हायपोस्पेडियस एक जन्मजात कुरूपता होती है जो लिंग के मूत्रमार्ग और चमड़ी को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर हर 200 लड़कों में से लगभग 1 में पाई जाती है। यह लड़कों को जन्म से ही होने वाली स्वास्थ्य समस्या होती है जिसमें उनका पेनिस असामान्य होता है। इस अवस्था में आपका मूत्रमार्ग (वह ट्यूब जहां से पेशाब और शुक्राणु आपके शरीर से निकलता है) आपके लिंग में ठीक से विकसित नहीं हो पाता है जिसके कारण पेनिस के टिप पर होल (छेद) नहीं होता है। ये होल पेनिस के मिडिल, अंत या फिर अंडकोष में भी हो सकता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
जैसी ही बच्चा 6 महीने की उम्र का हो जाता है आप उसे सर्जरी के लिए ले जा सकतें हैं। यदि समस्या ज्यादा गंभीर नहीं होती है, तो इसे एक बार सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। अगर पेनिस में मौजूद डिफेक्ट गंभीर होता है तो एक से ज्यादा बार सर्जरी करनी पड़ सकती है।
यह सर्जरी एक ही प्रकार से की जाती है।
हायपोस्पेडियस सर्जरी के लाभों में शामिल हैं:
हायपोस्पेडियस लड़कों को जन्म से ही होने वाली सामान्य समस्या होती है, जिसे दूर करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जाती है। यदि इसे रिपेयर नहीं किया जाए तो आगे चलकर ये समस्याएं हो सकती हैं-
अगर आपको अपने बच्चे के लिंग के दिखने के बारे में चिंता है या उसे पेशाब करने में समस्या होती है तो अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। डॉक्टर को दिखाने के लिए संकेत शामिल हो सकते हैं:
अपनी सर्जरी से पहले, ऑपरेशन के बारे में जानने के लिए सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट से बात करनी चाहिए। यह सर्जरी के कारणों और जोखिमों सहित प्रक्रिया समझने के लिए प्रश्न पूछने और यह सुनिश्चित करने का एक अच्छा समय होता है। निम्नलिखित जानकारी आपको अपनी आने वाली सर्जरी के लिए तैयार करने में मदद कर सकती है।
निम्नलिखित जानकारी के बारे में अपने डॉक्टर को बताना सुनिश्चित करें:
यह सर्जरी प्रक्रिया तीन स्टेजेस से गुजरती है। जिसमें शामिल हैं - प्रक्रिया से पहले, प्रक्रिया के दौरान, और प्रक्रिया के बाद। आइये समझते हैं -
बच्चे को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इससे उसे नींद आती है और वह सर्जरी के दौरान दर्द महसूस नहीं करता है।
सर्जन, सर्जिकल साइट को साफ व स्टरलाइज़ करता है और संक्रमण को रोकने के लिए IV के माध्यम से एंटीबायोटिक्स दिया जाता है।
मूत्रमार्ग की लंबाई बढ़ाने वाली ट्यूब बनाने के लिए सर्जन किसी अन्य साइट से चमड़ी या टिश्यू के एक छोटे टुकड़े का उपयोग करता है।
सर्जरी के दौरान, सर्जन मूत्रमार्ग में एक कैथेटर (ट्यूब) लगा सकता है ताकि वह अपने नए आकार को धारण कर सके। कैथेटर को जगह पर रखने के लिए लिंग के सिर पर सिल या बांध दिया जाता है। सर्जरी के 1 से 2 सप्ताह बाद इसे हटा दिया जाता है।
सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादातर टांके अपने आप घुल जाते है और बाद में उन्हें निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है।
सभी सर्जिकल प्रक्रियाओं में कुछ जटिलताएँ होती हैं। हायपोस्पेडियस सर्जरी की कुछ जटिलताओं में शामिल हैं:
चुनी गई सर्जरी और अस्पताल के प्रकार के आधार पर, भारत में हायपोस्पेडियस सर्जरी की लागत INR 40,000 से INR 3,00,000 तक हो सकती है।
बहुत सी चीजें सर्जरी की लागत को प्रभावित कर सकती हैं। जैसे अस्पताल या क्लिनिक ब्रांड नाम, इलाज करने वाले सलाहकार की फीस, प्रवेश शुल्क, सर्जरी का प्रकार, सर्जरी के बाद की जटिलताएं जो शामिल हो सकती हैं, हॉस्पिटल का कमरा जो आप चुनते है, ये सब अस्पताल के बिलिंग खर्चों पर प्रभाव डाल सकते हैं।
प्रमुख भारतीय शहरों में हायपोस्पेडियस सर्जरी की लागत हो सकती है;
बैंगलोर में हायपोस्पेडियस सर्जरी का खर्च 50,000 रुपये से 2,90,000 रुपये, दिल्ली में 41,000 रुपये से 2,50,000 रुपये, मुंबई में 1,00,000 रुपये से 3,00,000 रुपये तक हो सकता है, जबकि चेन्नई में यह 50,500 रुपये से 2,50,000 रुपये तक जा सकता है। और पुणे जैसे शहरों में यह 45,000 रुपये से 2,00,000 रुपये और हैदराबाद 60,000 रुपये से 3,00,000 रुपये तक हो सकती है।
प्रक्रिया की कुल लागत आपके द्वारा कराए गए नैदानिक परीक्षणों की संख्या से भी प्रभावित हो सकती है। रोगी की बीमा योजना के आधार पर सर्जरी की पूरी लागत को कम किया जा सकता है।
हायपोस्पेडियस सर्जरी के बाद होने वाले नुकसान में शामिल हो सकते हैं:
हायपोस्पेडियस सर्जरी एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसके आमतौर पर अच्छे परिणाम होते हैं। हल्के हायपोस्पेडियस में आमतौर पर एक सर्जरी की आवश्यकता होती है। लेकिन गंभीर हायपोस्पेडियस में एक से अधिक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। अधिकांश बच्चे इस सर्जरी के बाद ठीक हो जाते हैं। लिंग लगभग या पूरी तरह से सामान्य दिखता है और ठीक से काम करता है ।
सर्जरी के ठीक हो जाने के बाद, यूरोलॉजिस्ट के साथ फॉलो-अप विज़िट की आवश्यकता हो सकती है। यौवन तक पहुँचने पर लड़कों को कभी-कभी मूत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाने की आवश्यकता हो सकती है।