पैर में दर्द : लक्षण, संकेत, कारण, उपचार और रोकथाम | Leg Pain: Symptoms, Prevention, Treatments In Hindi
आखिरी अपडेट: Jul 08, 2023
पैर दर्द क्या है? Leg pain kya hai
पैरों का दर्द एक आम समस्या है। सामान्य तौर पर यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। हालांकि अब यह यंगस्टर्स में भी देखने को मिल रहा है। लेग पेन का सीधा आशय टांग, पैर, टखनों, घुटनों, पैर की उंगलियों और पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से है। जब पैरों में दर्द अधिक गंभीर या तेज होता है तो पैरों में झनझनाहट महसूस होती है। पैरों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे मस्कुलोस्केलेटल, वैस्कुलर, न्यूरोलॉजिकल, शरीर में पोषण और पानी की कमी आदि।
पैरों का दर्द तेज या धीमा हो सकता है। यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो सकता है या फिर लंबे समय तक के लिए भी रह सकता है। दर्द की यह प्रवृत्ति सॉफ्ट टिश्यू की इंजरी पर निर्भर करती है। जैसे एड़ी में लगी चोट लंबे समय तक नहीं रहती और इंजर्ड टिश्यू के ठीक होते ही दर्द ठीक हो जाता है।
पैर दर्द के प्रकार Leg pain ke prakar
टेंडोनाइटिस
यह टेंडन में दर्द के कारण होता है। टेंडन रेशेदार टिश्यू का समूह होता है जो मांशपेसियों को हड्डियों से जोड़ता है। टेंडन की
पैर में ऐंठन
पैर में ऐंठन आमतौर पर डिहाइड्रेशन, नर्व के डैमेज होने या मांसपेशियों की थकान के कारण होती है। इसके कारण पैरों में जोर से दर्द होता है।
मोच और खिंचाव
इस स्थिति में ज्वाइंट के लिगामेंट अपनी क्षमता से अधिक खिंच जाते हैं और दर्द का कारण बनते हैं। मोच हमारे पैर के किसी भी ज्वाइंट में हो सकती है।
शिन स्प्लिंट्स
इसे पिंडली का दर्द कहते हैं। इससे एथलीट और रनर्स अधिक पीड़ित होते हैं। लंबी वॉक या दौड़ने के बाद पैरों में दर्द होना शिन स्प्लिंट्स के लक्षण हैं।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस
इस स्थिति में पैर की नशों में रक्त का थक्का बनने लगता है। डीप वेन थ्राम्बोसिस अधिकतर पैर के निचले हिस्से पर होता है। कोशिकाओं में रक्त का थक्का बनने के कारण शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो सकता है।
पैर दर्द के लक्षण - Leg Pain Symptoms in Hindi
- पैरों में ऐंठन
- पैरों में असामान्य दर्द
- कमजोरी
- पैरों का सुन्न होना
- थ्रोबिंग
- पैरों में झुनझुनी आना
पैर दर्द के कारण - leg pain ke karan in Hindi
- मांसपेशियां में खिंचाव: मांसपेशियां में खिंचाव के कारण पैर में बहुत तीव्र दर्द होता है। स्पोर्ट्स खेलने वाले या कसरत करने वालों के लिए मांसपेशियों में खिंचाव का सबसे अधिक खतरा होता है।
- मोच: यह पैर दर्द की सबसे सामान्य स्थिति है। पैर में मोच लिगामेंट की इंजरी के कारण होती है। इस स्थिति में हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाले टिश्यू टूट जाते हैं या घायल हो जाते हैं। इस प्रकार की चोट आमतौर पर टखने में होती है जिससे बहुत जोर का दर्द होता है।
- मांसपेशियों में ऐंठन: मांसपेशियों की ऐंठन को चार्ली हॉर्स के रूप में भी जाना जाता है। मांसपेशियों में ऐंठन के कारण बहुत जोर से दर्द होता है। यह निचले पैर के पीछे पिंडली की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर डिहाइड्रेशन के कारण होता है।
- शिन स्प्लिंट्स: यह एक प्रकार की चोट है जो पिंडली की अंदरूनी मांसपेशियों में सूजन के कारण होती है। यह स्थिति आमतौर पर उन लोगों के साथ होती है जो बहुत अधिक दौड़ते हैं। इसके अलावा यह फ्लैट पैर या गलत प्रकार के जूते पहनने के कारण भी हो सकता है।
- टेन्डोनाइटिस: टेन्डोनाइटिस एक ऐसी स्थिति है जो टेंडॉन्स में सूजन के कारण होती है। टेंडन रेशेदार टिश्यू का एक समूह होता है जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ता है। पिंडली की मांसपेशियों के बहुत अधिक प्रयोग के कारण टेन्डोनाइटिस होता है। आमतौर पर यह दर्द निचली पिंडली की मांसपेशियों या एड़ी की हड्डी के पास होता है।
- इलेक्ट्रोलाइट डिसबैलेंस: अत्यधिक पसीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम) का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप पैरों में दर्द, कमजोरी या ऐंठन हो सकती है।
- पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD): PAD धमनियों को सख्त और संकरा कर देता है जिससे पैरों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इसके कारण चलने, आगे चढ़ने और पैरों के उपयोग से जुड़ी अन्य गतिविधियों में दर्द होता है। टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे से ग्रस्त लोगों में इसका सबसे अधिक खतरा होता है।
- डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT): डीवीटी एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिरा में रक्त का थक्का बनता है। यह स्थिति जांघ या निचले पैर के हिस्से में बनती है। इसके कारण पैर में रक्त प्रवाह सही से नहीं हो पाता जो दर्द व सूजन का कारण बनता है। डीवीटी से पल्मोनरी एम्बोलिज्म भी हो सकता है। इस स्थिति में लंग्स की धमनियों में रक्त का थक्का बनने लगता है। यह एक गंभीर स्थिति है।
- पेरिफेरल न्यूरोपैथी: इस स्थिति में शरीर की नसें डायबिटीज के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जिससे पेरिफेरल नर्वस सिस्टम की गतिविधियां प्रभावित होती हैं। इसके कारण पैरों में दर्द और सुन्नता होने लगती है। कुछ लोगों को पैरों की नसों में चुभन या जलन हो सकती है।
- स्पाइनल स्टेनोसिस: इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी के भीतर की जगह संकुचित हो जाती है। इससे नसों पर दबाव पड़ता है और पैरों में दर्द, सुन्नता और कमजोरी हो सकती है।
- साइटिका: इस स्थिति में हर्नियेटेड डिस्क निचली रीढ़ में नर्व या नर्व रूट पर दबाव डालती है। यह आमतौर पर तेज दर्द का कारण बनता है जिससे खड़ा होना या चलना मुश्किल हो सकता है।
- गठिया: जोड़ों की सूजन को गठिया कहते हैं। यह एक सामान्य स्थिति है। गठिया आपके घुटनों, टखनों या कूल्हों के जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण होने वाला दर्द और जकड़न पैरों के उपयोग से जुड़े सभी प्रकार के कार्यों को प्रभावित कर सकता है। गठिया का कोई इलाज नहीं है। इसे बर्फ या गर्म सिकाई करके और ओटीसी दर्द निवारक दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है।
- वैरिकाज नस: इस स्थिति में पैर की नसें बढ़ जाती हैं और गांठदार हो जाती हैं। वैरिकाज नसें तब बनती हैं जब रक्त को वापस हृदय में भेजने के लिए नसों को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यह आमतौर पर अयोग्य या अक्षम वाल्वों के कारण होता है। वैरिकाज नसों के कारण पैरों में सुस्ती रहती है और भारीपन महसूस होता है।
पैर दर्द के टेस्ट leg pain ke test
- पैरों में सूजन की जांच
- पैरों की स्किन में होने वाले परिवर्तन की जांच
- MRI
- सीटी स्कैन
- एक्स-रे
- अल्ट्रासाउंड
पैर दर्द का इलाज - Leg pain ka treatment in Hindi
- एक्सरसाइज थेरेपी: इसके जरिए पैर में उठने वाले दर्द के एरिया का इलाज किया जाता है। एक्सरसाइज थेरेपी के जरिए पैर की किसी भी नस में होने वाले खिंचाव या तनाव का पता लगाया जा सकता है।
- मसाज थेरेपी: इस थेरेपी के जरिए मांसपेशियों पर विशेष तकनीक के माध्यम से दबाव डाला जाता है। इससे हमारे पैरों का दर्द कम होता है। हालांकि यह तकनीक पैरों के दर्द का वास्तविक इलाज नहीं है।
- ध्यान: ध्यान, योग व गहरी सांस लेकर पैर के दर्द को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
पैरों के दर्द की गंभीर स्थिति leg pain ki serious condition
- चलते समय या व्यायाम करते समय दर्द का बढ़ना।
- वैरिकाज नसों के कारण दर्द होना।
- पैरों में सूजन रहना।
- पैरों पर नीले या काले रंग के धब्बे होना।
- बुखार रहना।
- किसी भी प्रकार के संक्रमण के लक्षण दिखना।
- पैरों में कमजोरी और ठंडेपन का महसूस होना।
- सांस लेने में कठिनाई होना।
- पैरों पर जोर डालने में असमर्थ होना।
पैर दर्द की जटिलताएं leg pain ki complications
- डायबिटिक न्यूरोपैथी
- पेरिफेरल न्यूरोपैथी
- फाइब्रोमाइल्जिया
- गठिया
- माइग्रेन
- क्रोनिक पेन सिंड्रोम
पैर में दर्द को रोकने के तरीके - Leg Pain ko rokne ke tarike in Hindi
- रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें।
- धूम्रपान से बचें।
- कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर के स्तर को मैनेज रखें।
- शराब का सेवन कम करें, कोशिश करें की शराब न ही पिएं।
- पोटैशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे केला, पालक, ब्रोकोली, शकरकंद आदि का सेवन करें।
पैरों के इलाज के दुष्प्रभाव leg pain treatment ke bad ke side effect
पैर दर्द के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं का हमारे शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। इससे कई तरह की गंभीर स्थितियां पैदा होती हैं। पैर के दर्द का इलाज, दर्द की गंभीरता और तीव्रता पर निर्भर करता है।
एक्युपंक्चर के साइड इफेक्ट
- थकान रहना
- शरीर में विभिन्न प्रकार का दर्द होना
- मांसपेशियों में ऐंठन रहना
- सिर हल्का महसूस होना
- खरोंच या चोट लगना
नॉन-स्टेरायडल सूजनरोधी दवाओं के साइड इफेक्ट
- अपच और अन्य आंत की समस्याएं होना
- सिरदर्द रहना
- चक्कर आना
- उनींदापन
नॉन-स्टेरायडल सूजनरोधी दवाओं से प्रभावित होने वाले अंग
- किडनी की प्रॉब्लम
- लिवर की प्रॉब्लम
- दिल से संबंधित प्रॉब्लम
- ब्लड सर्कुलेशन की समस्या
- फ्लूएड रिटेंशन की समस्या
एनाल्जेसिक दवाओं के साइड इफेक्ट
- दिनभर नींद का नशा रहना
- त्वचा के चकत्ते बनना
- मुंह सूखना
- पेट खराब होना
- कान में विशेष प्रकार की ध्वनि या घंटी बजना
इलाज के बाद इन बातों का रखें ध्यान leg pain se bachne ke upay
- पैरों के दर्द को दूर करने के लिए लंबे समय तक एनाल्जेसिक दवाओं का उपयोग करने से आपको इनकी आदत हो सकती है। ऐसे में इन दवाओं के अधिक इस्तेमाल से बचें।
- दवा लेने के बाद ड्राइविंग न करें।
- एनाल्जेसिक दवाओं के सेवन के बाद शराब का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह कई प्रकार के रिएक्शन का कारण बन सकता है।
- एक्यूपंक्चर सेशन आपको आराम का अनुभव कराता है। ऐसे में एक्यूपंक्चर के बाद कोई भी दूसरी एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए।
- इलाज के बाद शरीर की ऊर्जा में कुछ बदलाव होते हैं। इसके कारण डॉक्टर आमतौर पर लोगों को अपने आहार में कुछ बदलाव करने और व्यायाम करने की सलाह देते हैं।
पैर दर्द से बचने के लिए इन चीजों का करें सेवन Leg pain me kya khana chahiye
- नट्स और सीड्स का भरपूर इस्तेमाल करें।
- डार्क चॉकलेट खाएं।
- जैतून का तेल (Olive oil) पैरों के दर्द को कम करने में मदद करता है।
- ब्रसिका सब्जियां जैसे ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली, सरसों का साग, फूलगोभी, अरुगुला, गोभी, लहसुन और जड़ वाली सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे ट्यूना, हलिबूट, ट्राउट, सैल्मन और सार्डिन से भरपूर आहार लें।
- दाल और बीन्स का भोजन में अधिक उपयोग करें।
पैर दर्द को ठीक करने के घरेलू उपाय leg pain ke gharelu upay
- मिर्च में मौजूद कैप्सैकिन पैर के दर्द को ठीक कर सकता है।
- अदरक में मौजूद अर्क फाइटोकेमिकल्स ज्वाइंट और मांसपेशी के दर्द को ठीक करने में मदद करता है।
- हल्दी सूजन को कम करने के साथ पैर के दर्द को कम करने में मदद करती है।
- मेडिकल दवाओं जैसे इबुप्रोफेन या एस्पिरिन के इस्तेमाल से पैर के दर्द को ठीक किया जा सकता है।
- कसाहट वाले मोजे पहनने से पैर के दर्द में आराम मिलता है।
- दर्द वाले एरिया पर बर्फ या हीट कंप्रेशन का उपयोग करें।
- मोशन और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज का अभ्यास करें।
- पैर दर्द के लिए जरूरी व्यायाम जैसे पैर उठाना, पैर फैलाना, हैमस्ट्रिंग लाइंग, पिंडली और हैमस्ट्रिंग खिंचाव का अभ्यास करें।
पैर दर्द के लिए उपयोगी योग अभ्यास leg pain ke liye yoga
- पिजन पोज (Reclined Pigeon Pose)
- ब्रिज पोज (Bridge Pose)
- बच्चे की पोज (Child’s Pose)
- कोबरा पोज (Cobra Pose)
- बद्ध कोणासन (Cobbler’s Pose)
- अधोमुख श्वानासन (Downward-Facing Dog)
भारत में इलाज की कीमत leg pain ilaj ka kharcha
एक्यूपंक्चर से पैरों के दर्द में बहुत आराम मिलता है। भारत में एक्यूपंक्चर सेशन की लागत आम तौर पर 800 से 1000 रुपए तक होती है। कुछ सरकारी अस्पतालों में गरीब वर्ग के लिए 20 रुपए प्रति सेशन के हिसाब से एक्यूपंक्चर के माध्यम से इस दर्द को ठीक किया जा सकता है। जबकि पैरों के दर्द से संबंधित NSAID दवाओं की कीमत 600-700 रुपए और एनाल्जेसिक दवाओं की कीमत 75 रुपए से लेकर 1000 रुपए प्रति 10 टैबलेट होती है।
रेफरेंस
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