हार्मोन इन ह्यूमन बॉडी - Hormones In Human Body In Hindi!
हार्मोन्स हमारे शरीर में संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं. हमारे शरीर में जीतने भी प्रकार के हार्मोन्स पाए जाते हैं उनमें से प्रत्येक हार्मोन का काम शरीर के विभिन्न अंगों तक जरूरी सूचनायें पहुंचाने का होता है. आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इन्हीं सूचनाओं के आधार पर आपके मूड, हेल्थ, वजन, पाचन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी बातों को समझने में मदद मिलती है. हार्मोन्स न सिर्फ हमारे शरीर की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं, बल्कि तंत्रिका तंत्र की तमाम गतिविधियों को भी नियंत्रित करते हैं. व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए बॉडी में हार्मोन्स का संतुलन बना रहना महत्वपूर्ण है. हार्मोन्स बॉडी को ही नहीं, माइंड और इमोशन को भी प्रभावित करते हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम बॉडी में पाए जाने वाले विभिन्न हार्मोन्स के बारे में जानें ताकि इस टॉपिक में लोगों की जानकारी बढ़ सके.
टेस्टोस्टेरोन-
पुरुषों और महिलाओं दोनों में लो टेस्टोस्टेरोन आमतौर पर बिहेवीयर में देखा जा सकता है. कुछ स्टडीज में बताया गया है कि महिलाओं में लो टेस्टोस्टेरोन के कारण से सेक्स के प्रति कम रूचि, हार्ट डिजीज और ब्रैस्ट कैंसर होने की जोखिम ज्यादा होती है. एक स्टडीज के अनुसार लो टेस्टोस्टेरोन के कारण मोर्टेलिटी रेट में भी वृद्धि देखी गयी है. टेस्टोस्टेरोन की अधिकता से पिम्पल्स,पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, चेहरे और हाथ पर ज्यादा बाल, हाइपोग्लाइसीमिया, हेयरफॉल, बांझपन और ओवेरियन अल्सर जैसी समस्यायें हो सकती हैं. जबकि इसकी कमी वजन बढ़ना, थकान, चिड़चिड़ापन और शीघ्रपतन जैसी समस्याओं का कारण बनती है.
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लेप्टिन-
लेप्टिन हार्मोन का उत्पादन फैट सेल्स के माध्यम से किया जाता है. लेप्टिन का एक प्रमुख काम एनर्जी के लिए बॉडी की फैट स्टोर का इस्तेमाल करने के लिए माइंड को निर्देश देना है. इसकी कमी से दिमाग में प्रोटीन की कमी हो जाती है और नसों से जुड़े कार्यों पर भी प्रभाव पड़ता है. यह घ्रेलिन नामक भूख दिलाने वाले हार्मोन के कार्य को प्रभावित करता है जिससे आपको निरंतर खाने की इच्छा बनी रहती है और ज्यादा खाने की वजह से मोटे होने लगते हैं.
इन्सुलिन-
इन्सुलिन हार्मोन हमारे खून में ग्लूकोज के स्तर को नियमित करता है और अगर यह बनना कम हो जाता है तो इसकी कमी से हमारे खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और यह स्थिति ही डायबिटीज पैदा करती है. जब भी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है तो यह अग्नाशय ग्रंथि को बताता है कि वो इन्सुलिन हार्मोन को स्त्रावित करें| इन्सुलिन हार्मोन की कमी से डायबिटीज, थकान, अनिद्रा, कमजोर स्मृति और तेजी से वजन बढ़ना जैसी समस्यायें हो जाती हैं.
कार्टिसोल-
कार्टिसोल एड्रेनल ग्लैंड में पाया जाने वाला एक आवश्यक हार्मोन है. एड्रेनल में थकान कोर्टिसोल के असंतुलन के कारण होती है. एड्रेनल थकान आमतौर पर एक माइंड स्ट्रेस की समस्या है. इसके असंतुलन से नींद आना, चक्कर आना, नाखूनों का कमजोर होना, ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ना और वजन बढ़ने जैसी समस्यायें हो सकती हैं.
थायरायड-
आपके बॉडी की हर सेल्स को सही से काम करने के लिए और स्वस्थ्य रखने के लिए थायराइड हार्मोन की जरूरत है. थायराइड ग्लैंड एक ऐसे हार्मोन का उत्पादन करती है जो बॉडी के एनर्जी के उपयोग की कार्यविधि को प्रभावित करता है. इसकी कमी से डिप्रेशन, मानसिक सुस्ती, कब्ज, स्किन ड्राई होना, नींद ज्यादा आना और हेयर फॉल जैसी समस्यायें हो जाती हैं.
एस्ट्रोजन-
एस्ट्रोजन के तीन रूप एस्ट्रोन(E1), एस्ट्राडियोल (E2) और एस्ट्रियोल(E3) का सही अनुपात महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए आवश्यक है. रिसर्च के अनुसार एस्ट्रोजन का लेवल बिगड़ने से ह्रदय संबंधी बीमारियां और कैंसर तक हो सकता है. एस्ट्रोजन की कमी के कारण वैजाइना में सूखापन, सेक्स के समय दर्द, यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण और डिप्रेशन की समस्यायें होती हैं. इसकी अधिकता से अनिद्रा, माइग्रेन, तेजी से वजन का बढ़ना, पित्ताशय से जुड़ी समस्यायें और महिलाओं में माहवारी के समय अधिक ब्लड सोक्रेशन की समस्यायें हो जाती है.
प्रोजेस्टेरोन-
पुरुषों और महिलाओं दोनों में हेल्थी प्रोजेस्टेरोन संतुलन की जरूरत होती है. प्रोजेस्टेरोन, अतिरिक्त एस्ट्रोजन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है. अच्छे प्रोजेस्टेरोन के बिना, एस्ट्रोजन हानिकारक और कंट्रोल से बाहर हो जाता है. इसकी कमी से अनिद्रा, ब्रैस्ट पेन, वजन बढ़ना, सिरदर्द, स्ट्रेस और बांझपन जैसी समस्यायें हो सकती हैं.