Natural Diuretics| प्राकृतिक डाइयुरेटिक्स का कमाल देता है कई समस्या में राहत
कई बार हमारे शरीर में सूजन की शिकायत होने लगती है। या फिर अचानक से वज़न बढ़ने लगता है। ज़रूरी नहीं कि ये किसी बड़ी बीमारी के कारण या मोटापा बढ़ने के कारण हो। इसकी वजह आपके शरीर में वाटर रिटेंशन भी हो सकती है। पर कुछ बीमारियों में भी ये स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
अतिरिक्त तरल पदार्थ या नमक के शरीर से छुटकारा पाने के लिए मूत्रवर्धक का उपयोग किया जाता है। उच्च रक्तचाप, दिल से संबंधित रोग, सूजे हुए ऊतकों और गुर्दे की बीमारी वाले लोग अक्सर इन स्थितियों के इलाज के लिए मूत्रवर्धक का उपयोग करते हैं। शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होना हृदय के लिए ठीक से काम करना कठिन बना देता है और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
चिकित्सक द्वारा लिखी दवाएं मूत्रवर्धक के तौर पर काम तो करती हैं पर कई बार ऐसी डाइयुरेटिक दवाओं का सेवन करने से हमारे शरीर के दूसरे अंगों पर साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। पर हमारे पास ऐसी कई प्राकृतिक चीज़ें मौजूद हैं जो बिना नुक्सान पहुंचाए हमारे शरीर से अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल सकती हैं।तो आइए जानते हैं ऐसे ही प्राकृतिक डाइयुरेटिक्स के बारे में।
कलौंजी
हमारी रसोई में मौजूद कलौंजी में कई आयुर्वेदिक गुण होते हैं। ये जोड़ों के दर्द ,बालों का झड़ना ,शरीर के समग्र स्वास्थ्य में सुधार के साथ ही एक जानी मानी मूत्रवर्धक भी है। कलौंजी का सेवन करने से आफको एक डाइयुरेटिक का लाभ मिलता है और शरीर से सोडियम और पोटेशियम का स्तर कम हो सकता है। इसकी अलग सी सुगंध के कारण आमतौर पर कई प्रकार के व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है। जानकार मानते हैं कि उच्च रक्तचाप वाले लोग अगर कलौंजी का सेवन करते हैं तो उन्हें काफी लाभ मिल सकता है। हालांकि बहुत अधिक कलौंजी खाने से लिवर पर खराब असर पड़ सकता है।
गुड़हल
गुड़हल का पौधा एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में काम करता है और शरीर को पोटेशियम से छुटकारा दिलाने के काम भी आता है। गुड़हल के फूल को अकसर बालों को मज़बूत करने के लिए तेल के साथ मिलाया जाता है।कई लोग इसकी चाय भी पीते हैं जिसमें औषधीय गुण होते हैं।गुड़हल की चाय इसके फूल की सूखी पंखुडि़यों को गर्म पानी में डुबोकर बनाई जाती है। यह चाय एक प्रभावशाली मूत्रवर्धक के रूप में काम करती है और सूजन से राहत दिला सकती है।
शराब
जानकारों का मानना है कि शराब भी एक प्रभावशाली मूत्रवर्धक है जो मूत्र उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है। हालांकि, शराब के कई प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं और इसे हमेशा कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।
अदरक
अदरक भी अपने अनेक गुणों के लिए जानी जाती है। खासकर चाय में अदरक डालकर लोग इसका स्वाद लेते हैं। पर अदरक एक लोकप्रिय मूत्रवर्धक भी है। अपने इस गुण के कारण यह डिटॉक्सिफाइंग ड्रिंक के तौर पर भी जाती है।यही कारण है कि इसका उपयोद एक मूत्रवर्धक पर भी किया जा सकता है।
चुकंदर
चुकंदर बहुत ही पौष्टिक होते हैं। ये पोटेशियम से भरपूर होते हैं ।ऐसे में इनका ये गुण इन्हें शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को खत्म करने में मदद करता है।चुकंदर में मौजूद तत्व बीटानिन इन्हें इनका लाल रंग प्रदान करता है।इनमें खून की कमी को दूर करने और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। हालांकि इनका सेवन करने से आपको एक मूत्रवर्धक का लाभ मिल सकता है।
पत्ता गोभी
पत्ता गोभी अपने बाकी गुणों के अलावा शरीर से अतिरिक्त पानी के वजन को कम करने में मदद कर सकती है। आहार विशेषज्ञ अकसर पत्ता गोभी से बना सूप पीने की सलाह देते हैं।
अजवायन
अजवाइन में मौजूद थैलाइड्स इसके मूत्रवर्धक प्रभाव में योगदान करते हैं। अजवाइन में मौजूद गुणकारी तत्वों द्वारा शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम किया जाता है, जो इसे गाउट एडिमा के लिए एक आदर्श उपचार विकल्प बनाता है।
क्रैनबेरी
क्रैनबेरी भी एक प्रभावशाली मूत्रवर्धक के रूप में जाना जाता है।इसे यूटीआई और अन्य मूत्राशय विकारों को रोकने और उनका इलाज करने के लिए दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाता है।एक मूत्रवर्धक के रूप में, क्रैनबेरी पोटेशियम को नष्ट किए बिना तरल पदार्थ को बाहर निकालने में विशेष रूप से फायदेमंद हैं।
खीरे
खीरे में सल्फर और सिलिकॉन होता है जो यूरिक एसिड को बेहतर तरीके से हटाने के लिए किडनी को उत्तेजित करके पेशाब को बढ़ाता है। पानी और पोटेशियम से भरपूर और सोडियम में कम, खीरा नाइट्रिक एसिड और इंफ्लेमेटरी एंजाइम के उत्पादन को भी रोकता है, जिससे सूजन कम होती है। आंखों के नीचे की सूजन को शांत करने के लिए खीरे के स्लाइस का उपयोग शीर्ष रूप से किया जा सकता है।
लहसुन
सभी घरों में आसानी से उपलब्ध लहसुन की पहचान भी एक मूत्रवर्धक के रूप में होती है। सल्फर-आधारित रसायन जो लहसुन को उसकी विशिष्ट गंध, एलिसिन देता है, उसे औषधीय गुण भी देता है। लहसुन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी काम करता है और वसा के टूटने में योगदान देता है।
तरबूज़
तरबूज में 92% पानी की मात्रा और उच्च पोटेशियम सामग्री के साथ, इसमें मूत्रवर्धक गुण भी होते हैं। इसमें अमीनो एसिड साइट्रलाइन होता है, जो रक्त वाहिकाओं को आराम देता है और तरल पदार्थ को आस-पास के ऊतकों में रिसने से रोकता है, इस प्रकार पानी की अवधारण को कम करता है।
धनिया
धनिया भी एक जाना माना डाईयुरेटिक है। हरी धनिया की पत्तियों को पानी में उबालकर कुछ दिन पीने से शरीर का अत्र्कित पानी निकल जाता है। इसके अलावा धनिया के बीजों को रात भर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट पीने से काफी लाभ होता है। ये दोनों ही बहुत प्रभावशाली मूत्रवर्धक की तरह काम करते हैं।और इनके सेवन से शरीर का अतिरिक्त पानी निकल जाता है औऱ सामान्य स्तर पर आ जाता है