Shortness of Breath Treatment - साँसों की कमी और उपचार
साँसों की कमी की बिमारी को हाइपोजेमिया या हाइपोक्सिया कहते हैं. इसमें हमारे शरीर में ऑक्सीजन की खतरनाक रूप से कमी हो जाती है. जाहिर है बिना ऑक्सीजन के हमारा ज़िंदा रहना नामुमकिन है. बिना ऑक्सीजन के हमारे शरीर को कोई भी अंग अपना काम नहीं कर पाएगा. ऑक्सीजन हमारे लिए प्राण वायु है. यानी ये है तो हम हैं ये नहीं तो हम नहीं. हमारे शरीर के सभी कामों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन जिम्मेदार है. हमारे शरीर के उतकों और कोशिकाओं में ऑक्सीजन रक्त के माष्यम से पहुंचता है. रक्त में मौजूद आयरन से क्रिया करके हिमोग्लोबिन सभी जरूरतमंद अंगों तक पहुंचता है. हमारे शरीर में ये प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. जब हम सो रहे होते हैं तब भी ये प्रक्रिया चलती ही रहती है. लेकिन जब किसी कारणवश ऑक्सीजन का स्तर नीचे आ जाता है तब इसे हाइपोजेमिया या हाइपोक्सिया कहा जाता है. इसका मुख्य लक्षण है साँस लेने में तकलीफ होना.
कैसी होती है हाइपोजेमिया की जांच?
हाइपोजेमिया की जांच डॉक्टर आपके शरीर में नजर आने वाले लक्षणों के आधार पर करता है. ऑक्सीजन के स्तर रक्त की जाँच करने के लिए आपके किसी भी आर्टरी से रक्त का नमूना लिया जाता है और फिर उसमें ऑक्सीजन के स्तर की जाँच की जाती है. इसके अलावा, ऑक्सीमीटर के द्वारा भी, शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की जाँच की जा सकती है. ये बहुत आसान प्रक्रिया है जिसमें एक छोटी सी क्लिप को आपकी ऊँगली पर लगाकर रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को छोटी सी स्क्रीन पर दिखाया जाता है.
हमारे शरीर में ऑक्सीजन का सामान्य स्तर?
हमारे शरीर में ऑक्सीजन का सामान्य स्तर 95 से 100 तक होता है. लेकिन जब ये 90% से नीचे जाने लगता है तो इसे ऑक्सीजन का कम स्तर माना जाता है. ऑक्सीजन के स्तर को बना कर रखने का एक तरीका यह भी है कि अस्थमा जैसी बीमारी को नियंत्रण में रखा जाए. इस बीमारी के कारण, बहुत से हो सकते हैं, जिनमें से फेंफड़ों के रोग जैसे अस्थमा, न्यूमोनिया यानी (सी.ओ.पी.डी) की सभी बीमारियां शामिल हैं. इसके अलावा शरीर में ऑक्सीजन की कमी का सबसे प्रमुख कारण आयरन की कमी होता है. इस बीमारी के लक्षण, साँसों में तकलीफ, हृदय गति बढ़ जाना, साँसे तेज हो जाना, त्वचा का रंग नीला हो जाना, अकारण ही पसीना निकलना, मानसिक भ्रम हो जाना के रूप में सामने आते हैं.
हाइपोजेमिया के कारण
आमतौर पर तो ये किसी को भी हो सकता है लेकिन बीमारीग्रस्त इंसान को होने की संभावना ज्यादा रहती है. ये उन लोगों में ज्यादा हो सकता है जिन्हें साँसों से संबंधित अन्य परेशानी जैसे अस्थमा, निमोनिया आदि बीमारियां होती हैं. इसका कारण हमारे शरीर में होने वाली आयरन की कमी है.
हाइपोजेमिया के लक्षण
- हृदय गति बढ़ जाना.
- त्वचा का नीला पड़ना.
- सीने में दर्द होना.
- सांस लेने में तकलीफ होना.
- साँसे तेज हो जाना.
- बिना शारीरिक मेहनत के पसीना आना.
- त्वचा की नमी खोना.
- मानसिक भ्रम.
कैसे बचा जा सकता है हाइपोजेमिया से
जैसा कि आमतौर पर कुछ सावधानियां बरतकर हम किसी भी बिमारी की संभावना को कुछ हद तक कम कर सकते हैं. ठीक उसी तरह हाइपोजेमिया से से बचने के लिए भी कुछ प्राथमिक उपाय कर सकते हैं. हलांकि इस तरह की गंभीर बीमारियों को बेहतर इलाज के द्वारा ही ठीक किया जा सकता है. फिर भी निम्लिखित सावधानियां बरतकर हम इसकी संभावना को जरुर कम कर सकते हैं.
- रोजाना पांच से दस मिनट एक्सरसाइज जरूर करें.
- आयरन से भरपूर भोजन करें.
- कमरा बंद ना रखें, सबुह के समय खिड़कियां जरूर खोलें.
- पानी पर्याप्त मात्रा में पीयें, रोज 8 से 10 गिलास पानी पीयें.
- अपने घर में पेड़-पौधे जरूर लगायें जिससे हरियाली बनी रहे.
नोट :- यदि आपको इस तरह की कोई समस्या होती है तो प्राथमिक तौर पर आप इन्हें आजमा सकते हैं लेकिन चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है.