शूल (Colic) : उपचार, प्रक्रिया, लागत और दुष्प्रभाव (Procedure, Cost And Side Effects)
आखिरी अपडेट: Jun 27, 2023
शूल (Colic) का उपचार क्या है?
3 महीने से कम उम्र के बच्चे जो लगातार रोते रहते हैं और इसी वजह से उनके पेट में दर्द रहता है उसे शूल(Colic) कहते हैं ।
पेट में दर्द ज़्यादातर उन बच्चो के होता है जो 6 महीनो से छोटे होते हैं और आमतौर पर रोने के लंबे एपिसोड(episode) से जुड़ा होता है। बच्चा लगातार रोता रहता है। माता-पिता इस बात का पता नहीं लगा पाते हैं कि बच्चे क्यूँ रोये जा रहा है इसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है । जब वह छठे सप्ताह तक पहुंच जाता है तो रोना काफी हद तक बेकाबू हो जाता है और माता-पिता बेहद परेशान हो जाते हैं उनके समझ नहीं आता की वह क्या करें। माता-पिता आमतौर पर अपने बच्चों को भयानक रोने के कारण उसको कम करने के लिए डॉक्टर के पास ले जाते हैं । जिससे की उन्हें आराम मिल सके। शाम के समय बच्चे अक्सर रोना शुरू कर देते हैं, जिससे माता-पिता अक्सर चिंता में आ जाते हैं ।
जब आप अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले के जाते हैं तो डॉक्टर सबसे पहले उसकी स्थिति को कम करने के लिए उसके भौतिक विवरणों को देखता है जिससे की उसका सही ढंग से इलाज हो सके फिर उनके शरीर के अंगों की जांच, एक त्वरित तापमान की जांच, शरीर पर किसी भी संभावित चकत्ते की तलाश, शरीर के अंगों की महत्वपूर्ण कार्यक्षमता को सुनना, , उनकी ऊंचाई और वजन को मापना यह सब शामिल है। आम तौर पर जांच के बाद, आपका डॉक्टर उचित दवा देने में सक्षम हो जाता है, आपका जटिल परीक्षण करके अगर आपको एक्स-रे की आवश्यकता होती है तो करवा लेता है जिससे की बीमारी का जल्दी इलाज हो सके ।
शूल (Colic) का इलाज कैसे किया जाता है ?
डॉक्टर आपको यह सुझाव देता है की आप बच्चो को आराम से घर पे ही नहलाएं, धीरे-धीरे उसके पेट की मालिश करें, उसे हल्की सैर के लिए ले जाएँ, बच्चो के हाथो को अपने हाथ से रगड़े जिससे की बच्चो को आराम मिल सके। । एक बार जब इसे पेट के दर्द से राहत मिलेगी, तो यह रोना बंद कर देगा और लंबे समय तक शांति से सोएगा माँ बाप को भी फिर कोई चिंता नहीं रहेगी । दर्द को दूर करने के लिए नियमित अंतराल पर कोलिक(Colic) ड्रॉप्स का प्रभावी रूप से सेवन किया जाता है यह छोटे बच्चो के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
शूल (Colic) की शुरुआत आमतौर पर छठे सप्ताह में होती है। इसलिए आम तौर पर माताएं अपने बच्चों को इस अवस्था में स्तनपान कराती हैं। काफी हद तक शूल की शुरुआत भी उसकी माँ के भोजन सेवन पर निर्भर करती है। आमतौर पर गोभी और प्याज जैसी सब्जियां बेबी के पाचन तंत्र पर काफी कठोर होती हैं और चिड़चिड़ापन पैदा करती हैं। इसलिए, कॉफी(coffee) / चाय(tea) के लगातार सेवन के साथ ऐसी सब्जियों से परहेज करने से इस स्थिति से कुछ हद तक बचा जाता है। कुछ माताएँ अपने बच्चों को फार्मूला दूध पिलाती हैं, जो शिशुओं में शूल का कारण होता है। इसलिए, डॉक्टर फॉर्मूला दूध के स्थान पर हाइड्रोलाइज़ेट(hydrolysate)फॉर्मूला का सेवन करने की सलाह देते हैं यह बच्चो को फायदा पहुँचता है। हाइड्रोलाइज़ेट(hydrolysate) फॉर्मूला में अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो कि छोटे छोटे भाग में होते हैं, यह आसानी से शिशुओं द्वारा पच जाते हैं । ऐसी स्थितियों में शिशुओं को हलकी चीज़ो का सेवन कराना चाहिए जिससे की उनकी तबियत में कोई परिवर्तन न आये और वह स्वस्थ रहें।
जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उन्हें पेट के दर्द से भी छुटकारा मिलने लगता है और आमतौर पर 3 या 4 महीने तक वे किसी भी रूप में पेट के दर्द का अनुभव नहीं करते हैं। पेट दर्द के साथ बच्चे को संभालते समय, माता-पिता को शांत रहने को कहा जाता है और यह समझाया जाता है कि यह दर्द जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो खुद धीरे धीरे जाने लगता है । बच्चे को संभालना और शांति बनाए रखना काफी हद तक बच्चे के दर्द को कम करने में मदद करता है वरना बच्चा आपको देख कर और ज़्यादा परेशान होगा।
शूल (Colic) के इलाज के लिए कौन पात्र है ? (इलाज कब किया जाता है ? )
लगभग 3 या 4 सप्ताह की आयु के बच्चे, जो लगातार रो रहे हों और पेट के दर्द के कारण सो नहीं पा रहे हों , उन्हें सोने में दिक्कत आ रही हो उन्हें डॉक्टरों से उपचार प्राप्त करना चाहिए। अगर पेट के क्षेत्र में साधारण मालिश या रगड़ने के बाद भी दर्द बना रहता है, तो स्तनपान कराने वाले शिशुओं के मामले में माँ के साथ-साथ बच्चे के लिए भी आहार पाठ्यक्रम में बदलाव करना चाहिए जिससे कि उनकी हालत में सुधार आ सके । किसी भी मामले में, अपने शिशु के लिए आहार में बदलाव डॉक्टर कि मर्ज़ी से करना ज़रूरी है ।
उपचार के लिए कौन पात्र (eligible) नहीं है?
जो बच्चे लगातार रो रहे हो उनको कभी कभी देखभाल की ज़्यादा ज़रूरत होती है, माता पिता को चाहिए की उनकी ज़्यादा से ज़्यादा देखभाल करे । जब बच्चे शैशवावस्था में होते हैं तो बच्चे अधिक रोने लगते हैं और अपनी बीमारियों पर निर्णय लेने से पहले अपनी हरकतों का पालन करते हैं उसे यह अंदाज़ा नहीं जोटा की उसे बीमारी क्या है।
क्या कोई भी दुष्प्रभाव (side-effects) हैं?
आम तौर पर बच्चो के पेट के दर्द को जल्दी से कम करने के लिए कोलिक(colic) ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है। इससे कुछ बच्चो को नुक्सान भी पहुंच जाता है , माता-पिता को बच्चो के शरीर पर एलर्जी की प्रतिक्रिया के लक्षणों को देखना चाहिए। चकत्ते या त्वचा संक्रमण जैसे प्रतिक्रियाएं बच्चो के बदन पे हो सकती हैं । यदि गर्दन या चेहरे के क्षेत्र में भी एलर्जी पाई जाती है, या कई बार सूजन के रूप में दिखाई देती है। बच्चे को कुछ मामलों में साँस लेने में कठिनाई भी होती है।
उपचार के बाद दिशानिर्देश (guidelines) क्या हैं?
पेट की दर्द से राहत मिलने के बाद उपचार की देखभाल करना या इसका ध्यान रखना ज़्यादा ज़रूरी नहीं है। आमतौर से बच्चो के दर्द बचपन में ही रहता है जैसे जैसे वह बड़े होते जाते हैं दर्द से छुटकारा मिलता जाता है। ज़्यादातर बच्चो का उनकी माँ पे निर्भर करता है इसलिए वे प्याज और गोभी जैसे चिड़चिड़े खाद्य पदार्थों से परहेज करती हैं जो दर्द को दोबारा होने से रोकती हैं इसलिए ऐसी स्तिथि में हलके भोजन का सेवन करना चाइये जिससे कि इस परेशानी से बचा जा सके और यह दुबारा न हो।
ठीक होने में कितना समय लगता है?
शूल के बारे में सबसे पहली और सबसे ज़रूरी बात यह की यह केवल बचपन की बीमारी है जैसे जैसे बच्चा 5 या 6 महीने से बढ़ना शुरू होता है यह बीमारी दिन प्रतिदिन कम होती जाती है और धीरे धीरे आराम मिलना शुरू हो जाता है। शिशुओं को अपने छठे सप्ताह की तक शूल का अनुभव होता है, लेकिन उस को जब उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। एक बार जब बच्चा 3 या 4 महीने से अधिक का हो जाता है, तो यह स्थिति लगभग गायब हो जाती है, जिससे माता-पिता को राहत मिलती है। ठीक होने का समय व्यक्ति से व्यक्ति अलग होता है किस मरीज़ की बिमारी कितनी गंभीर है और वह किस तरह का इलाज ले रहा है ठीक होने का इस बिमारी में कोई निश्चित समय नहीं है मरीज़ किस डॉक्टर से इलाज करवा रहा है ठीक होने का समय इस बात पर भी निर्भर करता है
भारत में इलाज की कीमत क्या है?
पेट को दर्द को ठीक करने के लिए सब दवाएं मेडिकल पे उपलब्ध हैं इसके इलाज की कीमत भारत में लगभग 80 रुपए से लेकर 100 रूपए तक बैठ जाती है इन दवाओं का सेवन आप निजी डॉक्टर की मर्ज़ी से कर सकते हो।
उपचार के परिणाम स्थायी (permanent) हैं?
इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जिस बच्चे के पेट में दर्द था इस समय उसके पेट ने विकास किया है या नहीं , लेकिन वह दर्द जाने के बाद दुबारा नहीं होगा । मां का आहार एक बड़ा कारक है। जैसे-जैसे समय बीतता जाता है और बच्चा बड़ा होता जाता है, दर्द खुद-ब-खुद बच्चे के पेट से गायब हो जाता है। शूल की बूंदें काफी हद तक राहत प्रदान करती हैं और बच्चे को लंबी अवधि के लिए शांतिपूर्ण नींद में मदद करती हैं।
उपचार के विकल्प (alternatives) क्या हैं?
हर उपचार के कई विकल होते है। जैसे होमियोपैथी , आयुर्वेदा , और कुछ घरेलु उपचार कभी कभी ये उपचार भी मरीज़ को बहुत ज़्यादा फायदा पोहचते है क्योकि मरीज़ को कोनसी दवाई किस टाइम असर कर जाये कुछ पता नहीं और मरीज़ को उपचार का विकल्प चुनते समय बहुत ज़्यादा सावधानी बरतने की आवयशकता होती है। क्यों की ज़रा सी चूक मरीज़ की हालत और ज़्यादा बिगाड़ सकती है। इसलिए इनका इस्तेमाल करते वक़्त बहुत ज़्यादा सावधान रहें और आज के इस दौर में इस तरह के इलाज काफी ज़्यादा लोग ले रहे है क्योकि इनसे भी मरीज़ो को बहुत ज़्यादा फायदा हो रहा है।
रेफरेंस
- Colic- Mayo Clinic [Internet]. mayoclinic.org [Cited 23 July 2019]. Available from:
- Colic- American Academy of Family Physicians [Internet]. familydoctor.org 2019 [Cited 18 July 2019]. Available from:
- Ong TG, Gordon M, Banks SS, Thomas MR, Akobeng AK. Probiotics to prevent infantile colic. Cochrane Database of Systematic Reviews. 2019(3). [Cited 23 July 2019]. Available from:
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