ध्यान साधना कैसे करे - Dhyan Sadhana Kaise Kare!
भारत द्वारा दुनिया को दिए गए कुछ नायाब तोहफों में से एक ध्यान साधना भी है. ध्यान साधना एक ऐसी अद्भुत विधि है जो हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारती है. मन की एकाग्रता से आने वाली शांति को पाने का रास्ता ही ध्यान है और यहीं ध्यान अष्टांग योग के अंतिम चरण में समाधि की अवस्था पा लेता है. ध्यान योग का एक ऐसा महत्वपूर्ण तत्व है जिसके माध्यम से तन, मन और आत्मा के बीच एक सुंदर औयर लयात्मक संबंध का निर्माण होता है. अंग्रेजी में इसे मेडिटेशन कहते हैं. ध्यान चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाने वाले बल्ब की तरह है. योगियों का ध्यान सूर्य के प्रकाश की तरह होता है. आइए इस लेख के माध्यम से हम ध्यान साधना करने के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालें ताकि इस विषय में लोगों को जागरुक किया जा सके.
कैसे करें शुरुआत?
मेडिटेशन के लिए सुबह का समय उत्तम है. मेडिटेशन करने से पहले ध्यान साधना जरूर करें, इससे सांस स्थिर होती है. इसके लिए चाहें तो आप योग का भस्त्रिका और कपालभाती कर सकते हैं. आप इसके अलावा शरीर को थकाने के लिए कुछ और भी कर सकते हैं. याद रखें कि मेडिटेशन को पूर्ण करने के भी आपकों ध्यान साधना जरूर करना है.
1. प्रार्थना से करें शुरुआत-
अब आप साफ वातावरण में कुश के आसन पर बैठें. इसके बाद हृदय के पास दोनों हाथ जोड़ कर अपने इष्टदेव को याद करें और मन ही मन में ध्यान साधना को पूर्ण करने के लिए उनसे आर्शीवाद लें, क्योंकि किसी भी कार्य के पूर्ण होने में आपके इष्टदेव का योगदान महत्वपूर्ण होता है.
2. शरीर की हलचलों को नजरअंदाज करें-
इसके बाद सिद्धासन में बैठकर बाएं हाथ को बाएं घुटने पर और दाएं हाथ को दाएं घुटने पर रखें. रीढ़ को सीधे रखते हुए गहरी सांस ले और छोड़ें. अपने शरीर की सभी हलचलों पर ध्यान देते हुए आपके आसपास जो भी घटित हो रहा है उस पर भी ध्यान दें.
3. पूरा ध्यान साँसों पर केन्द्रित करें-
मन को एकाग्र और चित्त को स्थिर करने का सर्वाधिक लोकप्रिय और आसान तरीका है साँसों पर ध्यान केन्द्रित करना. इसलिए अब आप अपनी सांसों को छोडने और लेने की प्रक्रिया पर ध्यान दें. सांसों की ओर ध्यान देने से चित्त शांत होने लगेगा और चित्त का शांत होना ध्यान की शुरुआत के लिए बेहद जरूरी है.
4. महसूस होने के लिए तैयार हों-
जब आप अपने पूरे ध्यान को अपने साँसों पर केन्द्रित करने में सफल हो जाएँगे तब आपके साथ कुछ अद्भुत और अनोखा घटित होगा. यदि आपको इसमें कठिनाई हो रही है तब आप सिर्फ अपनी सांसों पर ही ध्यान दें और संकल्प कर लें कि पांच मिनट तक अपने दिमाग को शून्य कर लूंगा. अब आप केवल महसूस और देखने के लिए तैयार हैं और जैसे-जैसे सुनना और देखना गहराएगा आप ध्यान में उतरते जाएंगे.
कितनी देर तक करें?
इस ध्यान विधि को नियमित 30 दिन तक 05 मिनट तक करें. 30 दिन के बाद आप 10 मिनट और फिर अगले 30 दिन के लिए 20 मिनट कर दें. इसके बाद आप जितनी अवधि और जब तक करना चाहें कर सकते हैं.
आखिर में इसका लाभ-
प्रदूषण और काम के अधिक दबाव से व्यक्ति तनाव और मानसिक थकान का अनुभव करता है. निरंतर ध्यान करने से मस्तिष्क को नयी ऊर्जा मिलती है और तनाव से बचा जा सकता है. साथ ही ध्यान लगाने वाले व्यक्ति को थकान का अहसास नहीं होता है. गहरी से गहरी नींद से भी कहीं अधिक लाभ ध्यान से मिलता है.