Symptoms Of Bipolar Disorder - बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
बाइपोलर डिसऑर्डर को गहरा अवसाद कहा जाता है, जो अत्यधिक मूड स्विंग का कारण बनता है. जिसमें भावोत्तेजना का उच्च स्तर तथा निम्न स्तर शामिल होता है. जब आप अवसादग्रस्त होते हैं, तो खुद को निराश या उदास महसूस करते हैं, और ज्यादातर गतिविधियों से अपनी रुचि खो देते हैं. वहीं जब मूड दूसरी दिशा में बदलता है, तब आप खुद को जश्न और ऊर्जा से भरा महसूस कर सकते हैं. मूड में परिवर्तन साल में कुछ ही बार, या फिर हफ्ते में ही कई बार हो सकता है. मूड स्विंग आम लोगों के अनुभव की तुलना में, बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में और अधिक गंभीर, कमजोर और असमर्थ कर देने वाला होता है. कुछ लोगों में मतिभ्रम और अन्य लक्षण हो सकते हैं.
उपचार के साथ, कुछ लोग इस स्तिथि में अच्छे से काम या पढ़ाई आदि कर सकते हैं और एक सक्षम जी सकते हैं. हालांकि कुछ लोग दवाइयां भी लेना बंद या कम कर देते हैं. कई शोधों में पाया गया है कि बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों के रचनात्मकता में इसके कारण बढ़ोतरी देखि जाती है. लेकिन इसके साथ ही इससे कई तरह की समस्याएँ भी आती हैं जैसे कि आपको किसी भी काम में ध्यान लगाने में मुश्किल होता है. इसके परिणामस्वरुप व्यक्ति कई प्रोजक्ट या काम शुरू कर लेते हैं, लेकिन उनको खत्म नहीं कर पाते. हालांकि, बाइपोलर डिसऑर्डर एक हानिकारक और दीर्घ-कालिक स्थिति है, आप किसी उपचार योजना का अनुसरण करके मूड स्विंग को रोक सकते हैं. अधिकतर मामलो में, बाइपोलर डिसऑर्डर को दवाओं और मनोवैज्ञानिक परामर्श की मदद से नियंत्रित किया जाता है.
बाइपोलर डिसआर्डर के लक्षण
वैसे बाइपोलर डिसऑर्डर किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है, खासकर इसे किशोरावस्था और 20 साल की उम्र या उससे पहले होते देखा गया है. इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं और इसके लक्षण समय के साथ-साथ बदल भी सकते हैं.
मैनिया और हाइपोमैनिया
ये दो अलग-अलग प्रकार के प्रकरण हैं, पर इनके लक्षण एक समान होते हैं. मैनिया, हाइपोमैनिया से ज्यादा गंभीर होता है, इसके कारण काम, पढ़ाई और सामाजिक तथा गतिविधियों को संभालने में कठिनाई होने लगती है. मैनिया मनोवकृति को भी शुरू कर सकता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति पैदा हो सकती है. मैनिक और हाइपोमैनिक दोनों के लक्षणों में असामान्य रूप से उत्साहित, चिड़चिड़ा या अजीबोगरीब महसूस होना गतिविधि, उर्जा या व्याकुलता में वृद्धि भलाई और आत्मविश्वास की भावना बढ़ना नींद की कम जरूरत महसूस होना असाधारण वार्तालाप कुछ ना कुछ सोचते रहना.
प्रमुख अवसादग्रस्त प्रकरण
एक प्रमुख अवसादग्रस्त प्रकरण में जो लक्षण होते हैं वे काफी गंभीर होते हैं, जिनसे रोजाना की गतिविधियां पूरी करने में काफी कठिनाई होती है. इसमें होने वाली कठिनाइयां काफी ध्यान देने योग्य होती हैं जैसे, स्कूल, काम व अन्य सामाजिक गतिविधि पूरा करने में कठिनाई या व्यक्तिगत संबंध आदि. इस प्रकरण के लक्षणों में निम्न में से 5 या ज्यादा शामिल होते हैं. अवसादग्रस्त मूड जैसे, उदास, खालीपन, निराशाजनक और शोक महसूस होना लगभग सभी प्रकार की गतिविधियो में कोई रूचि या इच्छा ना रखना. वजन बढ़ना या घटना, भूख कभी कम लगना तो कभी ज्यादा लगना
अनिद्रा या फिर बहुत ज्यादा नींद आना
अनिद्रा या फिर बहुत ज्यादा नींद आना बेचैनी या धीमी गतिविधि थकान या उर्जा में कमी महसूस होना खुद को नाकाबिल या दोषी महसूस करना सोचने और ध्यान देने की क्षमता में कमी होना, निश्चय करने में कठिनाई खुदखुशी करने की योजना बनाना या प्रयास करना बाइपोलर डिसऑर्ड की अन्य विशेषताएं बाइपोलर (I) और (II) दोनों के लक्षणों में कुछ अन्य विशेषताएं भी जुड़ सकती हैं, जैसे चिंतापूर्ण संकट, उदासी, मनोविकृति या अन्य.
बच्चों और किशोरावस्था में
बच्चों और किशोरावस्था में प्रमुख अवसादग्रस्तता, मैनिक या हाइपोमैनिक के एपिसोड अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन उनके पैटर्न बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित वयस्कों से अलग हो सकते हैं. प्रकरण के दौरान मूड में तीव्रता से बदलाव हो सकता है. कुछ बच्चों के प्रकरण के दौरान कुछ अवधि बिना मूड के लक्षणों कि बिना भी हो सकती है.
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए
मूड के चरम सीमाओं पर होने के बावजूद भी, बाइपोलर से ग्रसित लोग यह नहीं समझ पाते कि उनकी भावनात्मक अस्थिरता उनकी और उनके प्रियजनों के जीवन में कितना बाधा डाल रही है. जिस कारण से वे उपचार की जरूरत नहीं समझते. अगर आपको अवसाद या मैनिया के कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जांच करवा लेनी चाहिए. बाइपोलर डिसऑर्डर में कभी अपने आप सुधार नहीं होता. बाइपोलर डिसऑर्डर के अनुभवी डॉक्टर से उपचार करवाने से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.