कंधे का उतरना - Kandhe Ka Utarna!
कंधे का उतरना नाम से ही स्पष्ट है कि ये कन्धों के जकड़न से संबंधित परेशानी है. हमारे आम जीवन में कई बार अक्सर ऐसा होता है कि हमें अपने हाथ को सर के ऊपर और कन्धों के पीछे ले जाने में काफी दिक्कत महसूस होता है. ऐसा लगता है जैसे कि कंधे जकड़ गए हैं. आजकल ये एक आम समस्या है. इसके बारे में लोगों में कम जागरूकता होने के वजह से कई बार समस्या घटने के बजाय बढ़ जाती है. इसके उपचार में गलत तरीके से मालिश करा लेने से ये और बढ़ जाता है. इसलिए जरुरी है कि हम कंधे का उतरना की बीमारी और इसके उपचार के बारे में जानें. इसके बारे में सही जानकारी प्राप्त करके ही हम इससे निपट सकते हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम कंधे के उतरने के कारणों और इसके उपचार समेत अन्य पहलुओं पर एक नजर डालें ताकि हम इस विषय में जागरूक हो सकें.
कंधे के उतरने का क्या है कारण?
कंधे का उतरना की बीमारी होने के कई कारण हैं. लेकिन मधुमेह से पीड़ित लोगों में ये बिमारी होने की संभावना ज्यादा होती है. इस बिमारी में हमारे कंधे के कैपस्युल में जकड़न आ जाती है. जिससे हमें अपने हाथों को ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं करने में परेशानी आने लगती है. कई बार ये पहले एक कंधे में होती है फिर इसके बाद ये दुसरे कंधे में भी हो जाती है. ये बिमारी हमें कंधे में चोट लगने या कंधे के ऑपरेशन के कारण भी हो जाती है. लेकिन कई बार इसके होने का कारण कंधों में पानी भर जाना या नसों का फट जाना भी होता है. इसमें शुरुवात में तो कम दर्द होता है लेकिन ये धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. पीड़ित व्यक्ति को सोने और स्नान करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कंधे का उतरना के उपचार के तरीके-
इस बिमारी का उचित उपचार बेहद आवश्यक है क्योंकि गलत उपचार से आपकी समस्या बढ़ सकती है. इसलिए ये जरुरी है कि इसका उपचार किसी विशेषज्ञ के द्वारा ही किया जाए. कंधे का उतरना के लक्षण अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग होते हैं. इसलिए इसका उपचार इसके लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है. इसके लिए कई बार एक्स-रे या एमआरआई करने की भी आवश्यकता होती है. लेकिन ये सभी किसी प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट के देखरेख में ही होना चाहिए. फिजियोथेरेपी में भी इसका उपचार किया जाता है. इसका उपचार करने के लिए अल्ट्रासाउंड या इन्फ्रारेड मशीनों का प्रयोग भी किया जाता है. इससे कंधे की सिकाई की जाती है. इसके साथ ही मरीज को कंधे हिलाते रहने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है. इन उपचारों को करते रहने से आप जल्दी ही लाभ प्राप्त करते हैं.
ऑथ्रोस्कोपी भी है मददगार-
उपरोक्त तरीकों के अलावा ऑथ्रोस्कोपी की सहायता से भी इसका उपचार किया जाता है. जाहिर है ऑथ्रोस्कोपी एक उन्नत तकनीक है जिसमें दूरबीन के जरिए उपचार को अंजाम दिया जाता है. इसमें बिना किसी सर्जरी के ही लेजर का इस्तेमाल करके कंधे की जकड़न को दूर किया जाता है. चूँकि ये सस्ता और आसान है इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है. इसके अलावा इसमें समय भी कम लगता है. एक दिन अस्पताल में रुकने के पश्चात आपकी समस्या खत्म हो जाती है और मरीज आसानी से अपनी दिनचर्या की शुरुवात कर सकता है. ऑथ्रोस्कोपी हमारे शरीर में होने वाली जोड़ों से संबंधित अन्य परेशानियों को भी दूर करने का काम करता है. कई जटिल बिमारियों के उपचार में ये सहायक सिद्ध होता है. कंधे की नसों के फटने और कंधे के बार-बार उतर जाने का उपचार भी इस तकनीक के द्वारा किया जा सकता है. घुटने में भी कई बार इसक तरह के लक्षण दीखते हैं और इसका उपचार भी किया जा सकता है. उपचार की ये विधि धीरे-धीरे काफी लोकप्रियता हासिल कर रहा है. इससे कई मरीजों को लाभ मिल चुका है.