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Last Updated: Oct 19, 2020
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दो साल के बालक का भोजन - Do Saal Ke Balak Ka Bhojan!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 16 Years Exp.BAMS
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किसी भी बच्चे का जन्म प्रत्येक मां-बाप के लिए खुशियों का मौका होता है. बच्चों की ख्वाहिश हर मां-बाप को होती है लेकिन असली परेशानियां तो बच्चे पैदा होने के बाद ही शुरू होती है. यदि बचपन से ही उनका ध्यान ठीक से नहीं रखा गया तो आगे चलकर कोई परेशानी उत्पन्न हो सकती है. हम सभी अपने शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व और अन्य पदार्थों की आपूर्ति भोजन के माध्यम से ही करते हैं. इसलिए बच्चों के भोजन का भी उचित ध्यान रखना पड़ेगा खास करके ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 2 साल से भी कम है. वह ठीक से बोल भी नहीं पाते इसलिए उनके पूरे देखरेख की जिम्मेदारी माता-पिता की की होती है. उन्हें कब कौन सा खाद्य पदार्थ कितनी मात्रा में देनी है इस बात की जानकारी उन्हें होनी ही चाहिए ताकि बच्चे को उचित पोषण मिल सके. इसके लिए विशेषज्ञों ने आहार नियम बनाए हैं.
आइए इस लेख के माध्यम से 2 साल के बालक का भोजन कैसा हो इस पर एक नजर डालें.

1. जन्म से 6 माह तक के आहार नियम

जन्म से 6 माह तक का समय किसी भी बच्चे के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि इस दौरान बच्चा अभी हमारी दुनिया के संपर्क में आया ही होता है। अभी उसका शरीर बाहरी पर्यावरण के अनुकूल नहीं होता. अनुकूलन की प्रक्रिया शुरुआती स्तर पर होती है इसलिए इस दौरान बच्चों को सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए. क्योंकि प्राकृतिक रूप से बच्चा गर्भ के दौरान से इसका अभ्यस्त होता है. मां के दूध में बच्चे के लिए पोषण मौजूद होता है. इसमें ना सिर्फ पोषक तत्वों की मौजूदगी होती है बल्कि इसमें बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटीबॉडीज और सफेद रक्त भी मौजूद होता है. लेकिन यदि किसी कारणवश मां को पर्याप्त दूध नहीं आ रहा हो तो चिकित्सक की मदद से मां के दूध की तुलना में गाय, भैंस या अन्य किसी चीज का दूध जो भी चिकित्सक की सलाह हो वह बच्चे को दे सकते हैं. लेकिन यदि मां को पर्याप्त दूध आ रहा है तब बच्चे को पानी भी नहीं पिलाना चाहिए.

2. 6 से 12 माह के दौरान बच्चे का भोजन
जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तब आप उसे पूरी तरह से पका हुआ अनाज, सब्जियां, दालें, फल आदि खिलाना शुरू कर सकते हैं. फिर धीरे-धीरे आर की मात्रा और गाढ़ापन को बढ़ाते जाएं. घर पर बनाया हुआ फल का जूस, दाल का पानी, मिसा हुआ फल या सब्जी आदि भी दे सकते हैं. यहां आप को बच्चों के भूखा होने का संकेत भी समझना होगा. इसे समझने के बाद दिन भर में कम से कम चार पांच बार उन्हें खिलाएं. इसके साथ ही मां का दूध भी पिलाता है क्योंकि यह बहुत आवश्यक है.

3. 1 से 2 वर्ष के बच्चों का भजन
जब बच्चा 1 वर्ष का हो जाता है तब वह हमारी दुनिया में रहने का कुछ हद तक अभ्यस्त हो जाता है. इसलिए 1 वर्ष के बच्चों को आप चावल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल और दूध आदि खिला सकते हैं. दिन में कम से कम 5 बार थोड़ा थोड़ा करके इस तरह के आहार देते रहें. यदि वह अलग से बर्तन में खाने की जीद करें तो आपको इसकी निगरानी करनी होगी कि वह कितनी मात्रा में आहार ले रहा है? ज्यादा ठीक तो यही रहेगा कि आप खाते समय उसके साथ बैठे. और पर्याप्त मात्रा में खाने के लिए उसे प्रोत्साहित करते रहना 2 साल की उम्र तक मुझे खाने के अलावा ब्रेस्ट फीडिंग भी कराते रहें.

ध्यान रखने योग्य बातें-
इस बात का ध्यान रखना होगा कि बीमारी के दौरान भी ब्रेस्टफीडिंग बंद ना हो. बच्चों को नापसंद सब्जियां फल को अच्छे से सजाकर खाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता हैं. बीमारी के बाद बच्चों को थोड़ा अतिरिक्त आहार की आवश्यकता होती है. इसलिए ऐसे में उनके आहार का विशेष ख्याल रखना पड़ेगा. बच्चे चाकलेट या बाजार में मिलने वाले सामानों के प्रति अत्यधिक आकर्षित होते हैं. जाहीर है कि ये सभी पोषक तत्वों से रहित होते हैं इसलिए इन खिलाने से बचना चाहिए. खाने से पहले बच्चों को हाथ धुलवाने की आदत डालना चाहिए. बच्चों को जल्दी-जल्दी खाने की जगह धीरे-धीरे के लिए प्रोत्साहित करें. जल्दी-जल्दी खाना खाए तो उसे मना भी कर सकते हैं. यदि किसी विशेष खाने से बच्चे की तबीयत खराब होती है तो वो आहार खिलाने से बचें.

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