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Last Updated: Mar 09, 2023

गोटू कोला के स्वास्थ्य लाभ और इसके साइड इफेक्ट्स | Gotu Kola ke swasthya labh aur iske side effects

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गोटू कोला के स्वास्थ्य लाभ और इसके साइड इफेक्ट्स | Gotu Kola ke swasthya labh aur iske side effects

हमारे देश में कई तरह की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जो, कई तरह के पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती हैं। इसी वजह से ये जड़ी-बूटियां प्राचीनकाल से ही कई छोटे बड़े रोगों को दूर करने के लिए उपयोग में लाई जाती रही हैं। आज हम एक ऎसी जड़ी बूटी के बारे में आपको बताने जा रहे, जिसका नाम शायद आपने पहले कभी न सुना हो। दरअसल, इस जड़ी-बूटी का नाम गोटू कोला है। अपने गुणों की वजह से यह जड़ी-बूटी भी आई रोगों को ठीक करने में कारगर है। आज अपने इस लेख के माध्यम हम आपका गोटू कोला के इन्ही गुणों से परिचय कराएंगे। साथ ही आपको इसके दुष्प्रभावों के बारे में भी बतायेंगे। सबसे पहले हम गोटू कोला के विषय में जानते हैं।

क्या है गोटू कोला

दरअसल, गोटू कोला एक ऐसी जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग प्राचीनकाल से ही चिकित्सीय प्रयोजनों में किया जाता रहा है। यह एक बारहमासी जड़ी-बूटी है, जो आमतौर पर एशिया के कुछ क्षेत्रों में उगती है। यह एक पत्तेदार पौधा होता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेंटेला असिएटिका है। इसे मण्डूकपर्णी और ब्राह्मी बूटी के नाम से भी जाना जाता है। इसके पत्ते कुछ मांसल और छ्त्राकार होते हैं तथा उनके किनारों पर दंतुर होते है। इसके पत्तों का व्यास लगभग आधा ईंच से लेकर एक ईंच तक होता है। उत्तरी भारत में यह लगभग हर नमी वाली और छाया वाली जगह पर मिल जाता है। इस पौधे के तने पतले होते हैं और फूल सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं, जो झुंड के रूप में मिट्टी के नज़दीक होते हैं।

गोटू कोला के पौषणिक मूल्य

गोलू कोटा हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी जड़ी-बूटी है। यह कई प्रकार के रोगों को दूर करने में कारगर है। गोटू कोला में ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन्स जैसे यौगिक होते हैं। इस वजह से चिकित्सीय रूप से इसका काफी महत्व है। खासतौर पर जली त्वचा को ठीक करने के लिए, याददाश्त मजबूत करने के लिए, जोड़ों के दर्द ठीक करने के लिए और घावों को जल्दी भरने के लिए इस गुणकारी जड़ी-बूटी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा ये कई अन्य रोगों के खिलाफ भी काफी कारगर साबित हो सकता है।

गोटू कोला के स्वास्थ्य लाभ

गोटू कोला के स्वास्थ्य लाभ

गोटू कोला की गिनती प्राचीनकाल से ही लाभकारी जड़ी-बूटियों के रूप में की जाती रही हैं। इसके स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं-

मष्तिष्क स्पष्टता में सुधार लाता है

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में चिंता और थकान रहना आम बात है। हालांकि, यह स्थिति हमारे मष्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालते हैं। साथ ही इस वजह से सही तरह से सोचने की क्षमता भी छिन जाती है। गोटू कोला इस स्थिति से निजात दिलाने में काफी कारगर है। दरअसल, यह जड़ी-बूटी दिमागी उलझन और तनाव को कम करती हैं और क्षुब्त पड़ी मष्तिष्क की कोशिकाओं में नई जान फूंक देती है। यह दिमाग में खून की जरुरत को पूरा करती है और ऑक्सीजन देती है। इससे मष्तिक की स्पष्टता में सुधार होता है।

घाव और जलन का उपचार

घावों और जलन को ठीक करने में मदद करने के लिए गोटू कोला को काफी उपयोगी बताया जाता रहा है। दरअसल, गोटू कोला में ठंडक पहुंचाने के गुण होते हैं। घाव और जली हुई त्वचा पर गोटू कोला का अर्क या लेप लगाने से काफी फ़ायदा मिलता है। हालांकि, अगर अधिक जला हुआ है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

अल्जाइमर रोग के इलाज में मदद करता है

गोटू कोला में स्मृति और तंत्रिका कार्य को बढ़ाने की क्षमता होती है, जो इसे अल्जाइमर रोग के इलाज में संभावित बनाती है। इसके अलावा यह कोशिकाओं को अल्जाइमर से जुड़ी पट्टिका बनाने से भी बचा सकता है। फिर भी, अभी इसको लेकर शोध चल रहा है कि अल्जाइमर के इलाज के लिए गोटू कोला का उपयोग कैसे किया जा सकता है। यदि आप इसे अपनी उपचार योजना में शामिल करने में रुचि रखते हैं, तो उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

अवसादरोधी के रूप में कार्य कर सकता है

मस्तिष्क के कार्य पर गोटू कोला का सकारात्मक प्रभाव इसे एक प्रभावी अवसादरोधी भी बना सकता है। दरअसल, दवा के रूप में गोटू ओला का सेवन करने पर तनाव, चिंता और अवसाद में कमी आती है। इसके अलावा शरीर के वजन, शरीर के तापमान और हृदय गति सहित व्यवहार संबंधी अवसाद के कुछ तत्वों पर भी इस हर्बल उपचार का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मिर्गी के लिए उपयोगी है

गोटू कोला मिर्गी में बहुत प्रभावी नहीं है जब यह अकेले उपयोग किया जाता है। वच (एकोरस कैलामास), कुलंजन और इलायची के बीज जैसी अन्य जड़ी-बूटियों के साथ, मिर्गी के प्रबंधन में इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। आयुर्वेद में, इन जड़ी बूटियों का उपयोग मिर्गी और बेहोशी के उपचार में किया जाता है।

सूजन को कम कर सकता है

गोटू कोला सूजन और परिसंचरण से जुड़ी समस्याओं को कम कर सकता है।दरअसल, वैरिकाज़ नसों के साथ हल्के से मध्यम सतही शिरापरक रोग का अनुभव करने वाले लोगों के लिए गोटू कोला एक लाभकारी उपचार हो सकता है। इसके साथ ही वैरिकाज़ नसों के इलाज में गोटू कोला उपयोगी हो सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि गोटू कोला का संवहनी दीवार के संयोजी ऊतक पर सकारात्मक चयापचय प्रभाव पड़ता है।

अनिद्रा को कम करने में मदद कर सकता है

चिंता, तनाव और अवसाद का इलाज करने की अपनी कथित क्षमता को देखते हुए, गोटू कोला का उपयोग अनिद्रा के इलाज के लिए भी किया जा सकता है जो कभी-कभी इन स्थितियों के साथ होता है। अनिद्रा और अन्य नींद संबंधी अन्य विकारों के इलाज के लिए इस हर्बल उपचार का इस्तेमाल किया जा सकता है।

खिंचाव के निशान की उपस्थिति कम करें

गोटू कोला खिंचाव के निशान को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि गोटू कोला में पाए जाने वाले टेरपेनोइड्स शरीर में कोलेजन उत्पादन को बढ़ाते हैं। यह नए खिंचाव के निशान को बनने से रोकने में मदद कर सकता है, साथ ही किसी भी मौजूदा निशान को ठीक करने में मदद कर सकता है।

जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करें

गोटू कोला के सूजनरोधी गुण गठिया के इलाज में उपयोगी हो सकते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरक्षा प्रणाली को शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे दर्द से छुटकारा पाने में भी मदद मिलती है।

टीबी का इलाज करने में सक्षम

जिगर और गुर्दे की विषाक्तता पर गोटू कोला का अच्छा प्रभाव पड़ सकता है। इसका उपयोग एंटीबायोटिक आइसोनियाज़िड के विषाक्त दुष्प्रभावों को दबाने के लिए किया जा सकता है। आइसोनियाज़िड का उपयोग तपेदिक के इलाज और रोकथाम के लिए किया जाता है।

गोटू कोला का उपयोग

गोटू कोला का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है-

  • गोटू कोला की पत्तियों के रस का सेवन किया जा सकता है।
  • इसके अलावा इन पत्तियों को सलाद के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है
  • इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी को पी सकते हैं।
  • हालांकि, आपके लिए कितनी मात्रा में गोटू कोला का सेवन उचित है, इसकी पूरी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

गोटू कोला के साइड इफेक्ट्स

वैसे तो गोटू कोला हमारे स्वास्थ्य के लिए एक लाभकारी जड़ी-बूटी है। लेकिन कुछ मामलों में यह सिरदर्द, पेट खराब और चक्कर आने का कारण बन सकता है। कम खुराक से शुरू करना और धीरे-धीरे पूरी खुराक तक काम करना आपके दुष्प्रभावों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। आपको एक बार में केवल दो से छह सप्ताह के लिए गोटू कोला लेना चाहिए। उपयोग फिर से शुरू करने से पहले दो सप्ताह का ब्रेक लेना सुनिश्चित करें। इसके अलावा जब इसे त्वचा पर लगाया जाता है, तो जलन पैदा को सकती है।इसके कई अन्य दुष्प्रभाव हैं, जो निम्नलिखित है-

  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गोटू कोला का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • हेपेटाइटिस या अन्य यकृत रोग से पीड़ित रोगियों के लिए भी गोटू कोला हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।
  • अगले दो हफ्तों के भीतर एक निर्धारित सर्जरी होने वाली हो तब भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • 18 वर्ष से कम आयु के लोगों पर गोटू कोला का सेवन बुरा प्रभाव डाल सकता है।
  • जिसको त्वचा कैंसर का रहा हो उसके लिए भी यह जड़ी बूटी नुकसानदेय है।
  • अगर दिल की बीमारी हो या फिर डायबटीज हो तो आपको डॉक्टर की सलाह के बगैर गोटू कोला का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल वालों को भी इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
  • नींद या चिंता के लिए शामक जैसी दवाएं या मूत्रवर्धक ले रहे हैं तब भी बिना डॉक्टर से सलाह किये इस जड़ी बूटी का सेवन न करें।

गोटू कोला की खेती

गोटू कोला पौधा देश के उष्ण और उपोष्ण दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी खेती के लिए अत्याधिक नमी, उपजाऊ, रेतली दोमट और चिकनी मिट्टी अच्छी मानी जाती है। गोटू कोला की बुवाई का सही समय फरवरी-मार्च का महीना है। इसका पौधा छांव में अच्छे से बढ़ता है। बुवाई के लिए एक कटा हुआ तना प्रयोग किया जा सकता है। एक एकड़ में लगभग 120 तने प्रयोग किए जा सकते हैं। बुवाई के समय बीज के उपचार की जरूरत नहीं होती।

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Written By
PhD (Pharmacology) Pursuing, M.Pharma (Pharmacology), B.Pharma - Certificate in Nutrition and Child Care
Pharmacology
English Version is Reviewed by
MD - Consultant Physician
General Physician
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