चिकनगुनिया बुखार कैसे होता है - Chickenguniea Bukhar Kaise Hote Hai!
चिकनगुनिया बुखार, का इलाज आज के चिकित्सा पद्धति में पूरी तरह से संभव है. बल्कि आज हम ये कहने की स्थिति में हैं कि हमारी चिकित्सा पद्धति ने लगभग सभी रोगों पर जीत पा ही ली है. कुछेक रोग ही ऐसे है जिनके लिए पूरी तरह से निजात पाना मुश्किल है, लेकिन उनके लिए भी निरंतर शोध प्रयासरत है. मानव आज हजारों बीमारियों के चंगुल में फंसा हुआ है ऐसे में चिकनगुनिया वायरस भी धीरे-धीरे अपने पैर पसारते हुए महामारी का रूप धारण कर रहा है. हालांकि चिकनगुनिया वायरस, डेंगू और मलेरिया की भांति घातक नहीं है लेकिन इसका सही समय पर पता नहीं लगाया जाए तो यह घातक हो सकता है. देखना होगा कि चिकनगुनिया वायरस मानव जाति के लिए कितना घातक हो सकता है.
कैसे होता है चिकनगुनिया बुखार?
यह वायरस शरीर को कमजोर और दुर्बल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह वायरस रोगी किसी भी प्रकार के काम करने से असमर्थ बना देता है. जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को चिकनगुनिया संक्रमित मच्छर काटता है तो 'रेब्डो' नामक वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. इसके बाद 'रेब्डो' वायरस शरीर में अपनी संख्या को धीरे-धीरे बढ़ाने लग जाती है. ये वायरस ब्लड के माध्यम से पुरे शरीर में फैल जाते हैं और सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं. एक से बारह दिन के अंदर वायरस सक्रिय हो जाता है. चिकनगुनिया बुखार के शरीर में फैलने से भारी मात्रा में पोटेशियम का स्राव होता है. इससे प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होने लगती है. इसका असर दिल पर भी पड़ता है. रोगी का रक्तचाप भी कम हो जाता है. शरीर में प्रोटीन की कमी होने से किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है. इसी के साथ ही कई तरह के इंफेक्शन जैसे निमोनिया, बैक्टिरिया आदि होने से जान का भी खतरा बना रहता है. आइए निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से चिकनगुनिया बुखार और इसके प्रभाव को समझें.
- चिकनगुनिया बुखार से पीड़ित व्यक्ति के प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लग जाती है. यह वायरस शरीर पर देर से नुकसान पहुंचाता है.
- जब तक व्यक्ति को वायरस के बारे में पता लगता है तब तक जहर शरीर के अंगो के साथ-साथ जोड़ों में फैला चुका होता है.
- चिकनगुनिया के मुख्य लक्षण जोड़ों में दर्द, मतली, सिरदर्द, ठंड लगना, चकत्ते और उल्टियां आदि हैं. चिकनगुनिया बीमारी किसीभी अन्य बीमारी के सामान ही घातक हो सकती है.
- यदि आप चिकनगुनिया रोग से अपना बचाव करना चाहते हैं तो नियमित रूप से डॉक्टर्स से चेकअप जरूर करवाएं.
- यह वायरस बुजुर्गों के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है. यह बुजुर्ग लोगों में ना केवल किडनी और लिवर में समस्या उत्पन्न करता है, बल्कि मस्तिष्क में भी समस्याएं भी पैदा कर सकता है.
- छोटे बच्चे के लिए यह वायरस बहुत गंभीर है, छोटे बच्चों में इसका सामना करने में सक्षम नहीं होते है. यह बच्चों के लिए एक जानलेवा बीमारी से कम नहीं हैं.
चिकुनगुनिया का उपचार
चिकनगुनिया को कुछ बातों को ध्यान में रख कर रोका जा सकता है. यदि आप स्वस्थ आहार का सेवन करते है तो इस बीमारी के प्रभाव को बहुत हद्द तक रोका जा सकता हैं. इसके साथ ही अन्य कई तरीके हैं जिनके जरिये इस बीमारी से लड़ा जा सकता है.
1. ऐलोपैथ से चिकुनगुनिया का उपचार
चिकनगुनिया के लिए कोई निश्चित उपचार नहीं है. इसका जो भी उपचार है वह केवल बुखार और चिकनगुनिया के लक्षणों को प्रभावित करता है. जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत प्रदान करने के लिए दर्दनिवारक दवाओं का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा, वह विटामिन की गोलियां भी ले सकते हैं ताकि बीमारी से होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके.
2. आयुर्वेद से चिकुनगुनिया का उपचार
चिकुनगुनिया के लक्षण आयुर्वेद में वर्णित संधि-ज्वर के सामान्य प्रतीत होते हैं. इसी कारण चिकुनगुनिया का इलाज भी आयुर्वेद में किया जाता है. इस रोग से निदान पाने के लिए अर्जुन छाल का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अतिरिक्त लहसून, हल्दी और आंवला आदि के पाउडर भी देने चाहिए.
3. होम्योपैथी से चिकुनगुनिया का उपचार:
होम्योपैथिक को चिकुनगुनिया बुखार के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना गया है. इस वायरल रोग से से होम्योपैथिक दवाओं के मदद निदान पाया जा सकता है. इस रोग का निदान हर व्यक्ति में अलग-अलग उपचार पद्धति से किया जाता है.