भगन्दर का ईलाज
भगन्दर(fistula in ano.)-
परिचय,कारण,लक्षण,चिकित्सा-
1.भगन्दर परिचय (introduction)-
-सामान्यतया: रोगी के द्वारा गुदा या मल द्वार से संबधित सभी रोगों को बवासीर या पाइल्स ही समझ लिया जाता है, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि मल द्वार से संबंधित रोग पाइल्स ही हो इसमें कई और रोग भी हो सकते हैं। जिन्हें हम पाइल्स समझते हैं।
भगन्दर में रोगी के मल द्वार के चारो ओर लगभग 4 cm दूरी पर या तो एक फोडा बनता हैं या एक फुडिया बन जाती हैं जिसमें से पानी या मवाद लगातार आता रहता हैं
Fistula means reep or pipe like. It may be defined as a chronic granulating tubular tract consisting of fibrous tissues with two openings communicating between two cavities or cavity to cutaneous surface of body. Thus anal fistula has two openings, one on perianal or perineal skin surface and other in anal canal.
भगन्दर कारण (causes)-
1. Anal infection
2. अत्यधिक समय तक बैठना
3. इसके अलावा विभिन्न रोगियो पर किये गये अनुसंधान से ये पता चला हैं कि भगन्दर होने का एक प्रमुख कारण अत्यधिक समय तक दुपहिया वाहन या गाडी चलाना या उसकी सवारी करना भी होता हैं
भगन्दर के लक्षण -
1. गुदा या मल द्वार के चारो और किसी फोडे या फुडिया का बनना और उसमें से पानी या पस आना एक या अनेक छिद्र बनना
2. कभी कभी बैठने में दर्द होना
3. मल त्याग में परेशानी होना
चिकित्सा -
अब तक के क्लीनिक अनुसंधान से ये पता चला हैं कि किसी भी पैथी के मेडिसिनल चिकित्सा से इसको ठीक करना असंभव हैं आयुर्वेदिय क्षार सूत्र चिकित्सा ही इसकी विश्वसनीय चिकित्सा हैं ! आइये चुने.स्वस्थ एवं आनन्दमय जीवन. एल.एन.आयुर्वेद के संग!