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Last Updated: Dec 06, 2022
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How to make sperm in Hindi - स्पर्म कैसे और कितने दिन में बनता है

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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स्पर्म पुरुषों में प्रजनन के लिए आवश्यक है. इसके बिना संतान की उत्पत्ति संभव नहीं है. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर स्पर्म बनता कैसे है? इसके बनने की प्रक्रिया क्या है? तो इस सवाल के जवाब में ये कहा जा सकता है कि स्पर्म, पुरुषों के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टेट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल नामक ग्रंथियों में से निकलने वाले रसों से निर्मित होता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म की मौजूदगी होती है. ये स्पर्म इसी वीर्य में तैरते रहते हैं. पुरुष जनांग के नीचे लटकने वाले अंडकोष यानी शुक्राशय में शुक्राणु निर्मित होते हैं. इसका कारण ये है कि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की आवश्यकता होती होती है.

आइए जानें कि स्पर्म कैसे बनता है किस उम्र में स्पर्म बनना शुरू होता है?

स्पर्म कैसे बनता है और किस उम्र से बनना शुरू होता है - Sperm Kaise Banta Hai Aur Kis Umra Mein Shuru Hota Hai

अब तक आपने ये तो समझ ही लिया होगा कि शुक्राणु कैसे बनते हैं. अब हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि किशोवस्था तक शुक्राशय में शुक्राणुओं का निर्माण शुरू नहीं होता है. इसकी शुरुवात लगभग 11 से 13 साल के बीच ही होती है है और 17-18 साल तक इसकी प्रक्रिया में तेजी आ जाती है. अंडकोष से निकलकर शुक्राणु इसके ऊपरी हिस्से में तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हुए इकट्ठा रह सकते हैं. जहां तक बात है शुक्राणुओं के बनने के पूरी प्रक्रिया की तो इसमें करीब 72 दिन का समय लग जाता है. यानि कि ये शुक्राणु किशोरवस्था से बनना शुरू होकर जिंदगीभर बनते रहते हैं. शुक्राणुओं के निर्माण में हमारे मस्तिष्क के पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसलिए इन हार्मोन्स की कमी होने पर शुक्राणु नहीं बन पाते हैं.

शुक्राणुओं के बनने की प्रक्रिया - Sperm Banane Ke Pura Tarika

पुरुषों का शरीर लाखों सूक्ष्म शुक्राणुओं का उत्पादन करने के लिए लगभग निरंतर ही काम पर लगा रहता है. स्पष्ट है कि हर शुक्राणु का एकमात्र उद्देश्य डिंब की ओर तैरकर आना और उसमें मिल जाना होता है. यदि शुक्राणुओं के बनने की शुरुआत से अंत तक का समय देखें तो एक नई शुक्राणु कोशिका के निर्मित होने में करीब 2-3 महीनों का समय लग जाता है. यहाँ ये भी जान लेना आवश्यक है कि एक औसत शुक्राणु का औसत उम्र पुरुषों के शरीर में केवल कुछ ही हफ्तों का होता है.

बता दें कि प्रत्येक वीर्यपात के साथ कम से कम चार करोड़ शुक्राणु बाहर आते हैं. महिलाओं में ओव्यूलेशन को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन ही पुरुषों में टेस्टोस्टीरोन के निर्माण की प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं. पुरुषों में शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए टेस्टोस्टीरोन हॉर्मोन ही जिम्मेदार होता है. शुक्राणुओं का उत्पादन की शुरुवात वीर्यकोष में ही प्रारंभ होता है. वीर्यकोष, लिंग के नीचे अंडकोषीय थैली में दो ग्रंथियां होती हैं. वीर्यकोष शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि ये तापमान के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं. कुशलतापूर्वक स्वस्थ शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए इनका 34 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रहना जरुरी है. यह शरीर के सामान्य तापमान से करीब चार डिग्री अधिक ठंडा होता है.

स्पर्म की भूमिका - Sperm Itna Zaruri Kyu Hai

शुक्राणु के निर्मित हो जाने के बाद यह दोनों वीर्यकोषों के अधिवृषण में इकट्ठा हो जाता है. आपको बता दें कि अधिवृषण एक छह मीटर लंबी लच्छेदार नलिका होती है. वीर्य के निकलने से ठीक पहले शुक्राणु ऊपर की तरफ आकर वीर्य में मिल जाते हैं. हलांकी वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या लाखों में होती है लेकिन प्रत्येक वीर्यपात में केवल एक शुक्राणु ही हर अंडे को निषेचित कर सकता है.

शुक्राणु की भूमिका आपके शिशु के लिंग निर्धारण की निर्भरता इस बात पर होता है कि आपका कौन सा शुक्राणु पहले डिंब से मिलता है. वाई (Y) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटे का जन्म होगा और एक्स (X) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटी का जन्म होता है. ऐसे बहुत से मिथक प्रचलित हैं, जो बताते हैं कि बेटा या बेटी पाने के लिए गर्भाधान कैसे किया जाए.

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