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Last Updated: Apr 13, 2019
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खर्राटे का आयुर्वेदिक इलाज - Kharrate Ka Ayurvedic Ilaj!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 16 Years Exp.BAMS
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सोते वक्त सांस के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन आना खर्राटे कहलाता है. कई बार खर्राटे हेल्थ संबंधी परेशानियों की ओर इशारा करते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. कई बार खर्राटे हल्की आवाज में आते हैं लेकिन अक्सर ये आवाजें इतनी तेज और कठोर होती हैं कि साथ सोने वाले शख्स की नींद उड़ा देती हैं. आपको बता दें कि खर्राटों का इलाज समय पर न किये जाने के कारण आपको स्लीप एप्निया जैसी बीमारी का शिकार होना पड़ सकता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम कर्राते के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानें.

घरेलू उपायों से दूर करें खर्राटे-

  • आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक सोते समय सिर को थोड़ा ऊंचा करके सोएं. अगर आप तकिए का इस्तेमाल नहीं करते तो किसी चादर या कपड़े की दो-तीन फोल्ड करके सिर के नीचे रखें.
  • नहाने से बाद और सोने से पहले नाक में सरसों के तेल की 2-3 बूंदें डाल लें. इससे खर्राटों को रोका जा सकता है.
  • अगर खर्राटे आने का कारण मोटापा है तो रोज सुबह 15 मिनट अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें.
  • अगर सांस के रास्ते में किसी तरह की कोई परेशानी है तो उसके लिए रोज 2 मिनट कपालभाति करें. इससे सांस का रास्ता टाइट हो जाता है. अगर नाक का मांस बढ़ा हुआ है तो यह काफी मददगार हो सकता है.
  • अगर खर्राटे आने का कारण जीभ का मोटा होना है तो उसके लिए पहले अपनी जीभ को टंग क्लीनर से साफ करें. इसके बाद जीभ पर थोड़ा-सा घी लगाकर जीभ को मरोड़ना है. ऐसा रोजाना करने से जीभ पतली हो जाएगी.
  • अगर बच्चों के टॉन्सिल्स बढ़ जाते हैं तो इसके लिए गर्म पानी और नमक के गरारे बेहतर ऑप्शन है. अगर बच्चा ज्यादा छोटा है तो कपड़े की पोटली बना कर उससे बाहर से गले की सिकाई करें. साथ ही, उन्हें मधुयष्टि चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम भी दे सकते हैं. (5 साल तक के बच्चों को आधा चम्मच चूर्ण और इतनी ही मात्रा में शहद दें. 10-12 साल तक के बच्चों को ½एक चम्मच चूर्ण और इतनी ही मात्रा में शहद दें.)


ऐसे भी कर सकते हैं कंट्रोल-

  • अगर खर्राटे आने का कारण ज्यादा वजन है तो समय रहते वजन कंट्रोल करें. डाइटीशन से कॉन्टैक्ट कर खाने की आदत बदलें. जिम जॉइन करें. नियमित योग और एक्सरसाइज करने से वजन को कंट्रोल किया जा सकता है.
  • पीठ के बल सोने की बजाय करवट लेकर सोएं. इससे सांस की नली में रुकावट नहीं होती.
  • नाक की हड्डी में समस्या हो या फिर मांस बढ़ा हो तो डॉक्टर से समय रहते मिलें.
  • रात के समय हल्का खाना खाएं.


गले की रेग्युलर एक्सरसाइज करें.

  • कई बार प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ने या सोने की स्थिति सही न होने पर भी खर्राटे आते हैं. ऐसे में करवट लेकर सोना चाहिए.
  • सोते समय सिर को थोड़ा ऊंचा करके सोएं. इससे आपकी जीभ और सांस की नली में रुकावट नहीं आएगी.


बच्चों में खर्राटे रोकने के उपाय-
अगर बच्चों के टॉन्सिल्स या गिल्टी बढ़ी हुई हो तो सर्जरी करके बच्चों को स्लीप एप्निया होने से बचाया जा सकता है. कई बार यूव्यल को भी काट दिया जाता है ताकि बच्चे को आगे जाकर एप्निया जैसी बीमारी न हो जाए. नाक की हड्डी बढ़े होने पर 16-17 साल तक उसकी सर्जरी नहीं की जाती.

सर्जरी से होंगे खत्म-
समस्या के गंभीर होने पर सर्जरी के विकल्प का भी चयन किया जा सकता है. इस विकल्प को चुनने से स्नोरिंग की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है. तालू, टॉन्सिल्स, नाक का मांस आदि बढ़े होने पर इन्हें सर्जरी से सही किया जा सकता है. हमारे जीभ के मोटी हो जाने पर हम उसकी सर्जरी करके उसे पतला करा सकते हैं. हर सर्जरी का खर्च अलग-अलग है. कम-से-कम 40 से 50 हजार रुपये तक का खर्च आता है. आजकल रेडियोफ्रीक्वेंसी तकनीक की सहायता से ये सर्जरी की जाती हैं.

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