फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज - Fungal Infection Ka Ayurvedic Ilaj in Hindi
फंगल इन्फेक्शन को कवक संक्रमण के नाम से भी जाना जाता है. यह एक सामान्य समस्या है जो तब होता है, जब शरीर के किसी अंग पर फंगस लग जाती है और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उससे लड़ नहीं पाती है, जिससे हमारा शरीर प्रभावित होना शुरू हो जाता है. फंगस हवा, मिट्टी, पानी और पौधों में मौजूद हो सकते हैं. पर्यावरण में कवक की 50,000 से अधिक विभिन्न प्रजातियां हैं, लेकिन केवल 20 से 25 प्रजातियां मनुष्यों में संक्रमण का कारण बन सकती हैं। कुछ कवक प्राकृतिक रूप से मानव शरीर में मौजूद होते हैं जिसमे से कुछ उपयोगी कवक होते हैं, तो कुछ नुकसानदायक भी होते हैं. यह नुकसानदायक फंगस जब हमारे बॉडी पर अटैक करते हैं, तो उन्हें मारना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वे हर तरह के पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं. हालांकि, कभी-कभी कुछ कारक कवक को अधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं या बदल सकते हैं, और इससे फंगल संक्रमण हो सकता है। आइए फंगस इन्फेक्शन के ईलाज के बारे में जानें.
फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज - Fungal Infection Ka Ayurvedic Ilaj in Hindi
- हल्दी
हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होता है जो डीकन्जेस्टैंट की तरह कार्य करता है और खुजली के लक्षणों को ठीक करने में मदद करता है. इसके साथ ही हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिसका उपचार जड़ से करते हैं. कांच के जार में 6 चम्मच हल्दी पाउडर और शहद मिक्स करें. इस मिक्सचर को अच्छे से चला लें. जब खुजली का मौसम होता है तो इस मिश्रण को दिन में दो बार एक-एक चम्मच खाएं. - लहसुन
लहसुन में प्राकृतिक एंटीबायोटिक होते हैं जो खुजली के लिए काफी प्रभावी है. लहसुन के एंटीवाइरल और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण डॉक्टर से आपको दूर रखते हैं. एक या दो हफ्ते के लिए रोज़ाना दो या तीन लहसुन की फांकें खाएं. अगर आपको लहसुन की गंध अच्छी नहीं लगती तो आप डॉक्टर से पूछने के बाद लहसुन के सप्लीमेंट्स को ले सकते हैं. - शहद
ज़्यादातर लोगों ने ये कहा है कि लोकल शहद खाने से उन्हें खुजली सीजन के लक्षणों से राहत मिलती है. मधुमक्खियों द्वारा बनने वाला लोकल हनी खुजली को दूर करने में मदद करता है. खुजली सीजन के लक्षणों से राहत पाने के लिए पूरे दिन में तीन या चार बार एक या इससे ज़्यादा चम्मच शहद ज़रूर खाएं. अच्छा परिणाम पाने के लिए खुजली सीजन शुरू होने से एक महीना पहला आप ये लोकल शहद खाना शुरू कर दें. - भाप से फायदा-
भाप खुजली के कई लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करता है. ये इरिटेटेड साइनस से राहत दिलाता है साथ ही नाक की नली से भी बलगम और अन्य इरिटैंट को भी साफ़ करता है. इसके लिए पानी को भाप निकलने तक उबालें. अब इस पानी को किसी बड़े बर्तन में कर लें. फिर उसमें तीन से चार बूँद नीलगिरी तेल, पेपरमिंट तेल, रोज़मेरी या टी ट्री तेल की डालें. अब अपने सिर पर तौलिये को रखें और बर्तन के पास ध्यान से झुक जाएँ. फिर दस मिनट तक गर्म पानी से भाप लें. - नींबू
नींबू एक प्राकृतिक एंटीहिस्टामिन है और विटामिन सी का एक एक अच्छा स्त्रोत भी है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण भी होते हैं. ये एन्टिटॉक्सिन की तरह भी काम करता है. नींबू खुजली की समस्या के लिए बेहद फायदेमंद है. मौसम के अनुसार खुजली शुरू होने से पहले रोज़ाना सुबह रोज़ एक कप पानी में ताज़ा नींबू का जूस निचोड़कर पीना शुरू कर दें. जब तक खुजली सीजन चला नहीं जाता तब तक रोज़ाना इस मिश्रण को पीते रहें. - नमक का पानी
रोज़ाना नाक को सलाइन से साफ़ करने से राइनाइटिस खुजली के लक्षणों को सुधारने में मदद मिलती है. सबसे पहले एक चम्मच बिना आयोडीन युक्त नमक लें और चुटकीभर बेकिंग सोडा लें और फिर इन्हे एक चौथाई गर्म पानी में मिला दें. फिर मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें. अब सिंक की तरफ झुके और अपनी एक नाम में इस मिश्रण की दस बूँदें डालें. फिर इस मिश्रण को या तो नाक से निकाल लें या मुँह से निकालें. - सेब का सिरका
सेब का सिरका खुजली के लिए बहुत ही पुराना उपाय है. इसके एंटीबायोटिक और एंटीहिस्टामिन गुण खुजली रिएक्शन का इलाज करने में मदद करते हैं. ये खुजली के कारणों का इलाज करता है और जल्दी जल्दी आने वाली छीकों, बंद नाक, खुजली, सिर दर्द और कफ के लक्षणों को भी ठीक करता है. एक चम्मच सेब के सिरके को एक ग्लास पानी में मिलाएं. फिर इसमें एक चम्मच ताज़ा नींबू का जूस और एक या आधा चम्मच शहद मिलाकर पी जाएँ. - बिच्छू बूटी
बिच्छू बूटी मौसम के अनुसार होने वाली क्रोनिक खुजली के लिए बेहद प्रभावी है. प्राकृतिक एंटी हिस्टामिन होने की वजह से बिच्छू बूटी शरीर के हिस्टामिन के उत्पादन को बंद कर देती है और फिर आखिर में कई खुजली के लक्षणों से आराम दिलाने में मदद करती है. सबसे पहले एक कप पानी में एक चम्मच सूखे बिच्छू बूटी की पत्तियों को डाल दें. पांच मिनट तक इस मिश्रण को उबलने के लिए रख दें. फिर इस मिश्रण को छान लें और अब इसमें थोड़ा शहद मिलाकर पी जाएँ. इस चाय को पूरे दिन में दो या तीन बार ज़रूर पियें. - पेपरमिंट
पेपरमिंट में सूजनरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टेरियल गुण होते हैं जो खुजली रिएक्शन को कम करते हैं. पेपरमिंट चाय बनाने के लिए, सबसे पहले एक चम्मच सूखे पेपरमिंट की पत्तियों को एक कप पानी में पांच के लिए उबालने को रख दें. फिर इस मिश्रण को छान लें और ठंडा होने के लिए रख दें. अब इसे पीने से पहले इसमें एक चम्मच शहद भी मिला लें. जब तक आपको लक्षणों से निजात नहीं मिल जाता तब तक पूरे दिन में दो या तीन बार पेपरमिंट चाय का मज़ा लें.