Motiyabind ka Treatment - मोतियाबिंद का इलाज
हमारे देश में एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर बुजुर्ग लोगों में देखा जाता है इनमें से भी महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है. मोतियाबिंद की बीमारी भरोसा हमारी आंखों के लेंस में धुंधलापन आने के कारण होती है. इससे हमारी आंखों में देखने की क्षमता में कमी आ जाती है. ऐसा तब होता है जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे जमा होने लगते हैं और यह गुच्छे बैलेंस को रेटिना का स्पष्ट चित्र भेजने से भेजने में बाधा पहुंचाते हैं. दरअसल रेटिना लेंस के माध्यम से संकेतो में प्राप्त होने वाली रोशनी को परिवर्तित करने का काम करता है. यह संकेत को ऑप्टिक तंत्रिका तक पहुंचाकर फिर उन्हें मस्तिष्क में ले जाता है मोतियाबिंद की बीमारी अक्षर धीरे-धीरे विकसित होती है और यह दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है इसमें रंगों का फीका देखना धुंधला दिखना प्रकाश की चाल रोशनी जैसी परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं. मोतियाबिंद में न्यूक्लियर मोतियाबिंद महिलाओं में ज्यादा देखने में आता है. आइए अब हम मोतियाबिंद के उपचार के बारे में समझें.
मोतियाबिंद का उपचार
- मोतियाबिंद उपचार मरीज के दृष्टि के स्तर पर आधारित है. इस जांच के स्तर को देखने के बाद अगर मोतियाबिंद दृष्टि को कम प्रभावित करता है या बिल्कुल नहीं करता तो कोई इलाज की आवश्यकता नहीं होती. ऐसे मरीजों को ये सलाह दी जाती है कि अपने लक्षणों का ध्यान रखें और नियमित चेक-अप कराते रहें.
- कई बार ऐसा होता है कि चश्मा बदलने मात्र से ही दृष्टि में अस्थायी सुधार हो जाता है. इसके अलावा, चश्मा के लेंस पर एंटी-ग्लेयर की परत लगवाने से रात में ड्राइविंग में मदद मिल सकती है और पढ़ने में उपयोग होने वाले प्रकाश की मात्रा में वृद्धि करना भी फायदेमंद हो सकता है.
- जब मोतियाबिंद का स्तर काफी बढ़ जाता है तब यह किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की सामान्य कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करने लगता है. ऐसे में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है. मोतियाबिंद सर्जरी बहुत आसान होती है इसमें आंखों के लेंस को हटाकर इसे एक अर्टिफिशियल लेंस से बदल दिया जाता है.
मोतियाबिंद सर्जरी के दृष्टिकोण
- स्माल-इंसीज़न - इसमें कॉर्निया (आंख का स्पष्ट बाहरी आवरण) के पास एक चीरा लगाकर आंखों में एक छोटा सा औज़ार डाला जाता है. यह औज़ार अल्ट्रासाउंड तरंगों का उत्सर्जन करता है जो लेंस नरम करता है जिससे वह टूट जाता है और उसे बाहर निकालकर उसे बदल देते हैं.
- एक्स्ट्राकैप्सुलर सर्जरी – इस सर्जरी में कॉर्निया में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है ताकि लेंस को एक टुकड़े में निकला जा सके. इसके बाद प्राकृतिक लेंस को एक स्पष्ट प्लास्टिक लेंस से बदल दिया जाता है जिसे इंट्राओक्युलर लेंस (आईओएल) कहा जाता है.
- नियमित जांच से - मोतियाबिंद को रोकने का कोई बहुत प्रभावी तरीका नहीं है. लेकिन कुछ जीवन शैली की कुछ आदतों में बदलाव करके इसके विकास को धीमा किया जा सकता है. इसके लिए नियमित तौर पर अपनी आँखों की जाँच कराना चाहिए क्योंकि नियमित रूप से आँखों की जाँच कराने से आपके डॉक्टर अपनी आँखों में होने वाली परेशानियों का जल्दी निदान कर पाएंगे.
- नशीले पदार्थों का सेवन बंद करके - मोतियाबिंद पर हुए कई शोधों में ये पाया गया है कि सिगरेट व शराब का सेवन ज़्यादा करने वाले लोगों में मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है.इसलिए इसके सेवन से बचें.
- स्वास्थ्यवर्धक भोजन करें - हम सभी के लिए एक स्वस्थ आहार प्राथमिकता होनी चाहिए. हमें अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त खाद्य पदार्थ, विटामिन सी और विटामिन ई की भरपूर मात्रा लेनी चाहिए.
- सूर्य की सीधी रौशनी से बचें - सूर्य की रौशनी से अपनी आँखों को ढकें पराबैंगनी विकिरण से मोतियाबिंद होने का जोखिम बढ़ जाता इसीलिए अपने जोखिम को कम करने के लिए किसी भी मौसम में यूवीए/यूवीबी से बचने वाला धूप का चश्मा और टोपी पहनें.