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Last Updated: Feb 22, 2024
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सल्फर के फायदे तथा उपयोग - Sulphur Ke Fayde Aur Nuksan in Hindi

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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सल्फर एक बहुत ही लोकप्रिय और एक सामान्य रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है. इसका इस्तेमाल विभिन्न समस्याओं में प्राचीन काल से होता आ रहे हैं. प्राचीन काल में इसका इस्तेमाल दवाओं के साथ साथ युद्धों में भी किया जाता था. मध्ययुग के कोमियागरों भी सल्फर से परिचित थे और वे इसका इस्तेमाल केमिकल प्रक्रियाओं के लिए उपयोग होता था. वे सल्फर को जलनीय वायु का सार समझते थे. वैज्ञानिक लावाजिए ने पहले-पहल इसको केमिकल एलेमेंट्स की संज्ञा दी थी. आइए इस लेख के माध्यम से हम सल्फर के विभिन्न गुणों के बारे में जानें.

सल्फर के फिजिकल गुण - Sulphur Ke Physical Gun

सल्फर हल्के पीले रंग का स्वादरहित और गंधरहित सॉलिड पदार्थ है. यह सामान्य रूप से तीन रूपों में पाया जाता है-

  • समचतुर्भुजीय मणिभ: - समचतुर्भुजीय मणिभ सामान्य टेम्परेचर पर स्थायी होता है.
  • ऐल्फा गंधक और एकनत मणिभ: - एकनत मणिभ हाई टेम्परेचर पर बनता और सामान्य टेम्परेचर पर धीरे-धीरे समचतुर्भुजीय रूप में संग्रहित हो जाता है. ऐल्फा गंधक का विशिष्ट डेंसिटी 2.7 (200 सें पर), गलनांक 112.80 सें. और द्रवण उष्मा 11.9 कैलरी है.
  • बीटा गंधक: - गंधक का एक चौथा रूप, गामा या प्लास्टिक गंधक है, जो रबर सा सुनम्य होता है. बीटा गंधक का आपेक्षिक घनत्व 1.95, गलनांक 118.90 सें. और प्लास्टिक गंधक का आपेक्षिक घनत्व 1.92 है.

इन तीनों रूपों के बाह्य रूप मणिभ संरचना और भौतिक गुण विभिन्न होते हैं. गरम करने से गंधक में कुछ विचित्र परिवर्तन होते हैं. इसके पिघलते ही हल्के पीले रंग का द्रव गंधक बनता है. गंधक का समचतुर्भुजीय रूप 112.80 सें. पर और एकनत रूप 118.90 सें पर पर पिघलता है. 1200 सें. के ऊपर गरम करने से लगभग 1570 सें. तक द्रव की श्यानता कम होती जाती है. 1690-1600 सें. से श्यानता बढ़ने लगती है और 1860-1880 सें. पर महत्तम हो जाती है.

इस ताप के ऊपर श्यानता फिर कम होने लगती है ओर रंग में भी स्पष्ट परिवर्तन होते हैं. 1600 सें. से ऊपर रंग अधिक गाढ़ा होता है तथा 2500 सें. पर भूरा काला होता है. ठंढा करने पर ये परिवर्तन ठीक प्रतिकूल दिशा में उसी प्रकार होते हैं. 444.60 सें. पर गंधक उबलने लगता है. उबलने पर पहले संतरे जैसे पीले रंग का वाष्प बनता है. ये परिवर्तन गंधक के अणुओं में परिवर्तन होने के कारण होते हैं. विभिन्न दशाओं में अणुओं में परमाणु की संख्या भिन्न होती है और उनकी बनावट में भी भिन्नता होती है.

सल्फर के रासायनिक गुण - Sulphur Ke Chemical Gun

गंधक सक्रिय तत्व है. स्वर्ण और प्लेटिनम को छोड़कर अन्य तत्वों के साथ यह संयोग करता तथा अनेक यौगिक बनाता है. इन यौगिकों में गंधक की संयोजकता दो, चार या छह रहती है. हाइड्रोजन के साथ इससे हाइड्रोजन सल्फाइड, ऑक्सीजन के साथ आक्साइड और धातुओं के साथ धातुओं के सल्फाइड बनते हैं.

यह एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसका रासायनिक उद्योगों में उपयोग किया जाता है. यद्यपि इसके स्थान पर अनेक अन्य पदार्थ उपयोग में लाए जाने लगे हैं, तथापि आज भी इसकी खपत बहुत अधिक है. किसी भी राष्ट्र की रासायनिक उद्योगों की प्रगति का अनुमान सल्फ्यूरिक अम्ल की खपत से किया जा सकता है, जो गंधक द्वारा ही निर्मित होता है. सलफ्यूरिक अम्ल के अतिरिक्त गंधक के उपयोग कुछ अन्य उद्योगों, जैसे कीटनाशक पदार्थो, दियासलाई, बारूद, विस्फोटक पदार्थो आदि-आदि में भी होते हैं.

सल्फर के फायदे तथा उपयोग - Sulphur Ke Fayde in Hindi

सल्फर का प्रयोग निम्नलिखित बीमारियों, स्थितियों और लक्षणों के उपचार, नियंत्रण, रोकथाम और सुधार के लिए किया जाता है:

  • जीवाणु संक्रमण
  • सूजन संबंधी त्वचा विकार
  • मुँहासे
  • परजीवी संक्रमण

सल्फर के दुष्प्रभाव - Sulphur Ke Nuksan in Hindi

प्रत्येक औषधि की तरह सल्फर के भी कुछ संभावित दुष्प्रभाव देखे जाते हैं. इसके दुष्प्रभाव उन दवाओं से भी हो सकते हैं जिनमें सल्फर मिलाया जाता है. जाहीर है इसके अलावा अन्य दुष्प्रभाव भी देखे जा सकते हैं. ये भी निश्चित नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति में ये दुष्प्रभाव नजर आएं, ये महज एक संभावना है. हाँ ये भी ध्यान रखना आवश्यक है कि कुछ दुष्प्रभाव बहुत ही दुर्लभ और गंभीर हो सकते हैं. यदि आपको भी सल्फर के इस्तेमाल के दौरान किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव का पता चलता है तो आपको तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ताकि समय रहते उसका उचित उपचार किया जा सके. मुख्य रूप से इसके दो निंलिखित दुष्प्रभाव देखे गए हैं -

  • स्थानीय जलन
  • स्थानीय सूजन

यदि आपको इसके अलावा किसी अन्य प्रकार के दुष्प्रभाव का पता चलता है जो कि ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है तो चिकित्सीय सलाह के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है. इसके अलावा यदि आप चाहें तो अपने स्थानीय खाद्य और दवा प्रबंधन अधिकारी को भी दुष्प्रभावों की सूचना दे सकते हैं.

सल्फर का विभिन्न बीमारियों में इस्तेमाल - Sulphur Ka Bimari Mein Istemaal

सल्फर निम्नलिखित क्रियाएं करके मरीज की स्थिति में सुधार करता है:
फफूंदी, परजीवी और जीवाणुओं के विकास को रोकना.

सल्फर का इस्तेमाल और सावधानियां - Sulphur Ka Istemaal

सल्फर को दवा के रूप में इस्तेमाल करने से पहले आप अपने चिकित्सक को अपनी सभी वर्तमान दवाओंके साथ ही अनिर्देशित उत्पादों जैसे - विटामिन, आयुर्वेदिक उत्पाद इत्यादि, एलर्जी, पहले से मौजूद विभिन्न समस्याओं समेत अन्य वर्तमान स्वास्थ्य स्थितियाँ जैसे - गर्भावस्था, होने वाली सर्जरी इत्यादि के बारे में सभी आवश्यक जानकारियाँ प्रदान करें. ऐसा करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि कुछ विशेष प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियां आपको दवा के दुष्प्रभावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाने का काम कर सकती हैं. ये भी नितांत आवश्यक है कि आप अपने चिकित्सक के निर्देशों के अनुसार दवा का सेवन करें या उत्पाद पर लिखित निर्देशों का अनुसरण करें. आपको बता दें कि प्रत्येक खुराक आपकी स्थिति विशेष पर आधारित होती है. इसलिए जब भी आपको लगे कि आपकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है या यदि आपकी हालत पहले से ज्यादा खराब हो रही है तो आपको अपने चिकित्सक को बताना चाहिए.

सल्फर का परहेज - Sulphur Ka Parhej

सल्फर के लिए अतिसंवेदनशीलता एक निषेध है. इसके अतिरिक्त, यदि आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो सल्फर नहीं लिया जाना चाहिए:

  1. कच्ची त्वचा
  2. किडनी की बीमारी
  3. रैशेस
  4. त्वचा पर जलन
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