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Last Updated: Apr 01, 2019
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तंत्रिका तंत्र के रोग - Tantrika Tantra Ke Rog!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 16 Years Exp.BAMS
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तंत्रिका तंत्र शरीर का वह तंत्र है जिसके द्वारा शरीर के विभिन्न अंग को नियंत्रित किया जाता है. तंत्रिका तंत्र के माध्यम से ही मस्तिष्क शरीर के विभिन्न अंगों को कोई संदेश पहुँचाता है या प्राप्त करता है. जैसे शरीर के किसी अंग में कोई काँटा चुभ गया या किसी भी कारण से दर्द हुआ तो यह संदेश मस्तिष्क को तंत्रिका तंत्र के माध्यम से ही पहुँचते हैं. तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलने वाली तंत्रिका आती है. तंत्रिका कोशिका, तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है, जो अन्य सहायक कोशिकाओं के साथ मिलकर तंत्रिका तंत्र के कार्यों को संपन्न करती है.

तंत्रिका तंत्र के रोग-
कई बार कई कारणों से इन तंत्रिका से संबंधित कुछ परेशानियाँ हो जाती हैं. जिसका प्रभाव अन्य तंत्र के लक्षणों पर पड़ता है. अक्सर तंत्रिका तंत्र के बीमारियों का पता अन्य तंत्रों में प्रकट होने वाले लक्षणों से चलता है. पर मस्तिष्क के संदर्भ में ऐसा कम ही होता है. तंत्रिका तंत्र में होने वाले गड़बड़ियों का प्रभाव निम्न हो सकते हैं:

  • शरीर के किसी भी अंग में सुन्न होना, झुनझुनाहट होना या संवेदनशील होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी होना, या पक्षाघात होना
  • शरीर के किसी अंग का बिना ईच्छा के खुद हिलना-डुलना
  • मांसपेशियों का शख्त व अशिथिल होना
  • इस्तेमाल न होने के कारण किसी अंग का क्षति हो जाना
  • संतुलन बिगड़ जाना
  • दिमागी काम में रुकावट आना
  • कुछ खास तरह के संवेदनाओं में रुकावट आना
  • दौरा आना


ऊपर बताए गए ये तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी के स्थानीय लक्षण हैं. इन स्थानीय लक्षण के अलावा कुछ व्यापक लक्षण भी होते हैं, जैसे मस्तिष्क आवरण शोथ (मैनेनजाइटिस) व मस्तिष्क शोथ (अनसेफेलाइटिस) में बुखार और उल्टी होना. तंत्रिका तंत्र से संबंधित कुछ रोगों की चर्चा आगे की जा रही है:

सीडेन्हम कोरिया-
सीडेन्हम कोरिया तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक बीमारी है. इस रोग को कोरिया माइनर, रुमेटिक कोरिया, सेंट वाइटस डांस या सीडेन्हम डिजीज के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी में मरीज के शरीर के कुछ अंग विशेष कर चेहरा, हाथ-पैर में तेज और अनियंत्रित रूप से मूवमेंट होने लगता है. इसका मतलब यह अंग खुद बा खुद ही हिलने लगते हैं. यदि यह बीमारी गंभीर रूप ले लेता है तो यह हृदय के वॉल्व तक को नुकसान पहुंचा सकता है.

बीमारी की पहचान: - इस बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम किसी कारण से स्वस्थ टिश्यूज को नष्ट करना शुरू कर देता है. ज्यादातर मामलों में सीडेन्हम कोरिया स्ट्रेप्टोकोक्कस इंफेक्शन या रुमेटिक फीवर होने पर होता है. जब इंफेक्शन ब्रेन यानि मस्तिष्क तक पहुँचकर मस्तिष्क को प्रभावित करता है तब ऐसी स्थिति में मस्तिष्क के सेल्स खासकर बेसल गैंग्लिया के सेल्स इंफेक्शन के वजह से नष्ट होने लगते हैं. बेसल गैंग्लिया ही मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो हमारे शरीर के हरकत पर नियंत्रण करता है. पर इंफेक्शन से इसके सेल्स में सूजन आ जाते हैं या सेल्स नष्ट हो जाते हैं, परिणामस्वरूप मस्तिष्क का शरीर के अंग के संचालन क्षमता प्रभावित होती है और उसपर से नियंत्रण हट जाती है.

शुरुआत में इस बीमारी के कोई लक्षण का पता नहीं चलता है लेकिन इंफेक्शन होने के छः माह के बाद जब बीमारी गंभीर रूप ले लेता है तब इसके बारे में पता चलता है. पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं को यह बीमारी अपनी चपेट में ज्यादा लेती है और 18 वर्ष से कम उम्र में यह बीमारी ज्यादा प्रभावित करती है. आमतौर पर इस बीमारी में शरीर का एक ही हिस्सा प्रभावित होता है पर बीमारी के गंभीर रूप धारण करने पर शरीर के दोनों हिस्से प्रभावित हो जाते हैं.

बीमारी का कारण: - सफाई के कमी के कारण ही स्ट्रेप्टोकोक्कस बैक्टीरिया का इंफेक्शन होता है और रुमेटिक फीवर ही सीडेन्हम कोरिया का कारण है. इसलिए इस इंफेक्शन के होने पर तुरंत रोगी का इलाज कराना चाहिए. इस बीमारी में जोड़ों व दिमाग यानि मस्तिष्क में होने वाले इंफेक्शन व समस्याएँ अस्थायी होते हैं जो समय के साथ ठीक हो जाते हैं. पर हृदय के वॉल्व के प्रभावित होने पर भविष्य में रोगी के तकलीफें बढ़ जाती हैं. इसलिए इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत सही इलाज करानी चाहिए ताकि मरीज के हृदय या हृदय के वॉल्व को बचाया जा सके.

न्यूरेल्जिया-
न्यूरेल्जिया दर्द के प्रति संवेदनशीलता है. इस बीमारी में तीव्र, असह्य व अत्यंत गंभीर दर्द होता है जो क्षतिग्रस्त तंत्रिका के मार्ग में बनता है. यह बीमारी तंत्रिका के दब जाने या तंत्रिका में सूजन आ जाने के कारण या अन्य तरह से तंत्रिका के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण होती है. हालांकि यह शरीर के किसी भी भाग में होती है, पर इसके होने का सबसे आम स्थान चेहरा व गर्दन होता है. न्यूरेल्जिया रोग को तीन वर्गों में बांटा गया है: पोस्टहर्पेटिक न्यूरेल्जिया, ट्राईजेमिनल न्यूरेल्जिया व ग्लासोफेरिंजियल न्यूरेल्जिया.
इस बीमारी के लक्षण में स्थान विशेष पर दर्द, प्रभावित क्षेत्र स्पर्श करने पर असह्य होना व किसी भी प्रकार का दबाव दर्द के रूप में महसूस होना होता है. इस रोग में प्रभावित तंत्रिका के आधार पर दर्द तीव्र या जलनयुक्त भी हो सकती है. इस रोग में मांसपेशियों में ऐंठन भी हो सकती है.
तंत्रिका की सूजन (न्यूराइटिस) ही न्यूरेल्जिया को उत्प्रेरित करती है. तंत्रिका में सूजन कई कारणों से हो सकती हैं. हर्पीस वायरस के संक्रमण से या शरीर के किसी अन्य संक्रमण से तंत्रिका में सूजन हो सकती है. दबाव या चोट जैसे टूटी हुयी हड्डी, मेरुदंड के खिसकी हुयी डिस्क (साइटिका) या गाँठ (ट्यूमर) के कारण भी तंत्रिका में दबाव या सूजन हो सकती है. किडनी के दीर्घकालीन रोग या मधुमेह के कारण भी तंत्रिका प्रभावित हो सकती है.

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