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Last Updated: Feb 16, 2023
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सीने/छाती के लिए उपयोगी व्यायाम

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Dr. Muneeb Ahmed M KAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS, MD - Ayurveda Medicine
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खुद को एक्टिव और मजबूत रखने के लिए व्यायाम काफी महत्वपूर्ण होता है। इसी व्यायाम की वजह शरीर के सभी अंग तो मजबूत होते ही हैं, साथ ही मानसिक तनाव भी कम होता है। हालांकि आज की युवा पीढ़ी में कुछ पुरुष फिल्मों के कलाकारों से प्रेरित होकर भी व्यायाम की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कई पुरुष सलमान खान, शाहरुख खान, जॉन अब्राहिम और टाइगर श्रॉफ जैसी छाती बनाना चाहते हैं।

चलिए आज हम आपको इन कलाकारों के सीने की तरह ही मजबूत, आकर्षक और चौड़ी छाती बनाने के लिए सहायक व्यायाम के बारे में बताते हैं, जिनको नियमित करने की वजह से आपकी छाती भी इन फ़िल्मी कलाकारों की छाती की तरह ही मजबूत और आकर्षक नजर आएगी।

छाती के विषय में आवश्यक जानकारी

हालांकि, इन व्यायामों के बारे में बताने से पहले छाती के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी होना आवश्कय है। दरअसल, मानव शरीर रचना में छाती को वैज्ञानिक रूप से पेक्टोरल कहा जाता है और इनमें दो तरह की मांसपेशियां होती हैं। पहली पेक्टोरल मेजर और दूसरी पेक्टोरल माइनर। वहीं दाईं और बाईं छातियों को अलग-अलग करने के वाली लाइन को सेंटर लाइन कहते हैं। इसकी गहराई दाईं और बाईं छाती की मोटाई पर निर्भर करती है।

पेक्टोरल मेजर छाती की बाहरी मांसपेशियां और पेक्टोरल माइनर शरीर की भीतरी मांसपेशियां होती हैं। छाती को चौड़ा करने वाले ज्यादातर व्यायाम से पेक्टोरल मेजर को ही प्रभावित करते हैं, जबकि केबिल फ्लाई जैसे व्यायाम से पेक्टोरल माइनर पर असर पड़ता है। इन दोनों ही मांसपेशियों के व्यायाम का प्रभाव भी अगल-अलग होता है। पेक्टोरल मेजर जहाँ छाती की मोटाई बढ़ाती है वहीं पेक्टोरल माइनर छाती को चौड़ा करने में सहायक होती है।

पेक्टोरल मेजर के लिए किये जाने वाले अलग-अलग व्यायाम भी पेक्टोरल मेजर के अलग अलग हिस्सों को ही प्रभावित करते हैं। मतलब अपर, मिडिल और लोअर छाती को मजबूत करने के लिए अलग-अलग व्यायाम करने की आवश्यकता होती है।

अब जानते हैं वो कौन कौन से व्यायाम हैं जो छाती को मजबूत, सुडौल और आकर्षक बनाने में मददगार होती है।

बार्बेल बेंच प्रेस-

यह व्यायाम पेक्टोरल मेजर को प्रभावित करता है, जिससे आपकी छाती की मोटाई बढ़ती है और छाती बाहर की ओर निकलती है। इस व्यायाम को करने के लिए आपको बेंच पर लेट कर बार्बेल या रॉड में वेट डालकर ऊपर-नीचे लिफ्ट करना होता है। इसको करते समय आपको अपनी क्षमता के अनुसार वेट लगाकर पहले बार्बेल को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाना होता है और फिर धीरे-धीरे कंधे के बराबर तक नीचे की ओर लाना होता है।

इस व्यायाम को करते समय आपके पैर मुड़े हुए होने चाहिए और जमीन से पर लगे हुए होने चाहिए। इसके साथ ही आपके हाथ की हथेली ऊपर की और होनी चाहिए और हाथ के दोनों अंगूठे बार्बेल से लिपटे होने चाहिए।  बार्बेल को उठाते समय दोनों हाथों के बीच में दूरी दोनों कन्धों के बीच की दूरी से काम होनी चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार, रोजाना इस व्यायाम के तीन सेट लगाने चाहिए।

इंक्लाइन बार्बेल प्रेस

यह व्यायाम भी लगभग बार्बेल बेंच प्रेस व्यायाम की तरह होता है। इन दोनों व्यायामों में अंतर बस इतना है कि बार्बेल बेंच प्रेस एक्सरसाइज में बेंच सीधी होती है जबकि इसके बेंच का एंगल 45-35 डिग्री ऊपर की ओर होता है। यह व्यायाम भी बार्बेल बेंच प्रेस व्यायाम की तरह ही किया जाता है और इसके भी तीन सेट लगाना चाहिए।

डिक्लाइन बार्बेल प्रेस

जिस तरह से इंक्लाइन बार्बेल प्रेस व्यायाम के लिए आपकी बेंच का एंगल 45-35 डिग्री ऊपर की ओर होता है, उसी तरह से इस व्यायाम के लिए आपके बेंच का एंगल 15-20 डिग्री नीचे की ओर होता है। इस व्यायाम को भी बार्बेल बेंच प्रेस व्यायाम की तरह ही किया जाता है। इससे आपका छाती का निचला हिस्सा प्रभावित होता है।

फ्लैट बेंच डंबल प्रेस

यह व्यायाम भी बार्बेल बेंच प्रेस व्यायाम की तरह ही बेंच पर लेट कर ही किया जाता है। हालांकि, इसको करने के लिए बेंच की जगह डंबल का प्रयोग किया जाता है। इसे बार्बेल की तुलना में थोड़ा कठिन माना जाता है।

इसे भी बार्बेल बेंच प्रेस व्यायाम की तरह ही पैरों को मोड़कर और बेंच पर लेट कर ही करना चाहिए। इसमें भी आपके दोनों पैर जमीन पर ही होने चाहिए।  इसमें डम्बल को उठाकर छाती के पास ऐसे लाना चाहिए, जिससे आपकी हथेलियों की स्थिति अंदर की ओर हो जाएं। इस दौरान दोनों कलाइयां सीधी होनी चाहिए। दोनों तरफ के डंबल को सीने के ऊपर की तरफ एक दूसरे के सामने रखते हुए लाना चाहिए ।

इंक्लाइंड डंबल फ्लाइस

इस व्यायाम के दौरान भी बेंच का एंगल 45-35 डिग्री ऊपर की ओर होता है। इसमें डंबल को सीने के दोनों ओर उठाया जाता है। इस व्यायाम को करते समय हाथ की दोनों हथेलियां एक दूसरे की तरह लाई जाती है। इसको करते समय भी बेंच पर पहले के व्यायाम की तरह ही लेटना चाहिए। चूंकि इस दौरान बेंच कुछ डिग्री ऊपर की ओर उठा हुआ होता है। इसलिए आपका सीना भी कुछ ऊपर की ओर ही रहता है।

सीटेड मशीन चेस्ट प्रेस

यह व्यायाम मशीम के माध्यम से की जाती है, जिसमें अपनी क्षमता के अनुसार वेट लगा सकते हैं। इस व्यायाम के दौरान छाती को मशीन के माध्यम से स्क्वीज करते हुए अंदर की ओर हार्ड प्रेस करना होता है। चूंकि यह व्यायाम मशीन के माध्यम से किया जाता है इसलिए इसे करते समय इंजुरी के चांस नहीं रहते हैं। इससे पूरी छाती का व्यायाम हो जाता है।

चेस्ट डिप्स

चूंकि इस व्यायाम को करने के लिए आपको अपने हाथों के सहारे शरीर को लिफ्ट करना होता है, इसलिए इस व्यायाम को थोड़ा कठिन माना जाता है। इस व्यायाम को आमने-सामने लगे एकसमान एंगल पर किया जाता है जिसकी ऊंचाई आपकी कमर से ज्यादा ऊँची होती है। इसे करने के लिए पैरों को पीछे की ओर रखना चाहिए और जहां तक संभव हो सके झुककर अपनी बॉडी को धीरे-धीरे लिफ्ट करना चाहिए। इस एक्सरसाइज से लोअर चेस्ट का शेप आता है।

इंक्लाइन केबल फ्लाय

यह व्यायाम छाती की चौड़ाई बढ़ाने में काफी हितकारी होती है। इसे भी एक विशेष प्रकार की मशीन के माध्यम से किया जाता है, जिसमें वेट तार के माध्यम से नीचे से ऊपर की खींचे जाते हैं। यह व्यायाम खड़े होकर और आगे की ओर करीब 60 डिग्री झुककर या फिर बेंच पर लेटकर किया जाता है। इसमें वेट को जब आगे की ओर लिफ्ट करना चाहिए तो अपने हाथों से छाती को दोनों तरफ से अंदर की ओर स्क्वीज करना होता है।  इस व्यायाम से छाती की भीतरी मांसपेशियां प्रभावित होती हैं।

इंक्लाइन डंबल पुलओवर

इंक्लाइन डंबल पुलओवर व्यायाम से आपकी  छाती के फाइबर अच्छे से ब्रेक होते हैं और छाती को अच्छा आकार मिलता है। इसमें बेंच 45 डिग्री ऊपर की ओर उठी होती है। इसे करने के लिए मात्र एक डंबल की आवश्यकता होती है जिसे दोनों हाथों से उठाकर सर के पीछे ऊपर से नीचे की ओर लाना होता है। इसे करते समय आपके हाथ की कोहनी बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।

पुश अप्स 

यह व्यायाम बिना किसी डंबल या बार्बेल की मदद से किया जाता है और इसके लिए किसी प्रकार के मशीन की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए इसे घर पर भी किया जा सकता है। यह व्यायाम छाती के निचले, मध्य और ऊपर तीनों हिस्सों को प्रभावित करता है।  इसके लिए जमीन पर ऐसे अवस्था में उल्टा लेटना होता है कि आपके हाथ की कोहनी मुड़ी हुई हो और सीना जमीन पर न छू रहा हो। इसे करते समय पेट को टाइट रखना चाहिए और पीठ को सीधा रखना चाहिए। इस दौरान दोनों पैर भी सीधे होने चाहिए। इसे करते समय खुद को धीरे-धीरे जमीन की तरफ लाना चाहिए और उसके बाद ऊपर उठाना चाहिए। 

डिक्लाइन प्रेस-अप

यह व्यायाम भी पुश अप्स की तरह ही और उसी अवस्था में की जाती है। इसमें बस फर्क इतना होता है कि आपके पैर जमीन पर न होने के बजाय एक बेंच की मदद से शरीर की तुलना में ऊपर की और होते हैं। इसे छाती के लिए सबसे लाभकारी व्यायाम माना जाता है।

डाइट का भी रखें ख़ास ख्याल

छाती को मजबूत, आकर्षक और सुडौल करने के लिए ऊपर बताए गए व्यायाम तभी हितकारी होंगे जब आप इन व्यायाम के साथ-साथ अपनी डाइट का भी ख्याल रखेंगे। ज्यादातर जिम ट्रेनर डाइट चार्ट तैयार करते हैं और यह निश्चित करते है कि सुबह, दोपहर, शाम और रात को क्या क्या खाना है।  

आइये जानते हैं कि डाइट चार्ट  में क्या क्या शामिल है 

सुबह: 3 अंडे या 2 एग वाइट, ब्रेड (गेंहू)- 1 स्लाइस, पीनट बटर- 1 चम्मच, स्ट्रॉबेरी- 1 चम्मच

मिड मॉर्निंग: केला- 1, ग्रीक योगर्ट- 3/4 कप, पीनट बटर- 3 चम्मच।

लंच: टूना- 1 कप, पास्ता (होल व्हीट), सलाद- 1 बाउल

रात: आलमंड बटर, ब्लूबेरी, कॉटेज चीज

व्यायाम से पहले: प्रोटीन पाउडर, बैगल (जेली के साथ)

व्यायाम के बाद: प्रोटीन पाउडर, वेक्सी मेज  

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