Morning Sickness - मोर्निंग सिकनेस का कारण
गर्भावस्था महिलाओं के लिए रोजमर्रा के जीवन से हटकर कई नए अनुभव लाता है. मॉर्निंग सिकनेस, इन्हीं में से एक है. गर्भावस्था के दौरान आने वाली उल्टी और मतली को ही मॉर्निंग सिकनेस कहते हैं. यदि आप इससे परिचित नहीं हैं तो आपको नाम सुनकर ऐसा लगेगा कि यह सुबह होने वाली कोई समस्या है. लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिलकुल नहीं है, यह दिन या रात किसी भी समय हो सकती है. दरअसल गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही के दौरान उल्टियां आना एक आम बात है. हलांकि ये कुछ महिलाओं में पूरी गर्भावस्था के दौरान भी महसूस हो सकती है. आमतौर पर इसमें उपचार की आवश्यकता नहीं होती है. पूरे दिन कुछ न कुछ खाते रहना और अदरक युक्त पेय पदार्थों का सेवन करने से अक्सर मितली को दूर किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि हार्मोनल परिवर्तन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आइए मॉर्निंग सिकनेस के कुछ संभावित कारणों को जानें.
1. एस्ट्रोजन स्तर
विशेषज्ञों के अनुसार मॉर्निंग सिकनेस एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि होने के कारण हो सकता है, क्योंकि इसके स्तर में गर्भावस्था के दौरान 100 गुना तक की अधिक हो जाती है. हालांकि इसपर अभी भी शोध किया जाना शेष है.
2. प्रोजेस्टेरोन का स्तर
गर्भावस्था के दौरान इसके स्तर में भी वृद्धि देखी जाती है. इसका उच्च स्तर समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए गर्भाशय (गर्भ) की मांसपेशियों के साथ ही पेट और आंतों को भी शिथिल करता है. इससे पेट में अतिरिक्त एसिड एकत्रित हो सकता है और गैस्ट्रोइसोफैगल रिफ्लक्स रोग हो सकता है.
3. हाइपोग्लाइसीमिया
गर्भवती महिलाओं के शरीर से बच्चे में ऊर्जा प्रवाह के कारण रक्त शर्करा के स्तर में कमी आ जाती है. ये भी एक अनुमान है जिस पर आभी शोध किया जाना है.
4. ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन
गर्भावस्था धारण करने के तुरंत बाद ही इस हार्मोन को पहले भ्रूण और बाद में प्लेसेंटा द्वारा स्त्रावित किया जाता है. इस पर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये भी मॉर्निंग सिकनेस का कारण हो सकता है.
5. सूंघने की शक्ति
ग्राभावस्था के दौरान होने वाले तमाम परिवर्तनों में से एक ये भी है कि इस दौरान महिलाओं के गंधों की संवेदनशीलता में वृद्धि हो जाती है, इस वजह से भी जी मिचलाने की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
क्यों ज़रूरी है मॉर्निंग सिकनेस
जाहिर है प्राकृतिक तौर पर शरीर अपने आप को ठीक करने के लिए कई तरह के ऐडजस्टमेंट्स करता है. कुछ विशेषग्य मॉर्निंग सिकनेस को भी उसी का एक हिस्सा मानते हैं. उनके अनुसार मॉर्निंग सिकनेस भ्रूण के विकास के लिए ज़रूरी हो सकती है जो गर्भवती माताओं और उनके बच्चे को फ़ूड पॉइजनिंग से बचाती है. यदि उल्टी और मतली का अनुभव करने वाली महिला को खाना अच्छा नहीं लगता है, तो संभावित रूप वो मुर्गीपालन, अण्डों या मांस से दूषित हो सकता है. और जिन खाद्य पदार्थों के दूषित होने का जोखिम कम होता है, जैसे चावल, रोटी और क्रैकर्स आदि, खाने का मन करता है. जिससे महिला और उसके बच्चे के स्वस्थ रहने की सम्भावना में वृद्धि होती है. विकासशील भ्रूण में प्रतिरक्षा तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है और इसी कारण उसके लिए विषाक्त पदार्थों की थोड़ी मात्रा भी हानिकारक भी हो सकती है.
मॉर्निंग सिकनेस से बचने के उपाय
- मॉर्निंग सिकनेस में दवाओं के प्रयोग से बचना चाहिए.
- सुबह बिस्तर से उठते ही तुरंत चलने फिरने की कोशिश कीजिए.
- खाली पेट न रहें, उठने के बाद हल्का स्नैक्स अवश्य लीजिए.
- मॉर्निंग सिकनेस से ग्रस्त होने पर तला हुआ खाने से बचना चाहिए
- प्रतिदिन सुबह अदरक की चाय लेने से मॉर्निंग सिकनेस ठीक होती है.
- पानी, नीबू के रस और पुदीने का मिश्रण लेने से मार्निंग सिकनेस का इलाज होता है.
- थोड़ी-थोड़ी देर पर खाने से भी मॉर्निग का इलाज हो सकता है.
- एपल सिडर विनेगर को शहद के साथ लेने पर मॉर्निंग सिकनेस का उपचार आसानी से हो सकता है.
- सही मात्रा में कैल्सियम और विटामिन बी लेने से मॉर्निंग सिकनेस का उपचार होता है.
- अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य-पदार्थ का सेवन करके मॉर्निंग सिकनेस से बचा जा सकता है.
- यदि आप मॉर्निंग सिकनेस से परेशान हैं तो आपको चिकित्सक से अवश्य संपर्क करना चाहिए.