शहद के नुकसान - Shahad Ke Nuksan!
शहद की मिठास ने इसे लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बनाया है. इसके साथ ही इसके तमाम औषधीय गुण इसके लिए सोने पर सुहागे जैसा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मनुष्यों ने लगभग 8,000 साल पहले शहद के लिए शिकार करना शुरू किया था और जॉर्जिया में सबसे पुराने शहद के अवशेष पाए गए है. जहां पुरातत्त्वविदों ने पाया कि मिट्टी के पात्रों की भीतरी सतहों पर शहद बनी हुई है. माना जाता है की यह मिट्टी के पात्र लगभग 5,000 वर्ष पुराने प्राचीन मकबरे में पाए गए थे. जाहीर है प्रत्येक औषधि के कुछ नुकसान भी होते हैं तो इस लेख के माध्यम से हम शहद के नुकसान पर ही चर्चा करेंगे.
कैसे बनता है शहद?
कीड़ो द्वारा बनाया गया एकमात्र भोजन शहद ही है जिसका उपयोग मनुष्यों द्वारा किया जाता है. मधुमक्खियों को शहद की थोड़ी मात्रा का उत्पादन करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है. एक पौंड शहद के उत्पादन के लिए, मधुमक्खियों के समूह को लगभग दो मिलियन फूलों से मधु (nectar) इकट्ठा करना होता है और इसके लिए कम से कम 55,000 मील की दूरी पर उड़ना पड़ता है. कुल मिलाकर, एक मधुमक्खी का समूह एक वर्ष में लगभग 100 पाउंड शहद का उत्पादन कर सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, शहद बनाने के दौरान मधुमक्खी बिलकुल भी आराम नहीं करती है और न ही सोती है. वे नृत्य करके और फेरोमोन नामक पदार्थ उत्त्पन्न करके एक दूसरे से संवाद करती हैं.
शहद के नुकसान-
शहद के गुणों और स्वाद को देखते हुये स्वास्थ्य लाभ के हेतु इसे अपनी आहार योजना में शामिल करना अच्छा है. लेकिन शहद को अनुचित मात्रा में प्रयोग करने पर इसके कुछ नुकसान भी है जिन्हे ध्यान में रखना जरुरी है. इसके
निम्नलिखित नुकसानों पर एक नजर डालें.
* 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को न दें: - लेकिन, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे शिशु बोटुलिज़्म हो सकता है. इसका अर्थ है की शिशु के शरीर में विषाक्तता हो जाती है जिससे उनकी मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और उन्हें साँस लेने में भी परेशानी होती है.
* आवश्यकता से अधिक सेवन न करें: - शहद की अत्यधिक मात्रा गंभीर पेट की परेशानी का कारण बन सकता है. फ्रुक्टोज़ से युक्त होने के कारण, यह आपकी छोटी आंत के पोषक तत्वों की अवशोषण क्षमता को बाधित कर सकता है.
* कई बीमारियों का कारण भी बन सकता है: - यह आपकी जठरांत्र प्रणाली पर भी दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ सकता है और कई गैस्ट्रिक मुद्दों का कारण बन सकता है जैसे सूजन, गैस, ऐंठन आदि. कभी-कभी यह दस्त या पेट की ख़राबी जैसी गंभीर स्थिति की ओर भी ले जाता है.
* कुछ लोगों को एलर्जी भी हो सकती है: - कच्चे शहद का सेवन हल्की एलर्जी भी दे सकता है. यह फूलों का असंसाधित अमृत है जिसमें पराग, कीटनाशक और अन्य रसायन हो सकते हैं. इसका प्रत्यक्ष उपभोग एलर्जी के लक्षणों जैसे सूजन, खुजली, चकत्ते, पित्ती, खाँसी, दमा, श्वास की मुसीबतें, निगलने में कठिनाई का कारण बन सकता है.
* तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ता है: - कच्चे शहद में ग्रायनोटौक्सिन्स नामक रासायनिक यौगिक होते हैं जो हमारे तंत्रिका तंत्र के लिए ज़हरीले होते हैं. सामान्य रूप में, यह विषाक्त पदार्थ पाश्चराइज़ेशन के दौरान भोजन से निकल जाते हैं. लेकिन जब कच्चे शहद का सेवन किया जाता है, वे हमारी तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे हमारे तंत्रिका तंत्र की सामान्य गतिविधियों पर असर हो सकता है.
* दांतों के लिए भी हो सकता है नुकसानदेह: - बड़ी मात्रा में हर दिन इसे लेने से हमारे मुंह के अंदर बैक्टीरियल गतिविधिया बढ़ती है. इसकी खपत से काफी हद तक दाँत क्षय हो सकता है. आप अपने दांतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और मौखिक गुहा को रोकने के लिए शहद का सेवन नियंत्रित मात्रा में करें.
शहद में मौजूद गुण और पोषक तत्व-
ऐसा कहा जाता है कि शहद कभी भी खराब नहीं होता है. क्योंकि शहद का रासायनिक यौगिक ऐसा होता है जो इसे बैक्टीरिया के प्रभाव से बचाएं रखता है. शहद ग्लूकोज़, फलशर्करा और खनिजों जैसे लोहा, कैल्शियम, फॉस्फेट, सोडियम, क्लोरीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम से परिपूर्ण होता है. यह विटामिन बी 1, बी 2, बी 3, बी 5 और बी -6 में भी काफी समृद्ध है. इसके साथ ही शहद में एंटीसेप्टिक (रोगाणु रोधक), एंटीबायोटिक (प्रतिजीवाणु) और अन्य औषधीय गुण भी होते हैं. जिनके कारण यह स्वास्थ सम्बन्धी कई समस्याओं के इलाज़ में लाभकारी है.