Epilepsy Symptoms, Treatment And Cause - मिरगी के लक्षण, इलाज और कारण
मिर्गी उन बिमारियों में से है जिनका पहचान काफी पहले ही हो चुकी थी. आज हम मिर्गी के लक्षण, कारण और उपचार को लेकर बात करेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार मिर्गी की बीमारी तंत्रिका तंत्र में विकार आने के कारण होती है. तंत्रिका तंत्र का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से है. जब मस्तिष्क में विकार आता है तो इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है. फिर मिर्गी का अटैक आता है और पीड़ित का शरीर अकड़ जाता है.
इस बीमारी को लेकर पहले समाज में कई तरह की भ्रांतियां प्रचलित थीं. हलांकि अब भी कई लोग इसे भुत-प्रेत से जोड़कर देखते हैं. कई बार तो मिर्गी के मरीज को पागल की तरह भी ट्रीट किया जाता है. यहाँ ये बताना आवश्यक है कि मिर्गी भी बस एक बीमारी के सिवा कुछ नहीं है. इस लिए इसके मरीजों को तुरंत किसी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. हम मिर्गी के के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं.
मिर्गी होने का क्या कारण है?
शरीर के सभी अंगों की संवेदनशीलता मस्तिष्क द्वारा तंत्रिका तंत्र को दिए गए निर्देश के अनुसार ही काम करती है. मस्तिष्क में स्थित न्यूरॉन्स ही तंत्रिका तंत्र को सिग्नल देते हैं. लेकिन जब इस प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है यानी कि न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र को सही निर्देश नहीं दे पाते हैं तब मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ता है. इसमें शरीर का अंग विशेष कुछ देर के लिए निष्क्रिय हो जाता है. इसके कुछ संभावित कारण निम्लिखित हैं-
1. न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स जैसे कि अल्जाईमर.
2. अनुवांशिक कारण यानि आपके खानदान में किसी को रहा हो या हो.
3. ब्रेन ट्यूमर
4. जन्म से ही मस्तिष्क में ऑक्सीजन का आवागमन पूर्ण रूप से बंद होने पर.
5. मस्तिष्क ज्वर और इन्सेफेलाइटिस के के संक्रमण से.
6. ब्रेन स्ट्रोक के कारण ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुँचने से.
7. कार्बन मोनोऑक्साइड की विषाक्तता से.
8. अत्यधिक मात्रा में ड्रग लेना.
क्या हैं मिर्गी के लक्षण?
जाहिर है हर बिमारी के कुछ न कुछ लक्षण होते हैं जिसके आधार पर हम इसकी पहचान करते हैं. ठीक उसी तरह मिर्गी के भी कुछ प्रारंभिक लक्षण हैं. इन लक्षणों के नजर आते ही आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए. हलांकि जब मिर्गी के दौरे पड़ते हैं तो एकदम स्पष्ट हो जाता है.
1. मरीज का पूर्ण रूप से बेहोश हो जाना या आंशिक रूप से मूर्छित हो जाना.
2. अपना जीभ खुद से काटना या असंयमित हो जाना.
3. सर और आँख की पुतलियों का लगातार घूमना.
4. हाथ पैर और चेहरे की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होना.
5. मूर्छा से उठने के बाद मरीज का उलझन में होना
6. पेट में गड़बड़ी होना.
7. चिकित्सकीय पहचान: एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन सब लक्षणों के बावजूद मरीज का मेडिकल करने के बाद ही उसके रोग का निर्धारण किया जाता है. डॉक्टर मरीज़ के पल्स रेट और ब्लड प्रेशर को चेक करते हैं. फिर इसके बाद न्यूरोलॉजिकल साइन का भी परिक्षण करते हैं. इसके साथ ही इस रोग का पता ई.ई.जी, सी.टी.स्कैन या एम.आर.आई और पेट के द्वारा लगाते हैं.
क्या है इसका उपचार और कैसे करें रोकथाम?
उपचार
मिर्गी एक बेहद संवेदनशील बिमारी है. इसके उपचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय बताया जाता है कि जब भी मिर्गी का दौरा आए उस समय सीजर को नियंत्रित करना. इसे नियंत्रित करने के लिए एन्टी एपिलेप्टिक ड्रग थेरपी और कुछ सर्जरी होती है. हलांकि डॉक्टर्स का ये भी कहना है कि जिन लोगों पर दवाई का असर नहीं होता है उन्हें सर्जरी करने की सलाह दी जाती है. मिर्गी के मरीजों को ज्यादा वसा वाले खाने से दूर ही रहना चाहिए. खाने में ज्यादा से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे सीजर की आवृत्ति में कमी आती है.
रोकथाम के उपाय
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि अभी भी मिर्गी के कारणों का ठीक से पता नहीं लगाया जा सका है. हलांकि शिशुओं के जन्म के दौरान जेनेटिक स्क्रीनिंग की सहायता से माँ को बच्चे में इसके होने का पता लगाया जा सकता है. इससे बचने के लिए आप इस बात का ध्यान रखें की आपके सर में चोट न लगे. इसके अलावा आप ये उपाय कर सकते हैं-
1. जितना हो सके तनाव से दूर रहें.
2. खाने में संतुलित आहार लें.
3. डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का सही तरीके से सेवन करते रहें.
4. नियमित रूप से चिकित्सक से सलाह लेते रहें.
5. पर्याप्त नींद लेना भी अत्यंत जरुरी है.