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Last Updated: Jul 04, 2023
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इन्वर्स सोरायसिस का प्राकृतिक उपचार

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Dr. Ashok Shah0Dermatologist
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इनवर्स सोरायसिस एक प्रकार का सोरायसिस है जो आमतौर पर त्वचा की परतों में एक चमकदार दाने के रूप में प्रकट होता है।ये अकसर बगलों, जननांग और स्तनों के नीचे विकसित होता है । इनवर्स सोरायसिस में त्वचा में खुरदुरापन नहीं होता क्योंकि ये नम वातावरण वाली जगहों रैश के रूप में पनपते हैं। 

हल्की या गोरी त्वचा पर वालों में ये दाने गुलाबी या लाल रंग के हो सकते हैं और इसमें सफेद रंग के धब्बे हो सकते हैं। गेंहुई त्वचा पर यह एक साल्मन के रंग के दाने के रूप में दिखाई देता है जिसपर सफेद रंग के स्केल्स होते हैं। वहीं  काली त्वचा पर पड़ने वाले दाने भूरे रंग के साथ थोड़ा बैंगनी रंग लिए हो सकते हैं। इन पर गहरे भूरे रंग के चकत्ते भी हो सकते हैं जिन्हें देखना मुश्किल होता है।

इन्वर्स सोरायसिस वाले लोग असुविधा का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि ये दाने संवेदनशील और  कोमल त्वचा वाले क्षेत्रों में दिखाई देते हैं।

सोरायसिस एक पुरानी ऑटोइम्यून डिज़ीज़ है जो स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं पर हमला करती है। सोरायसिस आनुवंशिक कारणों से और कई बार पर्यावरण के कारण भी हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ बीमारियों,तनाव, धूम्रपान या कुछ दवाओं के सेवन से भी हो सकता है।

जानकार मानते हैं कि इनवर्स सोरायसिस का कोई इलाज नहीं होता है पर जीवनशैली में बदलाव कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही लक्षणों को दबाने के लिए दवाएं ली जा सकती हैं।

स्वस्थ जीवन शैली

सोरायसिस को प्रबंधित करने का एक तरीका स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना है। मोटापे और असंतुलित आहार लेने से स्थिति और खराब हो सकती है। शोध बताते हैं कि वजन कम करने से सोरायसिस में सुधार हो सकता है। स्वस्थ रहने के लिए अपने आहार में संपूर्ण खाद्य पदार्थों को शामिल करें जैसे फल और सब्जियां, लीन मीट और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें और चीनी और अन्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।नियमित व्यायाम करें।

टी ट्री ऑयल

टी ट्री ऑयल एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरा होता है जिसका उपयोग अकसर सोरायसिस जैसी स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करने के लिए, 1 भाग टी ट्री ऑयल को 10 भाग जैतून के तेल में मिलाएं, फिर प्रभावित क्षेत्रों पर कॉटन बॉल से लगाएं। कुछ लोगों को टी ट्री ऑयल से एलर्जी होती है, इसलिए इसे लगाने से पहले पैच टेस्ट जरूर कर लें।

जैतून का तेल

जैतून का तेल एक बेहतरीन मॉइस्चराइजर हो सकता है; आपके शरीर पर कहीं भी सोरायसिस फ्लेक हों तो उनपर ज़ैतून का लगाएं। ओमेगा -3 फैटी एसिड और विटामिन ई से भरपूर जैतून का तेल कई तरह से सोरायसिस के लक्षणों को कम करता है। जैतून का तेल रूखी और फ्लेक्स वाली त्वचा को शांत करता है और एंटी इंफ्लेमेटरी होने के कारण संक्रमण कम करता है। इसे सीधे प्रभावित क्षेत्र पर लगाने के साथ ही नहाने के पानी में 2 चम्मच (चम्मच) गर्म जैतून का तेल मिलाएं।इससे सोरायसिस में लाभ होगा।

नारियल का तेल

नारियल का तेल भी त्वचा में नमी बरकरार रखता है और सोरायसिस के कारण होने वाले सूखेपन का मुकाबला करने में मदद कर सकता है। सोराइसिस प्लाक पर थोड़ी सी मात्रा में हल्के हाथों से नारियल का तेल मलें।

ओटमील

कई स्वास्थ्य और सौंदर्य उत्पादों में पाया जाने वाला ओटमील सोरायसिस से जुड़ी खुजली और सूजन से राहत दिलाने में मदद करता है। एक ओटमील बाथ तैयार करने के लिए ओटमील को किसी मोज़े में भरकर टब या बाल्टी में पानी में डाल दें।इससे त्वचा शांत होती है औऱ रैशेज में कमी आती है।

गुनगुने पानी से नहाएं

इन्वर्स सोरायसिस में शरीर की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।क्योंकि ये रोग ऐसी जगह पर होता है जहां पसीना अधिक होता है ऐसे में संक्रमण का खतरा बना रहता है।इसलिए नहाने से परहेज़ ना करें। नहाने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग ना कि गर्म या ठंडे पानी का। इसके अलावा नहाने में 15 मिनट से अदिक का समय ना लगाएं।

केमिकल फ्री साबुन और सैंदर्य उत्पाद लगाएं

आपकी त्वचा पहले से ही काफी संवेदनशील स्थिति से गुज़र रही है इसलिए इसपर केमिकल युक्त प्रसाधनों का इस्तेमाल ना करें। इससे स्थिति बिगड़ सकती है। नहाने के लिए सौम्य साबुन या अन्य उत्पादों का प्रयोग करें।कोशिश करें कि ऐसे उत्पाद चुनें जिनमें कम खुशबू ,प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया हो ।साथ ही ये अल्कोहल से मुक्त हों। आपको ऐसे उत्पाद लेने हैं जिन पर  हाइपोएलर्जेनिक या संवेदनशील त्वचा का लेबल लगा हो।

त्वचा को मास्चराइज़ रखें

इनवर्स सोरायसिस की स्थिति में आपकी त्वचा को अधिक देखभाल की आवश्यकता है। इसलिए अपनी त्वचा को दिन में कई बार क्रीम या लोशन से मॉइस्चराइज़ करते रहें। ध्यान रखें कि नहाने के तुरंत बाद त्वचा को अच्छी तरह सुखा कर माइस्चराइज़ करें।आप चाहें तो नहाने के बाद शरीर पर नारियल का तेल भी लगा सकते हैं।

सही अंडरवियर का चुनाव करें

त्वचा में रैशेज या कोई भी समस्या होने पर कपड़ों का सही चुनाव करना ज़रूरी होता है। इनवर्स सोरायसिस के लक्षणों से राहत पाने के लिए बहुत चाइट औऱ सिंथेटिक कपड़े ना पहनें। ऐसे कपड़े पहने जो हवादार हों और पसीना सोख सकें। इसके अलावा ध्यान रखें कि अंडरवियर भी सूती होने चाहिए वरना रैशेज़ में बढ़ोत्तरी हो सकती है। साथ ही रगड़ लगने से त्वचा की स्थित औऱ खराब हो सकती है। इसलिए एकदम चुस्त अंडरवियर पहनने के बजाय थोड़े ढीले अंडरवियर का चुनाव करें।

टैल्कम पाउडर का उपयोग करें

इनवर्स सोरायसिस अधिकतर ऐसी परतों में होता है जहां नमी बनी रहती है।ऐसे में इन क्षेत्रों में नमी से छुटकारा पाना ही आपको लाभ पहुंचा सकता है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि इन परतों में नियमित अंतराल पर टैल्कम पाउडर का छिड़काव करते रहें।

एलोवेरा लगाएं

एलोवेरा अपने औषधीय गुणों के कारण कई बीमारियों में इस्तेमाल होता है पर त्वचा के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण होते हैं जो त्वचा के किसी भी संक्रमण के लिए उपचार का काम करते हैं। आप प्रभावित क्षेत्र में शुद्ध एलोवेरा जेल का उपयोग करके लाभ ले  सकते हैं। 

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