तुलसी के बीज का उपयोग - Tulsi Ke Beej Ka Upyog!
तुलसी हमारे देश में एक बेहद सम्मानित और तमाम औषधीय गुणों से युक्त पौधा है. इस पौधे को आप लगभग सभी घरों में पाएंगे. इसके प्रति लोगों के सम्मान का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि लोग रोज सुबह तुलसी में जल आर्पण करते हैं. इस पौधे को बेहद पवित्र माना जाता है. इसके दो प्रकार हैं रामा और श्यामा. इन्हें पत्तों के रंग के आधार पर पहचानते हैं. जिन पौधों के पत्तों का रंग हल्का होगा उसे रामा कहते हैं और जिनके पत्तों का रंग गहरा होता है उसे श्यामा कहेंगे. श्याम में जबर्दस्त कफनाशक गुण पाया जाता है. इसकी गंध और तीक्ष्णता भी काफी होती है. तुलसी के पौधे के बीज छोटे-छोटे लेकिन विशिष्ट औषधीय गुणों से युक्त होते हैं. आइए तुलसी के बीज का उपयोग इस लेख के माध्यम से जानें.
1. बुखार और कफ में-
तुलसी को बुखार और कफ में हमारे यहाँ प्राचीन काल से ही इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसमें मौजूद गुणों जैसे कि चटपटी, कड़वी अग्निदीपक, हृदय को हितकारी गरम, दाह, पित्त, वृद्धिकर, मूत्रकृच्छ, कोढ़, रक्तविकार, पसली-पीड़ा तथा कफ और वात नाशक है. काली तुलसी शीत, स्निग्ध, कफ एवं ज्वरनाशक है. फुसफुस के अन्दर का कफ निकालने के लिए तुलसी के साथ काली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है.
2. मलेरिया के उपचार में-
यदि आप तुलसी का पौधा अपने घरों में लागएं तो इससे न केवल कई अनावश्यक रोग होने से पहले ही नष्ट हो जाया करेंगे बल्कि इससे कई अन्य रोगों के कीटाणु भी नष्ट होंगे. तुलसी का इस्तेमाल मलेरिया जैसे रोगों के रोकथाम में भी सफलता पूर्वक किया जा चुका है. मलाया में इसे व्यापक स्तर पर लगाया गया था वहां मलेरिया की बिमारी आश्चर्यजनक रूप से कम होती गई. आलम ये है कि वहां के आम नागरिक तुलसी के गुणों से भली-भांति परिचित हो चुके हैं. यही कारण है कि आज उनके घरों में तुलसी के एक-दो नहीं कई-कई पौधे लहलहाते दिखाई पड़ जाते हैं.
3. घरों की शान है तुलसी-
जब आप तुलसी के पौधे को घर के बाहर लगाते हैं तब इससे केवल अनावश्यक रोग ही नष्ट नहीं होते बल्कि इससे आपके घर की शान में भी इजाफा होता है. इसके औषधीय गुणों को देखते हुए ही हमलोग घरों के बाहर गमलों मेंया अन्य जगहों पर लगाते हैं.
4. रक्त विकार में-
यदि आप रक्तविकार से पीड़ित हैं तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है. इसके लिए आप तुलसी का सहारा ले सकते हैं. रक्त में किसी भी कारण से हुआ उत्पन्न हुआ विकार तुलसी के सेवन से दूर किया जा सकता है. यदि आप नियमित रूप से इसका सेवन करें तो इस तरह के विकार होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाएगी.
5. आँखों के लिए-
तुलसी के पौधे हमारे आंखों की ज्योति और मन को शान्ति प्रदान करने का काम करते हैं. इसके साथ ही ये वातावरण में सात्विकता की फैलाते हैं. तुलसी हमारे हृदय को सात्विक बनाती है. मन, वचन और कर्म से पवित्र रहने की प्रेरणा के लिए तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है.
6. विचारों की शुद्धि के लिए-
तुलसी के तमाम गुणों में से एक ये भी है कि इसका हमारे चरित्र पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है. तुलसी के बियामित सेवन से हमारे विचारों की शुद्धता और पवित्रता बनी रहती है. इसके अलावा तुलसी आध्यात्मिक विचार उत्पन्न करने में भी मददगार है. घर में इसके लगे रहने पर काम वासना की ओर मन आकृष्ट नहीं हो पाता है. मन में न तो वासनात्मक विचार उत्पन्न होते हैं न क्रोध आता है. तुलसी के नियमित सेवन से शरीर चुस्त रहता है और चेहरा कान्तिपूर्ण बन रहता है.
7. विभिन्न समस्याओं को दूर करने में-
तुलसी का सेवन हमारे लिए कई समस्याओं को मिटाने वाली होती है. जैसे कि हिचकी, खांसी, विष विकार, पसली के दाह को मिटाने वाली होती है. इसका सेवन पित्त की वृद्धि और दूषित कफ तथा वायु का शमन भी होता है. तुलसी को रोगनाशक, हृदयोष्णा, दाहिपितकृत आदि शक्तियों से परिपूर्ण माना जाता है. तुलसी कटु, तिक्त, हृदय के लिए हितकर, त्वचा के रोगों में लाभदाई, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली तथा मूत्रकृच्छ के कष्ट को मिटाने वाली होती है.