फोबिया का इलाज - Phobiya Ka Ilaj!
फोबिया का मतलब है डर. डर, एक ऐसी बीमारी है जिसमें आदमी किसी चीज से भयभीत होता है और मानसिक परेशानी का सामना करता है. कई बार यह अत्यधिक और बिना किसी कारण की प्रतिक्रिया के कारण भी उत्पन्न होता है. यदि आप फोबिया जैसे किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो आपके मन में आतंक की एक गहरी भावना महसूस हो सकती है. यह डर किसी निश्चित स्थान या किसी विशेष परिस्थिति के कारण उत्पन्न हो सकता है. फोबिया एक मानसिक परेशानी जरूर है लेकिन यह चिंता विकार से अलग है. इसका जुड़ाव हमारे मन से है. फोबिया के अलग-अलग कारणों और प्रभाव के आधार पर कई विशिष्ट प्रकार हैं - ऊंचाई का डर, सार्वजनिक स्थान या सुनसान जगहों का डर इत्यादि. यदि आप दैनिक सामाजिक परिस्थितियों में किसी प्रकार की मानसिक परेशानी को महसूस करते हुए शर्मिंदगी का अनुभव करते हैं तो आपको फोबिया हो सकता है. कई बार कुछ सामान्य फोबिया में सुरंगें, हाईवे, अधिक पानी, उड़ना, जानवर और खून आदि देखकर डर का अनुभव होना जैसे कारण भी दिखाई पड़ते हैं. फोबिया के मरीज को परेशान परेशानी किसी व्यक्ति को गंभीर रूप से अक्षम या परेशान बना सकती हैं. इस से पीड़ित लोग अक्सर ऐसा महसूस करते हैं कि उनका डर पूरी तरह से सही नहीं है लेकिन इसके बावजूद वह इस इससे छुटकारा पाने में नाकाम रहते हैं. अक्सर ऐसी घटनाओं से अक्सर ऐसी घटनाओं के बार-बार होने से किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत संबंधों स्कूल या ऑफिस आदि में बाधा उत्पन्न होने लगती है.
फोबिया का उपचार-
फोबिया का उपचार फोबिया के उपचार करने के लिए कुश दवाओं के प्रकार के बारे में जानना आवश्यक है जो कि इसके इलाज के लिए कारगर साबित होती है. फोबिया के उपचार के लिए दबाव का इस्तेमाल किसी चिकित्सक के परामर्श से ही किया जाना बेहतर होता है. आमतौर पर यह दवाएं फोबिया के उपचार में निर्णायक भूमिका निभाती हैं.
बीटा ब्लॉकर्स-
ये दवाएं फोबिया के लक्षण और घबराहट (जैसे तेजी से और कठोरता से दिल धड़कना) जैसी समस्याओं को कम कर देती है, और इनके साथ-साथ टांगों व बाजूओं के कांपने की स्थिति को भी कम कर देती है. कई मरीजों ने बताया कि ये दवाएं उनकी दबी आवाज को भी ठीक होने में मदद करती है.
एंटिडिप्रैसेंट्स-
दवाएं आम तौर पर फोबिया से पीड़ित लोगों को ही दी जाती हैं. ये दवाएं मस्तिष्क में सेरोटोनिन को प्रभावित करती हैं, जिससे परिणामस्वरूप मूड अच्छा हो जाता है.
ट्रांक्विलाइज़र्स-
बेंज़ोडायज़ेपींस दवाएं चिंता के लक्षणों को कम करने में मदद करती है. जो लोग शराब आदि का सेवन कर रहे हैं, तो उनको सेडेटिव दवाए नहीं देनी चाहिए.
बिहेवियरल थेरेपी
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी-
यह थेरेपी फोबिया के इलाज के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जानी वाली चिकित्सिय थेरेपी है. थेरेपिस्ट पीड़ितों को उनके फोबिया के कारण को समझने के अलग-अलग तरीके सिखातें हैं, जिससे उन्हें अपने डर का सामना करने में आसानी महसूस होती है. डर को देखने व समझने के अन्य वैकल्पिक तरीकों को समझाया जाता है. रोगी को सिखाया जाता है, कि उसके जीवन की गुणवत्ता पर एक गलत दृष्टिकोण का क्या प्रभाव हो सकता है, और कैसे एक नया तरीका जिंदगी को बदल सकता है. थेरेपी का पूरा फॉकस मरीज के अंदर नाकारात्मक विचारों, बेकार की धारणाओं और फोबिया की स्थिति के रिएक्शन का पता लगाने और उसको बदलने पर होता है.
डिसेंसिटाइजेशन-
अगर यह थेरेपी ठीक तरीके से हो पाए, तो इसकी मदद से पीड़ितों के डर के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में परिवर्तन करने में सहायता कर सकता है. रोगियों को उनके डर के कारणों से धीरे-धीरे बढ़ा कर अवगत कराया जाता है. जो व्यक्ति किसी विमान में यात्रा करने से डरते हैं, तो उनके सिर्फ विमान यात्रा के बारे में सोचने से शुरू किया जाता है. उसके बाद विमान को देखना. फिर एयरपोर्ट पर जाना और फिर शायद प्रैक्टिस सिमुलेटेड प्लेन कैबिन (विमान जैसा कमरा) में बैठना, अंत विमान में यात्रा करना.
फोबिया से बचाव के उपाय-
फोबिया की रोकथाम कैसे की जा सकती है? हालांकि ऐसे कई विशिष्ट फोबिया हैं, जिनकी रोकथाम नहीं की जा सकती. प्रारंभिक बीच-बचाव और एक दर्दनाक अनुभव के बाद उसका उपचार जैसे किसी जानवर द्वारा हमला करना उस व्यक्ति में गंभीर फोबिया विकसित होने से रोकथाम कर सकता है. अपने डर से निपटने के द्वारा आप अपने बच्चे को उत्कृष्ट कौशल सीखा सकते हैं, और उनकी हिम्मत बढ़ा सकते हैं. यह बच्चों में फोबिया विकसित होने से रोकथाम करता है.