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Last Updated: Apr 01, 2019
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एड़ी में दर्द का उपचार - Heel Pain Treatment!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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मानव शरीर की संरचना में एड़ी पैरों के तलवे के पिछले हिस्से को कहा जाता है. हमारे पैर में 26 हड्डियां होती हैं, जिनमें से एड़ी की हड्डी सबसे बड़ी होती है. एड़ी की संरचना इस प्रकार की होती है, जिससे वह दृढ़ता से शरीर के वजन को उठा सके. चलते या दौड़ते समय जब हमारी एड़ी ज़मीन से टकराती है, तो यह पैर पर पड़ने वाले दबाव को अवशोषित कर लेती है और हमें आगे की ओर बढ़ने में सक्षम बनाती है. दौड़ने के कारण पैरों पर ज़्यादा दबाव पड़ सकता है. परिणामस्वरूप एड़ी कमजोर हो जाती है और इसमें दर्द होने लगता है. अधिकांश मामलों में, एड़ी के दर्द के लिए एक यांत्रिक कारण ज़िम्मेदार है. गठिया, संक्रमण, एक स्वप्रतिरक्षित समस्या, आघात, एक न्यूरोलॉजिकल समस्या या कुछ अन्य प्रणालीगत स्थिति (ऐसी स्थिति जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है) के कारण भी यह दर्द हो सकता है. आइए एड़ी दर्द के उपचार को विस्तार से जानें.
सामान्य उपचार

1. गद्देदार सोल या एड़ी कप का इस्तेमाल:-
एड़ी बर्साइटिस का उपचार बर्साइटिस को उत्पन्न करने वाली गतिविधियों को सीमित करने के लिए रोगी गद्देदार सोल या एड़ी कप का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस उपचार के साथ-साथ एड़ी को पर्याप्त आराम देना प्रभावी होता है. गंभीर मामलों में, मरीज को एक स्टेरॉयड इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है.

2. ये भी कर सकते हैं:- एड़ी की गांठों के लिए उपचार एड़ी के पीछे होने वाली सूजन में बर्फ और फुटवियर बदलने से राहत मिल सकती है. अचिल्लेस पैड और एड़ी ग्रिप पैड भी अस्थायी रूप से आराम देते हैं. कभी-कभी डॉक्टर दर्द के लिए कॉर्टिसोन इंजेक्शन लगा सकते हैं. गंभीर मामलों में गाठों को सर्जरी के द्वारा निकाला जा सकता है.

नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स-
दर्द कम करने के लिए एनाल्जेसिक दवा का उपयोग किया जा सकता है. इस दवा की अधिक खुराक सूजन को भी कम कर सकती है. एनएसएआईडी गैर-मादक पदार्थ हैं (ये बेहोशी उत्पन्न नहीं करते हैं). ये प्लान्टर फ़ेशियाइटिस से ग्रसित रोगियों के दर्द और सूजन में राहत दिला सकते हैं. कॉर्टिकोस्टेरॉइड – कॉर्टिकोस्टेरॉइड का सुझाव आमतौर पर तब दिया जाता है, जब एनएसएआईडी का कोई प्रभाव नहीँ हो रहा हो. कॉर्टिकोस्टेरॉइड का घोल त्वचा पर दर्द वाले हिस्से पर लगाया जाता है, फिर एक विद्युतीय प्रवाह को अवशोषण करने के लिए प्रयोग किया जाता है. वैकल्पिक रूप से, डॉक्टर दवा को इंजेक्शन के द्वारा भी दे सकते हैं. हालांकि, कई इंजेक्शन लगाने के परिणामस्वरूप प्लान्टर फ़ेशिया कमजोर हो सकता है. इससे एड़ी की हड्डी के चारों तरफ स्थित वसा की मोटी परत के टूटने और संकुचित होने का जोखिम बढ़ सकता है. कुछ डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके सुनिश्चित कर सकते हैं कि मरीज़ को सही जगह पर इंजेक्शन दिया गया है या नहीं.

फिजियोथेरेपी के द्वारा-
फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को ऐसे व्यायाम सिखा सकते हैं, जिससे प्लान्टर फ़ेशिया और अचिल्लेस पेशी का लचीलापन बढ़ता है. इससे पैर के निचले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिसके कारण टखने और एड़ी का संतुलन बेहतर होता है. मरीज को एथलेटिक टैपिंग करना भी सिखाया जा सकता है, जिससे पैर के निचले हिस्से को अच्छा आधार मिलता है.

1. रात को पट्टी लगाकर सोना – स्प्लिन्ट को पिंडली और पैर के लिए उचित माना जाता है. रोगी इसे सोते वक्त लगाता है. स्प्लिन्ट के कारण प्लान्टर फ़ेशिया और अचिल्लेस पेशी रात भर अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं.

2. ऑर्थोटिक्स – पैर की समस्याओं को ठीक करने के लिए इन्सोल्स और ऑर्थोटिक्स (सहायक उपकरण) उपयोगी हो सकते हैं. साथ ही, चिकित्सा के दौरान एड़ी के लिए आरामदायक और सुरक्षित होते हैं.

3. एक्स्ट्रा कॉरपोरल शॉक वेव थेरेपी - उपचार को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रभावित हिस्सों में ध्वनि तरंगों को प्रेषित किया जाता है. इस प्रकार की चिकित्सा का परामर्श केवल उन पुराने (दीर्घकालिक) मामलों के लिए दिया जाता है, जो दवाओं से ठीक नहीं होते हैं.

4. सर्जरी – इसमें प्लान्टर फ़ेशिया को एड़ी की हड्डी से अलग कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया का सुझाव केवल तब दिया जाता है, जब कोई और इलाज काम नहीं करता.इस सर्जरी के बाद एड़ी के आर्च (एड़ी और पंजे के बीच का निचला भाग) के कमज़ोर होने का जोखिम होता है.

5. आराम – ज़्यादा देर तक भागने या खड़े रहने या कठोर सतह पर चलने से बचें. एड़ियों पर दबाव डालने वाली गतिविधियां न करें.

6. बर्फ – लगभग 15 मिनट तक दर्द से प्रभावित हिस्से पर आइस पैक रखें. बर्फ को त्वचा के साथ सीधे संपर्क में न लाएं.

7. जूते – आरामदायक जूते पहनना बहुत महत्वपूर्ण है. एथलीटों को अभ्यास या प्रतिस्पर्धा के दौरान पहने जाने वाले जूतों का चुनाव सावधानी से करना चाहिए. खेल के दौरान पहने जाने वाले जूतों को निश्चित समय के बाद बदल देना चाहिए.

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