अवलोकन
हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता रहती है और इसके लिए हमें पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य सामग्री का सेवन करना होता है। ऐसी ही एक खाद्य सामग्री है बाजरा, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। तो चलिए जानते हैं कि बाजरा में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं और वे हमारे स्वास्थ्य के लिए किस तरह से फ़ायदा पहुंचा सकते हैं। साथ ही इस लेख में बाजरा से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में भी जानेंगे। सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिर बाजरा कहते किसे हैं?
दरअसल, बाजरा एक प्रकार का अनाज है, जिसका प्रयोग भारत में प्रमुखता से किया जाता है। यह दिखने में छोटे दाने की तरह होता है लेकिन इस छोटे दाने में कई पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। बाजरे का बोटैनिकल नाम पनीसेतुम ग्लौसम है जो कि घास परिवार से ताल्लुक रखता है। बाजरे का जिक्र यजुर्वेद में भी किया गया है। इससे यह तो साफ़ है कि भोजन के रूप में इसका प्रयोग कई वर्षों से किया जा रहा है। कई अध्ययनों के अनुसार, बाजरा मुख्यतः अफ्रीका की फसल है लेकिन पिछले 2000 वर्षों से भारत में यह फसल उगाई जा रही है और लोग इसका सेवन कर रहे हैं। ।
बाजरे में फाइबर, मैग्नीशियम जैसे मिनरल, फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक और पोटेशियम के गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से यह कई प्रकार के रोगों से रक्षा करने में कारगर साबित होता है। यहां तक कि जुकाम और खांसी में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर वजन घटाने तक कई मामलों में बाजरा ‘रामबाण’ की तरह काम करता है। केवल इतना ही नहीं, ह्रदय रोग, कैंसर जैसी बड़ी और नींद न आने जैसी छोटी बीमारी के लिए भी बाजरा काफी हितकारी है।
जो लोग बाजरे का सेवन अधिक मात्रा में करते है, उन लोगों को ह्रदय रोगों का जोखिम कम रहता है। दरअसल, ज्यादा मात्रा में बाजरे का सेवन करने से शरीर में ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम हो जाता है। इसके अलावा बाजरा ब्लड प्लेटलेट को जमने से रोकने के लिए खून को पतला करता है। इस वजह से सनस्ट्रोक और कोरोनरी आर्टरी डिसऑर्डर का खतरा कम हो जाता है।
बाजरा में ट्रिप्टोफैन के गुण पाए जाते हैं। ट्रिप्टोफैन एक प्रकार का एमिनो एसिड है जो भूख कम करता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस एसिड की वजह से भोजन के पचने की गति कम हो जाती है और पेट को अधिक समय तक भरा रहता है। इसके अलावा बाजरा फाइबर से भी भरपूर होता है, जिसकी वजह से भूख कम लगती है, और लोग ज्यादा भोजन नहीं करते हैं। जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उन्हें अपने मुख्य भोजन में कम से कम एक में बाजरा शामिल करना चाहिए। वजन घटाने के लिए विभिन्न प्रकार के जैसे फॉक्सटेल बाजरा, कोदो बाजरा, रागी और बाजरा बाजार में उपलब्ध हैं। इस बाजरे का इस्तेमाल करके आप स्वाद से समझौता किए बिना तरह-तरह के व्यंजन बना सकते हैं।
फॉक्सटेल बाजरा में फाइबर और फाइटोन्यूट्रिएंट्स दोनों के गुण पाए जाते हैं, और ये दोनों गुण मिलकर कोलन कैंसर के विकास का ख़तरा कम करता है। इसे अलावा बाजरा में फाइटोन्यूट्रिएंट भी होता है, जो आंत में स्तनधारी लिग्नान में परिवर्तित हो जाता है जो शरीर को स्तन कैंसर से बचाता है। वास्तव में, बाजरे के सेवन से स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को 50% तक कम किया जा सकता है।
बाजरे में मैग्नीशियम की मात्रा भी होती है। यह धमनियों की दीवार के अंदर की लाइन वाली मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिलती है। बाजरा अस्थमा की गंभीरता और माइग्रेन की आवृत्ति को भी कम करता है।
सीलिएक एक ऐसी बीमारी है जो छोटी आंत को नुकसान पहुंचाती है और भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालती है। जो लोग इस रोग से पीड़ित होते हैं वे ग्लूटन को सहन नहीं कर पाते हैं। वे अपने आहार में बाजरे को शामिल करना शुरू कर सकते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से ग्लूटेन मुक्त है।
बाजरा में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है और खून में शुगर के स्तर को स्थिर अनुपात में रखता है। बाजरा मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है और गैर-मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से टाइप 2 मधुमेह के लिए शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
बाजरे में मौजूद उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मौजूद मुक्त कणों से लड़ते हैं जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।
बाजरा उच्च प्रोटीन अनाज होते हैं और इसमें लाइसिन नाम का एमिनो एसिड होता है। इस प्रकार का एसिड मांसपेशियों को स्वस्थ रखता है और कमजोर मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
बाजरे में मौजूद ट्रिप्टोफैन शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है जो तनाव को कम करने में मदद करता है। हर रात एक कप बाजरे का दलिया अच्छी और शांतिपूर्ण नींद लेने में मदद कर सकता है।
अपने उच्च स्तर के मैग्नीशियम के कारण, बाजरा उन महिलाओं के लिए एक अच्छा भोजन है जो अपने मासिक धर्म के दौरान असहनीय दर्द और ऐंठन से पीड़ित हैं।
बाजरा में रागी नामक पौष्टिक तत्व होता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने शरीर में स्तन के दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सलाह दी जाती है कि वे अधिक मात्रा में रागी का सेवन करें। इससे मां बच्चे को अधिक समय तक दूध पिलाने में सक्षम होती है।
बाजरा एल-लाइसिन और एल-प्रोलाइन नामक अमीनो एसिड से भरपूर होता है। बाजरा शरीर में कोलेजन बनाने में मदद करता है, एक पदार्थ जो त्वचा के ऊतकों को संरचना देता है। इस प्रकार, बाजरा खाने से त्वचा की लोच में सुधार करने के लिए कोलेजन स्तर को मजबूत किया जाता है और झुर्रियों का खतरा कम होता है।
बाजरे को हम कई प्रकार से उपयोग में ला सकते हैं। दरअसल, बाजरे की गिनती एक परम्परागत अनाज के रूप में होती है। इसलिए इसे हम कई तरीकों से अपने भोजन में शामिल तो कर ही सकते हैं, साथ ही इसका इस्तेमाल मादक पेय पदार्थ बनाने में भी किया जा सकता है। आर्किड द्वीप के ताओ लोग और ताइवान के एमिस या अतायल जैसी कुछ संस्कृतियों में बाजरा बीयर बनाने में किया जाता है। इसके अलावा यह नेपाल में डिस्टिल्ड शराब रक्षी और पूर्वी नेपाल में शेरपा, तमांग, राय और लिंबू लोगों, तोंगबा के स्वदेशी मादक पेय के लिए भी आधार सामग्री है।
बाजरा दुनिया के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में प्रमुख खाद्य स्रोत हैं, और कई अन्य लोगों के पारंपरक व्यंजनों में शामिल हैं। बाजरा दलिया रूसी, जर्मन और चीनी व्यंजनों में एक पारंपरिक भोजन है। बीज के रूप में उपयोग किए जाने के अलावा, बाजरे का उपयोग चारे की फसल के रूप में भी किया जाता है। पौधे को परिपक्वता तक पहुँचने देने के बजाय इसे स्टॉक द्वारा चराया जा सकता है और आमतौर पर इसका उपयोग भेड़ और मवेशियों के लिए किया जाता है।
अगर बाजरा का सेवन उचित मात्रा में किया जा रहा है तब तो वह आपके लिए फायदेमंद हैं, लेकिन अगर यह मात्रा ज्यादा तो इसके आपको दुष्परिणाम भी झेलने पड़ सकते हैं। दरअसल, बाजरे में गोइट्रोजन होता है जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को रोकता है। इसलिए इसकी अधिक मात्रा में सेवन से थायरॉइड की समस्या हो सकती है।थायरॉइड ग्रंथि द्वारा आयोडीन के अवशोषण और उपयोग को रोकता है। आयोडीन की कमी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है जो बढ़े हुए थायरॉइड ग्रंथि के विकास की ओर ले जाती है, जिसे गोइटर के रूप में जाना जाता है। गोइटर के कारण शुष्क त्वचा, चिंता, अवसाद और धीमी सोच होती है।
बाजरा मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे पुरानी फसलों में से एक है। बाजरे की खासियत है कि यह सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाता है और ऊंचा तापक्रम भी झेल जाता है। इसके अलावा यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि जहां मक्का या गेंहू नही उगाये जा सकते, वहां भी बाजरे की खेती की जाती है। आज विश्व भर में बाजरा 260,000 वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है।
अगर हम बाजरे की खेती के इतिहास की बात करें तो यह अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है। हालांकि इसे मूल रूप से अफ्रीका की फसल माना जाता है। भारत में इसे बाद में पाया गया था। भारत में इसे ईसा पूर्व 2000 वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है।
इसे खरीफ की फसल कहते हैं। यह फसल वर्षा ऋतु बोई जाती है जबकि जाड़े की शुरुआत में इसे काट लिया जाता है। इस फसल को न तो खाद की जरूरत होती है और न ही सिंचाई की। इसके लिये पहले तीन चार बार जमीन जोत दी जाती है और तब बीज बो दिए जाते हैं। एकाध बार निराई करना अवश्य आवश्यक होता है। इसके लिये किसी बहुत अच्छी जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण जमीन में भी प्रायः अच्छी तरह होता है। यहाँ तक कि राजस्थान की बलुई भूमि में भी यह अधिकता से होता है।