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Last Updated: May 06, 2024
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Brahmi Benefits and Side Effects in Hindi - ब्राह्मी के फायदे और नुकसान

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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ब्राह्मी का नाम अक्षर गोटू कोला के लिए भी किया जाता रहा है. क्योंकि दोनों के गुणों में काफी हद तक समानता है. ब्राह्मी का वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोन्नियरी है. ब्राह्मी एक बारहमासी जड़ी-बूटी है. यह प्राचीन काल से ही हमारे यहां के आयुर्वेदिक परंपराओं में उपयोग में लाई जाती रही है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ब्राह्मी शब्द ब्रह्मा से लिया गया है. यानी कि जो देवता ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए जाने जाते हैं, उन के आधार पर ही इसका नाम रखा गया है. ब्राह्मी, जलीय स्थानों जैसे कि नदी नालों और नहर के किनारों पर या उनके आसपास पाया जाता है. स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है. ब्राह्मी में पाए जाने वाले तत्वों में कई विटामिन और अन्य पदार्थ शामिल हैं. ब्राह्मी का स्वाद फीका और तासीर ठंडी होती है. आइए ब्राह्मी के फायदे को विस्तार पूर्वक जानते हैं.

1. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है.
ब्राह्मी का उपयोग हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए किया जाता है. क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट जीवाणुओं और वायरसों के खिलाफ हमारी प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को गति देते हैं.
2. शुगर कम करने में
ब्राह्मी का उपयोग शुगर को कम करने के लिए भी किया जा सकता है. कई शब्दों में यह पाया गया है कि ब्राह्मी, हमारे शरीर में बढ़े हुए रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है. और आपका शुगर कम करके एक स्वस्थ जीवन जीने में आपकी मदद कर सकता है.
3. श्वसन संबंधी समस्याओं में
ब्राह्मी की पत्तियां आपके श्वसन से संबंधित कई परेशानियों को दूर कर सकती हैं. जैसे कि ब्रोंकाइटिस, रक्त-संतुलन, सीने में सर्दी और साइनस आदि समस्याएं ब्राह्मी दूर कर सकती है. इसके लिए आप ब्राह्मी  का चाय पी सकते हैं या इसके कच्ची पतियों को चबा सकते हैं. यही नहीं ब्राह्मी गले की सूजन और सांस लेने में भी आपकी मदद करती है.
4. सूजन के उपचार में
ब्राह्मी का इस्तेमाल सूजन के उपचार के लिए भी किया जाता रहा है. ब्राह्मणी सूजन को कम करने के साथ ही जलन को भी कम करता है. ये उत्तेजना खत्म करता है. इसके लिए ब्राह्मी की पत्तियों का पेस्ट बनाकर शरीर के प्रभावित हिस्से पर लेप लगाना चाहिए
5. याददाश्त बढ़ाने में
ब्राह्मी का सबसे महत्वपूर्ण इस्तेमाल यादाश्त बढ़ाने में किया जाता है. दरअसल ब्राम्ही हमारे स्मृति एकाग्रता और दिमाग को उत्तेजित कर सकती है. ब्राह्मी हमारे संज्ञानात्मक क्षमता को भी बढ़ाती है. और मस्तिष्क में होने वाले हलचलों को शांत करती हैं.
6. हृदय प्रणाली को दुरुस्त करने में
ब्राह्मी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे मस्तिष्क को तो शक्तिशाली बनाते ही हैं. इसके साथ ही हमारे शरीर से फ्री रेडिकल्स को खत्म करके हमारी त्वचा और हृदय प्रणाली को भी दुरुस्त करने का काम करते हैं. ब्राह्मी का इस्तेमाल आप एक नियमित खुराक के रूप में एक स्वस्थ उपापचय को बरकरार रखने के लिए कर सकते हैं.
7. तनाव से छुटकारा पाने में
ब्राह्मी का उपयोग हम तनाव या मानसिक अवसाद की स्थिति से उबरने के लिए भी कर सकते हैं. ब्राह्मी में कई सारे ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं. जो हमारे शरीर के हार्मोनल असंतुलन को बरकरार रखने का काम करते हैं. इसलिए ब्राह्मी के सेवन से आप चिंता और कई अन्य दवाओं के दुष्प्रभाव से भी बच सकते हैं.
8. अल्जाइमर के उपचार में
ब्राह्मी में अल्जाइमर जैसे विकारों को भी दूर करने की क्षमता पाई जाती है. आयुर्वेद में तो ब्राह्मी को अल्जाइमर के लिए एक बहुत आशाजनक जड़ी-बूटी बताया गया है.
9. पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में
ब्राह्मी का इस्तेमाल हमारे शरीर के पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के लिए भी किया जाता है. ब्राह्मी हमारे शरीर में होने वाले अवसर और जेठा तंत्र जैसे विकारों को दूर करने का काम करता है. इसलिए इसे एक शाम और सुखदायक जड़ी बूटी भी कहा जाता है.
10. त्वचा के लिए
त्वचा में निखार लाने या त्वचा में होने वाले घाव को भरने के लिए भी ब्राम्ही का इस्तेमाल किया जाता है. इस के लिए प्रभावित क्षेत्र पर ब्राह्मी का रहस्य तेल लगाना होता है. इससे त्वचा में चिकनाई भी आती है. और चाचा स्वस्थ भी डरता है.
11. मिर्गी के उपचार में
ब्राह्मी की पत्तियां मिर्गी के लिए प्राचीन काल से ही एक प्रभावी इलाज के रूप में प्रचलित रहे हैं. ब्राह्मी न सिर्फ मिर्गी के दौरे को रोकती है. बल्कि कई अन्य मानसिक रोगों और नसों के दर्द सहित कई द्विध्रुवी विकार और को भी हमारे शरीर से दूर करने में हमारी मदद करती है.

ब्राह्मी के नुकसान

  • संवेदनशील पेट वाले लोग जिन्हें अल्सर है. या जिन्हें इसका सेवन जो इसका सेवन झेलना पा रहे हो वह घी के साथ प्रयोग कर सकते हैं.
  • ब्राह्मी का इस्तेमाल आवश्यकता से अधिक और बिना आवश्यकता के नहीं करना चाहिए.
  • ब्राह्मी का इस्तेमाल किसी विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही करना चाहिए.
     

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