दर्द से राहत पाने के लिए हर्बल चाय एक बेहतपीन उपाय है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और एंटीस्पास्मोडिक तत्व होते हैं जो गर्भाशय में मांसपेशियों की ऐंठन को कम कर सकते हैं । मासिक धर्म की ऐंठन से राहत पाने के लिए कैमोमाइल, सौंफ या अदरक की चाय पीना एक आसान तरीका है। हर्बल चाय के सेवन से तनाव और अनिद्रा में राहत मिल सकती है ।

सूजन-रोधी खाद्य पदार्थों का सेवन करें
कुछ खाद्य पदार्थ ऐंठन के लिए प्राकृतिक राहत प्रदान कर सकते हैं। एंटी इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ रक्त प्रवाह को बढ़ावा देने और आपके गर्भाशय को आराम देने में मदद कर सकते हैं। जामुन, टमाटर, अनानास और हल्दी, अदरक या लहसुन खाने की कोशिश करें। पत्तेदार हरी सब्जियां, बादाम, अखरोट और वसायुक्त मछली, जैसे सैल्मन भी सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

प्रोसेस्ड फूड और अधिक चीनी से बचें
पीरियड्स में मूड स्विंग्स भी काफी होते हैं ऐसे में जंक फूज खाने के मन ललचा सकता है। पर चीनी, ट्रांस फैट्स और नमक में उच्च खाद्य पदार्थ सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन बढ़ सकती है।

डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पिएं
कैफीन आपके रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण करने का कारण बनता है। यह आपके गर्भाशय को संकुचित कर सकता है, जिससे ऐंठन अधिक दर्दनाक हो सकती है। इसलिए पीरियड्स के दौरान डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पिएं ।

हीटिंग पैड का उपयोग करें
पेट की सिंकाई आपकी मांसपेशियों को आराम देने, रक्त प्रवाह में सुधार करने और तनाव दूर करने में मदद कर सकती है। एक हीटिंग पैड लगाकर सिंकाई करें ।इसके अलावा गर्म पानी से स्नान करें ।

व्यायाम करें
व्यायाम आपके शरीर में एंडोर्फिन छोड़ता है जो आपका मूड बेहतर बना सकते हैं और दर्द कम कर सकते हैं । पीरियड्स में आराम पाने के लिए पंद्रह मिनट का योग, हल्की स्ट्रेचिंग या पैदल सैर करें ।

मसाज थेरेपी आजमाएं
मसाज थेरेपी गर्भाशय को आराम देकर ऐंठन को कम कर सकती है। पीरियड क्रैम्प को सबसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, मसाज थेरेपी को पेट पर करना चाहिए। हालांकि आप पूरे शरीर की मालिश भी कर सकती हैं जो आपके समग्र तनाव को कम करती है,साथ ही मासिक धर्म की ऐंठन को दूर करने में भी मदद कर सकती है।

दर्द निवारक दवाएं लें
इबुप्रोफेन जैसी एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं आपको दर्द से राहत दिला सकती हैं।

पीएमएस ( प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) क्या है? PMS (Premenstrual Syndrome) kya hai?

  • पीएमएस यानी प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम। ये आपके शरीर में दिखने वाले ऐसे लक्षण हो सकते हैं जो ये संकेत देते हैं कि आपके पीरियड्स शुरु होने वाले हैं। कुछ महिलाओं में ये अधिक नहीं होते हैं पर कुछ के लिए ये समय बहुत कठिन होता है।
  • पीएमएस ऐसे परिवर्तन हैं जो आपको कई स्तरों पर प्रभावित कर सकते हैं। वे शारीरिक, भावनात्मक या व्यवहारिक हो सकते हैं। आपके मासिक धर्म से 1 से 2 सप्ताह पहले ये दिखाई देने शुरु हो सकते हैं। एक बार पीरियड्स शुरू होने पर ये खुद ही ठीक हो जाते हैं ।
  • अधिकांश महिलाओं में हर महीने पीएमएस का कम से कम एक लक्षण होता है। लेकिन यह सबके लिए एक जैसा नहीं होता। जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं यह लक्षण बदल सकते हैं। इन लक्षणों में ब्लोटिंग, मूड-स्विंग्स, डिप्रेशन, घबराहट, मुंहासे इत्यादि हो सकते हैं।

सैनिटरी उत्पाद | मासिक धर्म में कौन सा उत्पाद इस्तेमाल करना बेहतर है? Masik dharm mein kaun sa utpad istemal karna behtar hai?

मासिक धर्म शुरू होने पर रक्त को सोखने के लिए कुछ सैनिटरी उत्पाद का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। बाज़ार में बहुत सारे अलग-अलग उत्पाद मौजूद हैं। आपके लिए क्या सही है, यह जानने के लिए कुछ प्रयोग करना पड़ सकता है। मुख्य रूप से पीरियड्स में सैनिटरी पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग किया जाता है। आइए हम आपको हर उत्पाद के बारे में विस्तार से बताते हैंं

पैड

  • पैड सोखने वाली सामग्री से बने होते हैं जो अंडरवियर के अंदर चिपकाकर उपयोग में लाए जाते हैं। इन्हें सैनिटरी पैड या सैनिटरी नैपकिन भी कहा जाता है। कुछ पैड्स किनारों पर विंग्स के आकार के बने होते हैं जो अंडरवियर के किनारों पर मोड़े जाते हैं ताकि पैड को जगह पर रखने और रिसाव को रोकने में मदद मिल सके।
  • पैड कई अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं जिनमें अधिक सोखने वाले ,सामान्य सोखने की क्षमता वाले हो सकते हैं।
  • पैड को हर 3-4 घंटे में बदलना चाहिए, भले ही आपका प्रवाह हल्का हो। नियमित बदलाव बैक्टीरिया के निर्माण और गंध को रोकता है। यदि आपका प्रवाह अधिक है, तो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक बार पैड बदलने की आवश्यकता हो सकती है कि आप लीक न करें।

ये पैड दो प्रकार के होते हैं -

डिस्पोजेबल पैड

अधिकांश पैड के नीचे एक चिपचिपी पट्टी होती है। आप चिपकने वाली कागज़ की पट्टी को छीलते हैं और पैड को अपने अंडरवियर में चिपकाते हैं।

रियूज़ेबल पैड

ये पैड हर बार इस्तेमाल के बाद धोए जाते हैं। इस तरह के पैड लड़कियों के अंडरवियर पर स्नैप या क्लिप हो जाते हैं। लड़कियां इन पैड्स का इस्तेमाल कर हर महीने नए पैड पर पैसे खर्च करने से बच सकती हैं ।ये पर्यावरण के लिए बेहतर माने जाते हैं ।

टैम्पोन

  • टैम्पोन योनि के अंदर जाकर रक्त को सोख लेते हैं। टैम्पोन भी सोखने वाली सामग्री से बना होता है, लेकिन यह एक छोटी ट्यूब के समान होता है। टैम्पोन भारी और हल्की अवधि के लिए अलग-अलग आकार में आते हैं।
  • कुछ टैम्पोन एप्लीकेटर के साथ आते हैं। ऐप्लिकेटर एक प्लास्टिक या कार्डबोर्ड ट्यूब होता है जो टैम्पोन को योनि में ले जाता है। अन्य टैम्पोन एक उंगली का उपयोग करके लगाए जाते हैं।
  • जब आप पहली बार टैम्पोन का उपयोग करती हैं, तो भारी प्रवाह वाले दिन ऐसा करने का प्रयास करें। इससे टैम्पोन आसानी से योनि के अंदर फिसल जाएगा।
  • टैम्पोन लगाने के लिए पहले अपने हाथ धो लें।

टैम्पोन के साथ आने वाले निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें और खुद को रिलैक्स रखें ।

  • टैम्पोन को हर 4-6 घंटे में बदलें या ज़रूरत के अनुसार इससे पहले भी बदल सकती हैं।
  • टैम्पोन के एक सिरे पर एक डोरी जुड़ी होती है जो लड़की के शरीर के बाहर रहती है।
  • टैम्पोन को निकालने के लिए, धीरे से डोरी को तब तक खींचे जब तक कि टैम्पोन बाहर न आ जाए।
  • इसे टॉयलेट पेपर में लपेट कर कूड़ेदान में फेंक दें। टैम्पोन को टॉयलेट में फ्लश न करें।
  • आप टैम्पोन को लगाने के बाद देख नहीं सकते हैं, इसलिए आपको यह याद रखना होगा कि इसे बदलने का समय कब है। यदि आप इसे बदलना भूल जाते हैं, तो आपके अंडरवियर या कपड़ों पर धब्बे या रिसाव हो सकते हैं।
  • यदि आपके टैम्पोन को बदलने का समय आ गया है और आपको डोरी नहीं मिल रही है, तो चिंता न करें। स्ट्रिंग खोजने के लिए अपनी उंगलियों से अंदर पहुंचें। ऐसा करने में एक मिनट का समय लग सकता है क्योंकि डोरी को पकड़ना थोड़ा कठिन हो सकता है।
  • कुछ लड़कियों को चिंता होती है कि टैम्पोन उनके शरीर के अंदर खो सकते हैं। लेकिन ऐसा होने का कोई रास्ता नहीं है। एक टैम्पोन को अधिक देर पहनने की कोशिश ना करें।
  • ऐसा करने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (टीएसएस) नामक एक दुर्लभ लेकिन बहुत खतरनाक बीमारी होने का खतरा होता है।

मेंस्ट्रुअल कप

टैम्पोन की तरह, मेंस्ट्रुअल कप को योनि में डाला जाता है। ये रक्त को सोखने के बजाय उसे कप में जमा करता है।मेंस्ट्रुअल कप रबर या सिलिकॉन जैसी लचीली सामग्री से बने होते हैं। इसे दिन में कई बार खाली किया जाता है।

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लेखकDrx Hina FirdousPhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child CarePharmacology
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Reviewed ByDr. Bhupindera Jaswant SinghMD - Consultant PhysicianGeneral Physician
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